कोरोना वैक्सीन बनने के बाद से side effect of corona vaccine के बारे में बहुत ज्यादा बात हुई है. google पर या दुसरे सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर लोग इसको खूब सर्च कर रहे हैं. आम पब्लिक अपने आप को ये कहकर संतुष्टि दे रही है कि अगर कोरोना वैक्सीन लगने के बाद आपको किसी भी तरह का साइड इफेक्ट्स आ रहा है, तो इसका मतलब है कि वैक्सीन अपना काम सही कर रही है.

यानी कि आपके शरीर में एंटीबाडी बन रही है. समस्या ये है कि जिन लोगो को वैक्सीन लगने के बाद साइड इफ़ेक्ट या किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई है, तो क्या उसका मतलब ये समझा जाए कि no side effect of corona vaccine , no antibody.

इस ब्लॉग में हम इसी बारे में बात करने वाले हैं.

SIDE EFFECT OF CORONA VACCINE

कोरोना वैक्सीन के साइड इफ़ेक्ट सभी लोगों में आये ये जरुरी नहीं है.

दुनिया में जितनी भी वैक्सीन है, सभी का कोई न कोई साइड इफ़ेक्ट होता है. ज्यादातर ये साइड इफ़ेक्ट हलके फुल्के होते हैं. लेकिन ये जरुरी नहीं कि साइड इफ़ेक्ट सभी लोगों में आएगा ही. डिटेल बताने से पहले ही ये बात क्लियर करना चाहेंगे कि

इस बात से चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है कि अगर आपको साइड इफ़ेक्ट जैसे कि बुखार, इंजेक्शन की जगह  पर दर्द, जी मितलाना, सिरदर्द, थकान नहीं हुआ है,  तो आपको इम्युनिटी नहीं मिलेगी. इस बात को लेकर कोई चिंता की जरुरत नहीं है.

चलिए थोडा डिटेल से समझाते हैं.

Side effect of corona vaccine कितने लोगो में होता है ?

Pfizer कंपनी की vaccine, Moderna के बारे में तो आपने सुना ही होगा. हम इसी के एग्जाम्पल से समझाते हैं. जब Pfizer वैक्सीन के ट्रायल रिजल्ट आये तो उसमे पाया गया कि  सिर्फ 50% लोगों को ही वैक्सीन लगाने के बाद कोई ना  कोई साइड इफ़ेक्ट हुआ था.

लेकिन जब वैक्सीन के बाद लोगो की एंटीबाडी चेक की गयी तो पाया गया कि 90% लोगों के शरीर में एंटीबाडी बन गयी थी.

इस बात को समझाने के लिए ये  समझाना जरुरी है कि किसी भी वैक्सीन के लगने के बाद हमारे शरीर में एंटीबाडी बनती कैसे हैं? कोरोना के खिलाफ बहुत सारी वैक्सीन बनी है और  लगभग सभी वैक्सीन में कोरोनावायरस के ऊपर की कवरिंग का प्रोटीन इस्तेमाल किया जाता है. जब वैक्सीन दी जाती है तब इस प्रोटीन को देख कर ही हमारा इम्यून सिस्टम ACTIVATE  हो जाता है.

लेकिन ये प्रोसेस इतना भी सिम्पल नहीं होता है.

SIDE EFFECT OF CORONA VACCINE

कोरोना वैक्सीन से होने वाले साइड इफ़ेक्ट शरीर में मौजूद इन्नेट इम्युनिटी की वजह से होते हैं.

हमारे इम्यून सिस्टम की दो सेनायें होती हैं. एक का नाम होता है इन्नेट इम्युनिटी (INNATE) और दूसरी सेना का नाम होता है ऐडापतिव (ADAPTIVE) इम्युनिटी. जब कोई भी बाहरी तत्व हमारे शरीर में दाखिल होता है, जैसे कि इस मामले में कोरोना वायरस का बाहरी प्रोटीन है, वैसे ही सबसे पहले हमारा इन्नेट इम्यून सेना ACTIVATE होती है.

ये सेना अपना एक्शन बहुत ही तेजी के साथ लेती है.

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और जब ये अटैक करती है तो उसके साथ साथ शरीर में INFLAMATION का लेवल भी बढ़ता है. और इन्फ्लामेस्न की वजह से ही इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, बुखार, थकान इत्यादि होता है. ये लक्षण ज्यादातर एक या दो दिन बाद होते हैं.

