06 मई 2021 को मैंने “एक हेल्थ की बात शॉर्ट्स(HIS#1) लिखा था, जिसका टाइटल था “म्युकरमाइकोसिस:कुएं से निकले और खाई में गिरे”|मुझे नहीं पता था कि ये black fungus इतना ज्यादा बर्बादी फैलाएगा कि मजबूर होकर इस पर डिटेल में आपसे बात करनी पड़ेगी| खैर! जो है, सो है…Show must go on |
डिटेल में black fungus के हर एक पहलु पर बात करने से पहले, मैं आपको कुछ वजह बताऊंगा, जो इस ब्लॉग को आखिर तक पढने के लिए काफी है|
“अगर आप कोविड से रिकवर हो रहे हैं या हो चुके हैं, तो ब्लैक फंगस के लक्षणों की निगरानी कीजिये (कम से कम 6 से 8 हफ्ते तक)| ना ही तो लक्षण छुपाइये और ना ही घरेलु टोटकों में समय गवाइये”
Table of Contents
black fungus के लिए सरकार क्या कर रही है?
हरियाणा सरकार ने ब्लैक फंगस (Mucormycosis) को नोटीफाइड बिमारी डिक्लेअर कर दिया है| यानी कि हर एक ब्लैक फंगस के केस की इनफार्मेशन ट्रीट करने वाले डॉक्टर को सिविल सर्जन तक भिजवानी सुनिश्चित करनी होगी|
ये समस्या इतना पैर पसार रही है कि ICMR और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके लिए दिशा-निर्देश जारी किये है| महाराष्ट्र के हेल्थ मिनिस्टर ने तो यहाँ तक चेताया है कि जैसे कोरोना के केस बढ़ रहे हैं, वैसे ही ब्लैक फंगस के भी केस बढ़ेंगे|इसके लिए महाराष्ट्र सरकार तो ऐसे मरीजों का अलग से डाटा मैनेजमेंट शुरू करने वाली है |
इसके देखा-देखी बाकी राज्य भी ऐसा करेंगे| बल्कि मध्य प्रदेश सरकार ने इसके बढ़ते मरीजों और इसके महंगे इलाज को देखते हुए दो जगह पर 10-10 बेड की फैसिलिटी चालु कर दी है |
अगर अब भी आपको लगता है कि आपको इसे जानने की जरुरत नहीं है, तो आगे बढकर टाइम मत खराब कीजिये| क्योंकि ये ब्लॉग दस मिनट लेगा पढने में|
अगर आपने मन बना लिया है इसके बारे में ज्यादा जानने का तो चलिए शुरू करते हैं|
म्युकरमाइकोसिस जो black fungus के नाम से ज्यादा पॉपुलर है| सही बताऊँ तो, ये बिमारी इतनी भयंकर है कि अगर समय पर इलाज़ ना किया जाए तो, तो आपकी आँख या चेहरा लेके जायेगी और हो सकता है कि आप की जान भी लेले| या यूँ कहिये कि इलाज लेने में लेट हुए तो शरीर का कुछ ना कुछ तो मिस करना पड़ सकता है भविष्य में|
कमाल की बात ये है कि ये बिमारी इतनी कम देखी जाती है कि एम्.बी.बी.एस. की पढ़ाई के दौरान इस बिमारी के केस देखने को ही नहीं मिलते थे| पेपर में आने वाले सवाल से ज्यादा कुछ नहीं था “Mucormycosis”| सिर्फ स्पेशलिस्ट कोर्स में ही डिटेल से पढ़ा जाता है| यहाँ तक कि कुछ स्पेशलिस्ट लोगों को भी जिंदगी में थोड़े बहुत केस देखने औरउनका इलाज़ करने का मोका मिलता है|
लेकिन कोरोना ने सारा खेल ही पलट दिया| अब हर डॉक्टर इसके बारे में जानता है और इसके लिए सचेत है|
Black Fungus (म्युकरमाइकोसिस) आखिर है क्या बला?
