विश्व स्वास्थ्य संगठन ने MOSQUIRIX मलेरिया वैक्सीन को 6 अक्टूबर 2021 को हरी झंडी दिखा दी है.

1987 में खोज होने के बावजूद इस वैक्सीन को परमिशन मिलने में तीस साल लगे.

इसको बनाया है ब्रिटिश कंपनी GALAXO SMITH KLINE (GSK) ने.

और इसके ट्रायल किये गए अफ्रीका के तीन देशों में और इसका इफ़ेक्ट 30% होने के बावजूद भी

इसको बहुत बड़ा गेम चेंजर कहा जा रहा है.

mosquirix

Mosquirix malaria vaccine: बहुत सारी जिंदगियां बचाएगी (Image courtesy: indiatvnews.com)

 

कुछ सालों में भारत इसका सबसे बड़ा निर्माता बन सकता है.

MOSQUIRIX से जुडी इन सभी दिलचस्प पहलुओं पर आज हम इस ब्लॉग में बात करने वाले हैं.

हो सकता है सुनने में मलेरिया बहुत हलकी प्रॉब्लम लगती हो, लेकिन उससे पहले ये डाटा समझ लीजिये,

शायद आपका इंटरेस्ट बने.

2000 में इंडिया में 20 मिलियन मलेरिया के मामले थे और ये घटकर 5.6 मिलियन रह गए थे 2019 में.

क्या है MOSQUIRIX Vaccine? (What is RTS,S Vaccine)

मोस्कुइरिक्स मलेरिया बुखार के लिए बनायी गयी पहली वैक्सीन है.

इसको GSK ब्रिटिश कंपनी ने 1987 में बनाया था.

यह सबसे जानलेवा मलेरिया, प्लासमोडियम फल्सिपेर्म (plasmodium falciparum), के खिलाफ काम करती है.

मोस्कुइरिक्स को वैज्ञानिक तौर पर RTS,S (AS01) के नाम से भी जाना जाता है.

 

मलेरिया कि बिमारी तो सदियों सदियों से है और इसके लिए बहुत सारे ट्रीटमेंट भी उपलब्ध है,

लेकिन अभी तक कोई सक्सेसफुल वैक्सीन नहीं बनी थी.

या यूँ कहिये कि मलेरिया से लड़ने के हथियार बहुत ही लिमिटेड से रह गए थे.

लेकिन इस वैक्सीन के बाद मलेरिया के खिलाफ इंसानियत की जंग और मजबूत हो जायेगी.

Mosquirix malaria vaccine

मलेरिया वैक्सीन इस खतरनाक बिमारी के खिलाफ एक नया और कारगर हथियार है.(Image Courtesy:www.pocryl.com)

लेकिन एक्सपर्ट्स ने इस बात के लिए भी चेताया है

कि mosquirix vaccine को पहले से मौजूद हथियारों के साथ इस्तेमाल करना है .

ऐसा नहीं करना कि वैक्सीन आ गयी है तो बाकी सब बचाव के तरीकों को भूल ही जाओ.

 

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MOSQUIRIX VACCINE के ट्रायल के रिजल्ट्स क्या कहते हैं?

1987 में इस वैक्सीन को बनाया था GSK नाम की ब्रिटिश कंपनी ने

और उसके बाद बहुत तरह के ट्रायल किये गए.

लेकिन उनके रिजल्ट इतने उत्साहवर्धक नहीं थे.

धीरे-धीरे और इम्प्रूवमेंट हुई.

शुरुआत में ये देखा गया कि मोस्कुइरिक्स वैक्सीन लगाने के बाद

शरीर में बनाने वाली एंटीबाडी कुछ समय के बाद शरीर से ख़तम हो जाती थी.

 

जिस ट्रायल के रिजल्ट्स के आधार पर इसको मान्यता मिली है,

वह ट्रायल अफ्रीका महाद्वीप के तीन देशों (घाना,केनिया, मलावी) के बच्चों में की गयी थी.

यह ट्रायल 2019 में शुरू हुई थी और इसमें

आठ लाख बच्चों को वैक्सीन लगाया गया और देखा गया कि

कितने बच्चों में मोस्कुइरिक्स वैक्सीन लगने के बाद खतरनाक मलेरिया नहीं हुआ और

कितने बच्चों को खतरनाक मलेरिया होने के बावजूद भी हॉस्पिटल में दाखिल होने की जरुरत नहीं पड़ी.

या यूँ कहिये कि कितने बच्चों को हॉस्पिटल में दाखिल होने से रोक पायी ये वैक्सीन.

MOSQUIRIX वैक्सीन कितनी किफायती है ? (Mosquirix vaccine efficacy)

केवल 30 प्रतिशत!!!

हैरान हो गए कि आज कोरोना के जमाने में वैक्सीन की एफ्फीकेसी 90 से लेकर 95% तक भी क्लेम हुई है,

और मोस्कुइरिक्स की मात्र 30 प्रतिशत होने के बाद भी इसको इतनी लाइमलाइट क्यों मिल रही है.

तो चलिए आपकी बैचनी थोड़ी और बढ़ा देते हैं.

अफ्रीका के देखों में कोरोना वैक्सीन से भी ज्यादा ख़ुशी है हेल्थ एक्सपर्ट में मोस्कुइरिक्स को लेकर.

