“अगर इंडिया में लगने वाली किसी कोविड वैक्सीन का ट्रायल प्रेग्नेंट महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में हुआ ही नहीं है, तो आप कैसे कह सकते हो कि [मुझे कोई वजह नज़र नहीं आती कि प्रेग्नेंट फीमेल्स में कोविड वैक्सीन न दी जाए]”
दो हफ्ते पहले मेरे स्कूल-टाइम के दोस्त ने फ़ोन करके बोला कि “भाई, मैंने तो वैक्सीन लगवा ली है, तेरी भाभी को लगवा सकते हैं क्या? वो प्रेग्नेंट है| अभी पांचवां महीना लगा हुआ है| मैंने कहा कि देख यार! मुझे कोई ऐसी वजह नज़र नहीं आती कि “प्रेग्नेंट फीमेल को कोविड वैक्सीन ना लगवाई जाए”| दोस्त बोला, ठीक है यारा, अपॉइंटमेंट ले लेता हूँ|
आज 18 मई 2021, सुबह-सुबह भाई का व्हट्स-एप मेसेज आया, जिसमे उसने दीया मिर्ज़ा के ट्विट को फॉरवर्ड किया था| और नीचे लिखा कि भाई तू तो कह रहा था कि भाभी को वैक्सीन ना लगवाने की कोई वजह नहीं है, लेकिन मैडम दीया मिर्ज़ा तो कुछ और ही कह रही है| वो कह रही है कि जब तक जरुरी ट्रायल नहीं हो जाती है,तब तक हम ये वैक्सीन नहीं ले सकते|(my doctor says we cannot take these vaccine until required clinical trial has been done )|
दोस्त ने ये भी बताया कि ये ट्विट तेरी भाभी ने शेयर किया है मुझसे, और लिखा है कि “ अपने डॉक्टर साब से ये पूछ्के बताओ कि “मुझे वैक्सीन क्यों लेनी चाहिये”| “रहना है तेरे दिल में” के टाइम से फेन है दीया मिर्ज़ा की, इसलिए जवाब तो देना ही पड़ेगा भाई|
अच्छा जवाब सिर्फ और सिर्फ अच्छे सवाल को ही मिलता है| और भाभी ने सवाल बहुत अच्छा पूछा है|
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“मैं प्रेग्नेंट हूँ और मुझे COVID-19 Vaccine क्यों लेना चाहिए?”
वैसे तो इस सवाल का टेक्निकल जवाब डॉ रुमा सात्विक (twitter handle:@SatwikRuma) ने बहुत ही अच्छे से दिया है| इसके लिए उनका तहे दिल से धन्यवाद| फिर भी मैं इसमें एक एक्स्ट्रा एटेम्पट करने की कौशिश करूंगा| क्योंकि ये सवाल सभी प्रेग्नेंट कपल्स और उनके परिवार के जहन में आ ही रहा होगा| आइये शुरू करते हैं|
सी.डी.सी., अटलांटा (CDC, Atlanta) ने चार पॉइंट बताएं है, जो किसी भी प्रेग्नेंट कपल के दिमाग की उलझन को सुलझाने में मदद कर सकते हैं कि प्रेगनेंसी में कोविड-19 की वैक्सीन ले या ना लें| अगर आप वैक्सीन लेने पर सहमती नहीं बना पा रहे हैं, तो इन चार बातों को ध्यान में रखकर निर्णय लीजिये|
- आपको COVID-19 की इन्फेक्शन का एक्सपोज़र होने का कितना ख़तरा है?
- मान लीजिये कि अगर आपको इन्फेक्शन हो भी जाए तो, आपको COVID-19 की सीरियस इन्फेक्शन होने का ख़तरा कितना है?
- अगर आपने COVID-19 की वैक्सीन ले ली, तो आपको और आपके गर्भ में पल रहे भ्रूण पर क्या फायदा रहेगा?
