अब ब्रैस्ट कैंसर को नावेल बायो-सेंसर के ज़रिये शुरूआती स्टेज में पकड़ा जा सकेगा|

 

अब टॉयलेट सीट बताएगी कि “आपकी पोट्टी में खून है क्या”?

 

कोरोना आपकी हवा में है: सच क्या है?

 

कोरोना की इन्फेक्शन आपके लिंग में तनाव पर भारी पड़ सकता है(इरेक्टाइल डिसफंक्शन)?

आज की ट्रेंडिंग हेल्थ न्यूज़ में हम आपके कुछ पॉजिटिव इनोवेशन के बारे में बताएँगे,जिनको पढ़कर आप अच्छा महसूस करेंगे| तो सीधा पॉइंट की बात करते हैं|

  1. स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ़ वलेसिया के वैज्ञानिको ने बनाया है नावेल बिओसेंसर(Novel Biosensor for early Detection of Breast Cancer), जिसके जरिये महिलाओं में स्तन के कैंसर को शुरूआती स्टेज पर ही पहचाना जा सकेगा| अभी आपको ये जानकर इतना मजेदार नहीं लगा होगा| इसलिए पहले इसके बारे में थोड़ा डाटा समझिये,जोइंडिया के बारे में हैं|

“इंडिया में महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है: स्तन कैंसर| बहुत ज्यादा संख्या में महिलाएं तब हॉस्पिटल जाती है, जब ये काफी आगे बढ़ जाता है| इनकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है| अच्छा ट्रीटमेंट मौजूद है अगर समय पर दिया जाए”और  उससे भी अच्छी बात है कि अगर इसे शुरुआत में पकड़ा जा सके| फिलहाल मैमोग्राफी एक स्क्रीनिंग टेस्ट है, लेकिन यंग उम्र में ब्रैस्ट का टिश्यू घना होने की वजह से ये टेस्ट इतना सेंसिटिव नहीं है| इसके साथ-साथ इसमें रेडिएशन का भी रिस्क है|

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ब्रैस्ट कैंसर भारतीय महिलाओं में होने वाला मोस्ट कॉमन कैंसर है|

नावेल बायोसेंसर टेस्ट करना बहुत आसान होगा, सस्ता होगा,जल्दी रिजल्ट देगा|

बायो-सेंसर क्या तकनीक है?

इसको ब्रैस्ट कैंसर के लिए की जाने वाली लिक्विड बायोप्सी कहते हैं| इसके लिए खून का सैंपल लिया जाएगा, जो कि साधारण ब्लड सैंपल की तरह नस से लिया जाएगा| उसके बाद लैब में उस सैंपल के प्लाज्मा के अंदर miR-99A-5p  microRNA का प्लाज्मा को तलाशा जाता है, जो ब्रैस्ट कैंसर में बनता है| और ऐसा करने के लिए बायो-सेंसर एक तरह के नेनोमटेरियल “ नेनोपोरस एलुमिना” से बना होता है|

आने वाले समय में जब ये टेस्ट मार्किट में आयेगा तो बहुत फायदा होने वाला है|

  1. स्मार्ट टॉयलेट जो बताइयेगा कि आपकी पोट्टी में खून या कोई और दिक्कत तो नहीं है|

आंत के कैंसर को पहचानने के लिए आपके मल में खून हा होना या ना होना देखा जाता है| इसके अलावा आपका मल की मात्रा या उसकी हार्डनेस या पतलापन काफी कुछ बताता है आपकी पेट की सेहत के बारे में|

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आपके लेट्रिंग में खून को कभी नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए|

लेकिन अगर हमको कोई परेशानी ना हो तो कोई पीछे मुडकर कभी लेत्रिंग नहीं देखता है| बल्कि निबटने से पहले ही बैठे बैठे फ्लश कर देते हैं| इसकी वजह से लेत्रिंग में खून जो बिना दर्द हुए आ रहा है, उसका पता नहीं चलता है| और ये अपने आप में खतरे का लक्षण होता है| क्या हो अगर आपका टॉयलेट सीट ही इतना स्मार्ट हो जाए कि वो ही आपको आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के जरिये आपको बताये आपके लेत्रिंग की सेहत|

जी हाँ, कुछ ऐसा ही बना रही है इंडिआनापोलिस यूनिवर्सिटी की वैज्ञानिक एंड्रिया शिन| जिन्होंने बहुत मरीजों के लेत्रिंग की पिक्चर को आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के ज़रिये चेक किया और उसको डॉक्टर से भी क्रॉस चेक करवाया गया| पाया गया कि ये तकनीक काफी बेहतर है और आने वाले समय में ये अपने आप में मानवता के लिए फायदेमंद रहेगी|

  1. कोरोना आपकी हवा में है: इस बात को समझना बहुत जरुरी है|

ये बात आप काफी बार से सुन रहे हैं| लेकिन इसका मिस-इंटरप्रिटेशन नुक्सान दायक हो सकता है| लेकिन मैं आपको इसे समझाता हूँ| जापान का अपने लोगों को मेसेज बिलकुल सीधा-सपाटा और कारगर है|

आपको कोरोना से बचने के लिए “3 C से बचना है”

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प्रॉपर वेंटिलेशन से कोरोना के इन्फेक्शन के खतरे को कम किया जा सकता है| मास्क डिस्टेंस और हैण्ड वाश को इगनोर मत कीजिये