 

क्योंकि वहाँ पर खतरनाक मलेरिया इतना ज्यादा होता है कि मात्र 30 प्रतिशत लोगों की जान

बचाकर भी बहुत सारी ऐसी जिन्दगी बचाई जा सकती है जो देश की प्रोग्रेस में सहारा लगा सकते हैं.

बहुत सारी माताओं की कोख उजड़ने से बचाई जा सकती है.

क्योंकि बहुत ज्यादा संख्या में बच्चों की मौत इस खतरनाक मलेरिया की वजह से जाती है.

MOSQUIRIX VACCINE काम कैसे करती है?

mosquirix malaria vaccine

mosquirix vaccine प्लासमोडियम फल्सिपरुम के प्रोटीन से बनती है. (image courtesy: ww.creativecommons)

इस वैक्सीन में एक तरह का प्रोटीन होता है जो खतरनाक मलेरिया करने वाले प्लासमोडियम के ऊपर पाया जाता है.

इससे शरीर में मलेरिया तो होगा नहीं बल्कि ये वैक्सीन वाला प्रोटीन बच्चे के शरीर के इम्यून सिस्टम को इस तरह से तैयार कर देता है कि

जब भविष्य में कभी भी मलेरिया का मच्छर काटेगा तो बच्चे की एंटीबाडी उस प्लासमोडियम को मार भगाएगी.

ऐसा करने से बच्चे को खतरनाक मलेरिया से भी बचाव होगा और साथ ही हॉस्पिटल में एडमिशन से बचाव भी होगा.

लेकिन इसके साथ पूरी बाजू के कपडे पहनना और पेर्मेथ्रिन युक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करना नहीं भूलना चाहिए.

 

मोस्कुइरिक्स वैक्सीन की कितनी डोज़ लेनी पड़ेगी?

Mosquirix vaccine की चार डोज़ देनी पड़ती है.

पहली वैक्सीन 5 महीने की उम्र पर लगती है.उसके बाद कम से कम एक महीने के गैप के बाद दूसरा और फिर तीसरा लगता है.

तीनो वैक्सीन पांच महीने से 17 महीने की उम्र तक लगाए जाते हैं. चौथा वैक्सीन डेढ़ साल के बाद लगता है.

वैक्सीन कैसे लगाई जाती है?

इसको मांसपेशियों में लगाया जाता है यानी कि मसल्स में.

इसको छोटे बच्चों में पैर के उप्परी हिस्से की muscle मे लगता है.

यानी कि antero-lateral side of thigh पर लगाया जाता है.

छोटे बच्चों में intramuscular लगाईं जाने वाली वैक्सीन को लगाने के लिए सबसे सुरक्षित जगह होती है.

क्या mosquirix vaccine का कोई side effect bhi hota hai? (Mosquirix side effects)

अच्छी बात यह है कि मोस्किरिक्स के साइड इफ़ेक्ट ना के बराबर होते हैं.

यूँ कहिये कि बच्चों को लगने वाली दूसरी  वैक्सीन के जैसे ही होते हैं,

जैसे इंजेक्शन की जगह दर्द, हल्का फुल्का बुखार इत्यादि. बहुत ही कम बच्चों में ऐंठन जैसा हो जाता है (convulsions).

वैक्सीन कहाँ लगाई जायेगी?

Mosquirix malaria vaccine की सबसे अच्छी बात ये है कि

इसको बाकी रूटीन वैक्सीन के साथ लगाया जा सकता है.

इसके लिए अलग से कैंप लगाने की जरुरत नहीं होती है.

और यही वजह है कि इसको आसानी से ज्यादा से ज्यादा बच्चों को लगाई जा सकती है.

मोस्कुइरिक्स वैक्सीन इंडिया में कब आएगी? (Mosquirix in India)

mosquirix vaccine सिर्फ अफ्रीकन कंट्री के लोगो के लिए ही अच्छी खबर नहीं है

बल्कि इंडिया के लिए बहुत राहत भरी बात है.

क्योंकि इंडिया के भी कुछ हिस्सों में खतरनाक मलेरिया का कहर बहुत ज्यादा है.

हालाकि post लिखे जाने तक इंडिया में इस्तेमाल के लिए अप्रूवल नहीं मिली है.

लेकिन विश्व स्वास्थ्य संघठन ने इस बात को कहा है कि

ज्यादा से ज्यादा इस वैक्सीन को उन देशों को इस्तेमाल करना चाहिए जहां मलेरिया के बहुत ज्यादा मामले होते हैं.

इसमें ज्यादा अच्छी खबर ये है कि PATH आर्गेनाईजेशन ने GSK और भारत बायोटेक के बीच में करार करवाया है.

जिसके तरह कुछ सालों में भारत बायोटेक इस दुनिया का सबसे बड़ा निर्माता बन जाएगा MOSQUIRIX VACCINE का.

और यह कदम हमारा मलेरिया मुक्त भारत का सपना पूरा करने में काफी सहायक होगा.

 

जरुर पढ़िए: कोरोना की तीसरी लहर से कैसे बचेंगे?

 

अभी तक के लिए इतना ही.

उम्मीद करते हैं कि आपको अच्छी लगी होगी ये जानकारी.

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थैंक्स