- हालांकि COVID-19 वैक्सीन की सेफ्टी से जुड़ा डाटा कम है|लेकिन जितना भी डाटा आ रहा है, वो इस बात को पुख्ता करता जा रहा है कि “प्रेगनेंसी में COVID वैक्सीन देना उतना ही सुरक्षित है, जितना की एक सामान्य महिला (Non-Pregnant) में है|
वैसे तो इन सवालों के कुछ-कुछ जवाब तो आपने सवालों को पढ़ते हुए ही सोच लिए होंगे| आइये हम आपको कुछ तथ्यों से रूबरू करवाते हैं, शायद आप एक बेहतर निर्णय ले पाएं|
आपको COVID-19 की इन्फेक्शन का एक्सपोज़र होने का कितना ख़तरा है? (ये लिस्ट मैंने खुद तैयार की है, इसलिए इसमें आप अपने हिसाब से कुछ घटा या कुछ बढ़ा सकते हो|)
आपको कोरोना की इन्फेक्शन का एक्सपोज़र होने का ख़तरा साधारण से थोडा ज्यादा है| अगर:-
-आपके घर में किसी को कोरोना का इन्फेक्शन हुआ है, चाहे इस लहर में या पहली लहर में|
-आपके आमने-सामने, साइड के घरों में कोविड का इन्फेक्शन हुआ हो|
-आप कोई काम-काजी महिला है और आपका लोगो से मिलना जुलना है|
-आप या आपके हस्बेंड या आपका ध्यान रखने वाले भीड़-भड़के की जगह से आना-जाना अवॉयड नहीं कर सकते हैं|
-आपके घर में सभी 18 साल से ऊपर के लोगो ने कोविड वैक्सीन नहीं लगवाया है|
-आपके घर में इतने कमरों की सुविधा नहीं है कि अगर किसी को इन्फेक्शन हो जाए तो उसे अलग से आइसोलेट कर पाएं|
– आपके घर में लोग ज्यादा और कमरे कम हैं| वेंटिलेशन सही से नहीं हो पाता है|
-आप या आपके परिवार के लोग COVID एप्रोप्रियेट behavior (मास्क-डिस्टेंस-हैण्ड वाश) नहीं फॉलो करते हैं|
तो आपको कोरोना से इन्फेक्शन का रिस्क बना रहेगा, चाहे थोड़ा ही सही, लेकिन रिस्क रहेगा|
मान लीजिये कि अगर आपको इन्फेक्शन हो भी जाए तो, आपको COVID-19 की सीरियस इन्फेक्शन होने का ख़तरा कितना है?
पहले तो सीरियस या सीवियर COVID-19 का मतलब समझिये|
अगर COVID-19 की इन्फेक्शन की वजह से आपको हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ जाए, और आपको वेंटीलेटर या अन्य कोई उपकरण की मदद लेनी पड़े सांस लेने के लिए, और किसी की मृत्यु तक हो जाने का ख़तरा हो जाए तो उसे सीरियस या सीवियर COVID-19 कहेंगे|
ये सच है कि सीरियस और खतरनाक कोरोना होने का चांस आमतौर पर कम होता है, लेकिन सामान्य महिला के मुकाबले आँका जाए तो एक गर्भवती महिला में सीरियस कोरोना होने का ख़तरा ढाई से तीन गुना ज्यादा होता है| क्योंकि कोरोना से लड़ने के लिए इम्युनिटी सशक्त होनी चाहिए, और आप तो जानते ही है कि प्रेगनेंसी अपने आप में इम्युनिटी पर एक अच्छा-खासा प्रेशर होती है|
इसके अलावा रिसर्च से ये बात सामने आई है कि जिन गर्भवती महिलाओं में COVID-19 का इन्फेक्शन हो जाता है, उनमे समय से पहले बच्चा पैदा होने (Preterm Birth) के चांस ज्यादा होता है| इसके अलावा प्रेगनेंसी के समय आपकी उम्र ज्यादा (45 या इससे ज्यादा), जेसटेसनल डायबिटीज(जो प्रेगनेंसी की वजह से होती है), ज्यादा वजन( BMI>40) या कोई अन्य बीमारी होना भी सीरियस कोरोना होने का ख़तरा बड़ा देते हैं|
कुछ-कुछ राज्यों ने गर्भवती और लम्बी बिमारी से ग्रषित कर्मचारियों को कोविड-19 के समय में ड्यूटी में कुछ कुछ रिआयत दी है, जो कि एक अच्छा कदम है|
अगर आपने COVID-19 की वैक्सीन ले ली तो आपको और आपके गर्भ में पल रहे भ्रूण को क्या फायदा रहेगा?
