क्या आप जानते हैं कि COVID-19 Vaccine trials Pregnant women में कैसे किये जाते है?
प्रेग्नेंट फीमेल्स में कोविड वैक्सीन की ट्रायल शुरू हो रही है दुनिया के अलग-अलग देशों में|
कोरोना वायरस को ऐसे लोगो को बीमार करने में मजा आता है जिनकी इम्युनिटी कम हो|
ऐसे ग्रुप की बात की जाए तो प्रेग्नेंट महिलाएं काफी ऊपर आएगी|
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प्रेग्नेंट महिलाओं में वैक्सीन ट्रायल की क्या जरुरत है?
कोरोना वैक्सीन आने के बाद एक सवाल हर कोने से उठ रहा था कि “अगर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल प्रेग्नेंट महिलाओं में हुआ ही नहीं है, तो उनको वैक्सीन देना कितना सुरक्षित है”|
हालांकि की दुनियाभर के एक्सपर्ट कोरोना वैक्सीन को प्रेग्नेंट फीमेल्स के लिए सुरक्षित(सेफ) मान रहे हैं|
सरकारों को प्रेग्नेंट महिलाओं को भी कोविड वैक्सीन लगाने के लिए रिकमेन्डेशन तक दे चुके हैं|
क्योंकि मौजूदा सभी कोविड वैक्सीन के साइड इफ़ेक्ट इतने ज्यादा नहीं है कि प्रेग्नेंट महिलाओं को वैक्सीन के फाय्दों से महरूम रखा जाए|
कुछ दिन पहले तक प्रेग्नेंट और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वैक्सीन नहीं लग रही थी|
भारत सरकार ने हाल-फिलहाल स्तनपान करवा रही महिलाओं को तो कोविड वैक्सीन लगाने के दिशा-निर्देश जारी कर दिए थे|
किसी भी नयी दवाई या वैक्सीन को किसी ग्रुप में देने से पहले उसके ट्रायल करना बहुत जरुरी होता है| यदि ट्रायल के रिजल्ट लोगों के हित में आते हैं तो उसे परमिशन दे दी जाती है|
आज के इस ब्लॉग में आपको बताएँगे कि आखिर इन ट्रायल्स में होगा क्या?
कोविड वैक्सीन ट्रायल के फायदे
प्रेग्नेंट फीमेल्स में कोविड वैक्सीन के ट्रायल के रिजल्ट से कुछ सवालों के जवाब मिलेंगे|
- प्रेग्नेंट फीमेल्स में कोविड वैक्सीन कितनी कारगर होगी कोरोना की इन्फेक्शन को रोकने में?
- प्रेग्नेंट फीमेल्स में कोविड वैक्सीन लगाने के बाद क्या-क्या साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं?
- क्या किसी प्रेग्नेंट फीमेल्स में कोविड वैक्सीन की वजह से जानलेवा घटना हो सकती है?
- कोविड वैक्सीन का प्रेग्नेंट फ़ीमेल के बेबी पर क्या कोई साइड इफ़ेक्ट है या नहीं?
- क्या माँ के शरीर में बनी एंटीबाडी उसके बेबी को भी प्रोटेक्शन दे सकती है? (मार्च में छपी एक रिसर्च ने इसको प्रूव कर दिया है)
- क्या प्रेग्नेंट फीमेल्स में कोविड वैक्सीन कोरोना के नए वेरिंट्स के खिलाफ भी काम करेंगे?
वैक्सीन ट्रायल कैसे होती है?
