कैंसर के ये 9 हैरान कर देने वाले लक्षण हर किसी को पता होने चाहिए।
जानें कब सतर्क होना है और कैसे पहचानें शुरुआती संकेत।
सावधानी बचाएगी जान!

NEVER IGNORE NEW AND PERSISTENT SYMPTOMS (www.pixabay.com)
आपने ये डरावनी कहानियाँ अक्सर सुनी होंगी कि किसी के चाचा का “बिना वजह” वजन कम हो गया।
आपका कोई फ्रेंड थकान को नजरअंदाज करता रहा और बहुत देर हो गई।
और बाद में पता चला कि उसे कैंसर हो गया और वो आपका साथ छोड़कर जाने वाला है|
कैंसर हमेशा चिल्लाकर नहीं आता—यह धीरे से आता है।
लेकिन इन 9 अजीबोगरीब लक्षणों को जानकर आप अपनी या किसी की जान बचा सकते हैं।
चलिए, गपशप छोड़कर उन संकेतों पर ध्यान दें जो सच में मायने रखते हैं।
(ध्यान दें: ज़्यादातर लक्षण कैंसर नहीं होते। लेकिन अगर शुरुआत में पकड़ लिया जाए, तो इसे हराया जा सकता है!)
Table of Contents
वजन गायब होना (बिना कोशिश के)
नॉर्मल: डाइट या टेंशन से धीरे-धीरे वजन कम होना।
अनॉर्मल: 3-6 महीने में बिना डाइट या एक्सरसाइज 5 किलो से ज़्यादा वजन घटना।
आपका शरीर जादू की मशीन नहीं है।
अचानक वजन कम होना पैंक्रियाटिक, पेट, या फेफड़ों के कैंसर का संकेत हो सकता है।
कैंसर सेल्स आपकी एनर्जी चुरा लेते हैं।
क्या करें: वजन नापते रहें। अगर लगातार कमी हो रही है और आप डाइटिंग नहीं कर रहे, तो डॉक्टर को दिखाएँ।
थकान जो पीछा न छोड़े
नॉर्मल: बिज़ी हफ्ते के बाद थकान।
अनॉर्मल: ऐसी थकान जैसे शरीर में जान ही न बची हो—चाहे कितनी भी नींद ले लो।
ब्लड कैंसर (ल्यूकेमिया), कोलन या पेट के कैंसर में खून की कमी हो जाती है।
अगर कॉफी, नींद या छुट्टियाँ भी आराम न दें, तो टेस्ट करवाएँ।
क्या करें: खुद से पूछें—”क्या यह थकान नई और बेहद ज़्यादा है?” अगर हाँ, तो ब्लड टेस्ट कराएँ।
गाँठ जो दिखे नहीं, बस महसूस हो
नॉर्मल: इन्फेक्शन में दर्द वाली गाँठ (2-4 हफ्ते में ठीक हो जाती है)।
अनॉर्मल: स्तन, गर्दन, बगल या जाँघ में बिना दर्द वाली सख्त गाँठ।
कैंसर वाली गाँठ अक्सर “जमी हुई” लगती है (दबाने पर हिलती नहीं)।
ब्रेस्ट कैंसर, लिंफोमा या टेस्टिकुलर कैंसर का संकेत हो सकता है।
क्या करें: “अगर 1 महीने बाद भी गाँठ रहे, तो स्कैन करवाएँ।”
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टॉयलेट की परेशानी
नॉर्मल: कभी-कभी दस्त या कब्ज़।
अनॉर्मल: मल में खून (लाल या काला)।
बार-बार पेशाब आना (जैसे यूरिन इन्फेक्शन जो ठीक ही न हो)।
कोलन कैंसर में अक्सर खून आता है। ब्लैडर या प्रोस्टेट कैंसर पेशाब में जलन पैदा करते हैं।
क्या करें: बवासीर या उम्र को दोष न दें। कोलोनोस्कोपी या यूरिन टेस्ट से पता चल जाएगा।
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खाँसी जो रुकने का नाम न ले
नॉर्मल: सर्दी के बाद खाँसी (2-3 हफ्ते तक)।
अनॉर्मल: सूखी खाँसी जो महीनों चले या खाँसते वक्त खून आए।
फेफड़े, गले या फूड पाइप के कैंसर में ऐसा होता है। स्मोकर्स, सावधान!