सबसे पहले आपको क्या फायदा होगा|
ये बात तो आप नकार नहीं पाओगे कि वैक्सीन कोविड-19 की इन्फेक्शन से बचाती तो है| आधे से ज्यादा प्रेग्नेंट महिलाओं को अगर कोविड की इन्फेक्शन हो भी जाती है तो उनमे या तो लक्षण आयेंगे ही नहीं या फिर हल्के-फुल्के आयेंगे| लेकिन कुछ में ये जानलेवा भी हो सकता है और ये नंबर वैक्सीन से होने वाले ब्लड क्लॉट से तो कहीं ज्यादा है|
जानलेवा कोरोना का ख़तरा उन प्रेग्नेंट फेमल्स में और ज्यादा हो सकता है जिनमे पहले से ही कोई दिक्कत चल रही है|
अगर कोरोना का इन्फेक्शन प्रेगनेंसी के आखिरी महीनों में होता है तो इसके सीरियस होने का चांस ज्यादा होता है| जिसकी वजह से समय से पहले जन्म (PRETERM BIRTH) होने का खतरा लगभग तीन गुना तक हो सकता है और जिसका प्रभाव बच्चे पर बाद तक होता है|
इसके साथ-साथ वैक्सीन लेने से ये फायदा भी होगा कि इन्फेक्शन फैलने का ख़तरा भी कम हो जाएगा, खासतौर से दुसरे फॅमिली मेम्बर में| जिस तरह से अनुमान लगाय जा रहा है कि तीसरी लहर बच्चों में आ सकती है,तो आपके वैक्सीन लगवाने से आपके परिवार के बच्चों को भी सुरक्षा मिलेगी|
आपके बच्चे को क्या फायदा मिलेगा?
USA के साइंटिस्ट ग्रे के.जे. ने अप्रैल 2021 में एक रिसर्च शोध के परिणाम साझे किये जिसमे 131 प्रेग्नेंट और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में कोविड वैक्सीन के प्रभाव को देखा| इसमें पाया कि वैक्सीन के बाद इनमे इम्युनिटी उतनी ही बन रही है जितनी सामान्य महिलाओं में बनती है| इसके साथ-साथ ये भी पाया कि माँ के दूध और अम्ब्लिकल कॉर्ड के खून में भी एंटीबाडी बनते हैं|
इसका मतलब ये है कि अगर माँ वैक्सीन लेती है तो इसका फायदा सिर्फ माँ को ही नहीं बल्कि होने वाले बच्चे को भी होगा| ऐसी ही एक रिसर्च हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से भी सामने आई है इसी महीने मई 13, 2021 को| उनको भी समान परिणाम मिले, जो अपने आप में राहत और कॉन्फिडेंस देते हैं|
हालांकि COVID-19 वैक्सीन की सेफ्टी से जुड़ा डाटा कम है|लेकिन जितना भी डाटा आ रहा है, वो इस बात को पुख्ता करता जा रहा है कि “प्रेगनेंसी में COVID वैक्सीन देना उतना ही सुरक्षित है, जितना की एक सामान्य महिला (Non-Pregnant) में है|
अभी तक जितनी भी कोविड-19 की वैक्सीन लगाईं जा रही है, उनके ट्रायल में प्रेग्नेंट महिलाओं को शामिल नहीं किया गया था| ये अपने आप में एक वजह है कि प्रेग्नेंट फीमेल कोविड वैक्सीन लगवाने में झिझके| तो क्या इसका मतलब ये हुआ कि “प्रेग्नेंट फेमल्स को वैक्सीन नहीं लगवाना है?”| चलिए हम फैक्ट आपको बताते हैं|
-संख्या थोड़ी है,लेकिन कुछ महिलाएं कोविड की वैक्सीन लेने के बाद प्रेग्नेंट हो गयी और उनमे किसी तरह की कोई दिक्कत सामने नहीं आई| क्योंकि नंबर कम है, इसलिए भरोसा भी उसी अनुपात में कम हो होगा|