इन सवालों के पक्के जवाब जानने के लिए सबसे बढ़िया रिसर्च तकनीक है: “डबल ब्लाएंडेड रेंडोमाईज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल” (double blinded randomized controlled trial)|
थोडा सा टेक्निकल टर्म है, लेकिन हम आपको सिंपल करके बताते हैं|
ट्रायल में भाग लेने वाली प्रेग्नेंट महिलाओं को दो ग्रुप में बाँट दिया जाएगा| कौन महिला किस ग्रुप में जायेगी, ये सब रैंडम तरीके से होगा|
कोई भी किसी भी ग्रुप में जा सकता है और इस पर किसी का कंट्रोल नहीं होगा|
वैसे तो ये काफी डिटेल प्रोसीजर होता है, लेकिन अगर सीधी भाषा में समझे, तो हर महिला को एक नंबर अलोट किया जाएगा|इस तरह से सभी प्रतिभागियों को नंबर दिया जाएगा|
अब रैंडम तरीके से( ये तरीके कई तरह के हो सकते हैं, जैसे लाटरी से, कंप्यूटर से इत्यादि) इन सभी नंबर को दो ग्रुप में बाँट दिया जाएगा |
एक ग्रुप में असली वैक्सीन लगाईं जायेगी, और उस ग्रुप को इंटरवेंशन आर्म कहा जाएगा|
दुसरे ग्रुप में वैक्सीन के जैसे हुबहू दिखने वाली प्लेसिबो दिया जाएगा और इसको कंट्रोल आर्म कहा जाएगा|
इस ग्रुप में वैक्सीन नहीं दिया जाएगा| घबराए नहीं, उन महिलाओं को कोई धोखा नहीं दिया जाता है बल्कि पूरा प्रोसीजर बताया जाता है|
यह बात भी साफ़-साफ़ बताई जाती है कि
“ ना ही तो ट्रायल करने वाले साइंटिस्ट को और ना ही ट्रायल में भाग लेने वाली महिलाओं को, इस बात का पता लगेगा कि किसको वैक्सीन लगी है और किसको प्लेसिबो लगी है”| इसी वजह से इसको डबल ब्लाइंड कहा जाता है| साइंटिस्ट भी अनजान और भाग लेने वाला भी अनजान|
अगर ऐसा नहीं करेंगे तो परिमाण एक तरफ़ा या झूठे आ सकते हैं और वैक्सीन का सही असर का पता नहीं चलेगा|
ट्रायल में भाग लेने वालों को क्या-क्या बताया जाएगा?
सभी प्रतिभागियों को ट्रायल के फायदे और नुक्सान बताये जाते हैं| अगर कोई दिक्कत होती है तो उसको कंपनसेशन भी दिया जाता है|
पूरी प्रोसीजर सुनने और समझाने के बाद अगर कोई हिस्सा लेना चाहता है तो उसे एनरोल कर लेते हैं|
अगर सब जानने के बाद कोई ट्रायल में हिस्सा नहीं लेना चाहते तो वो जा सकते हैं| यह पूरी तरह से स्वैच्छिक होता है|
ना ही तो कोई जोर ज़बरदस्ती कर सकता है और ना ही उसको हेल्थ सर्विस देने से मना कर सकता है, अगर किसी ने भाग लेने से मना कर दिया है तो|
मान लीजिये किसी ने शुरू में भाग ले लिया और बाद में ट्रायल के बीच में मन बदल जाए तो वह भी ट्रायल को छोड़ सकते हैं, वो भी बिना कोई कारण दिए|
बस इन्फॉर्म करना होगा और अगर स्वेच्छा से कारण बताना चाहे तो बता सकते हैं|
प्लेसिबो वालो को वैक्सीन कब लगेगा?
किस को कौन सा इंजेक्शन लगा है (प्लेसिबो या वैक्सीन), इस बात का खुलासा डिलीवरी होने के बाद किया जाएगा|
उसके बाद जिनको प्लेसिबो लगा है वो कोविड की वैक्सीन लगवा सकती हैं|
जिन प्रेग्नेंट फीमेल्स को कोविड वैक्सीन लगा है उनके बच्चों को डिलीवरी के बाद छ महीनो तक मॉनिटर किया जाता है|
इस दौरान बच्चे में इम्युनिटी या किसी तरह के साइड इफ़ेक्ट को चेक किया जाता है|
कोविड वैक्सीन ट्रायल में कौन भाग नहीं ले पायेगा
जिन प्रेग्नेंट महिलाओं ने ट्रायल से पहले वैक्सीन ले लिया है, उनको इसमें शामिल नहीं किया जाएगा|
जो प्रेग्नेंट फीमेल्स की प्रेगनेंसी 24 से 34 हफ़्तों की है सिर्फ उन्ही को इसमें लिया जाएगा|
ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यह समय सबसे स्टेबल समय होता है|
शुरुआत में बेबी के बॉडी पार्ट बन रहे होते हैं| और अगर वैक्सीन का कोई बुरा प्रभाव पडा तो वो वैक्सीन प्रोग्राम को झटका दे सकता है और बेबी को भी|
आखिरी के हफ़्तों को इसलिए निकाला जाता है क्योंकि बहुत प्रेगनेंसी समय से पहले भी हो जाती है, इसलिए वैक्सीन का प्रभाव नहीं देखा जा सकेगा|
मेरा मानना है कि इन ट्रायल के रिजल्ट अच्छे ही आयेंगे और बहुत सारी महिलाओं को इसका फ़ायदा होगा|
सी डी सी एटलांटा के एक्सपर्टस का भी यही कहना है कि कोविड वैक्सीन प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए भी सेफ रहेगी|
इन ट्रायल के बाद पूरे कॉन्फिडेंस के साथ दुनियाभर की प्रेग्नेंट फीमेल्स को ये वैक्सीन लगवाई जायेंगी|
उम्मीद करता हूँ कि ये जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आप इसे शेयर करने के बारे में विचार करेंगे|
धन्यवाद