रक्त कैंसर, नाम सुनते ही डर लगता है. ये है क्या बला? ये एक बीमारी नहीं है,

बल्कि कई बीमारियों का एक ग्रुप है जो हमारे खून की कोशिकाओं को खराब करता है.

अपने खून को एक बड़ी फैक्ट्री समझो जो अलग-अलग तरह की कोशिकाएं बनाती है,

और हर एक का ज़रूरी काम होता है.

जब इस फैक्ट्री का काम गड़बड़ हो जाता है,

मतलब जब प्रोडक्शन लाइन बिगड़ जाती है,

तो गलत, बीमार कोशिकाएं बनने लगती हैं और वो अच्छी कोशिकाओं को धकेल देती हैं.

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बेवजह थकान रहना रक्त कैंसर का एक लक्षण हो सकता है (www.pixabay.com)

रक्त कैंसर के प्रकार (Types of Blood Cancer)

चलो, रक्त कैंसर के मुख्य प्रकारों को आसान भाषा में समझते हैं:

 1. ल्यूकेमिया: ज़्यादा बनाने वाला (Leukemia: The Overproducer)

सोचो एक फैक्ट्री एक ही चीज़ बहुत ज़्यादा बना रही है,

जिससे दूसरी चीजों के लिए जगह ही नहीं बची.

ल्यूकेमिया में कुछ ऐसा ही होता है. आपकी बोन मैरो (जहाँ खून की कोशिकाएं बनती हैं),

वो फैक्ट्री, गलत वाइट ब्लड सेल्स बहुत ज़्यादा बनाने लगती है.

ये “बुरी” वाइट ब्लड सेल्स इन्फेक्शन से ठीक से नहीं लड़ पातीं,

और वो जगह ले लेती हैं जो हेल्थी रेड ब्लड सेल्स (जो ऑक्सीजन ले जाती हैं)

और प्लेटलेट्स (जो खून रोकने में मदद करती हैं) के लिए ज़रूरी है.

  • एक्यूट vs. क्रोनिक: ल्यूकेमिया एक्यूट (जल्दी बढ़ने वाला) या क्रोनिक (धीरे-धीरे बढ़ने वाला) हो सकता है.

 

  • प्रकार: ल्यूकेमिया के अलग-अलग प्रकार होते हैं, जैसे एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया (AML), एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (ALL), क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया (CML), और क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (CLL). हर एक अलग तरह की ब्लड सेल्स को प्रभावित करता है.

 2. लिम्फोमा: नेटवर्क पर हमला (Lymphoma: The Network Attacker)

आपका लिम्फेटिक सिस्टम एक सड़क के नेटवर्क की तरह है जो इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है.

इसमें लिम्फ नोड्स (छोटे, बीन के आकार की चीज़ें), स्प्लीन और दूसरे टिशूज़ शामिल हैं.

लिम्फोमा एक कैंसर है जो इस नेटवर्क की कोशिकाओं में शुरू होता है, जिन्हें लिम्फोसाइट्स कहते हैं.

  • हॉजकिन vs. नॉन-हॉजकिन: लिम्फोमा को मोटे तौर पर हॉजकिन लिम्फोमा और नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा में बांटा गया है.
  • दोनों में फर्क ये है कि किस तरह की सेल प्रभावित होती है. नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा ज़्यादा आम है.

 3. माइलोमा: बोन मैरो की समस्या (Myeloma: The Bone Marrow Problem)

माइलोमा को बोन मैरो के “स्टोरेज यूनिट” में गड़बड़ी समझो.

प्लाज्मा सेल्स, एक तरह की वाइट ब्लड सेल जो एंटीबॉडीज बनाती है (आपकी बॉडी का डिफेंस सिस्टम),

कैंसर वाली हो जाती हैं और बोन मैरो में जमा हो जाती हैं. ये कैंसर वाली प्लाज्मा सेल्स, माइलोमा सेल्स, हेल्थी ब्लड सेल्स को बाहर कर देती हैं

और हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकती हैं. मल्टीपल माइलोमा सबसे आम प्रकार है.

(रक्त कैंसर के लक्षण (Blood Cancer Symptoms)

क्या लक्षण होते हैं? ब्लड कैंसर के लक्षण उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं, लेकिन कुछ आम संकेत ये हैं:

  • थकान (Fatigue): हमेशा थका हुआ महसूस करना, आराम करने के बाद भी. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कैंसर सेल्स, रेड ब्लड सेल्स (जो शरीर में ऑक्सीजन पहुँचाती हैं) को कम कर देती हैं, जिससे थकान होती है.