कुछ लोगों में ये रेस्पोंस ज्यादा होता है, कुछ में कम और कुछ में ना के बाराबर या फिर होता ही नहीं है.

इस सेना का काम होता है स्पीड से जवाब देना. लेकिन लम्बे समय तक इम्युनिटी देने का काम होता है  ADAPTIVE सेना का. यानी कि ADAPTIVE IMMUNITY. इन्नेट इम्युनिटी लड़ाई लड़ने के साथ साथ बाहरी प्रोटीन के बारे में जानकारी भी जुटाती है.

ये जानकारी ADAPTIVE इम्युनिटी के पास पहुंचाई जाती है.

अब ADAPTIVE इम्युनिटी शरीर में कई तरह की एंटीबाडी बनाता है और शरीर को तैयार करता है भविष्य में दुबारा इसी तरह के अटैक के खिलाफ.

लेकिन ADAPTIVE इम्युनिटी इन्फ्लेमेस्न नहीं करती है. करती भी है तो थोडा बहुत जिसका पता भी नहीं चलता है. कुछ लोगों में ये सिस्टम इतना ज्यादा ACTIVATE नहीं होता कि साइड इफ़ेक्ट आयें. लेकिन शरीर एंटीबाडी बना रहा होता है. यानी कि साइड इफ़ेक्ट आये या ना आये, शरीर एंटीबाडी बना पाता है.

लेकिन अगर किसी के अंदर ऐसी कोई बिमारी है जिसमे एंटीबाडी बनती ही नहीं है, तब ऐसा नहीं होगा. लेकिन इस तरह की बिमारी बहुत ही रेयर होती है. अब आपके दिमाग में एक नया सवाल ये आया होगा कि

इम्यून सिस्टम सभी लोगों में अलग अलग व्यवहार क्यों करता है.

ऐसा देखा गया कि 65 साल से ऊपर के बुजुर्गों में साइड इफेक्ट्स कम देखे गए. बढती उम्र के साथ इम्यून सिस्टम का एक्टिवेशन कम हो जाता है. लेकिन उसके बावजूद भी शरीर में इतनी एंटीबाडी  बन जाती है कि शरीर वायरस अटैक को निरस्त कर पाए.

पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का लेवल हाई होने की वजह से भी इम्यून सिस्टम ज्यादा एक्टिवेट नहीं हो पाता कि साइड इफ़ेक्ट पैदा कर सकें.यही वजह है कि अमेरिकेन रिसर्च में पाया गया कि SIDE EFFECT OF CORONA VACCINE के लगभग 80%  मामले महिलाओं मेंदेखे गए.

जिन लोगों में पुरानी लम्बी बीमारियाँ होती है जैसी कि आर्थराइटिस, इफ्लामेटोरी बीमारियाँ, जो इम्युनिटी को दबा कर रखने वाली दवाइयां ले रहे होते हैं. इन दवाइयों कि वजह से ही कई बार इम्यून सिस्टम उतना ज्यादा एक्टिव नहीं हो पाता है.

अब बहुत सारे लोग ये मान लेते हैं कि अगर इम्यून सिस्टम एक्टिवेट ही नहीं हुआ तो एंटीबाडी कैसे बनेगी. कुछ रिसर्च में ऐसा पाया गया कि एंटीबाडी बनते हैं. ये सही है कि उनका लेवल कम होता है, लेकिन उतना लेवल काफी होता है कि वायरस को मार भगाए.

इन्ही बातों का ध्यान रखते हुए जिन लोगों को कोई लम्बी बिमारी है या जिनका लम्बा इलाज चला है उनको अपने डॉक्टर से डिसकस कर लेना चाहिए वैक्सीन लेने से पहले.

इसलिए SIDE EFFECT OF CORONA VACCINE नहीं हुआ का मतलब ये बिलकुल नहीं लेना चाहिए कि एंटीबाडी नहीं बनेगी या इम्युनिटी नहीं आएगी. बावजूद इसके कि सभी लोगों में इम्यून सिस्टम अलग अलग तरीके से व्यवहार करता है, लगभग सभी लोगो में आवश्यकतानुसार एंटीबाडी बन जाती है.