ये एक फंगस का ग्रुप है और ये कोई नयी इन्फेक्शन नहीं है|
हमारे वातावरण में इस फंगस के स्पोर(एक तरह के बीज होते हैं, जो दिखाई भी नहीं देते है) घूमते रहते हैं| ये ज्यादातर मिटटी में होती है,खासतौर से जिसमे गले-सड़े जैविक चीजें जैसे पत्ते, कोम्पोसेट का ढेर या जानवरों के गोबर वाली जगह में ज्यादा होता है| गर्मियों में इसके स्पोर या बीज ज्यादा होते हैं, सर्दियों या बारिश के मुकाबले|
इसलिए सही मायने में हर एक इंसान इसके संपर्क में आता ही आता है|
इसके स्पोर या बीज साँसों के ज़रिये हमारे साइनस से होते हुए फेफड़ों में जाते रहते हैं| लेकिन हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम इसको आसानी से मार भगाता है| परन्तु जब यही इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है, तब यही इन्फेक्शन आपके शरीर पर हावी हो जाती है|
इतनी स्पीड से ये इन्फेक्शन बढती है कि कुछ ही दिनों में ये आपके साइनस से होते हुए फेफड़े, ब्रेन, आँख, जबड़े तक पहुँच जाता है| इतनी जल्दी कि अगर डॉक्टर को मरीज में इसका होने का आभास हो जाए तो लैब टेस्ट के रिजल्ट आने से पहले ही इलाज़ शुरू करने की कौशिश करते हैं| इसी वजह से इस इन्फेक्शन में समय सबसे कीमती चीज है|
Black Fungus (म्युकरमाइकोसिस) किन लोगों में होता है?
Who are most affected by Black Fungus (Mucormycosis?)
कोरोना की इन्फेक्शन से रिकवर हो रहे हैं या हो चुके वो लोग:
- जिनको डायबिटीज है और सुगर कण्ट्रोल में नहीं है| या जिनको कीटो-एसिडोसिस हो गया हो
(इसमें डायबिटिक के शरीर में कीटोन बॉडी की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है)
- जिनको कोरोना के चलते स्टेरॉयड देने के जरुरत पड़ी| जिसके चलते इम्युनिटी का प्रभाव कम हो गया था|
- जिनको ज्यादा समय आई.सी.यू. में रहने की जरुरत पड़ी| तथा ऑक्सीजन देने की जरुरत पड़ी|
- जिनका किसी और बिमारी के लिए लम्बा इलाज़ चल रहा था|
इनके अलावा
-जिन मरीजों में आयरन का ओवरलोड होता है, जैसे हिमोकरोमटोसीस के मरीजों में
-जो मरीज वोरिकोनाजोल नाम की दवाई ले रहे हैं|
वोरिकोनाजोल थेरेपी कैंडिडा इन्फेक्शन और अस्परजीलोसिस(Aspergillosis) नाम की फंगल इन्फेक्शन के लिए दी जाती है| इन मरीजों में तो ब्लैक फंगस सबसे ज्यादा खतरनाक रूप ले लेती है|
– कोई ऑर्गन ट्रांसप्लांट होने के बाद या जिसको कोई किसी तरह का कैंसर है|
-किडनी फेलियर की आखिरी स्टेज में भी इसका ख़तरा ज्यादा होता है|
जब ये black fungus infection इतनी ही कम देखी जाने वाली इन्फेक्शन है, तो ये कोरोना में क्यों इतना बैचैन हो गयी है?
Why Black fungus or mucormycosis is so prevalent in corona period?