-अमेरिका में लगभग नब्बे हज़ार प्रेग्नेंट महिलाओं को एम्-आर.एन.ए.वैक्सीन(mRNA-Pfizer-Biotech & Moderna) वैक्सीन लगाईं गयी| इनमे कोई सेफ्टी अलार्म नहीं जाहिर हुआ| इस फाइंडिंग से इस बात पर तो थोड़ा सा भरोसा टिकाया जा सकता है कि कोविड की एम्-आर.एन.ए.वैक्सीन तो सेफ लग रही है|
इसी को देखते हुए यू.के. की जॉइंट कमिटीऑन वैक्सीनेशन एंड इम्यूनाइजेशन ने प्रेग्नेंट महिलाओं में, जहां तक संभव हो, एम्-आर.एन.ए.वैक्सीन(mRNA-Pfizer-Biotech & Moderna) को प्रमुखता देने की सलाह दी है|
“यिप्पी! इंडिया में तो अस्त्रा-ज़ेनेका की कोविशिल्ड वैक्सीन है और अब तो स्पुतनिक-वी भी आने वाली है और दोनों ही एम्-आर.एन.ए.वैक्सीन है| अब कोई चिंता नहीं है”| ………अरे भई! ज़रा रुकिए| हम आपके सामने सारे फैक्ट रखने के लिए ये ये ब्लॉग लिख रहे हैं ताकि आप मुद्दे को तसल्ली-बक्श तरीके से समझें|
ये बात सही है कि कोविशिल्ड m-RNA वैक्सीन है, लेकिन इसके बारे में खून का थक्का जमने वाले साइड इफ़ेक्ट की रिपोर्ट जानकार शायद आप फिर से कंफ्यूज हो जाओ और डर जाओ| तो उसे भी समझते हैं| इंडिया की एक्सपर्ट ग्रुप की कमिटी ने इस खतरे को ना के बराबर करार दिया है और भरोसा दिलाया है कि घबराने की जरुरत नहीं है| बात को पुख्ता करने के लिए थोडा इंटरनेशनल डाटा का तडका भी लगा देते हैं|
यू. के. (UK) में 31 मार्च 2021 तक बीस मिलियन(2 करोड़) से ज्यादा लोगों को अस्त्रा-ज़ेनेका की कोविशिल्ड वैक्सीन लग चुकी है,जिनमे से केवल 79 लोगों को ही ब्लड क्लॉट की सीरियस प्रॉब्लम हुई| यानी कि हर दस लाख लोगों में वैक्सीन लगवाने के बाद सिर्फ 4 लोगों में ही ब्लड क्लॉट की दिक्कत हो रही है| और ये ख़तरा हमारे बच्चों को लगने वाली वैक्सीन से होने वाले खतरों से ज्यादा नहीं है| आप खुद ही अंदाजा लगाइए कि बच्चे कितनी इन्फेक्शन से बच पाते हैं और स्वस्थ जीवन जीते हैं|
डाटा के अभाव में ये कहना कि 100% गारेंटी है कि वैक्सीन का प्रेगनेंसी पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पडेगा| इसलिए ये कहना तो बैमानी होगी कि रिस्क बिलकुल नहीं है, लेकिन इस बात को बिसवास (विश्वास) के साथ कहा जा सकता है कि तराजू का फायदे वाला पलड़ा ज्यादा भारी है नुक्सान वाले पलड़े के मुकाबले| मुझे तो फायदे वाला तराजू जमीन को छूता नज़र आ रहा है|(मेरा व्यक्तिगत ओपिनियन है)| वजह बताते हैं|
रॉयल कॉलेज ऑफ़ ओब्सटेट्रीसियन एंड ज्ञ्नेकोलोजिस्ट ने “कोविड-19 वैक्सीन, प्रेगनेंसी एंड ब्रैस्टफीडिंग” में बहुत ही साफ़-साफ़ बताया है कि कोविड-19 की वैक्सीन (यहाँ बात सभी वैक्सीन की हो रही है) में ऐसा कोई पदार्थ या इनग्रेडिएंट नहीं होता है जिसका प्रेग्नेंट महिला और उसके भ्रूण तथा उसकी फर्टिलिटी पर कोई बुरा प्रभाव पड़े| शुरूआती एनिमल शोध में भी यही बात देखी गयी थी|
