Dengue Fever के लक्षण, डायग्नोसिस, इलाज, बचाव | Dengue fever symptoms, diagnosis, treatment, prevention, home based care
अगर आप इस ब्लॉग को आखिर तक पढ़ते है तो हम आपको भरोसा दिला सकते हैं कि आपको dengue fever के लक्षण, डायग्नोसिस, इलाज, बचाव के बारे में काफ़ी जानकारी हो जाएगी, जो आपको डेंगू बुख़ार से लड़ने में सहायक होगी।
समय पर डेंगू बुखार के लक्षणों को पहचान कर और सही इलाज लेने से खतरनाक डेंगू बुखार से मरने के चांस 20% से 1% तक घटाया जा सकता है|
जून जुलाई की तमतमाती गर्मी के बाद जैसे ही मानसून आता है, हमको बहुत राहत मिलती है कि भैया मानसून आ गया है और गर्मी जा रही है| लेकिन जैसे मानसून आता है उसके साथ में कुछ खतरे, कुछ पैनिक भी आते हैं|
पैनिक भी कुछ ऐसे-ऐसे की जिन चीजों को पूरे साल कोई नहीं पूछता है, उन चीजों के भी भाव बढ़ जाते हैं, जैसे कि बकरी का दूध, पपीते के पत्ते और ना जाने क्या|
सोशल मीडिया भी अलग-अलग तरीके से जानकारी फैलाता है लेकिन ज्यादातर सही नहीं होती है| बल्कि अफवाहें सही जानकारी से ज्यादा घर कर जाती है लोगो के जहन में|
आप यू ट्यूब को ही ले लीजिये| आप उसपे टाइप कीजिये dengue fever और आपको मिलेंगे दुनिया भर के विडियो| आप उनमे से दस विडियो अपनी पसंद के छांट लीजिये और उन विडियो को ध्यान से देखिये| आपको ज्यादातर में सही और साइंटिफिक नॉलेज नहीं मिलेगी जो आपकी वाकई हेल्प कर सके|
हमारा यह ब्लॉग इसी वजह से ज्यादा डिटेल से लिखा गया है ताकि आपको डेंगू बुखार से जुड़े सभी पहलुओं के बारे में कम से कम उतनी जानकारी तो हो जाए जितनी एक आम भारतीय के पास होनी चाहिए|
तो आइये शुरू करते हैं|
वो कहते हैं ना कि जंग जीतने के लिए दुश्मन का इतिहास पता होना जरुरी है| किसी ने ऐसा नहीं कहा था, बस डेंगू की हिस्ट्री को लांच करने से पहले एक लाइन मैंने ही अपने मन से लिखनी थी| इसलिए लिखी|
Table of Contents
डेंगू बुखार का इतिहास
वैसे तो डेंगू बुखार का इतिहास सदियों पुराना है जब इसको वाटर पाइजन भी कहते थे जो कि उड़ने वाले कीटों से फैलता है, लेकिन सही से डोक्युमेनटीड इतिहास 200 से 250 साल पुराना है| जैसे-जैसे हम इंसानों का लाइफ स्टाइल बदला वैसे-वैसे डेंगू वायरस और इसको फैलाने वाले मच्छर का भी स्टाइल बदला|
यही कारण है कि, जो सबसे खतरनाक डेंगू, जिसको हम डेंगू हेमोर्हेजिक (dengue hemorrhagic fever) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (dengue shock syndrome) कहते हैं, वो लगभग 1950 के बाद से ही रिपोर्ट हो रहा है जब फिलीपींस और थाईलैंड में खतरनाक डेंगू के मामले सामने आये|
ऐसा नहीं है की हम सिर्फ हम भारतीय ही इस बिमारी से लड़ रहे हैं, बल्कि इस दुनिया के सौ से ज्यादा देश इस लड़ाई में शामिल है| या यूँ कहिये की इस दुनिया की लगभग आदि जनसँख्या डेंगू का हर साल सामना करती है|
लेकिन पूरी दुनिया के मामलों का 70% हिस्सा एशिया महादीप में है|अब तो धीरे धीरे खतरनाक डेंगू के मरीज भी ज्यादा एशिया और लैटिन अमेरिका में ही ज्यादा होते हैं|
और एक ये कमबख्त डेंगू का बुखार है, जो हर साल हमको ठेंगा दिखाके चला जाता है, और बोलके जाता है कि मैं अगले साल फिर आऊंगा और इतने लोगों को अपने साथ लेके जाउंगा, तुम कुछ कर सकते हो तो करके देख लो|
चलिए डेंगू बुखार का भयंकर इंट्रोडक्शन तो हो गया| अब इसके सारे राज जान लेते हैं|
डेंगू बुखार क्या है? (What is Dengue Fever?)
डेंगू का बुखार एक आम वायरल बुखार की तरह होता है| इसको अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे डेंगू, डेंगी, ब्रेक बॉन फीवर, हड्डी तोड़ बुखार, डांडी फीवर|
यह एक फ्लावि-विरिडी नाम के खानदान की डेंगू वायरस फॅमिली की वजह से फैलता है| इस परिवार में डेंगू-1, डेंगू-2, डेंगू-3, डेंगू-4 नाम के चार वायरस भाइयों की चौकड़ी है| इन सबके घर के छोटे नाम है DEN-1, DEN-2, DEN-3, DEN-4.
डेंगू वायरस के चाचा ताया के बच्चे भी इन्ही की तरह बड़े खतनाक बुखार करते हैं | वेस्ट नील फीवर (West Nile Fever), येलो फीवर (Yellow Fever), जापानीज इन्सेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis), ज़िका वायरस (Zika Virus) जैसे बुखार भी इसी खानदान के वायरस ही करते हैं|
अब सवाल ये है कि इंसानों को
डेंगू बुखार किन कारणों से होता है? (What are the causes of Dengue Fever?)