आग लगाईं कोरोना ने, उसको हवा दी अनियंत्रित सुगर और बिना मोनिटरिंग के स्टेरॉयड के इस्तेमाल ने तथा उसमे घी का काम किया इन बातों ने जिनमे से पहले दो संभावित वजहें है, और मेरे अपने ओपिनियन से भी ग्रसित है (इसके लिए आप मुझे जज कर सकते हो)|
तीसरा और चोथा साइंटिफिक तथ्य है (गूगल करोगे तो भरोसा हो जाएगा)|
- ऑक्सीजन की बढती डिमांड में सिलिंडर का लोगो ने घरों पे इस्तेमाल किया| लेकिन जनाब! ऑक्सीजन देना भी अपने आप में स्किल का काम है| फ्लोव्मीटर के साथ जो पानी वाली बोतल होती है,जिसमे बुलबुले उठते हैं,को साफ़ रखना बहुत जरुरी है| ये ह्युमिडिफायर के तौर पर काम करता है| इसमें डिस्टिल्ड वाटर चाहिए| लेकिन जब इसकी सफाई या पानी सही ना हो तो ब्लैक फंगस के खतरे को बढा सकता है|(अपडेट: अब इस थ्योरी को नकार दिया गया है)
2. कोरोना की वजह से सभी हॉस्पिटल फुल हो गए| ऐसे-ऐसे हॉस्पिटल बेड भर गए जो शायद ही कभी इस्तेमाल में आते थे| ज्यादातर होस्पिटल की ऑक्सीजन सप्लाई सेंट्रल होती है, और कई बेड की ऑक्सीजन सप्लाई काफी टाइम से बंद रहने के बाद खुली थी| ऐसे पॉइंट्स पर ब्लैक फंगस जमा हो सकती है| बाकी तो आप जानते ही हैं|
3. स्टेरॉयड लाइफ सेविंग ड्रग्स हैं और जो दो धारी तलवार की तरह काम करती है| सही समय पर, सही डॉज में और सही समय तक दी जाए तो जान में जान दे देते हैं| वरना जान को जहनुम बना देते है, जैसा कि हाल-फिलहाल चल रहा है| यू ट्यूब, फेस-बुक से ये तो सीख लिया कि स्टेरॉयड से मरीज ठीक हो रहे हैं, लेकिन ये नहीं सीखा कि स्टेरॉयड की डॉज को धीरे-धीरे टेपर-ऑफ भी करना होता है|
यानी कि इसी डॉज को धीरे-धीरे कम करना होता है| ये भी नहीं सीखा की स्टेरॉयड के साथ में एंटी-बायोटिक का कवर भी चाहिए ताकि दूसरी कोई और नयी इन्फेक्शन न हो| और ब्लैक फंगस हमारी इन्ही गलतीयों की तलाश में थी | इसके अलावा स्टेरॉयड खुद भी शुगर को बढाता है| बहुत सारे लोगों को शुगर की बिमारी होने का पता ही तब चला जब कोरोना के साथ-साथ डॉक्टर ने ब्लड सुगर चेक करवाया|
4.Black fungus को मानव शरीर में अपनी जगह बनाने के लिए या बढ़ोतरी के लिए चाहिए होता है आयरन| आयरन मिलेगा तो ये खूब बढ़ेगी| कोरोना में या ब्लड की कुछ बीमारियों में आयरन खूब मिलता है इसको| इसलिए ये इतना सत्यानाश कर रही है| (समय लगा तो डिटेल में ब्लॉग लिखूंगा इस पॉइंट पे, बहुत ही इंटरेस्टिंग है ये)
अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार ये सही है कि black fungus उन्ही लोगों में रिपोर्ट हो रहा है, जिनमे अनियंत्रित शुगर थी या जिनमे स्टेरॉयड की जरुरत पड़ी थी|
इसके बावजूद हर एक कोरोना से रिकवर हुए black fungus के पेशेंट्स को लेकर सचेत रहना चाहिए| क्या पता हफ्ते बाद ऐसे लोगो में भी मिलना शुरू हो जाए,जिनमे इसके खतरे वाली बातें नहीं थी| बिना डरे, सचेत रहने में बुराई तो शायद नहीं है|
जो लोग वेक्सिनेटेड है, उनमे आमतौर पर कोरोना के हल्के लक्षण आने की संभावना होती है, जिसकी वजह से आप मान सकते हैं कि उनमे म्युकरमाइकोसिस के चांस भी कम हो सकते है| क्योंकि उनके शरीर में वो सब बदलाव नहीं आते जो इसको चाहिए होते हैं|
इसके बावजूद भी आपको black fungus को लेकर अपने आपको अमर-अजर नहीं मानना चाहिए| जैसे ही कोई लक्षण महसूस हो तुरंत संपर्क कीजिये सही जगह पर|
जब से म्युकरमाइकोसिस की खबरे चल रही है, तब से एक सवाल बहुत पूछा जा रहा है कि म्युकरमाइकोसिस होने का ख़तरा सबसे ज्यादा कब होता है?
