जब से कोरोना वैक्सीन आई है तब से हर रोज़ नए-नए सवाल सामने आ रहे हैं|
Table of Contents
कोरोना वैक्सीन से जुड़े सवाल
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कोरोना वैक्सीन की कितनी डोज़ लगवाने की जरुरत होगी?
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क्या इन्फेक्शन होने के बाद कोरोना वैक्सीन लगवानी जरुरी है?
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एंटीबाडी कितने दिन तक शरीर में रहती है?
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वैक्सीन का असर कितने महीनो तक रहेगा?
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क्या कोरोना का इन्फेक्शन होने के बाद कोरोना वैक्सीन लगवाना सेफ है?
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क्या वैक्सीन, कोरोना के बदलते वैरिएंट से सुरक्षा देगा?
इन सभी सवालों के जवाब ढूँढने के लिए दुनिया भर के साइंटिस्ट रिसर्च कर रहे हैं|इन्ही रिसर्च में पाए गए तथ्यों के आधार पर वायरस से निपटने के हर तरह के प्रयास किये जा रहे हैं| लेकिन इस सोशल मीडिया के जमाने में अगर सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना कर रहा है, तो वो है विज्ञान|
हर एक रिसर्च के रिजल्ट को जब अपने मन से सोशल मीडिया पर शेयर किया जाता है तो उसके मायने ही बदल जाते हैं| इतने बदल जाते हैं कि रिसर्च करने वाला साइंटिस्ट भी कहता है “मैंने ऐसा तो कुछ नहीं कहा था”|
बहुत बार एक छोटी रिसर्च होती है जो अपने आप में बड़ी रिसर्च करने के लिए उकसाती है, ताकि परिमाण को पुख्ता किया जा सके| लेकिन उससे पहले उस छोटी रिसर्च के रिजल्ट को तथ्यों के तौर पर पेश किया जाने लगता है मीडिया में|
चलिए इमोशनल बात तो काफी हो गयी है, अब ज़रा आज के टॉपिक पर थोडा बतिया लेते हैं|
बात को विस्तार से बताऊंगा, इसलिए एक छोटा सा वादा चाहता हूँ कि आप इसे आखिर तक पढ़ेंगे| उसके बदले मैं पूरा भरोसा दिलाता हूँ कि पूरा दम लगाऊंगा कि आपको बात समझ आ जाये|
और जहाँ बात समझ आई वहाँ कन्फ्यूजन और डर गायब हो जायेंगे|
कोरोना वैक्सीन इम्यूनिटी कैसे बनाती है? उदाहरण से समझिए
छोटा से उदाहरण की मदद से समझते हैं| उदाहरण में शायद टेक्निकल प्रॉब्लम हो सकती है| ये बस बात समझाने के लिए है|
जब भी कही पर बाहर से आक्रमण होता है, तो सबसे पहले उस जगह की पुलिस सिचुएशन संभालती है|हालात का जायजा होते ही देश की स्पेशल फ़ोर्स को बुलाया जाता है|
स्पेशल फ़ोर्स दुश्मन के आक्रमण के स्टाइल को देखते हुए तुरंत एडाप्ट कर जाती है और उनको मार भागाती है|
इस दौरान स्पेशल फ़ोर्स दुश्मन के अटैक करने के नए-नए तरीकों को पहचान लेती है और भविष्य के लिए अपनी स्किल और कौशल में इस ज्ञान को जोड़ लेती है|
ऐसा करने से स्पेशल फ़ोर्स नए-नए दुश्मनों से लड़ने में सक्षम रहती है|
जब सब सुरक्षित हो जाता है, तब स्पेशल फोर्स अपने बेस पर लौट जाती है अपने आप को अपग्रेड करने के लिए और नए टास्क के इंतज़ार में|
धीरे-धीरे पुलिस भी अपने रूटीन में आ जाती है और घटना स्थल से पुलिसबल की संख्या भी कम कर दी जाती है|
अब आक्रमणकारी शैतान है, वो फिर से हमला करता है उसी स्टाइल में|लेकिन इस बार स्पेशल फ़ोर्स उनका मिनटों में ही सफाया कर देती है|
क्योंकि वो दुश्मन का मोडस ओपेरंडी समझती है इसलिए स्पेशल फ़ोर्स ज्यादा पॉवर के साथ सिचुएशन हैंडल करती है|
बस इसी उदाहरण को आप वैक्सीन, वायरस, एंटीबाडी और इम्युनिटी पर लागू कर के समझिये|
कोरोना वैक्सीन हमारे शरीर में कैसे काम करेगी?