सिर्फ वायरस के खतरनाक होने से कुछ नहीं होता है, बल्कि इंसानो तक पहुँचने के लिए इनको कोई न कोई सहारा चाहिए होता है| कोई व्हीकल चाहिए होता है| कोई सवारी चाहिए|
उस व्हीकल का नाम एडीज मच्छर| इसी मच्छर के काटने से इंसानो के अंदर डेंगू वायरस पहुँच जाता है और आपको बीमार कर सकता है|
इसके अलावा बहुत ही रेयर/विरला मामले संकर्मित खून चढाने, गर्भवती माँ से गर्भ में बेबी को, नीडल इंजरी से, ओरगन ट्रांसप्लांट आदि से भी रिपोर्ट किये गए हैं|
अच्छी बात यह है कि यह इन्फेक्शन एक इंसान से दुसरे इंसान में नहीं फैलती है (जिस तरह से कोरोना जैसी इन्फेक्शन फैलती है)| यह वायरस हलके बुखार से लेकर जानलेवा बुखार तक का रूप धारण कर सकता है|
अब हम आपको डेंगू मच्छर के लाइफ स्टाइल के बारे में बताने जा रहे हैं| इसको जानना इसलिए बहुत जरुरी है क्योंकि इसी के आधार पर हम इससे छुटकारा पाने का तरीका ढूंढेंगे| इसलिए ध्यानपूर्वक समझियेगा|
डेंगू का मच्छर कैसा होता है? Dengue Mosquitoe (Aedes aegypti and Aedes albopictus)
डेंगू बुखार मुख्यत एडीज मच्छर परिवार के दो सदस्य: एडीज एजिप्टी और एडीज अल्बोपिक्ट्स के काटने से होता है| इंडिया में मुख्यतः एडिज एजिपटि ही डेंगू फैलाता है।
सिर्फ मादा मच्छर ही इंसानों को काटती है क्योंकि इसको अंडे देने के लिए कुछ प्रोटीन और विटामिन चाहिए होते हैं जो स्तनधारी जानवरों में मिलते हैं| क्योंकि इंसान सबसे सुपीरियर स्तनधारी है इसलिए इंसानों का खून बहुत पसंद है इसको|
नर मच्छर घास फूस, फूलों का रस इत्यादि से काम चला लेता है|
एशिया महादीप में बाकी जगह अल्बोपिक्ट्स की दादागिरी चलती है| यह बहुत ही जल्दी मौसम के हिसाब से ढलने लगता है| एडीज अल्बोपिक्टस मच्छर को एशियाई टाइगर भी कहते हैं| छोटे, काले और सफेद रंग कि धारियों कि वजह से इसको इस नाम से पुकारा जाता है|
वैसे तो इसका पसंदीदा भोजन इंसान का खून होता है लेकिन अगर उपलब्ध नहीं है तो इसको दूसरे स्तनधारी जानवर जैसे की कुत्ता,बिल्ली, भैंस इत्यादि से भी कोई परहेज नहीं है|
आपको काफी अचरज होगा यह जानकर कि कैसे अल्बोपिक्टुस एशिया से निकलर 27 देशों में पहुँच गया|
अस्सी के दशक में इसके अंडे सूखी अवस्था में टायरों और लक्की बांस में पड़े रहते थे बारिश होने के इंतज़ार में| जब इन टायरों और बांसों को अमेरिका में एक्सपोर्ट किया गया तो वहा जाकर जैसे ही बारिश या पानी मिला इन अण्डों में से मच्छर बन गए| बाकी आप समझते हैं|
एडिज मच्छर हम इंसानों के लाइफ़्स्टायल को बहुत अच्छे से समझता है। ये यह भी जानता है कि उसको पानी का कलेक्शन कहाँ-कहाँ मिलेगा। यह बहुत तेज़ी से उस पानी में बढ़ता है जो पानी एक हफ़्ते से ज़्यादा खड़ा रहता है।(बात रखियेगा, काम आएगी)
इसको अंडे देने के लिए समुन्दर नहीं चाहिए होता है बल्कि चुल्लू भर पानी भी काफी है| (इस बात को याद रखियेगा क्योंकि इससे बचाव के लिए ये जानकारी काम आएगी|
डेंगू का मच्छर किस वक़्त काटता है? (What is the peak time for dengue mosquitoe)
दोनों एडीज मच्छर ज्यादातर दिन के वक्त काटता है| सूरज निकलने के दो घंटे बाद और सूरज डूबने से दो घंटे पहले तक का समय इसके लिए सबसे बेस्ट टाइम होता है| (बात याद रखियेगा, काम आएगी)
एजिप्टी ज्यादातर घरों के अंदर रहता है, लेकिन अल्बोपिक्ट्स अंदर बाहर दोनों जगह रहता है|
यह मच्छर बहुत तेजी के साथ काटता है और जब तक हम इसके मारने की कोशिश करते हैं इतनी देर में तो उड़ ही जाता है| यह मच्छर दो सौ मीटर से ज्यादा लम्बी दूरी तक नहीं उड़ पाता है| यही वजह है कि एक ही एरिया में डेंगू के कई सारे मरीज मिलेंगे|
यह मच्छर एक दिन में एक से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बनाता है| इसलिए दो चार मच्छर भी काफी होते हैं एक एरिया में काफी लोगो को बीमार करने के लिए| या यूँ कहिये कि डेंगू से छुटकारा पाने या बचाव कर पाना एक परिवार का काम नहीं बल्कि पूरे समाज का काम है|
हम इंसान इस मच्छर को सिर्फ अपना खून ही नहीं देते हैं ताकि ये अंडे दे सके, बल्कि इसको अंडे देने के लिए सुरक्षित और बढ़िया जगह भी प्रोवाइड करते हैं| इसलिए आसपास अगर डेंगू की इन्फेक्शन फ़ैल रही है तो इसके इसकी वजह मच्छर कम बल्कि हम लोग खुद ज्यादा जिम्मेदार हैं|
यह हमारे आसपास शांत और अंधेरी जगह जैसे की बेडरूम, बाथरूम, किचन, कर्टेन के पीछे आराम करता है। अंडे देने के लिए यह ज्यादातर आर्टिफीसियल कंटेनर को ज्यादा पसंद करता है, खासतौर पर बड़े और चौड़े मुंह वाले बर्तन जैसे कि टायर, गमला, पालतू पशुओं के लिए पानी के बर्तन इत्यादि|
यह बहुत ही स्मार्ट तरीक़े से पानी की सतह पर अपने अंडे देती है और अंडे में भी चौबीस घंटे में ही एम्बरीयो बन जाता है। यह बर्तन की दिवार पर सेकंडों अंडे देती है| इसके अंडे एक चिपचिपे ग्लू की तरह से बर्तन की सतह पर चिपक जाते हैं|
पानी निकालने के बाद भी ये चिपके रहते हैं और जैसे ही अण्डों पर पानी दुबारा गिरेगा ये उस ग्लू से बाहर आने लग जाएंगे| ये तब तक चिपके रहते हैं जब तक बर्तन को रगड़ कर साफ़ ना किया जाए|
इसके अंडे एक साल तक भी सुखी जगह पर बिना पानी के सर्वाइव कर सकते हैं।
जैसे ही सर्दियां आएँगी तब यह अंडे अगली बारिश तक इंतज़ार करते हैं और जैसे ही इनकी पसंद का मौसम आएगा तब ये अंडे नए मच्छर बन जाते हैं|
इसलिए जब भी आप हर हफ्ते कूलर साफ़ करें या सर्दियों में साफ़ करके रखें तो उसे रगड़ कर धोये और उसके बाद अच्छे से सुखा कर ही रखें या इस्तेमाल करें|
डेंगू का बुखार किस महीने में सबसे ज्यादा होता है? (What is the peak season for dengue fever?)