कोरोना से रिकवर हुए व्यक्ति को कितने दिन तक सावधानी बरतनी चाहिए ताकि black fungus से बचा जा सके?
कोरोना का इन्फेक्शन होने के बाद “कम से कम दस दिन से लेकर दो महीने तक ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) के लक्षण रिपोर्ट हो रहे हैं| एवरेज देखा जाए तो ज्यादातर में दो हफ़्तों के बाद लक्षण शुरू होते हैं| ”
जब इलाज हो ही सकता है, तो सरकारों को इतने ज्यादा ताम-झाम की क्या जरुरत है?
Why so much preparation when black fungus is curable?
black fungus अपने आप में बहुत बड़ी इमरजेंसी है| जो हो सकता है बहुत महँगी दवाइयों के कोर्स के बाद ठीक हो जाए या फिर सर्जरी की जरुरत पड़े| इसमें म्युकरमाइकोसिस से ग्रषित हिस्से के साथ-साथ, आस-पास का एरिया भी निकालना पड़ जाता है|
जैसे कि आपने ख़बरों में सूना या देखा होगा कि ब्लैक फंगस की वजह से लोगों की आँखें निकालनी पड़ रही है| दुर्भाग्यवश वो खबरे सच है|
आमतौर पे इसका इलाज डेढ़ महीने से 6 महीने तक खिच सकता है| जरुरत अनुसार खाने की दवाइयाँ, इंजेक्शन या सर्जरी और दवाइयाँ दोनों का इस्तेमाल करने की जरुरत पड़ सकती है|
मोटा सा हिसाब लगाया जाए तो अगर तीन हफ्ते इंजेक्शन का कोर्स करना पड़ जाए तो खर्चा शायद लाखों के हेर-फेर में पहुँच जाएगा| कोरोना काल को छोड़ दे, तो ये बहुत कॉमन बिमारी नहीं है, जिसकी वजह से इसकी दवाइयाँ मिलना भी आसान नहीं है|
Black Fungus के लक्षण होने पर किस डॉक्टर से संपर्क करें ?
इसका इलाज़ करने के लिए एक अच्छी-खासि एक्सपर्ट की टीम चाहिए होती है: जिसमे इ.एन.टी., न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, कार्डियक-थोरेसिक सर्जन, मग्ज़िलोफेसिअल सर्जन, मेडिसिन स्पेशलिस्ट आदि चाहिए|
इन्ही बातों की वजह से कई राज्य सरकारों ने इसके लिए फिक्स सेंटर बनाने शुरू कर दिए हैं, ताकि जरुरतमंद लोगों को इसके इलाज की सुविधा मुहिया करवाई जा सके|
ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) के लक्षण क्या-क्या है?
(Symptoms of black fungus- you should not miss)
इसके लक्षण निर्भर करते हैं कि किस हिस्से में इसका इन्फेक्शन फैला हुआ है| क्योंकि ये तो फैफ्डें, साइनस, ब्रेन, आँख, जबड़ा, स्किन कही भी पहुँच जाती है| कोरोना के मरीजों में मुख्यत नाक-आँख-ब्रेन वाली इन्फेक्शन देखी जा रही है|
“कोरोना होने के 10 दिन के बाद से अगले कुछ हफ़्तों तक (6-8), एक साइड के चेहरे में दर्द, नाक बंद और नाक से ब्राउन या ब्लैक कलर के डिस्चार्ज को नज़रअंदाज करने की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है|”
शुरूआती लक्षण जिनको पहचानना बहुत जरुरी है|
-एक साइड के चेहरे में दर्द शुरू होना
नाक बंद होना|black fungus के शुरूआती लक्षण आमतौर पे होने वाली साइनोसाइटिस (sinusitis) के जैसे होते हैं| लेकिन कोरोना से रिकवर होने के बाद इसे हल्के में मत लीजिये| आमतौर पे लोग कोरोना के चलते भांप लेते रहते हैं और अंदर ही अंदर इन्फेक्शन फैलती रहती है| जिसकी वजह से ये नजरंदाज हो जाती हैं| लेकिन black fungus में सबसे अहम बात है, सही समय पर हॉस्पिटल पहुँचना और जल्दी से जल्दी इसका इलाज करवाना|