बावजूद इस सबके एक डाउट आपने मन में शायद आ रहा होगा कि कोविशिल्ड और कोवाक्सिन का ट्रायल तो नहीं हुआ है प्रेग्नेंट फीमेल में| ICMR के सर्वे के मुताबिक़ कोवाक्सिन और कोविशिल्ड लगभग 80% तक रिस्क कम करती है इन्फेक्शन होने का| ये प्रोटेक्शन लेवल बाकी वैक्सीन के बराबर ही है अगर हम स्पुतनिक-वी को छोड़ दे, जिसमे 92% रिपोर्ट रही है| बात करें साइड इफेक्ट की तो कोई भी वैक्सीन पूरी तरह से साइड इफ़ेक्ट से मुक्त नहीं है, वो चाहे इंडिया हो, अमेरिका हो या UK हो|
इस बात को महत्त्व देते हुए इंडिया की FOGSI (दी फेडरेशन ऑफ़ ओब्सटेट्रीक्स एंड ज्ञ्नेकोलोजिकल सोसाइटीज ऑफ़ इंडिया) ने एक इंटरनल सर्वे करवाया| जिसमे 2083 मेम्बर्स जिनको वैक्सीन लगी थी,उनमे से आधे से कम लोगों को बुखार,थकान और इंजेक्शन की जगह दर्द जैसी ही दिक्कतें हुई थी|ये दिक्कतें बच्चों को लगने वाली वैक्सीन के जैसे ही है| इंडिया में मार्च 2021 तक,100 मिलियन (10 करोड़) लोगों को वैक्सीन लग चुकी है और उनमे से 617 लोगों में ही सीरियस इन्फेक्शन देखि गयी|
अमेरिका की वी-सेफ्टी रजिस्ट्री, जिसमे प्रेग्नेंट फीमेल्स का डाटा इकठा किया जा रहा है जिन्होंने कोविड वैक्सीन ली है| अप्रैल 2021 में इसकी रिपोर्ट न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में छपी, जिसके अनुसार जिन 35000 प्रेग्नेंट महिलाओं को m-RNA वैक्सीन लगी थी, उनमे एबॉर्शन, कम वजन बेबी, मरा बेबी पैदा होना, जन्म से कोई मॉलफार्मेशन का ख़तरा ज्यादा नहीं देखा गया| यह उन महिलाओं के बराबर ही था जिन्होंने प्रेगनेंसी की वजह से वैक्सीन नहीं ली थी|
अब एक पहलु एक्स्ट्रा जान लीजिये|
प्रेगनेंसी में लाइव वैक्सीन नहीं दी जाती है ताकि बेबी को इन्फेक्शन का ख़तरा ना हो| इसलिए ये तो आपको पता ही होगा कि पूरी दुनिया में प्रेगनेंसी के दौरान डी.पी.टी., फ्लू की वैक्सीन दी जाती है क्योंकि ये लाइव नहीं होती| इतने समय से ये वैक्सीन दी जा रही है प्रेग्नेंट महिलाओं में बिना किसी विशेष परेशानी के और ये बेबी को भी इन्फेक्शन से बचाती है| आपको जानके अच्छा लगेगा कि कोविड की अभी तक जितनी भी वैक्सीन अवेलेबल है, उनमे से कोई भी वैक्सीन लाइव नहीं है|
इन सब बातों के आधार पर FOGSI (दी फेडरेशन ऑफ़ ओब्सटेट्रीक्स एंड ज्ञ्नेकोलोजिकल सोसाइटीज ऑफ़ इंडिया) ने, जो की इंडिया की एक मुख्य बॉडी है, सरकार को अपना पोजीशन स्टेटमेंट दिया जिसमे प्रेग्नेंट महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कोविड वैक्सीन लगाने की मुहीम में शामिल करने पर जोर दिया| इस स्टेटमेंट में इस बात पर ध्यान दिलाया गया कि यह निर्णय 50 मिलियन महिलाओं को फायदा पहुंचाएगा, जिनमे 25 मिलियन हर साल होने वाले जन्म की संख्या है और 25 मिलियन वो जो या तो प्री-प्रेग्नेंट फेज में है या पोस्ट-डिलीवरी फेज में है|