डेंगू की इन्फ़ेक्शन का पीक सीज़न अगस्त के मध्य से लेकर नवंबर तक भी मिलते हैं। अब आप पूछोगे कि इस सीज़न में क्यों ज़्यादा होते हैं?
क्योंकि अगर वातावरण का तापमान 16 डिग्री सेल्सीयस से कम या 41-42 डिग्री सेल्सीयस से ज़्यादा हो तो यह मच्छर ज़िंदा नहीं रह पाता है। और ये आप जानते ही है कि अगस्त से नोवेम्बर के दौरान कैसा मौसम होता है।
डेंगू बुखार का मच्छर कैसे इन्फेक्शन फैलाता है?(How Dengue Mosquitoes spread the infection?)
जब डेंगू मच्छर किसी ऐसे व्यक्ति को काटता है जिसमें डेंगू का इन्फ़ेक्शन होता है, तो इन्फ़ेक्शन डेंगू मच्छर के अंदर पहुँच जाती है| मच्छर के पेट में वायरस अपनी संख्या बढाता है, जिसको मेडिकल भाषा में वायरस रेप्लिकेस्न कहते हैं|
रेप्लिकेस्न के बाद वायरस मच्छर के शरीर में फ़ैल जाता है और इसके थूक की ग्रंथियों में पहुँच जाता है| वायरस की वजह से मच्छर को कोई दिक्कत नहीं होती है|
इस पूरी प्रोसेस के बाद मच्छर वायरस को दूसरे व्यक्ति में फैलाने के लिए तैयार हो जाता है।
एक बार एक मच्छर वायरस फैलाना शुरू कर देता है तो वह अपने पूरे जीवन भर वायरस को फैलाता है। इस व्यसक मच्छर का जीवन काल आठ से दस का ही होता है। (थैंक गॉड!!!) अंडे देने से पहले यह इंसानों का खून चूसता है|
खून चूसने के चार या पांच दिन बाद मादा मच्छर पानी की सतह पर अंडे देती हैं| यह अंडे बारिश के पानी में फुटकर लार्वा बन जाते हैं| एक मच्छर की लगभग तीन हफ़्तों की ज़िंदगी में सात से नौ दिन लग जाते हैं अंडे से पूरा मच्छर बनने में|
मच्छर काटने के चार से सात दिन बाद इन्फेक्शन के लक्षण आना शुरू हो जाते हैं| अब इस व्यक्ति को अगर कोई ऐसा डेंगू मच्छर काटेगा जिसमे डेंगू वायरस नहीं है तो उस मच्छर में भी वायरस फैलाने की क्षमता आ जायेगी|
लेकिन इस क्षमता को पाने के लिए मच्छर को डेंगू फैलाने के लिए डेंगू से ग्रसित व्यक्ति को इन्फेक्शन के पहले पांच दिन में ही काटना होगा|
क्योंकि इस वक़्त उस इंसान के शरीर में डेंगू वायरस की संख्या सबसे ज्यादा होती है| इसके बाद तो एंटीबाडी बन जाती है और वायरस की संख्या कम हो जाती है| (बात रखियेगा, काम आएगी)
किसी भी इन्फेक्टेड इंसान के खून में वायरस लक्षण आने के दो दिन पहले से लेकर बुखार उतरने के दो दिन बाद तक रहता है|
अब इस बुखार के लक्षणों कि तरफ बढ़ने से पहले आपके लिए यह जानना बहुत जरुरी है कि
डेंगू बुखार कितनी टाइप का होता है?(What are the types of Dengue Fever?)
dengue fever हर साल बहुत ज्यादा डराता है इसलिए इसकी एक एक नस को समझना बहुत जरुरी है| उससे पहले आप सभी से एक अपील है|
खतरनाक डेंगू हर एक डेंगू बुखार में नहीं होता है| ज्यादातर में ये अपने आप ही ठीक हो जाता है और हर एक डेंगू के मरीज को हॉस्पिटल में दाखिल करने की जरुरत नहीं है तथा हॉस्पिटल में दाखिल हर एक डेंगू मरीज को प्लेटलेट चढाने की जरुरत नहीं होती है|
dengue fever चार तरह का होता है| बहुत ही संक्षेप में जान लीजिये|
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सिंपल फीवर
इसको आप अदृशय डेंगू बुखार भी कह सकते हैं (INAPPERENT DENGUE इन्फेक्शन) क्योंकि इसमें सिम्पल वायरल बुखार की तरह डेंगू के लक्षण आते हैं| इसी वजह से बहुत लोगो को तो पता ही नहीं चलता की कब उनको डेंगू हुआ और कब अपने आप ठीक भी हो गया है|
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क्लासिकल डेंगू फीवर
इसको क्लासिकल इसलिए कहते है क्योंकि इसमें डेंगू बुखार से जुड़े खास लक्षण नज़र आते हैं| इन लक्षणों के बाद काफी हद तक अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीज को डेंगू का इन्फेक्शन हो गया है|
क्लासिकल डेंगू फीवर को ब्रेक-बोन फीवर भी कहते हैं, क्योंकि इसमे मरीज को हड्डियों में इतना दर्द मह्सूस होता है कि जैसे उसकी हड्डियां टूट चुकी हो|
इसमें आठ से दस दिन के अंदर पूरी तरह से रिकवरी भी हो जाती है| इसमें अस्सी प्रतिशत मरीजों में बुखार के तीसरे दिन शरीर पर दाने होने लग जाते हैं|
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डेंगू हेमोरहेजिक फीवर
यह खतरनाक डेंगू का पहला कदम होता है| इसमें हमारी सिराओं कि दीवारों में लीकेज हो जाता है| जिसकी वजह से खून जमाने के तत्व कम हो जाते है| जिसमे से प्लेटलेट के बारे में आपने सूना होगा|
लीकेज की वजह से खून गाढ़ा हो जाता है और उसकी मूवमेंट धीमी हो जाती है| शरीर के अलग अलग अंगों और हिस्सों में ब्लीडिंग होने लगती है|
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डेंगू शॉक सिंड्रोम
बहुत लीकेज की वजह से मरीज का बी पी कम हो जाता है, सांस फूलने लगती है| ब्लीडिंग बहुत ज्यादा होने लगती है जिसकी वजह से शरीर के विभिन अंगों तक खून सही से नहीं पहुंचता है| बाद में हर एक अंग के अनुसार दिकतें हो जाती है|
अब बात करते हैं कि
डेंगू बुखार के लक्षण क्या-क्या होते हैं? What are the symptoms of dengue fevers?
