वाह! क्या कहानी है लॉरेन की जिसने खुद को जानलेवा कैंसर  से बचाया…

ज़रा सोचो, अगर आपको ऐसा लगे कि आपकी अपनी बॉडी ही आपको धोखा दे रही है,

अजीब-अजीब लक्षण  दिखें और डॉक्टर  भी ठीक से पकड़ न पाएं कि क्या हो रहा है।

लॉरेन बैनन नाम की 40 साल की एक मम्मी के साथ बिलकुल ऐसा ही हुआ।

महीनों तक वो परेशान रहीं, दर्द  में रहीं क्योंकि डॉक्टरों  ने उनकी चिंताजनक दिक्कतों को शुरुआत में गलत समझ लिया था।

लेकिन कहानी में एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब एक एआई चैटबॉट (AI chatbot),

चैटजीपीटी ने आखिरकार असली वजह बताई: हाशिमोटो बीमारी (Hashimoto’s disease),

जो दुख की बात है कि बाद में थायरॉइड कैंसर (thyroid cancer) निकली।

ये एक ऐसी कहानी है जो दिखाती है कि लगातार कोशिश करने में कितनी ताकत है और कैसे टेक्नोलॉजी हमारी सेहत के सफर में एक अनपेक्षित मददगार बन सकती है।

हम सब कभी न कभी ऐसी सिचुएशन में ज़रूर आए होंगे, है ना?

वो अंदर से आने वाली फीलिंग कि कुछ तो गड़बड़ है, साफ जवाब न मिलने की निराशा ।

ai chatbot

The moment hope sparked: Lauren Bannon consults an AI, leading to a life-saving discovery.

लॉरेन की कहानी इसलिए अपनी सी लगती है

क्योंकि ये उस आम इच्छा को छूती है कि हम अपनी बॉडी को समझें और जब हमें लगे कि कुछ गलत है तो हमारी बात सुनी जाए।

शुरुआत में, लॉरेन के लक्षण – उंगलियां न मुड़ पाना (inability to bend her fingers),

पेट में दर्द (stomach pains)

और बिना वजह वज़न घटना (unexplained weight loss) –

इनको रूमेटाइड आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis)

और एसिडिटी (acid reflux) बताकर नज़रअंदाज़ कर दिया गया।

सोचो, कितना बुरा लगा होगा! इतनी तकलीफ में हो और आपकी परवाह ही न की जाए?

बदकिस्मती से, ये ऐसी सिचुएशन है जिससे बहुत से लोग रिलेट कर सकते हैं।

जवाब पाने की ज़बरदस्त चाहत में, लॉरेन ने एक ऐसी जगह का रुख किया जिसके बारे में शायद ही किसी ने सोचा होगा:

चैटजीपीटी।

आप शायद इसे काम के लिए, नए आइडियाज़ सोचने के लिए या फिर मज़ेदार सोशल मीडिया कैप्शन लिखने के लिए इस्तेमाल करते होंगे।

लेकिन लॉरेन के लिए ये एक जीवन रेखा बन गई।

उसने एआई को अपने लक्षण बताए और जो जवाब उसे मिला, वो था हाशिमोटो बीमारी का सुझाव।

अब, ये याद रखना ज़रूरी है कि एआई कोई डॉक्टर नहीं है, और सिर्फ उसकी बताई बात के आधार पर खुद का इलाज करना खतरनाक हो सकता है।

लेकिन लॉरेन के मामले में, ये सुझाव अविश्वसनीय रूप से सही साबित हुआ।

इस जानकारी के साथ, वो अपने डॉक्टर के पास गई और हाशिमोटो बीमारी के लिए टेस्ट कराने की ज़िद की, भले ही डॉक्टर को इस पर शक था।

और पता है क्या हुआ?

टेस्ट पॉज़िटिव आया।

इस खोज के बाद और जाँचें हुईं और अक्टूबर 2024 में उनके थायरॉइड में दो छोटे कैंसर वाले लंप पाए गए।

ये सोचकर भी डर लगता है – अगर वो एआई का सुझाव और लॉरेन की हिम्मत न होती,

तो शायद ये कैंसर बहुत बाद तक पता ही नहीं चलता, जब तक कि वो बहुत बढ़ चुका होता।

जनवरी 2025 में लॉरेन की सर्जरी हुई जिसमें उनका थायरॉइड और कुछ लिम्फ नोड्स निकाले गए और अब वो लगातार डॉक्टरों की निगरानी में हैं ताकि ये पक्का किया जा सके कि कैंसर वापस न आए।

वो पूरी तरह से मानती हैं कि चैटजीपीटी ने छिपे हुए कैंसर को ढूंढकर उसकी जान बचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।

ये कहानी सच में हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हेल्थकेयर में टेक्नोलॉजी का रोल कैसे बदल रहा है।

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हालाँकि ये बहुत ज़रूरी है कि हमेशा क्वालिफाइड मेडिकल प्रोफेशनल से सलाह लें,

लॉरेन का एक्सपीरियंस बताता है कि एआई संभावित रूप से आगे की जाँच के लिए प्रेरित करने

और मरीज़ों को अपनी सेहत के लिए आवाज़ उठाने में एक IMPORTANT टूल साबित हो सकता है।

अगर आप लॉरेन के सफर में ज़िक्र की गई बीमारियों के बारे में और जानना चाहते हैं,

तो हमने आपके लिए इंतज़ाम किया है।

आपको थायरॉइड टेस्ट (Thyroid Lab Test) के लिए लैब जाँच, रूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) का डायग्नोसिस

और हाशिमोटो थायरॉइडिटिस (Hashimoto’s Thyroiditis) पर हमारे आर्टिकल्स बहुत जानकारी देने वाले लग सकते हैं।

थायराइड के टेस्ट: थायराइड की सेहत समझने का आसान तरीका (Thyroid Function Test)

रुमेटाइड अर्थराइटिस (RA) की जांच: आसान भाषा में समझें कौन-से टेस्ट ज़रूरी हैं और क्यों!

Hashimoto’s Thyroiditis: जब अपनी बॉडी ही दुश्मन बन जाए!

ये रिसोर्सेज आपको इन बीमारियों और उनकी पहचान की प्रोसेस को गहराई से समझने में मदद कर सकते हैं।

इसके अलावा, अगर आपको उस टेक्नोलॉजी के बारे में जानने में दिलचस्पी है जिसने लॉरेन की कहानी में इतनी अहम भूमिका निभाई,

तो एआई पर हमारा आर्टिकल अलग-अलग फील्ड्स, जिसमें हेल्थकेयर भी शामिल है,

में इसकी क्षमताओं और संभावित इस्तेमाल पर एक व्यापक नज़रिया पेश करता है।

लॉरेन का एक्सपीरियंस इस बात का एक दमदार रिमाइंडर है कि जब आपकी सेहत की बात हो तो अपनी गट फीलिंग पर भरोसा करें।

अगर आपको लगे कि कुछ ठीक नहीं है, तो जवाब ढूंढना मत छोड़िए।

हालाँकि एआई का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए और ये कभी भी प्रोफेशनल मेडिकल सलाह की जगह नहीं ले सकता,

ये कहानी दिखाती है कि कभी-कभी ये IMPORTANT क्लू दे सकता है जो एक बड़ा फर्क ला सकता है। ये इंसान की समझ और टेक्नोलॉजी की विश्लेषण करने की क्षमता को मिलाकर बेहतर हेल्थ रिज़ल्ट पाने की ताकत का एक जीता-जागता सबूत है।