C- क्राउड(CROWD) भीड़-भाड़ से बचिए|

C -क्लोज्ड स्पेस-CLOSED SPACES (बंद जगहें जैसे रेस्टोरेंट, एक ही कमरे में कई सारे और खिड़की भी ना खुली हो यानी कि वेंटिलेशन न हो)|

C- क्लोज कांटेक्ट- CLOSE CONTACT( एक दूसरे से दूरी बनाए रखिये)|

अपने घरों की खिडकी खोल कर रखिये| जितना ज्यादा अच्छा वेंटिलेशन होगा उतना ही इन्फेक्शन के ट्रांसमिशन का खतरा कम होगा|

थोड़ा सा और पढ़ लीजिये|

कोरोना के लक्षण आने से औसतन दौ दिन पहले ही मरीज इन्फेक्शन को दुसरे लोगों में फैला सकता है| क्योंकि ये वायरस हमारे स्वसन तंत्र को ग्रषित करता है,इसलिए ये सांस,बोलने के जरिये, छींकने के ज़रिये, यहाँ तक कि बोलने के ज़रिये भी हवा में मिलता रहता है|

शुरुआत में पाया गया कि मुंह से निकलने वाली बड़ी बूंदों के ज़रिये फैलता है और ये बूँदें 6 फीट से ज्यादा दूर नहीं जाता है| और उसके बाद किसी ना किसी सतह से चिपक जाता है और कुछ घंटे तक ज़िंदा रहता है| जहां से ये हाथों के ज़रिये नाक,मुंह,आँख तक पहुँच कर इन्फेक्शन फैला देता है| (इसी कारण हाथों का धोना कम से कम 20 सेकंड जरुरी है)|

लेकिन जैसे-जिसे रिसर्च हो रही है,वैसे-वैसे नए खुलासे हो रहे है| अब ये बाते सामने आ रही है कि इन्फेक्शन कुछ देर तक हवा में तैरती रहती है और कुछ मीटर तक हवा में तैर भी सकती है| अब इसके आगे आपको अपना सामान्य ज्ञान लगाना है|

अगर इन्फेक्शन बंद और भीड़ वाली जगह पर हवा में तैरेगी तो वो ज्यादा देर तक आपके आस पास रहेगी और आपको इन्फेक्ट कर सकती है| लेकिन यही अगर खुली हवा में होगा तो इन्फेक्शन जल्दी से बिखर जायेगी और आपको ख़तरा कम होगा| लेकिन अगर भीड़ ज्यादा होगी तो हो सकता है कि आप इन्फेक्शन के हवा में तैरने से पहले ही उसके संपर्क में आ जाए|

इसलिए आपको अपने घर में क्रॉस वेंटिलेशन बहुत जरुरी है| ये न्यूज़ सुनकर कि कोरोना हवा में है, अपने घर की खिड़कियाँ बंद नहीं करनी बल्कि खोलकर रखनी है| अगर घर में किसी को हो इन्फेक्शन हो रखी है तो प्लीज मरीज के रूम में सही वेंटिलेशन होना जरुरी है|

बिना जरुरत के और बिना डॉक्टर की सलाह के स्टेरॉयड बिलकुल शुरू नहीं करने हैं,क्योंकि ये आपको ब्लैक फंगस का शिकार बना सकते हैं, खासतौर से जब आप डायबिटीज से ग्रषित हैं| आप चाहो तो ब्लैक फंगस पर डिटेल में लिखे हुए हमारे ब्लॉग को पढ़ सकते हैं|

4.कोरोना से रिकवर होने के बाद इरेक्टाइल डिसफंक्शन (तनाव सही से ना आने की परेशानी) के बारे में बहुत सारी रिसर्च सामने आ रही है और जो शायद सभी पुरुषों को डराने वाली है| और शायद सभी महिलाओं को भी चिंता में डाल रही होगी| मैं भी बाकी लोगो कि तरह इन रिसर्च के बारे में बार-बार बात करके बेवजह आपको चिंता मनाही डालना चाहता हूँ| इसलिए मैं सिर्फ अपना टेक बताना चाहता हूँ|

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तनाव और डर और असुरक्षा का माहौल इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण हो सकता है|

ये प्रॉब्लम बहुत वजह से होती है लेकिन माहोल का सही ना होना यानी कि चिंतामय और डर के माहोल में टेम्पररी तौर पर ये दिक्कत आम है| इसलिए इन रिसर्च पर ज्यादा ध्यान ना दीजिये|

अगर आप कोरोना से पहले बिलकुल ठीक एन्जॉय कर रहे थे तो कोरोना के माहोल में ये सब होना ज्यादा आश्चर्यजनक नहीं है| एक दूसरे से डिस्कस कीजिये और इन न्यूज़ को मजाक में उड़ा दीजिये|

उम्मीद करता हूँ कि ये ब्लॉग आपको पसंद आया होगा और आप इसको अपने नियर और डिअर को शेयर करने के बारे में विचार करेंगे| वैज्ञानिक सोचेंगे और वैज्ञानिक ही जियेंगे और वैज्ञानिक ही शेयर करेंगे|

धन्यवाद

टीम हेल्थ की बात

  1. Research Paper on biosensor breast cancer: DOI: 10.1021/acssensors.0c02222

Image Courtesy: www.pixabay.com