जब भी डेंगू के मामले ख़बरों में आने लगते हैं तब सभी के दिमाग में एक सवाल आता है कि कैसे पता चलेगा कि आपको डेंगू का बुखार हुआ है? मच्छर के काटने के चार से दस दिन बाद(ज्यादतर में 5 दिन बाद) लक्षण आना शुरू हो जाते हैं| (भूलिए मत कि ज्यादातर में लक्षण आते ही नहीं या ना के बराबर)| हम बात कर रहे है उनकी जिनके अंदर लक्षण आते हैं|
सबसे ज्यादा होने वाला और डेंगू का ख़ास लक्षण है बुखार|
अगर डेंगू सीजन में आपको तेज बुखार (जो थर्मामीटर में 40 डिग्री सेल्सियस /104 डिग्री फारेन्हाईट) के साथ नीचे लिखे लक्षणों में से दो लक्षण है तो समझिये की आपको डेंगू होने की संभावना बहुत ज्यादा है| कौन से है वो लक्षण-
इससे अगर आपको पिछले छह से सात दिन से 38 डिग्री सेल्सियस तक या इससे ज्यादा बुखार हो रहा है| और बुखार के साथ-साथ नीचे लिखे हुए लक्षणों में से कोई दो लक्षण आ रहे हैं तो आपको डेंगू का बुखार होने की सम्भावना काफी जयादा है|
- बहुत तेज सर में दर्द होना
- आँखों में दर्द होना: रेट्रोऑर्बिटल दर्द होता है जिसमे आँखों के पीछे दर्द होता है खासतौर से आँखों की मूवमेंट के साथ|
- जोड़ो में बहुत तेज दर्द होना- शायद आपको ऐसा जोड़ों में दर्द कभी हुआ ही नहीं होगा| जैसे की हड्डी टूट गयी हो|
- स्किन पर दाने आना
- हलकी-फुलकी ब्लीडिंग होना (नाक, मसूढों से), आसानी से स्किन पर नील पड़ना
- जी मितलाना और उलटी होना
पहले पांच से सात दिन तक बुखार के लक्षण रहेंगे| इन्ही दिनों में ही शरीर में डेंगू का वायरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है|
बुखार उतरने के बाद चार से सात दिन तक अच्छा हो जानेवाला फेज होता है जिसको कँवलेसन्ट फेज कहा जाता है| और सबसे ज्यादा सावधानी और खतरनाक समय भी यही होता है| बुखार उतरने के 24 से 48 घंटे का समय बहुत अहम् होता है|
खतरनाक डेंगू आमतौर पर बुखार उतरने के बाद ही शुरू होता है| इसलिए इस समय में मरीज और परिवार के लोगों को ये पता होना चाहिए कि
खतरनाक डेंगू बुखार के क्या लक्षण है? What the warning signs are of sever dengue fever?
आपको ये तो याद होगा कि डेंगू हेमोर्हेजिक फीवर और शॉक सिंड्रोम को ही खतरनाक डेंगू कहा जाता है| इसके होने का सबसे ज्यादा खतरा
-जिनमे पहले डेंगू इन्फेक्शन पहले हो चुकी हो
-एक साल से छोटे बच्चे
-गर्भवती महिलाएं
इनके लक्षणों को जानना इसलिए जरुरी है क्योंकि समय पर लक्षणों को पहचान कर और सही इलाज लेने से खतरनाक डेंगू से मरने के चांस 20% से 1% तक घटाया जा सकता है|
बुखार उतरने के 24 से 48 घंटे में अगर आपको इनमे से कोई भी लक्षण नज़र आये तो तुरंत बिना देरी किये अस्पताल पहुँच जाइए|
-पेट में बहुत तेज दर्द होना
-लगातार उल्टी आना (24 घंटे में तीन बार)
-उल्टी में खून आना
-सांसें तेज चलना या सांस लेने में परेशानी होना
-मसूढ़ो से खून निकलना
-बहुत ज्यादा थकान होना या बैचनी होना
वक़्त रहते खतरनाक डेंगू की पहचान और सही समय पर डॉक्टर की विजिट करने से काफी मौतों को कम किया जा सकता है|
हालांकि अभी भी तक डेंगू बुखार का को इलाज़ नहीं उपलब्ध है इसलिए टाइम से पहचान और सही सपोर्टिव केयर ही एकमात्र इलाज है|
अब आपको ये जानने की बैचनी हो रही होगी कि
डेंगू हेमोरहेजिक और डेंगू शॉक सिंड्रोम क्यों होता है? (What are the cause of Dengue Haemorhagic Fever-DHF and Dengue Shock Syndrome-DHS?
