किडनी हमारे शरीर का साइलेंट वर्कर है।
यह 24 घंटे खून से टॉक्सिन छानती है,
लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी दवाओं की डिब्बी ही इसके दुश्मनों से भरी हो सकती है?
पेनकिलर से लेकर एंटीबायोटिक्स तक, कुछ दवाएं चुपचाप किडनी को नुकसान पहुँचाती हैं।
आइए समझते हैं कैसे:

किडनी चिल्लाती नहीं—वो चुपचाप खराब होती हैं! (Credit:www.pixabay.com)
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पेनकिलर्स (NSAIDs)
उदाहरण: इबुप्रोफेन, एस्पिरिन, डाइक्लोफेनाक।
खतरा:
ये दवाएं किडनी तक खून का बहाव कम कर देती हैं,
जैसे पाइप को दबा देना!
लंबे समय में ये अचानक किडनी फेल या पुरानी बीमारी बढ़ा सकती हैं।
ज़्यादा इस्तेमाल से किडनी में सूजन भी होती है। कभी-कभी दवाएं ज्यादा लम्बे समय तक खानी पड़ती है,
लेकिन बिना डॉक्टर की निगरानी के इन्हे खाना बहुत महँगा पड़ सकता है|
→ टिप: बिना डॉक्टर की सलाह के रोज़ पेनकिलर न खाएं!
एसिड कम करने वाली दवाएं (PPIs)
उदाहरण: ओमेप्राज़ोल, पैंटोप्राज़ोल।
खतरा:
लंबे समय तक लेने से किडनी में निशान पड़ सकते हैं,
जिससे पुरानी बीमारी होती है।
इनसे मैग्नीशियम कम होता है, जो किडनी को कमज़ोर करता है।
अगर आपको बहुत ज्यादा तेजाब या एसिड बनाने की समस्या है
तो बेहतर ये रहेगा की आप उसका सही से ट्रीटमेंट करवाइये|
→ टिप: PPIs सिर्फ कुछ दिनों के लिए लें, जिंदगीभर नहीं!
एंटीबायोटिक्स
उदाहरण: जेंटामाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन।
खतरा:
कुछ एंटीबायोटिक्स किडनी की कोशिकाओं के लिए ज़हर हैं!
ये सीधा नुकसान या सूजन पैदा करती हैं। गलत डोज़ से खतरा और बढ़ता है!
आमतौर पर लोग सोशल मीडिया पे बताये गए टिप्स के आधार पर खुद ही एंटीबायोटिक्स लेते रहते हैं
और जिसकी वजह से किडनी और लिवर पे बुरा असर पड़ता है|
→ टिप: डॉक्टर के बताए कोर्स को पूरा करें—खुद से एंटीबायोटिक्स न लें!
पानी छुड़ाने वाली गोलियाँ (ड्यूरेटिक्स)
उदाहरण: फ्यूरोसेमाइड, हाइड्रोक्लोरोथायाजाइड।
खतरा: ये दवाइयां अलग अलग तरह की लम्बी बीमारियों में इस्तेमाल की जाती है
जैसे की ब्लड प्रेशर ज्यादा होना|
ब्लड प्रेशर को काम करने के लिए ये शरीर से पानी निकालती है
ताकि प्रेशर को काम किया जा सके|
ये पानी तो निकालती हैं, मगर शरीर को डिहाइड्रेट भी कर देती हैं।
इससे किडनी को खून नहीं मिलता और इलेक्ट्रोलाइट गड़बड़ होते हैं।
→ टिप: खूब पानी पिएँ और डोज़ कभी न बढ़ाएँ!
स्कैन वाली डाई (इमेजिंग डाई)
उदाहरण: सीटी स्कैन में इस्तेमाल होने वाली डाई।
खतरा:
ये दवाइयां स्कैन में मदद करती है ताकि सही से पता लगाया जा सके
बिमारी शरीर के किस अंग में है और कितना ज्यादा है|
इसलिए जब भी आपका स्कैन हो और डॉक्टर को डाई वाला स्कैन चाहिए तो
बेहतर रहेगा की आप अपनी किडनी से सम्बंधित या कोई अन्य बिमारी के बिमारी में डिटेल से बताइये|
ये डाई किडनी के फिल्टर को बंद कर देती है, खासकर डायबिटीज या बुजुर्गों में।
→ टिप: स्कैन से पहले डॉक्टर को किडनी की समस्या के बारे में बताएँ!
हर्बल सप्लीमेंट्स
उदाहरण: मुलेठी, एफेड्रा।
खतरा:
“नेचुरल” का मतलब सेफ नहीं!
कुछ जड़ी-बूटियों में अलग तरह के टोक्सिन या जहरीले तत्त्व भी हो सकते हैं|
जो किडनी की कोशिकाओं को नष्ट करता है।
इसलिए किसी भी तरह का सप्लीमेंट अपनी मर्जी से मत खाइये|
एक सही डाइट खाकर भी आप स्वस्थ रह सकते हैं|
→ टिप: हर्बल रेमेडीज़ आजमाने से पहले डॉक्टर से पूछें!
मुख्य बातें:
किडनी चिल्लाती नहीं—वो चुपचाप खराब होती हैं!
नुकसान तब पता चलता है जब बहुत देर हो चुकी होती है।
खतरे के कारण:
पहले से किडनी की बीमारी।- अपने डॉक्टर को जरूर जरूर बताइये
डिहाइड्रेशन + गोलियाँ = मुसीबत!
एक साथ कई दवाएं लेना।- आपका डॉक्टर आपको दवाइयों के आपस में होने वाली रिएक्शन को ध्यान में रखकर दवाइयां देता है|
लेकिन आप अगर उन दवाइयों के साथ अपनी मर्जी से कोई दवाई मिक्स कर देते
बचाव के उपाय:
🚫 खुद से दवा लेना बंद करें—चाहे सिरदर्द हो या एसिडिटी!
💧 पानी खूब पिएँ—किडनी का सबसे अच्छा दोस्त!
🩺 नियमित जाँच करवाएँ—अगर लंबे समय से दवा ले रहे हैं तो!