क्या करें: —”दो हफ्ते से ज़्यादा खाँसी हो, तो टी बी की जांच करवाएं और अगर टी बी नहीं मिलती है और आपकी खांसी भी ठीक नहीं हो रही है , तो कैंसर से सम्बंधित जांच करवाने में कोई बुराई नहीं ।”
त्वचा पर शक करें अगर कुछ भी एब्नार्मल लगता है
नॉर्मल: सालों पुराना तिल।
अनॉर्मल: घाव जो भरने का नाम न ले (जैसे पपड़ी बार-बार आए)।
नाखून के नीचे काली लकीर (चोट के बिना)।
मेलेनोमा या बेसल सेल कैंसर ऐसे घावों में छिपे होते हैं।
क्या करें: महीने में एक बार फोटो खींचें। अगर आकार/रंग बदले, तो स्किन डॉक्टर को दिखाएँ।
निगलने में दिक्कत
नॉर्मल: बड़ा निवाला फँस जाना।
अनॉर्मल: हर बार खाना गले में अटकता महसूस हो।
गले या फूड पाइप में ट्यूमर रास्ता रोक देता है।
क्या करें: अगर पानी भी अटकता हो, तो एंडोस्कोपी करवाएँ।
खून का अचानक दिखना
नॉर्मल: पीरियड्स या नाक से हल्का खून आना।
अनॉर्मल:उल्टी/पेशाब में खून या पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग।
मेनोपॉज के बाद खून आना (एक बूँद भी)।
खून आना = टिशू टूटना। सर्वाइकल, यूटरस या पेट के कैंसर में ऐसा होता है।
क्या करें: तारीख और मात्रा नोट करें। एक बार हो तो ठीक, दो बार हो तो डॉक्टर के पास जाएँ।
दर्द जो साथ न छोड़े
नॉर्मल: भारी सामान उठाने से कमर दर्द या सिरदर्द।
अनॉर्मल: हड्डियों में गहरा दर्द (पसलियाँ, रीढ़) या सिरदर्द बढ़ता जाए।
मल्टीपल मायलोमा हड्डियों पर अटैक करता है। ब्रेन ट्यूमर नसों को दबाता है।
क्या करें: दर्द के साथ थकान/वजन कम हो? तुरंत स्कैन कराएँ।
दूसरे लक्षण (संक्षिप्त सूची)
घबराएँ नहीं, लेकिन इन्हें नज़रअंदाज़ भी न करें:
पूरे शरीर में खुजली? चिंता तब करें जब रैश न हो और महीनों से हो (लिंफोमा)।
कान दर्द? चिंता तब करें जब इन्फेक्शन न हो + गले में दर्द हो (मुँह का कैंसर)।
पेट फूलना? चिंता तब करें जब रोज़ाना 3+ हफ्ते से हो (ओवरी कैंसर)।
आपकी एक्शन प्लान
गूगल न करें—डायरी बनाएँ: लक्षण कब शुरू हुए और कैसे बदले, लिखें।
सामान्य कारण चेक करें: इन्फेक्शन, तनाव, नई दवा? 2-4 हफ्ते इंतज़ार करें।
टेस्ट के लिए ज़िद करें: ब्लड टेस्ट, स्कैन या बायोप्सी। डॉक्टर से कहें—”मैं कैंसर रूल आउट करवाना चाहता/चाहती हूँ।”
“अगर कैंसर निकल आया तो?”
शुरुआती स्टेज के कैंसर में अक्सर कोई लक्षण नहीं होते। इसीलिए मैमोग्राम, कोलोनोस्कोपी जैसी जाँचें ज़रूरी हैं। लेकिन अगर शरीर ये रेड फ्लैग्स दिखा रहा है, तो चुप न बैठें।
यह गाइड शेयर करें। डॉक्टर से मिलने का टाइम फिक्स करें।
और याद रखें: आप डरपोक नहीं, समझदार हैं!