आप अपने पूरे जीवन में चारों डेंगू वाइरस से इन्फ़ेक्ट हो सकते हैं। अब आपके दिमाग़ में सवाल आ रहा होगा की जब सभी वायरस से इंफ़ेक्ट हो सकते हैं तो सबको ख़तरनाक वाला डेंगू तो नहीं होता है।
जैसे की हम सब भाई बहनों का आपस मैं सीक्रेट कोड होता है कि क्या बात ममा-पापा को नहीं बतानी है या उनको पता नहीं चलनी चाहिए| ठीक वैसे ही डेंगू वायरस फॅमिली के चार भाइयों में भी एक कोड चलता है| ये चारों इस कोड के हिसाब से ही काम करते हैं|
इस कोड को कुछ इस तरह से समझिये कि अगर इस सीजन में डेंगू-1 वायरस की वजह से फीवर हो गया है तो उस इंसान को जीवन भर डेंगू-1 का इन्फेक्शन नहीं होगा| हमारा शरीर डेंगू-1 के खिलाफ बहुत अच्छी एंटीबाडी बना लेता है कि उसको लाइफ लॉन्ग इम्युनिटी रहती है| डेंगू वायरस-1 आपको परेशान नहीं कर पायेगा| मच्छर में अगर डेंगू-1 वायरस है तो उसके काटने से आपको डेंगू नहीं होगा|
लेकिन ठहरिये, यहीं पर असली पेच है| जब किसी को पहली बार डेंगू के किसी एक भाई से इन्फेक्शन हो गया है तो उसको ज्यादा प्रॉब्लम नहीं होती है| हल्की-फुलकी इन्फेक्शन होकर ठीक हो जाती है| इसको प्राइमरी इन्फ़ेक्शन कहते हैं।
डेंगू-1 एंटीबाडी कुछ समय के लिए तो डेंगू-2,3,4 से भी बचाएगी, ज्यादा से ज्यादा तीन चार महीने, लेकिन उसके बाद नहीं| इसको पार्शियल क्रॉस इम्युनिटी कहते हैं| साधारण भाषा में बोले तो एक भाई दुसरे भाई की शर्म करता है, लेकिन कुछ दिनों तक ही करता है|
प्राइमरी इन्फ़ेक्शन की वजह से हमारा इम्यून सिस्टम सेन्सिटायज़ हो जाता है और उस वाले डेंगू वाइरस के खिलाफ ऐंटीबाडी बना लेता है। लेकिन जब इसी इंसान को दुबारा इन्फेक्शन हो जाती है डेंगू के किसी दुसरे भाई से तो इन्फेक्शन बहुत खतरनाक रूप ले सकती है| जिसको हम डेंगू शॉक सिंड्रोम या डेंगू हेमोर्हेजिक फीवर कहते है|
ख़तरनाक डेंगू हेमोर्हेजिक बुख़ार का ख़तरा पहली बार डेंगू इन्फ़ेक्शन के बाद मात्र 0.2% के क़रीब ही होता है। लेकिन यही ख़तरा दस गुना बढ़ जाता है जब दूसरे डेंगू टाइप से इन्फ़ेक्शन हो जाती है । या यूँ कहिए कि 150-200 डेंगू बुख़ार के मरीज़ों में से 1 को जानलेवा डेंगू हेमोर्हेजिक या डेंगू शॉक सिंड्रोम होता है।
क्या डेंगू का इन्फेक्शन भ्रूण को भी हो सकता है? Dengue infection in foetus?
एक गर्भवती महिला अपने भ्रूण में इन्फेक्शन फैला सकती है अगर उसको डिलीवरी के आखिरी तीन महीनों में डेंगू का इन्फेक्शन हो जाता है| इसका भ्रूण पर बूरा प्रभाव पड़ सकता है जैसे कि वजन कम होना, समय से पहले जन्म होना इत्यादि| भ्रूण की मृत्यं होने तक का ख़तरा बन जाता है|
जिन प्रेग्नेंट महिलाओं को जीवन में कभी भी डेंगू हुआ है, उनके नवजात बच्चे में खतरनाक डेंगू होने का ख़तरा ज्यादा होता है अगर उसको डेंगू का इन्फेक्शन हो जाता है|
इसलिए अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो आपको ऐसी जगह पर ट्रेवल करने से बचना चाहिए जहां डेंगू के केसेस ज्यादा होते हैं|
अगर फिर भी आप ट्रेवल करना अवॉयड नहीं कर सकते हैं तो कौशिश कीजिये कि प्रेगनेंसी के लास्ट कम से कम दो महीने मत कीजिये|
फिर भी करना पड़ रहा है तो मच्छरों से बचना है| DEET युक्त क्रीम या रिपेलेंट लगाना है, जिसमे कम से कम 10% DEET हो|
छोटे बच्चों में डेंगू बुखार | dengue Fever in small children
अपने बेबी को डेंगू कि इन्फेक्शन्स से बचाने का सबसे बढ़िया तरीका है कि आप अपने बेबी को मच्छरों से बचा के रखे|
बिलकुल छोटे बच्चों में डेंगू को पहचानना काफी मुश्किल होता है क्योंकि –
-न तो बेबी बोलकर बता पाता है कि उसको क्या तकलीफ लग रही है|
-बिलकुल छोटे बच्चे में डेंगू के लक्षण बाकी दूसरी बीमारियों के लक्षण से मिलते जुलते हैं|
अगर बेबी को 38 डिग्री सेल्सियस या इससे ज्यादा बुखार आ रहा है या बॉडी टेम्परेचर 38 डिग्री सेल्सियस से कम हो रहा है तथा इनके साथ-साथ
-अगर बेबी का बहुत इर्रिटेबल होना,
-हर वक़्त नींदों में लगना या
-शरीर पर किसी तरह के दाने हो रहे है या
-असामान्य ब्लीडिंग होना जैसे की मसूढ़ों से,नाक से या
-उल्टियां लगना (दिन में तीन या तीन से ज्यादा),
-स्किन पर नील पड़ना इत्यादि लक्षण डेंगू की तरफ इशारा करते हैं|
इस तरह की सिचुएशन में आपको तुरंत से तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए|
डेंगू ही नहीं बल्कि किसी भी बुखार में बच्चों में डिहाइड्रेशन या पानी की कमी होना काफी आम बात है| इसलिए बच्चे को भरपूर पानी पिलाना चाहिए ताकि डिहाइड्रेशन न हो|
आँखों का धंसना, मुंह और जीभ तथा होटों का सुखना, रोने पर कोई आंसूं ना आना या पेशाब कम आना इत्यादि लक्षण डिहाइड्रेशन की तरफ इशारा करते हैं| इसलिए समय रहते सचेत हो जाइये|
बच्चों में बुखार कम करने के लिए क्या करें | How to reduce fever in children
बुखार होने पर ठन्डे पानी की पट्टियां काफी सहायक हो सकती है| लेकिन पानी फ्रिज से नहीं लेना चाहिए| ज्यादा ठंडा पानी इस्तेमाल करने से स्किन के ऊपरी सतह की सिरायें सिकुड़ जाती है और हीट अंदर ही फंस जाती है जोकि बच्चे को नुक्सान कर सकती है|
जरुरत पड़ने पर आप पेरासिटामोल दवाई भी दे सकते हैं| लेकिन बच्चे के वजन अनुसार ही देनी चाहिए, इसलिए उसके बारे में डॉक्टर या फार्मासिस्ट से जानकारी जरूर ले लीजिये|
छोटे बच्चों में डेंगू से बचाव कैसे करें? How to prevent dengue in children?