वायरस दुश्मन है और अगर उसको रोका ना जाए तो नुक्सान पहुंचा सकता है| इसके लिए पहले तो हम दुश्मन को उसी जगह रोक देते हैं ताकि वो और फ़ैल कर जान माल का नुक्सान ना करें|
लेकिन इस दौरान हमारे साइंटिस्ट ये जान लेते हैं कि वायरस कैसे मार कर रहा है और उसी के आधार पर हम बना लेते हैं वैक्सीन|
ये वैक्सीन एक तरह का दुश्मन वायरस ही है, लेकिन इसके पंख काट दिए जाते हैं| जिसकी वजह से शरीर इससे लड़ने की तकनीक तो सीख जाता है (जैसे स्पेशल फ़ोर्स सीखती है) लेकिन ये पंख कटा वायरस हमें नुक्सान नहीं पहुंचा पाता है, बस हल्के-फुल्के लक्षण आते हैं| वो भी दो तीन दिन में ठीक हो जाते हैं|
इससे लड़ने की तकनीक हमारे शरीर में याददास्त के तौर पर कुछ ख़ास कोशिकाओं के जरिये(स्पेशल फ़ोर्स का एक्सपीरियंस) हमारी बोन मेरो में स्टोर हो जाती है|
इसके बाद जब भी भविष्य में दोबारा दुश्मन वायरस आता है,बेशक चाहे थोडा रूप बदल कर आये ( कोरोना वैरिएंट) लेकिन तब भी उसको शरीर का इम्यून सिस्टम उसे ज्यादा मजबूती और कम समय में मार भगाता है|
लड़ने की तकनीक ज्यादा मजबूत होगी अगर एक बार कोरोना का इन्फेक्शन होने के बाद वैक्सीन लगवाया गया हो| यानी एक अटैक को रोकने के बाद अगर तकनीक को और दुरुस्त कर लिया जाए, तो घंटों की बजाय मिनटों में दुश्मन खत्म|
कोरोना वैक्सीन इन्फ़ेक्शन होने के बाद लेने से कोई फ़ायदा होगा?
लेकिन अगर इन्फेक्शन के बाद कोरोना वैक्सीन ना लें तो तकनीक धीमी पड़ सकती है ,परन्तु उसके बाद सिर्फ एक डोज़ वैक्सीन भी मिल जाए तो शरीर टना-टन तैयार लड़ने के लिए|
जरुरी नहीं है कि तकनीक सिखने के लिए हर बार अटैक ही होना जरुरी है बल्कि नए भर्ती हुए स्पेशल फ़ोर्स को वैक्सीन रुपी ट्रेनिंग सेशन देकर भी तैयार कर सकते हैं|
उसके बाद अगर बिलकुल नया दूश्मन भी आया तो भी हमारे पास अटैक को ख़तम करने की बेसिक तकनीक तो है ही|
अब जाते-जाते टेक्निकल बातें, जिसको अपडेट करूंगा जल्दी ही| दो दिन पहले ही आई दो रिसर्च की वजह से कंफ्यूजन के बादल कुछ हट गए हैं|
- कोरोना की इन्फेक्शन होने के बाद अगर वैक्सीन लगवाई जाए तो इम्युनिटी 50 गुना तक ज्यादा बूस्ट हो सकती है कोरोना से लड़ने के लिए|
- अगर कोरोना इन्फेक्शन नहीं हुआ है, और आप वैक्सीन ले रहे हैं , तो वैक्सीन का बूस्टर या एक्स्ट्रा डोज़ की जरुरत पड़ सकती है|
- इन्फेक्शन के बाद एंटीबाडी का लेवल तो धीरे-धीरे कम हो जाता है, लेकिन भविष्य में उसी वायरस से दोबारा लड़ने की तकनीक ज्यादा मजबूती के साथ आपके बॉन मेरो में b मेमोरी सेल (memory B cells) के तौर पर स्टोर रहती है और समय आने पर एक्टिव होती है और ज्यादा एंटीबाडी बनाती है|
- वायरस को न्यूट्रेलाइज करने वाली सबसे मजबूत एंटीबाडी एक साल से ज्यादा बोन मेरो(bone marrow) में रहेगी और शायद इससे ज्यादा समय तक|क्योंकि रिसर्च एक साल तक ही की गयी है, इसलिए एक साल तक का क्लेम स्ट्रोंग है|
- कोरोना इन्फेक्शन होने के बाद अगर वैक्सीन लगवाई जाए तो आपकी इम्युनिटी नए कोरोना वैरिएंट से भी लड़ने ज्यादा पॉवर देगा|
भविष्य में जैसे-जैसे कोरोना और कोरोना वैक्सीन के बारे में खुलासे होंगे, हम आपको बतायेंगे और हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप शेयर करेंगे|
धन्यवाद
टीम हेल्थ की बात