-नाक से ब्राउन रंग या काले रंग या खून जैसा पतला पानी या डिस्चार्ज निकलना
इनके अलावा ये लक्षण भी नज़र आ सकते हैं|
- गालों पे सूजन आना (खासतौर से किसी एक साइड)
- आँखों में दर्द (खासतौर पे आँखों के नीचे)
- आँख और नाक के चारों तरफ रेडनेस (लाल होना)
- नाक और माथे के बीच वाले ब्रिज पर काला पड़ जाना
- नाक में काले रंग की पपड़ी जमना
- मानसिक हालत में बदलाव आना (सूझ बूझ कम होना, कंफ्यूजन होना, सोच समझ ना पाना)
- धुंधला दिखाई देना या दो- दो दिखाई देना
- बहुत तेज सरदर्द होना
- बुखार
- सांस लेने में दिक्कत होना या साँस फूलना
- छाती में दर्द होना
- तालू (मुंह के अंदर) पे काला पड़ जाना (ये काफी एडवांस स्टेज में जाकर होता है)
- दांतों में दर्द और उसके साथ दांतों का ढीला होना या हिलना
- जबड़े में दर्द होना
- उल्टी में खून आना
ब्लैक फंगस(Mucormycosis) हमारे शरीर के अंदर इतना नुक्सान कैसे करती है?
How black fungus damage our body?
ब्लैक फंगस हमारे शरीर के अंगों को खून पहुंचाने वाली शिराओं को खाना शुरू कर देती है,जिससे शिरायें चोटिल हो जाती है| इसे ठीक करने के लिए शरीर थके बनाता है,जिसकी वजह से वो शिराएँ बंद हो जाती है और उनके जरिये होने वाले खून का दौरा भी कम या बंद हो जाता है|
इससे उस हिस्से या अंग में खून की सप्लाई नहीं होती है और उसके टिश्यू में नेक्रोसिस हो जाता है| ऐसा करके black fungus उस हिस्से को गलाना शुरू कर देती है|ये सब प्रक्रिया बहुत तेजी से होती है और मरीज को सँभलने का मौक़ा नहीं देती| यही कारण है कि ब्लैक फंगस के मामले में समय बहुत ही कीमती है|
Black Fungus कितने तरह की होती है|
Black Fungus is of five types
- नाक-आँख-ब्रेन की ब्लैक फंगस (राइनो-ऑर्बिटल-सेरिब्रल म्युकरमाइकोसिस)-(Rhino-Orbital-Cerebral Mucormycosis):
सिंपल भाषा में कहें तो साइनस से होता हुआ ब्रेन और आँखों के अंदर ब्लैक फंगस पहुँच जाती है| कोरोना के बाद ये वाला इन्फेक्शन ही ज्यादा रिपोर्ट हो रही है| ये ज्यादातर उन मरीजों में नज़र आती है जिनमे
- अनियंत्रित डायबिटीज या डायबिटीज में कीटो-एसिडोसिस होती है|
- जिनमे स्टेरॉयड का इस्तेमाल हुआ और जरुरत से ज्यादा तथा ज्यादा देर तक हुआ
- कोरोना से रिकवरी हो रही है या हो चुकी है|
- किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है| इसके लक्षण भी नाक,आँख, ब्रेन से ही जुड़े होते हैं|
- फेंफडों की म्युकरमाइकोसिस (Pulmonary Mucormycosis): कैंसर के मरीजों में, जिनका स्टेम सेल ट्रांसप्लांट हुआ हो या कोई ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ हो| क्योंकि कैंसर में कीमोथेरेपी दी जाती है, जो शरीर से कैंसर की कोशिकाओं के अलावा हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं को भी मार देती है| जिसकी वजह से इम्युनिटी कमजोर पड़ जाती है और ब्लैक फंगस को तो यही चाहिए| ऑर्गन ट्रांसप्लांट और स्टेम सेल थेरेपी के दौरान इम्मुनोस्प्रेसेंट दिए जाते है, जो इम्युनिटी को दबा देते हैं, ताकि किसी और के ऑर्गन को शरीर की इम्युनिटी रिजेक्ट न करे| इसलिए डॉक्टर्स को बहुत सचेत रहना पड़ता है ऐसे मरीजों में|