दो महीने से छोटे बच्चे को झूले, पलने या रिक्शा में मॉस्क्वीटो नेट से ढक कर रखें|
बेबी को खुल्ले और पूरी तरह से ढकने वाले कपडे पहनाएं
मॉस्क्वीटो भगाने के लिए मॉस्क्वीटो रेपेलेंट का इस्तेमाल करना चाहिए|
-दो महीने से बड़े बच्चों के लिए DEET, PICARIDIN, IR3535 युक्त रेपेलेंट इस्तेमाल कर सकते हैं|
पहले अपने हाथ पर मालिये और उसके बाद बेबी के शरीर पर बिलकुल पतली परत लगाइये| दिन में बार नहीं लगाना चाहिए|
बच्चे के हाथों पर मत लगाइए क्योंकि बच्चे बार बार मुह पर हाथ लगाते हैं और ऐसाकारने से रिपेलेंट उनके मुह में जा सकता है|
तीन साल से छोटे बच्चों में लेमन यूकेलिप्टुस आयल वाला रेपेलेंट इस्तेमाल नहीं करना चाहिए|
डेंगू का डाययग्नोसिस कैसे करते हैं? How to diagnose dengue fever?
डेंगू के सीजन में बुखार होने पर आपको जांच करवा लेनी चाहिए, क्योंकि डेंगू के ज्यादातर लक्षण खसरा (खासतौर से बच्चों में), टाइफाइड, मलेरिया इत्यादि से मिलते जुलते हैं| क्योंकि बाकी बीमारियों के लिए मरीज को अलग तरह के इलाज़ की जरुरत पड़ेगी|
बिलकुल सीधे सपाटे तरीके से समझिये| कौन सा टेस्ट करना सही होगा ताकि इसका सही से पता लगाया जा सके कि आपको डेंगू का इन्फेक्शन है या नहीं|
- लक्षण आने के सात दिन के भीतर:
NS1 Antigen Test (ऐंटिजेन डिटेक्शन टेस्ट)
RT-PCR टेस्ट
लक्षण आने के सात दिन बाद
- IgM एंटीबाडी टेस्ट
- PNRT
RT-PCR
यह टेस्ट कन्फर्मेटोरी टेस्ट होता है डेंगू की इन्फेक्शन को जानने के लिए क्योंकि यह टेस्ट वायरस के जेनेटिक मटेरियल की पहचान करता है|
इसकी अच्छी बात यह भी है कि इन्फेक्शन को शुरूआती दिनों में ही पकड़ सकता है और यह कोंफिरंकर्ता है कि इन्फेक्शन हाल फिलहाल में ही हुई है|
यानी कि करंट इन्फेक्शन है| इसकी दिक्कत यह है कि यह आमतौर पर उपलब्ध नहीं होता है| इसी वजह से दूसरे प्रकार के टेस्ट की जरुरत बढ़ जाती है|
NS1 Antigen Test (ऐंटिजेन डिटेक्शन टेस्ट)
यह टेस्ट इन्फ़ेक्शन होने के पहले दिन से लेकर पाँच दिन के भीतेर किया जाए तो बेहतर रिज़ल्ट देता है।
बहुत बार लोग इसको बाद में करते हैं और यह नेगेटिव रिज़ल्ट देता है जो कि मरीज़ में नेगेटिव होने का भरम डाल सकता है।
क्योंकि यह इन्फेक्शन को एक बाद से ही पकड़ पाने की क्षमता की वजह से यह टेस्ट काफी पॉपुलर है| इसको करने के लिए कुछ ज्यादा स्किल नहीं चाहिए| इसका रिजल्ट भी बहुत जल्दी मिल जाता है|
Antibody Detection Test (Mac Elisa test)
यह टेस्ट हमारे शरीर में डेंगू वाइरस के ख़िलाफ़ बनी हुई ऐंटीबाडी को पहचानने के लिए इस्तेमाल होता है।
क्योंकि ऐंटीबाडी बनने में कम से कम पाँच दिन लगते हैं और यही वजह है की यह टेस्ट बुख़ार या लक्षण आने के पाँच दिन बाद किया जाता है।
Rapid Diagnostic Test- ये टेस्ट ज़्यादा वैलिड नहीं होते हैं और इसी वजह से सरकार ने इनको मान्यता नहीं दी है।
इनके अलावा ट्यूनिकेट टेस्ट, प्लेटलेट काउंट, हेमाटोक्रिट वैल्यू इत्यादि टेस्ट भी किये जाते हैं| लेकिन मैं इनको फिलहाल ज्यादा एक्सप्लेन करने की जरुरत महसूस नहीं हो रही है|
क्योंकि आप पहले ही बहुत टाइम दे चुके हो हमारे ब्लॉग को| दूसरी बात यह कि इन मुद्दों पर डिटेल से बात करने कि जरुरत है|
एक गुजारिश दुबारा से करूंगा कि मरीज को प्लेटलेट चढाने के लिए अपने डॉक्टर को मजबूर मत कीजिये| प्लेटलेट हर मरीज में एक जैसा फायदा नहीं देती है|
चूँकि आपने डेंगू बुखार के कारण, लक्षण, डायग्नोसिस के बारे में समझ लिया है, तो अब आप पक्का से जानना चाहते हो कि
डेंगू बुख़ार का इलाज कैसे किया जाता है? What is the best treatment for dengue fever?
