“ज़रा सोचिए, आपके जोड़ ऐसे हैं जैसे बढ़िया तेल लगे हुए कब्ज़े, जिनसे आप आराम से और बिना किसी दिक्कत के हिल-डुल पाते हैं।

अब ज़रा उन कब्ज़ों के बारे में सोचिए जिन पर जंग लग गया है, जो अकड़ गए हैं और जिनमें दर्द हो रहा है।

ऑस्टियोआर्थराइटिस में असल में यही होता है, ये एक आम बीमारी है जो लाखों लोगों को होती है, खासकर बढ़ती उम्र में।

ये सिर्फ ‘बुढ़ापे का दर्द’ नहीं है, बल्कि एक असली मेडिकल प्रॉब्लम है जो आपकी ज़िंदगी की क्वालिटी पर बहुत बुरा असर डाल सकती है।

इंडिया में, ये अंदाज़ा लगाया गया है कि 15-20% लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं, अक्सर 50, 60 और 70 की उम्र में।

तो चलिए, ऑस्टियोआर्थराइटिस की दुनिया में गहराई से उतरते हैं और सीखते हैं कि उन कब्ज़ों को कैसे चालू रखना है!

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Table of Contents

ऑस्टियोआर्थराइटिस असल में है क्या?

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ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) एक ऐसी बीमारी है जिसमें जोड़ धीरे-धीरे खराब होते रहते हैं।

इसे ‘घिसावट वाला गठिया’ समझ लीजिए।

आपके जोड़ों के बीच में जो चिकना कार्टिलेज (cartilage) होता है, जो उन्हें आसानी से फिसलने देता है, वो समय के साथ टूटने लगता है। ये टूटने की वजह से:

जॉइंट स्पेस कम हो जाता है: आपके जोड़ों में हड्डियों के बीच की जगह कम हो जाती है।

घर्षण बढ़ जाता है: हड्डियां एक दूसरे से रगड़ती हैं, जिससे दर्द और सूजन होती है।

बोन स्पर बन जाते हैं: जोड़ों के आसपास हड्डियों की एक्स्ट्रा ग्रोथ हो जाती है, जिससे हिलना-डुलना और मुश्किल हो जाता है।

ऑस्टियोआर्थराइटिस किसको होता है?

वैसे तो ये ज़्यादातर बड़े लोगों में होता है, लेकिन ऑस्टियोआर्थराइटिस किसी को भी हो सकता है। आपको इसका ज़्यादा खतरा है अगर:

आपके परिवार में किसी को OA है।

आपका वज़न ज़्यादा है या आप मोटे हैं।

पहले आपको जोड़ों में चोट लग चुकी है।

आपको कुछ इन्फेक्शन हुए हैं।

ये कहाँ होता है?

ऑस्टियोआर्थराइटिस ज़्यादातर इन जगहों पर होता है:

घुटने: जिससे चलने या सीढ़ियाँ चढ़ने में दर्द होता है।

कूल्हे: जिससे कमर या नितंब में दर्द होता है।

रीढ़ की हड्डी: जिससे पीठ या गर्दन में दर्द होता है।

हाथ: जिससे उंगलियाँ और अंगूठा प्रभावित होते हैं।

इसके लक्षण क्या हैं?

इसके लक्षण आम तौर पर धीरे-धीरे बढ़ते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:

जोड़ों में दर्द: खासकर काम करने के बाद या ज़्यादा देर तक आराम करने के बाद।

अकड़न: खासकर सुबह या आराम करने के बाद।

कोमलता: जब जोड़ पर दबाव डाला जाता है।

लचीलेपन में कमी: हिलने-डुलने की क्षमता कम हो जाती है।

चटकने की आवाज़: हड्डियों के आपस में रगड़ने की आवाज़ आना।

बोन स्पर: जोड़ के आसपास सख्त गांठें बनना।

सूजन: प्रभावित जोड़ के आसपास।

ऑस्टियोआर्थराइटिस का पता कैसे चलता है?

आपके डॉक्टर:

फिजिकल एग्ज़ाम करेंगे: कोमलता, सूजन और हिलने-डुलने की क्षमता की जाँच करेंगे।

एक्स-रे कराएंगे: जोड़ों के बीच की जगह कम होने और बोन स्पर को देखने के लिए।

कभी-कभी MRI या CT स्कैन की सलाह देंगे: जोड़ को ज़्यादा बारीकी से देखने के लिए।

ब्लड टेस्ट कराएंगे: रुमेटीइड गठिया जैसी दूसरी तरह की गठिया को बाहर करने के लिए।

इसके इलाज के क्या तरीके हैं?