- गेस्ट्रो-इन्टेस्टिनल की ब्लैक फंगस (GIT Mucormycosis)
ये मुख्यत छोटे बच्चों में होती है, जो समय से पहले पैदा हुए है या जिनका जन्म पर वजन कम था| या जिनको एंटीबायोटिक देने की जरुरत पड़ी या कोई सर्जरी की गयी हो| लेकिन ये होती बहुत ही रेयर या कम है| इसलिए ज्यादा पैनिक मत होइए| आजकल ज्यादातर डिलीवरी हॉस्पिटल में हो रही है और डॉक्टर इनका ध्यान रखते हैं|
- स्किन की ब्लैक फंगस (Cutaneous Mucormycosis)
ये वाली म्युकरमाइकोसिस ठीक इम्युनिटी वाले लोगों में भी हो जाती है| स्किन में कोई कट लगने से,जलने से, इंजेक्शन वाली जगह पे (जैसे की इन्सुलिन इंजेक्शन) हो जाती है| वातावरण में मौजूद ब्लैक फंगस के स्पोर या बीज कट के साथ घुस जाते हैं| ये भी बहुत ही विरला होती है| लेकिन होती है तो उस जगह को गला देती है|
- डीसेमीनेटीड ब्लैक फंगस (Disseminated Mucormycosis): जो खून के ज़रिये पूरे शरीर में कहीं भी पहुँच सकती है| यहाँ तक की हड्डियों और शरीर के भीतरी अंगों तक| इसमें मृत्यु के चांस बहुत ज्यादा होते हैं| इतनी स्पीड से फैलता है कि इसका कन्फर्मेशन तो 50% केस में तो पोस्ट-मोर्टेम रिपोर्ट से ही होता है| अच्छी बात ये कि बहुत कम केस होते हैं|
Black Fungus कौन से तरीकों से फ़ैल सकता है ?
ब्लैक फंगस की एक बात राहत वाली ये है कि ये कोरोना की वजह से होती तो है, लेकिन कोरोना की तरह एक इंसान से दूसरे इन्सान में नहीं फैलती है|
बहुत लोगों को इसके बारे में काफी भ्रांतियां हैं| इनमे से कुछ का जवाब देने की हम कौशिश कर रहे हैं|
क्या Black fungus पानी से फैलती है?
ये सच है कि ब्लैक फंगस हमारे आस-पास के वातावरण में होती है, लेकिन ये आमतौर पर जो साफ़ पानी हम इस्तेमाल करते हैं उसके ज़रिये नहीं फैलती है| लेकिन जब बाढ़ या तूफ़ान के बाद जो पानी गंदा होता है उससे डायरेक्ट कांटेक्ट से बचना चाहिए| क्योंकि ये कट या चोट के रास्ते इसके बीज अंदर घुस सकते हैं और जिन लोगो की इम्युनिटी कम हो जाती है, उन लोगों में मौका परस्ती के तौर पर ये बीमार कर सकती है|
क्या ब्लैक फंगस मोबाइल से फैलती है?
जी नहीं, इस तरीके से नहीं फैलती है| ज़रा सोचिये इसके बीज या स्पोर तो हर वक़्त वातावरण में चारों तरफ है और इस तरीके से इन्फेक्शन फैलता तो सभीलोगों को ब्लैक फंगस हो जाता| मोबाइल से ब्लैक फंगस ना ही तो फैलता है और ना ही होता है|
क्या प्याज खाने से ब्लैक फंगस होता है?
जी नहीं,प्याज खाने से ब्लैक फंगस नहीं होती है| यह एक भ्रान्ति है और इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है|
ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है?
How to diagnose Mucormycosis?