डेंगू का कोई स्योर शॉट इलाज नहीं है। इस पोस्ट के लिखने तक हमारे पास कोई भी ऐसी दवाई नहीं है जो डेंगू को ठीक कर सके। खतरनाक डेंगू आमतौर पर बुखार उतरने के बाद ही शुरू होता है|
वक़्त रहते खतरनाक डेंगू की पहचान और सही समय पर डॉक्टर की विजिट करने से काफी मौतों को कम किया जा सकता है|
सिर्फ़ और सिर्फ़ लक्षण या ज़रूरत के अनुसार सुप्पोर्टिव ट्रीटमेंट दिया जाता है। डेंगू ही नहीं बल्कि चिकुनगुनिया के लिए भी कोई स्योर शॉट इलाज नहीं है। शुक्र है कि कम से कम चिकनगुनिया के लिए वैक्सीन तो है।
क्या डेंगू बुखार में प्लेटलेट कि जरुरत पड़ती है? Platelet infusion in dengue fever?
जब दिल्ली में डेंगू का ऑउटब्रेक हुआ था, उस समय के एक्सपीरियंस के आधार पर यह पाया गया कि प्लेटलेट चढाने का कुछ ज्यादा ख़ास प्रभाव नहीं होता है|
लेकिन मीडिया में प्लेटलेट कि जरुरत को इस तरह से एक्सप्रेस किया जाता है कि मरीज के परिवार वाले इसको ही अल्टीमेट इलाज़ मान लेते हैं और डॉक्टर्स पर प्रेशर बनाते हैं कि प्लेटलेट लगा दीजिये मरीज को|
आपके मरीज को प्लेटलेट लगानी है या नहीं इसका निर्णय सिर्फ और सिर्फ अपने डॉक्टर को ही लेने दीजिये| जिस भरोसे के साथ आप अपने मरीज को उनके पास लेके गए हैं उसी भरोसे को इलाज़ के मामले में भी बरकरार रखिये|
डेंगू की इन्फेक्शन अगर चार लोगों को होता है तो उसमे से सिर्फ 1 ही आदमी को ज्यादा लक्षण आते हैं| ज्यादातर लोगो में सामान्य वायरल बुखार जैसे ही लक्षण आते हैं जो कि अपने आप ही ठीक भी हो जाते हैं| इन मरीजों को तो हॉस्पिटल जाने तक की जरुरत नहीं पड़ती है|
लेकिन कौन सा मरीज में सीरियस इन्फेक्शन होगा इस पता लगाना थोड़ा मुश्किल काम है, इसलिए सभी मरीजों को खतरे वाले लक्षणों को पहचानने की सलाह दी जाती है ताकि सही समय पर हॉस्पिटल ले जाय जा सके|
डेंगू बुखार के समय में और ज्यादा मच्छर नहीं काटना चाहिए| हम बहुत बार इस तरफ ध्यान ही नहीं देते हैं क्योंकि आपको लगता है कि डेंगू होने के बाद क्या चिंता है |
लेकिन अगर आपको इन्फेक्शन डेंगू के एक भाई से हुई है और जो मच्छर आपको काट रहा है उसमे दूसरे भाई वाली इन्फेक्शन है| तो उस सिचुएशन में मिक्स इन्फेक्शन हो जाएगा|
मिक्स्ड इन्फेक्शन अपने आप में बहुत बड़ी वजह है सीरियस वाले डेंगू होने के लिए| आमतौर पर एक सीजन में एक ही डेंगू टाइप का अटैक होता है| लेकिन जब दो भाई एक साथ अटैक करते है तभी ज्यादा समस्या बनती है|
डेंगू बुखार के बेस्ट घरेलु उपाय क्या है? What are the best home based treatment of dengue fever?
इसके लिए बहुत तरह के घरेलु उपाय सुझाये जाते हैं| क्योंकि ज्यादातर लोगों में डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है इसलिए इसके लिए कोई ख़ास इलाज़ की जरुरत नहीं होती है|
हमें सिर्फ खतरे के लक्षणों को सही समय पर पहचानना है ताकि उचित सपोर्टिव केयर दी जा सके| घरेलु उपाय किये जा सकते हैं, क्योंकि इनसे मरीज को भी अच्छा महसूस होता है और शरीर में डिहाइड्रेशन को रोका जा सकता है|
नीम, गिलोय, तुलसी, कद्दू, मैथी के पत्ते, संतरा, चकुंदर, नारियल का पानी, पपीते के पत्ते, जौ इत्यादि का ज्यादातर इस्तेमाल किया जाता है काढ़े या जूस के तौर पर|
अगर आप इन सब को गौर से देखोगे तो समझ आएगा कि इन सबमे एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल भरपूर होते हैं जो कि इम्युनिटी को परिपूर्ण रखने में सहायक है|
बस आपको यह बात बिलकुल नहीं भूलनी है कि बहुत ज्यादा गर्म और बहुत ज्यादा मात्रा में कोई भी काढ़ा आपको नुक्सान भी पहुंचा सकता है|
ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लें| ओ आर एस का घोल बहुत सही रहता है| आप दुसरे घरेलु तरल पदार्थ भी ले सकते है| मकसद सिर्फ इतना ही है कि शरीर में मिनरल, पानी की कमी ना हो|
डेंगू बुखार में कौन-कौन सी दवाइयां नहीं लेनी चाहिए? Which medicines should be avoided during dengue fever?
बुखार के लिए पेरासिटामोल के अलावा कोई दूसरी दवाई नही लेनी है| इबुप्रोफेन, एस्पिरिन जैसी दवाइयां प्लेटलेट को और कम कर सकती है|
जो लोग पहले से ही खून पतला करने की दवाइयां ले रहे हैं, उनको अपने डॉक्टर को जरुर मिलना चाहिए|
जिन लोगो को पहले से ही कोई लम्बी बिमारी है और उसका इलाज़ ले रहे हैं तो आपको डॉक्टर जरुर दिखाना चाहिए|
एक सवाल बहुत बार पूछा जाता है कि
डेंगू बुखार में कौन सी एंटीबायोटिक दी जा सकती है? What is the best antibiotic for dengue fever?
डेंगू बुखार एक वायरस की वजह से होता है और एंटीबायोटिक बैक्टीरिया पर काम करती है| बैक्टीरिया को समझाऊं तो जैसे कि टाइफाइड का बुखार सूना होगा, वह बैक्टीरिया की वजह से होता है| इसलिए डेंगू की इन्फेक्शन में एंटीबायोटिक का कोई फायदा नहीं है|
लेकिन एक बात याद रखिये कि अगर आपके मरीज को हॉस्पिटल में एडमिट करने की जरुरत पड़ती है और उनको डेंगू के साथ कोई और इन्फेक्शन का पता चलता है तो उनको एंटीबायोटिक की जरुरत पड़ सकती है| सिर्फ डेंगू की इन्फेक्शन में एंटीबायोटिक का कोई रोल नहीं है|
डेंगू बुखार से बचाव के तरीके कौन-कौन से हैं? How to prevent dengue fever?
