बरसात थमने का नाम ही नहीं ले रही थी, जैसे सारा के अंदर का तूफ़ान भी शांत होने को तैयार नहीं था।

उसका बेटा, लियो, खिड़की के पास बैठा, अपनी ही दुनिया में खोया हुआ,

अपने हाथों को एक खास तरीके से जोर-जोर से हिला रहा था।

ये हरकत उसे अच्छी भी लगती थी और डराती भी।

rain

वो पाँच साल का था,  जैसे एनर्जी का भंडार हो, पर कभी-कभी बिलकुल चुप।

डॉक्टरों ने कहा था “ऑटिज़्म”। ये शब्द उसके दिल पर एक भारी पत्थर सा बन गया था।

सारा ने सोचा था कि लियो के साथ और बच्चे भी होंगे खेलने के लिए, लियो स्कूल में गाना गाएगा, सब मिलकर बातें करेंगे, हँसेंगे।

sara imagination

 

पर अब, उसे डर लगने लगा था – ज़ोर की आवाज़ से लियो चिड़चिड़ा हो जाता था,

अपनी बात कहने में उसे मुश्किल होती थी,

और सबसे बड़ा डर, लियो का भविष्य कैसा होगा, यही सोचकर वो परेशान रहती थी।

वो बिलकुल अकेली पड़ गई थी, जैसे किसी और ही दुनिया में बच्चे पाल रही हो, जहाँ सब कुछ अलग है,  समझ ही नहीं आता।

sara cry

एक दिन, बारिश से बचने के लिए, सारा एक छोटी सी, पुरानी किताबों की दुकान में घुस गई।

वहाँ उसे एक पतली सी किताब मिली, जिसका कवर थोड़ा फीका था:

“वो लड़का जो रंगों में बातें करता था।” ये एक माँ की कहानी थी, जिसका बच्चा ऑटिस्टिक था।

library

सारा थोड़ी हिचकिचाई। ऐसी किताबें उसने पहले भी पढ़ी थीं,

जिनमें बीमारी के बारे में बहुत कुछ लिखा था, पर वो पढ़कर और ज़्यादा उलझ गई थी।

लेकिन इस किताब का नाम उसे अच्छा लगा।

उसने किताब खरीद ली, एक उम्मीद की किरण लिए वो घर लौट आई।

उस रात, जब लियो सो गया, उसकी साँसें आराम से चल रही थीं, सारा ने किताब खोली।

book read

वो कहानी में डूब गई, ये कहानी बिलकुल उसकी अपनी जैसी थी।

मुश्किलें थीं, साफ़-साफ़ बताई गईं थीं।  लेकिन कुछ और भी था: एक माँ का अपने बच्चे के लिए बेइंतहा प्यार,

और उसे समझने की कोशिश।

लेखिका ने अपने बेटे के बारे में लिखा, उसकी कमियों के बारे में नहीं, बल्कि उसकी खूबियों के बारे में।

उसने लिखा कि उसका बेटा दुनिया को ऐसे रंगों में देखता है जो और किसी को नहीं दिखते।

वो इशारों से, गुनगुनाने से, या फिर किसी तितली के पंखों को देखकर अपनी बात कहता था।

वो “अलग” था, पर “कम” नहीं।

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सारा की आँख से आँसू निकल आया।

ये उदासी का आँसू नहीं था, ये समझने का आँसू था।

उसने लियो को देखा, वो नींद में कितना शांत लग रहा था।

वो हमेशा यही सोचती रहती थी कि वो क्या नहीं कर सकता, और ये भूल गई थी कि वो क्या कर सकता है।

1

किताब में लिखा था कि छोटी-छोटी खुशियों को मनाना चाहिए,

लियो की भाषा को समझना चाहिए, उन पलों में खुशी ढूंढनी चाहिए जो वो साथ बिताते हैं।

उसने सारा को लियो की सबसे अच्छी दोस्त, उसकी मददगार, उसकी ताकत बनने के लिए कहा।

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अगली सुबह, बारिश रुक गई थी।

सूरज की रोशनी खिड़की से अंदर आ रही थी।

लियो उठा, उसकी आँखें चमक रही थीं।  वो सारा के पास आया,  और उसे गले लगाया,

जैसे कहना चाह रहा हो, “मैं हूँ ना!”

सारा ने उसे कसकर गले लगाया, उसके दिल में एक नई उम्मीद जागी।

morning

वो नहीं जानती थी कि आगे क्या होगा।

मुश्किलें तो आएँगी, ये वो जानती थी।  लेकिन वो अकेली नहीं थी।

उसके पास एक सहारा था, न सिर्फ़ किताब में, बल्कि उस रंगीन दुनिया में जो लियो की थी।

वो उसकी भाषा सीखेगी, उसकी खूबियों का जश्न मनाएगी, और उसकी सबसे अच्छी दोस्त बनेगी।

वो इस सफ़र को डर से नहीं, प्यार से अपनाएगी। वो भी रंगों में दुनिया देखना सीखेगी।

 

 

message

हर बच्चा खास है, अपनी खूबियों और अपनी अलग राह के साथ।

ऑटिज़्म को अपने बच्चे की पहचान का हिस्सा मानें, ना कि कोई रुकावट।

अपने बच्चे की अनोखी दुनिया को समझने की कोशिश करें,

उनकी ताक़त को पहचानें, और उनके सपनों को पूरा करने में उनकी मदद करें।

आप अकेले नहीं हैं, कई लोग इस सफ़र में आपके साथ हैं।

सबसे ज़रूरी है प्यार, धैर्य, और कभी ना हार मानने वाला हौसला।

 

अस्वीकरण: यह कहानी एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से लिखी गई है, लेकिन इसमें दर्शाई गई भावनाएँ वास्तविक हैं। कहानी में वर्णित परिस्थितियाँ और अनुभव काल्पनिक हो सकते हैं, परन्तु ऑटिज़्म से जूझ रहे परिवारों की चुनौतियाँ और उनके अटूट हौसले की यह कहानी सच्ची प्रेरणा देती है। इस कहानी में इस्तेमाल की गई तस्वीरें कैनवा की मदद से बनाई गई हैं। यह कहानी आम जनता को ऑटिज़्म के बारे में जागरूक करने का एक प्रयास है, ताकि समाज में इसके प्रति समझ और स्वीकृति को बढ़ावा दिया जा सके। यह कहानी किसी भी तरह से चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। यदि आपको अपने बच्चे के विकास के बारे में कोई चिंता है, तो कृपया किसी योग्य पेशेवर से सलाह लें।