क्योंकि ब्लैक फंगस आपको संभलने का मौका नहीं देती है, अगर आप इसको पहचाने में लेट हैं|
इसलिए आपका डॉक्टर इसका शुरूआती डायग्नोसिस
-लक्षणों के आधार पर
-आपकी मेडिकल हिस्टरी रिकॉर्ड को देखकर
-आपका एग्जामिनेशन करके बनाता है|
इसके बाद आपके कुछ लैब टेस्ट करने की जरुरत पड़ेगी, जिनके जरिये हम इस ब्लैक फंगस को पहचाना जाता है|
ब्लैक फंगस के लिए कौन सी जांच करानी चाहिए ?
-आपके मुंह, गले या सांस की नाली से तरल सैंपल लिया जा सकता है|
-बायोप्सी (टुकड़े की जांच) ली जा सकती है, जिस हिस्से में ब्लैक फंगस फैली हुई है| ये सबसे बेस्ट तरीका है|
– लिए गए फंगस सैंपल का कल्चर किया जाता है,जिसमे फंगस को लैब में उगा के देखा जाता है| ये बड़ी स्पीड से बढ़ता है, इसलिए अगर किसी सैंपल में ब्लैक फंगस है, तो जल्दी रिपोर्ट आ सकती है बाकी इन्फेक्शन के मुकाबले|
-आपका सी टी स्कैन करवाया जा सकता है, क्योंकि साइनस और आस पास की हड्डियों को चूना लगा देता है|
-जब ये आँख और ब्रेन तक पहुंचता है, तब एम् आर आई भी करवाया जा सकता है|
लेकिन इन सबसे ऊपर, अगर आपके डॉक्टर को पक्का शक हुआ कि आपको ब्लैक फंगस ही है, तो हो सकता है कि लैब की रिपोर्ट आने से पहले ही आप का इलाज़ भी शुरू कर दे| ये आपके हित में ही होगा|
ब्लैक फंगस का इलाज़ कैसे होता है?
What is the treatment of Black Fungus (Mucormycosis)?
मैं आपको कोई दवाइयों की डोज या उनको लेने का तरीका तो बताने से रहा| क्योंकि आजकल बहुत लोग घर पर ही डॉक्टर साब/साहिबा बन रहे हैं और इसकी दवाइयाँ महँगी और खतरनाक साइड इफ़ेक्ट पैदा करने वाली होती है| इसलिए सिर्फ मोटे तौर पर समझिये|
-समय पर लक्षण पहचान कर बिना घरेलु टोटके अपनाए अगर सही डॉक्टर के पास पहुंचे, तो खाने की दवाइयों या इंजेक्शन से ही आपका उद्धार हो जाएगा|
-थोडा कम लेट हुए और इन्फेक्शन आँख के रास्ते चल पड़ी है, तो शायद आँखों की रौशनी बचाई जा सके ऑपरेशन के ज़रिये, आपके ब्रेन को नुक्सान से बचाया जा सके| इसमें आस-पास का टिश्यू निकाल दिया जाता है| उसके बाद कुछ हफ़्तों तक दवाइयाँ दी जाती है|
– अगर लेट ज्यादा हुए तो आँख गवानी पड़ सकती है| आँख के आस-पास का टिश्यू भी निकालना पड़ सकता है| उसके बाद कई हफ़्तों तक दवाइयाँ या इंजेक्शन लेने पड़ेंगे| जिस भी हिस्से में फैली होगी उसको निकालना पड़ सकता है|
एक वार्निंग आपके भले के लिए
ये सोचकर कि ये एक फंगस है, तो एंटी-फंगल ले लेते हैं, भूल कर भी ये गलती मत कीजिये| ये दिक्कत कुछ एंटी-फंगल (इटराकोनाजोल,वोरिकोनाज़ोले,फ्लुकोनाज़ोल इत्यादि) के सेवन से उल्टा बढ़ सकती है और बहुत ही भयावह रूप ले सकती है|
इसके लिए अम्फोटेरीसिन बी (सिर्फ इंजेक्शन), पासकोरनाजोल, इस्वाकोनाजोल (इंजेक्शन और टेबलेट) जैसी दवाइयाँ ही काम करती है|
इन दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर की निगरानी में होता है, क्योंकि ये आपके शरीर पर बुरा प्रभाव डाल सकती है| इसलिए इसके लिए बहुत ही स्ट्रिक्ट मोनिटरिंग की जरुरत होती है| ये ब्लॉग आप तक पहुचने तक आपको शायद पता भी चल गया होगा कि आपके राज्य में ब्लैक फंगस का इलाज कहा पर हो रहा है|
हर राज्य सेंटर सुनिश्चित कर रहा है, जहां पर ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज़ हो सके|
ब्लैक फंगस की चपेट में आने से कैसे बचा जाए?