अब समय आ गया है उन सब बातों को याद करने का जो आपने इस ब्लॉग में पढ़ी होगी|
“ जरुरी बात है , याद रखिये काम आएगी”
जहां तक डेंगू से बचाव की बात की जाए तो मच्छर की ब्रीडिंग की जगह यानी कि जहां मच्छर जहां अंडे देता है को ही ख़तम या कम कर देना चाहिए| मेडिकल भाषा में इसको सोर्स रिडक्शन कहा जाता है| यानी कि मच्छर की पसंदीदा जगह को उसको रहने के लायक मत छोड़िये|यह सबसे बेहतरीन तरीका है|
डेंगू का लार्वा मच्छर में तब्दील होने में सात से 10 दिन लेता है| इसी वजह से अपने घर के कूलर और पानी के कलेक्शन को हर हफ्ते साफ़ करना चाहिए|
मच्छर के अंडे सतह से चिपक जाते हैं और लम्बे समय तक ज़िंदा रहते हैं| इसलिए कूलर या पानी के बर्तन को या घरेलु पेट् के खाने पीने के बर्तन को रगड़ कर साफ़ करें|
मच्छर सूरज उगने के दो घंटे बाद और अस्त होने से दो घंटे पहले तक काटता है,इसलिए इस समय सावधानी बरतें| रिपेलेंट क्रीम लगाने का फायदा भी तभी ज्यादा होता है|
फुल स्लीव के कपडे पहनिए, पैरों को भी ढक कर रखना जरुरी होता है| मॉस्क्वीटो रेपेलेंट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन इनको सिर्फ एक्सपोज्ड हिस्सों पर ही लगाना चाहिए| कोशिश कीजिये की कपड़ो के नीचे ना लगाएं| अगर इफेक्टिव रेपेलेंट की बात की जाए तो DEET,PICRIDIN युक्त रिपेलेंट सही है|
डेंगू के लिए घर और बाहर स्प्रे भी किया जाता है, लेकिन यह भी बहुत ही टेक्निकल काम है और इसके पीछे कि साइंस भी जाननी जरुरी है|
आमतौर पर जो म्युनिसिपल वाले स्प्रे करने आते हैं वह शाम को आते हैं, लेकिन तब तो मच्छर एक्टिव होता ही नहीं है| स्प्रे का फायदा नहीं होगा बल्कि लोगो को ओवरकॉन्फिडेंस देगा|
अगर स्प्रे करना है तो दिन के समय करना चाहिए:सूरज उगने के दो घंटे बाद तक या सूरज ढलने से दो घंटे पहले|
क्या हम अपने घरों में भी इंडोर स्प्रे कर सकते हैं|
इंडोर स्पेस स्प्रे, मच्छर जो एडल्ट हो चूका है और डेंगू फैला सकता है, को मारने के लिए किया जाता है| आमतौर पर हम लोग अपने घर के अंदर स्प्रे करके अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं। लेकिन आप ज़्यादातर स्प्रे करते हैं दीवारों पर और कौनों में, लेकिन मच्छर ज़्यादातर वहाँ पर आराम करता है जहां हम स्प्रे करते ही नहीं हैं।
आप बताइए कि क्या टंगे हुए कपड़ों के पीछे स्प्रे करते हैं? आजकल घरों में फ़ॉल्स सीलिंग बनवाते हैं। क्या वहाँ स्प्रे करते हैं? ज़्यादातर का जवाब नहीं में होगा।
इंडोर स्पेस स्प्रे के लिए 2% पयरेथ्रम (PYRETHRUM ) नाम के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है| इसमें केरोसिन भी मिलाया जाता है (1 : 19 ) के अनुपात में|
इंसानों में इसका किसी तरह का ज़हरीला प्रभाव नहीं देखा गया है|लेकिन इसके लगातार प्रभाव के लिए बार-बार स्प्रे करना पड़ता है|
डेंगू वैक्सीन- डेंगावेक्सिया (Dengavaxia) क्या है? (How, When Dengue vaccines are given?)
सनोफी पास्चर कंपनी ने डेंगावेक्सिया (Dengavaxia) नाम से डेंगू वैक्सीन बनायी है| इसका दूसरा नाम CYD-TDV है|
शुरूआती ट्रायल के रिजल्ट बहुत ही अच्छे रहे| लेकिन 2017 में ऐसा रिपोर्ट हुआ कि वैक्सीन की पहली डोज़ के समय जिनमे डेंगू वायरस के खिलाफ एंटीबाडी नहीं थी, वैक्सीन लेने के बाद जब भविष्य में डेंगू इन्फेक्शन हुआ तो काफी खतरनाक हो गया था|
अब बात याद आई कि एक डेंगू भाई से इन्फेक्शन होने के बाद भविष्य में दुसरे डेंगू भाई से इन्फेक्शन होगा तो खतरनाक हो सकता है|
उसके बाद से डेंगू वैक्सीन सिर्फ उन्ही लोगो को दी जाती है जिनके अंदर कभी न कभी डेंगू का इन्फेक्शन हुआ होता है| इसके लिए वैक्सीन देने से पहले उस इंसान में चेक करके पता लगाया जाता है कि कभी डेंगू इन्फेक्शन हुआ है या नहीं|
इस वैक्सीन की तीन डोज़ दी जाती है एक साल के अंदर|
नौ साल से 45 साल कि उम्र तक के लोगो को ही यह वैक्सीन दिया जाता है|
बस! आज पूरा ज्ञान ले लिया है आपने|
उम्मीद करता हूँ आपको हमारी मेहनत नज़र आई होगी और आप इस ब्लॉग को शेयर करने के बारे में सोचेंगे|
यह मात्र आपको सही जानकारी देने के लिए लिखा था, कृपया इसको किसी तरह का इलाज़ ना मान लीजिये| अगर कोई परेशानी हो तो किसी क्वालिफाइड डॉक्टर को जरुर दिखाइये|
आपको कैसा लगा www.healthkibaat.com टीम का काम हमको कमेंट करके जरुर बताइये|
धन्यवाद
references
- who.int
- CDC, Atlanta
- healthline.com
- mayoclinic.com
Image Courtesy
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