दुर्भाग्य से, ऑस्टियोआर्थराइटिस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इलाज लक्षणों को मैनेज करने और बीमारी को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकते हैं:

लाइफस्टाइल में बदलाव

वज़न कम करना: थोड़ा सा वज़न कम करने से भी जोड़ों पर तनाव काफी कम हो सकता है।

एक्सरसाइज: कम प्रभाव वाली गतिविधियाँ जैसे चलना, तैरना और साइकिल चलाना मांसपेशियों को मजबूत कर सकती हैं और जोड़ों के फंक्शन में सुधार कर सकती हैं।

दवाएँ

दर्द निवारक: ओवर-द-काउंटर या प्रिस्क्रिप्शन वाली दर्द की दवाएँ।

NSAIDs (नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स): दर्द और सूजन को कम करने के लिए।

कार्टिलेज-रीजनरेटिंग ड्रग्स: कुछ नई दवाएँ कार्टिलेज को ठीक करने में मदद करती हैं।

जॉइंट इंजेक्शन

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कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स: सूजन और दर्द को कम करने के लिए।

हयालूरोनिक एसिड: जोड़ को चिकनाई देने के लिए।

जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी

गंभीर मामलों में, जब दूसरे इलाज काम नहीं करते, तो जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी ज़रूरी हो सकती है।

ऑस्टियोआर्थराइटिस को कैसे रोकें?

वैसे तो आप इसे हमेशा नहीं रोक सकते, लेकिन आप इन तरीकों से इसका खतरा कम कर सकते हैं:

वज़न को कंट्रोल में रखना: जोड़ों पर तनाव कम करने के लिए।

जोड़ों पर ज़्यादा ज़ोर डालने से बचना: खासकर शारीरिक गतिविधि के दौरान।

नियमित रूप से व्यायाम करना: मांसपेशियों को मजबूत करने और जोड़ों को सपोर्ट करने के लिए।

संतुलित आहार खाना: जिसमें फल, सब्जियां और ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर हों।

 

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ऑस्टियोआर्थराइटिस के साथ जीना

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ऑस्टियोआर्थराइटिस के साथ जीना मुश्किल हो सकता है, लेकिन यह याद रखना ज़रूरी है कि आप अकेले नहीं हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:

एक्टिव रहें: जोड़ों के फंक्शन को बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम ज़रूरी है।

सहायक उपकरणों का उपयोग करें: जैसे कि बेंत या वॉकर, जोड़ों पर तनाव कम करने के लिए।

दर्द को मैनेज करें: दर्द निवारक और अन्य थेरेपी का उपयोग करें।

समर्थन लें: परिवार, दोस्तों या सहायता समूहों से।

निष्कर्ष

ऑस्टियोआर्थराइटिस एक आम बीमारी है जो आपके जीवन पर बहुत बुरा असर डाल सकती है, लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि यह आपको परिभाषित करे।

इसके कारणों, लक्षणों और उपचार विकल्पों को समझकर, आप अपने जोड़ों के स्वास्थ्य पर नियंत्रण रख सकते हैं और अधिक एक्टिव और संतोषजनक जीवन जी सकते हैं।

व्यक्तिगत सलाह और उपचार के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करना याद रखें।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

ऑस्टियोआर्थराइटिस का मुख्य कारण क्या है?

ऑस्टियोआर्थराइटिस (OA) का मुख्य कारण बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों के कार्टिलेज (cartilage) का घिसना और टूटना है।

जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारे जोड़ों का कार्टिलेज कमजोर होता जाता है, जिससे हड्डियां आपस में रगड़ने लगती हैं, जिससे दर्द और सूजन होती है।

इसके अलावा, मोटापे, चोट, आनुवंशिक कारक, और जोड़ों पर ज़्यादा दबाव डालने वाली गतिविधियाँ भी ऑस्टियोआर्थराइटिस के खतरे को बढ़ा सकती हैं।

मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे ऑस्टियोआर्थराइटिस या रुमेटीइड गठिया है?

ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड गठिया (rheumatoid arthritis) दोनों ही जोड़ों की बीमारियां हैं, लेकिन इनके लक्षण और कारण अलग-अलग हैं:

ऑस्टियोआर्थराइटिस आमतौर पर जोड़ों के ज़्यादा इस्तेमाल से होता है, और यह धीरे-धीरे बढ़ता है। इसमें जोड़ों में दर्द और अकड़न होती है, खासकर सुबह या आराम के बाद।

रुमेटीइड गठिया एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जहां शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही जोड़ों पर हमला करता है।

इसके लक्षण ऑस्टियोआर्थराइटिस से ज़्यादा गंभीर होते हैं, जैसे कि जोड़ों में सूजन, दर्द, लालिमा, और अकड़न, साथ ही थकान और बुखार भी हो सकता है।

यह आमतौर पर शरीर के दोनों तरफ के जोड़ों को प्रभावित करता है।

ऑस्टियोआर्थराइटिस का सबसे अच्छा इलाज क्या है?

ऑस्टियोआर्थराइटिस का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को कम करने और बीमारी को बढ़ने से रोकने के लिए कई उपाय हैं:

वजन कम करना

नियमित व्यायाम (विशेष रूप से कम प्रभाव वाले व्यायाम जैसे तैराकी या साइकिल चलाना)

दर्द निवारक दवाएं

फिजियोथेरेपी

गंभीर मामलों में, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी (joint replacement surgery)

अर्थराइटिस में क्या नहीं खाना चाहिए?

कुछ खाद्य पदार्थ सूजन को बढ़ा सकते हैं और अर्थराइटिस के लक्षणों को बदतर कर सकते हैं, जैसे:

शुगर वाले खाद्य पदार्थ और पेय

प्रोसेस्ड फूड

लाल मांस

तले हुए खाद्य पदार्थ

ज्यादा नमक

अधिक अल्कोहल

क्या अर्थराइटिस में चावल खा सकते हैं?

चावल में कार्बोहाइड्रेट होता है जो कुछ लोगों में सूजन बढ़ा सकता है।

इसलिए नियंत्रित मात्रा में सेवन करना ठीक रहता है, ब्राउन राइस, व्हाइट राइस से ज्यादा बेहतर ऑप्शन है।

लेकिन हर इंसान का शरीर अलग अलग तरीके से रिएक्ट करता है इसलिए डॉक्टर से पूछ कर सेवन करे तो अच्छा रहता है।

अर्थराइटिस में कौन सा ड्राई फ्रूट खाना चाहिए?

अखरोट: ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर, जो सूजन को कम करता है।

बादाम: विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर, जो जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

चेरी और बेरी भी बहुत फायदेमंद है।

ड्राई फ्रूट्स का सिमित मात्रा में सेवन करना अच्छा रहता है।

गठिया में घी खा सकते हैं क्या?

घी में कुछ ऐसे गुण होते है जो सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, पर इसका सेवन सिमित मात्रा में करना चाहिए।

अत्यधिक सेवन से वजन बढ़ सकता है जो गठिया को बढ़ाएगा।

अर्थराइटिस में कौन सा व्यायाम करना चाहिए?

तैराकी

साइकिल चलाना

योग

स्ट्रेचिंग

हल्का चलना

डॉक्टर से सलाह ले कर अपनी शारीरक स्तिथि के अनुसार एक्सरसाइज करे।

क्या अर्थराइटिस में दूध पी सकते हैं?

कुछ लोगों में, डेयरी उत्पाद सूजन को बढ़ा सकते हैं। यदि आपको लगता है कि दूध पीने से आपके लक्षण बिगड़ते हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें।

कुछ लोग दूध की जगह बादाम या सोया दूध जैसे विकल्प भी चुन सकते हैं।

क्या अर्थराइटिस में दही खाना चाहिए?

कुछ लोगों में दही खाने से दर्द बढ़ सकता है, यदि आपको लगता है की दही के सेवन से आप के लक्षण बढ़ते है तो आप डॉक्टर से सलाह ले कर इसका सेवन करे।

अर्थराइटिस में क्या परहेज करना चाहिए?

अधिक वजन से बचें

धूम्रपान से बचें

ज्यादा दबाव वाले व्यायाम से बचें

बैठे रहने या खड़े रहने के लंबे समय से बचें

अस्वास्थ्य कर खान पान से बचें।