हालांकि दोनों ही वैक्सीन(कोविशील्ड और कोवाक्सिन) जब ट्रायल मोड में शुरू की गयी थी तब प्रेग्नेंट और लाक्टातिंग महिलाओं को इससे बाहर रखा गया था, जिसकी वजह से इन महिलाओं में इसकी सेफ्टी के बारे में स्योरिटी नहीं थी| चूँकि अब पूरी दुनिया से फेवरेबल रिजल्ट आ रहे हैं तो इस पर विचार किया जाना चाहिए|
इसके बाद इंडिया के नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन(NTAGI) के एक्सपर्ट ने सरकार को सिफारिश की है कि प्रेग्नेंट और ब्रैस्टफीडिंग फीमेल्स को भी कोविड वैक्सीन लगवाने की चॉइस दी जाए| यानी कि एक प्रेग्नेंट फीमेल या ब्रैस्टफीडिंग महिला अपनी मर्जी से चाहे तो वैक्सीन लगवा सकती है| ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि हेल्थ मिनिस्ट्री इन सिफारिसों को मान ले| लेकिन इस ब्लॉग को लिखते-लिखते मुझे दो दिन लग गए और इस दौरान हेल्थ मिन्स्ट्री की गाइडलाइन्स भी आ गयी है|
“कोविड-19 वैक्सीन को सभी स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के लिए मंजूरी दे दी गयी है (19.05.2021)”. फिलहाल प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए रिकमेन्डेशन नहीं दी गयी है|
मेरा ओपिनियन: हमारे देश में अब एक अच्छी खासी संख्या में डिलीवरी हॉस्पिटल या सरकारी संस्थाओं में होती है और ये अनुपात काफी ज्यादा है अगर शहरों की बात की जाए| वैक्सीन लगने के बाद डिलीवरी के समय कोविड इन्फेक्शन का ख़तरा और उससे होने वाले नुक्सान भी कम होंगे| जहां तक मैं समझता हूँ कि प्रेग्नेंट फीमेल्स के लिए परमिशन थोडा और डाटा मिलने के बाद, सेफ्टी के बारे में थोडा और कन्फर्म होने के बाद मिल जाए|एक बार स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में लगने के बाद प्रेग्नेंट महिलाओं में भी वैक्सीन लगवाने का कॉन्फिडेंस आएगा और वैक्सीन ड्राइव को अच्छे से चलाया जा सकेगा|
इसलिए अगर सरकार प्रेग्नेंट फेमल्स में वैक्सीन लगाने की परमिशन भी दे दे और आपको निर्णय लेने में दिक्कत हो तो चार सवालों को ध्यान में रखकर निर्णय लीजिये| इसके लिए सबसे बेस्ट है आपके डॉक्टर जिनके पास आप डिलीवरी करवाने के बारे में प्लान कर रहे हैं| वो आपके बारे में और आपकी हेल्थ के बारे में डिटेल से जानते हैं, इसलिए वो आपकी काफी मदद कर पायेंगे एक सही निर्णय लेने में|
मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी और ये भी उम्मीद करता हूँ की आप इसे शेयर करने के बारे में सोचेंगे| शायद किसी की हेल्प तो होगी सही निर्णय लेने में| अगर सरकार की तरफ से कुछ भी हिदायत आएगी तो इसी पोस्ट में बदलाव करने की कौशिश करूँगा|
धन्यवाद
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