 

  • कमज़ोरी (Weakness): कमज़ोर महसूस करना और नॉर्मल काम नहीं कर पाना. ये भी ऑक्सीजन की कमी और शरीर में कमज़ोरी की वजह से होता है.

 

  • बार-बार इन्फेक्शन (Frequent Infections): ज़्यादातर बीमार पड़ना. ऐसा इसलिए क्योंकि अच्छी वाइट ब्लड सेल्स जो इन्फेक्शन से लड़ती हैं, वो कम हो जाती हैं या ठीक से काम नहीं कर पाती हैं.

 

  • आसानी से नील पड़ना या खून बहना (Easy Bruising or Bleeding): हल्की चोट से भी नील पड़ जाना, नाक से खून आना या मसूड़ों से खून आना. ये प्लेटलेट्स (जो खून जमाने में मदद करती हैं) की कमी की वजह से होता है.

 

  • हड्डियों में दर्द (Bone Pain): हड्डियों में दर्द, खासकर पीठ, पसलियों या कूल्हों में. कैंसर सेल्स बोन मैरो में जमा हो जाती हैं जिससे दर्द होता है.

 

  • सूजे हुए लिम्फ नोड्स (Swollen Lymph Nodes): गर्दन, बगल या जांघ में गांठ या सूजन. लिम्फ नोड्स इम्यून सिस्टम का हिस्सा होते हैं, और कैंसर सेल्स वहाँ जमा होकर उन्हें सूजा देती हैं.

 

  • वजन कम होना (Weight Loss): बिना कोशिश के वजन घटना. कैंसर सेल्स शरीर की एनर्जी खत्म कर देती हैं जिससे वजन कम होता है.

रक्त कैंसर का इलाज (Blood Cancer Treatment)

  • कीमोथेरेपी (Chemotherapy): ये दवाइयाँ कैंसर सेल्स को मारती हैं, लेकिन इनके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं.

 

  • रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy): तेज़ किरणों से कैंसर सेल्स को ख़त्म करना. ये अक्सर कैंसर वाले हिस्से पर ही इस्तेमाल की जाती है.

 

  • स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant): खराब बोन मैरो को हेल्थी स्टेम सेल्स से बदलना (स्टेम सेल्स नई ब्लड सेल्स बनाती हैं). ये कुछ ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और माइलोमा में इस्तेमाल होता है. दो तरह के होते हैं – ऑटोलॉगस (खुद के स्टेम सेल्स) और एलोजेनिक (किसी डोनर के स्टेम सेल्स).

 

  • टारगेटेड थेरेपी (Targeted Therapy): ये दवाइयाँ कैंसर सेल्स की कमज़ोरी को टारगेट करती हैं और अच्छी सेल्स को कम नुकसान पहुँचाती हैं. इनके साइड इफेक्ट्स कीमोथेरेपी से कम होते हैं.

 

  • इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy): ये आपके शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाती है ताकि वो कैंसर से लड़ सके. इसके भी कई प्रकार हैं.

 खर्च (Cost)

इलाज का खर्च बहुत अलग हो सकता है, कई लाख से लेकर करोड़ों तक.

स्टेम सेल ट्रांसप्लांट बहुत महंगा होता है. हेल्थ इंश्योरेंस कुछ खर्च कवर कर सकता है,

लेकिन अक्सर खुद के पैसे भी लगते हैं. सरकारी योजनाएं और चैरिटेबल संस्थाएं भी मदद कर सकती हैं.

जल्दी पता चलना ज़रूरी है! (Early Detection is Important!)

अगर आपको कोई लक्षण दिखें तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएँ. जल्दी पता चलने से इलाज ज़्यादा असरदार होता है.

Help and Support

ब्लड कैंसर के साथ जीना मुश्किल हो सकता है,

लेकिन याद रखें आप अकेले नहीं हैं.

मरीज़ों और उनके परिवारों की मदद के लिए कई संसाधन उपलब्ध हैं.

अपने डॉक्टर से बात करें, सपोर्ट ग्रुप जॉइन करें, और मदद लेने में हिचकिचाएँ नहीं.

(Disclaimer) (ये जानकारी सिर्फ़ आम जानकारी के लिए है, डॉक्टर की सलाह नहीं. किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर से सलाह लें.)