How to prevent Mucormycosis?
अगर यहाँ तक पहुँच गए हो और पढ़ते हुए पहुंचे हो, जस्ट स्क्रॉल नहीं किया है, तो काफी कुछ तो आपको पता लग ही गया होगा|
अगर बचाव की बात करी जाए तो इस फंगस से एक्सपोज़र से तो बचने का कोइ चांस ही नहीं है: क्योंकि ये आपके वातावरण में है| आप लगातार इसके स्पोर या बीज सांस के साथ अंदर लेते हैं और ना ही इसकी कोई वैक्सीन है| फिर भी कुछ टिप्स फॉलो किये जा सकते हैं|
कोरोना होने के बाद,चाहे आपको पहले से शुगर है या नहीं है, अपने शुगर के लेवल को कण्ट्रोल रखना बहुत जरुरी है| इसके लिए आपका डॉक्टर इन्सुलिन भी शुरू कर सकते हैं, कुछ समय के लिए| अगर आपको स्टेरॉयड शुरू किये गए हैं, तो अपने डॉक्टर से इस बात को सही से समझे कि इनको कितने दिन तक लेना है|
- कोरोना की इन्फेक्शन के बाद अपने आप को कौशिश कीजिये की धुल-मिटटी या पशुओं से एक्सपोज़र कम हो| ऐसा आपको इन्फेक्शन के बाद कम से कम 1 महीना तो करना ही चाहिए|
- कोरोना से रिकवर होने के बाद भी मास्क जरुरी है और बाकी स्टेप्स भी जरुरी है| इससे आपको स्पोर से एक्सपोज़र कम होगा|
- अगर आपके ऑफिस में या घर में दीवारों से शील आती है पानी लीक होने से, तो उसे ठीक कराइए या उन दीवारों से थोडा दूरी बनाइये|
- ऑर्गन ट्रांसप्लांट या स्टेम सेल थेरेपी वाले मरीजों को एंटीफंगल दवाई दी जाती है| इसलिए इन मरीजो को ये दवाइयाँ लेते रहना चाहिए जैसा डॉक्टर ने बताया है|
ब्लॉग के अंत में सबसे जरुरी बात दुबारा से रिपीट कर लीजिये|
“अगर आप कोविड से रिकवर हो रहे हैं या हो चुके हैं, तो ब्लैक फंगस के लक्षणों की निगरानी कीजिये (कम से कम 6 से 8 हफ्ते तक)| ना ही तो लक्षण छुपाइये और ना ही घरेलु टोटकों में समय गवाइए”
मैं उम्मीद करता हूँ कि मैं आपको ब्लैक फंगस के बारे में हर एक पहलु से अवगत करवा पाया| मैं आपके स्वस्थ रहने की कामना करता हूँ और आपसे रिक्वेस्ट करना चाहूँगा कि ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा शेयर कर दीजिये|
आजकल डिस्क्लेमर देना जरुरी सा है|
ये ब्लॉग सिर्फ और सिर्फ आपकी जानकारी बढाने के लिए था| इसे किसी तरह का इलाज ना समझें| अगर किसी तरह की कोई परेशानी होती है तो वेल क्वालिफाइड डॉक्टर से सलाह और जरुरत अनुसार इलाज ले| बिना जरुरत के अपने आप से बेवजह लैब टेस्ट और स्कैन मत करवाइए| इसका निर्णय आपके डॉक्टर को ही लेने दें|
धन्यवाद
Image Courtesy
Mucormycosis: https://www.cdc.gov/fungal/diseases/mucormycosis/index.html#:~:text=Mucormycosis%20(previously%20called%20zygomycosis)%20is,to%20fight%20germs%20and%20sickness.
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