“व्हाट्सअप पर एक फ्री की जानकारी बहुत ही भयंकर तरीके से शेयर हो रही है | जिसमे बताया गया है कि टाइफाइड और कोविड-19 दोनों बीमारियाँ एक साथ हो रही है, और इसी वजह से लोग बहुत ज्यादा सीरियस हो रहे हैं|”
चलिए ! इन दोनों बबाल बीमारियों की मिली भगत को समझने के लिए सबसे पहले विडाल टेस्ट (WIDAL TEST) और टाइफी डॉट एम् (TYPHI.M) के विज्ञान को समझते हैं|
टाइफाइड का इन्फेक्शन सालमोनेला टाइफी (S. typhi) नाम के बैक्टीरिया और इसके परिवार के भाई-बंधुओं की वजह से होता है| इसको कन्फर्म करने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किये जाने वाले टेस्ट है- विडाल और टाइफी.एम |
जैसे ही टाइफाइड का इन्फेक्शन होता है, वैसे ही शरीर का रोग-प्रतिरोधक (इम्यून सिस्टम) हरकत में आ जाता है और एंटीबाडी बनाना शुरू कर देता है| विडाल और टाइफी.एम टेस्ट इन्ही एंटीबाडी को पकड़ते हैं, और बताते हैं अगर आपको टाइफाइड का इन्फेक्शन है या नहीं|
टाइफी.एम इन्फेक्शन होने के दो-तीन दिन के अंदर रिजल्ट दे सकता है, लेकिन विडाल इन्फेक्शन होने के एक हफ्ते बाद रिजल्ट दे पाता है| दोनों ही टेस्टों की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इनके रिजल्ट टाइफाइड के अलावा कोई दूसरी इन्फेक्शन की वजह से भी पॉजिटिव आ सकते हैं| ब्लड कल्चर ही बेस्ट टेस्ट है टाइफाइड को कन्फर्म करने का,वो भी पहले हफ्ते में ही|
आइये अब बात करते हैं कि कोरोना एक वायरस होने के बावजूद इन दो टेस्टों के पचड़े में कैसे फस गया है?
जैसे ही कोरोना वायरस शरीर में दाखिल होता है,वैसे ही शरीर का इम्यून सिस्टम उसको पहचान करके एंटीबाडी बनाता है | और जब किसी को बुखार होता है और जब वो अपना विडाल या टाइफी.एम करवाता है, तो ये टेस्ट इन एंटीबाडी को भी पकड़ लेता है| जिसकी वजह से ये भ्रम हो जाता है कि टाइफाइड का इन्फेक्शन है| या यूँ कहिये की मरीज खुश हो जाता है कि चलिए कम से कम कोरोना नहीं है| और इसी भ्रम में अपना कोरोना टेस्ट भी नहीं करवाते हैं |
लेकिन जब छठे या सातवें दिन जाके तबियत बिगड़ती है, तो पता चलता है कि फेफड़ों की हालत काफी खराब हो गयी है| इस सिचुएशन में ऑक्सीजन के साथ-साथ हॉस्पिटल में एडमिट होने की जरुरत होगी | क्योंकि हॉस्पिटल में जगह मिलने में कितनी परेशानियां होती है, तो फिर आप समझते हो कि किस तरह के हालत पैदा हो जाते हैं |
तो अब किया क्या जाए?
पहले तो ये समझिये कि टाइफाइड के ज्यादातर लक्षण कोरोना की इन्फेक्शन से मिलते-जुलते हैं| टाइफाइड के लिए हमारे पास मे बहुत सटीक इलाज है, लेकिन कोरोना के लिए बहुत सटीक इलाज़ नहीं है|
अगर आपने अपना टाइफाइड का टेस्ट करवा भी लिया है और वो पॉजिटिव आ गया है तो आपको तुरंत अपना कोरोना का RT-PCR टेस्ट भी करवा लेना चाहिए| अपने आप को आइसोलेट कर लीजिये ताकि दूसरों को इन्फेक्शन न फैले कोरोना का और डॉक्टर से सलाह लेके अपना कोरोना के लिए ट्रीटमेंट लेना शुरू कीजिये| अपने डॉक्टर को टाइफाइड टेस्ट के बारे में भी बताइये, उनको लगेगा तो अपने आप टाइफाइड का ट्रीटमेंट भी उसमे जोड़ देंगे| वैसे भी कोरोना में दी जाने वाली कुछ शुरूआती एंटीबायोटिक टाइफाइड के लिए भी अच्छा ट्रीटमेंट हैं|
इसलिए आखिरी बात ये है कि-
अगर ये जानकारी आपको क्लैरिटी देने में कामयाब हुई, तो इसको शेयर करने के बारे में विचार जरुर कीजिये| क्योंकि इस कोरोना महामारी के समय में अफवाहों को फैलानें से रोकना और सही जानकारी शेयर करना भी अपने आप में मानवीय मदद है| ज़रा सोचियेगा इस बारे में|
धन्यवाद
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