पेट की tb (एब्डोमिनल tb) का कन्फर्मेशन बहुत देर में होता है, और तब तक शरीर में काफी नुक्सान हो चुका होता है|

इसका इलाज सरकारी हॉस्पिटल में फ्री मिलता है|

अगर आपके नजदीकी परिवार, आस पड़ोस या किसी दोस्त को tb की दिक्कत हुई है,

और आपको भी कुछ लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो अपने आसपास के सरकारी अस्पताल में जाकर अपनी जांच जरुर करवाएं.

tb

पेट की tb का डायग्नोसिस करने के लिए कई टेस्ट करवाने पड़ते हैं|

 

ब्लॉग को शुरू करने से पहले मैं कुछ बाते बताना चाहता हूँ ताकि आपको ब्लॉग को समझने में आसानी रहे|

इंग्लिश में तो इसे Tuberculosis (ट्यूबरक्लोसिस) कहते हैं, और हिंदी में तपेदिक|

लेकिन हम इस ब्लॉग में ज्यादातर TB(टी.बी.)शब्द का इस्तेमाल करेंगे|

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इंडिया में टी बी कितनी बड़ी समस्या है?

इंडिया में टी.बी. की बिमारी पूरी दुनिया के मुकाबले बहुत ज्यादा पायी जाती है|

यह सच है कि हमने टी.बी. पर काफी कण्ट्रोल किया है और इंडिया की सरकार भी इसको पूरी तरह से ख़त्म करने के लिए कमिटेड भी है|

लेकिन अभी भी हर साल लाखों की संख्या में टी.बी. के मरीज हर साल डायग्नोज़ होते हैं|

टी.बी. आपके शरीर के किसी भी हिस्से या अंग में हो सकती है|

टी.बी. का इन्फेक्शन किसी को भी हो सकता है| अमिताभ बच्चन जी को भी हुआ है|

और भी बहुत बड़े-बड़े लोगों को हुआ है,लेकिन आज के समय में अमिताभ बच्चन ज्यादा जाना पहचाना है|

सबसे ज्यादातर टी.बी. की इन्फेक्शन फेफड़ों में होती है जिसको पहचानना आसान होता है|

याद है ना कि दो हफ्ते से ज्यादा खांसी टी.बी. हो सकती है|

फेफड़ों के अलावा शरीर के दुसरे हिस्से होने वाली टी.बी. को हम एक्स्ट्रा-पल्मोनरी tb कहते हैं|

जितने भी टी.बी. के टोटल मरीज होते हैं, उनमे से 8 से 10 परसेंट के करीब आँतों या पेट की टी.बी. के मरीज होते हैं|

क्या पेट की tb (एब्डोमिनल टी बी) दूसरी tb से अलग है?

जी हाँ, बिलकुल अलग है|

हालांकि यह होती तो उसी बैक्टीरिया(माइको बैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस) की वजह से है,

जिस वजह से फैन्फ्ड़े या दुसरे हिस्सों की टी बी होती है|

लेकिन उसको समय रहते पहचानना और डायग्नोसिस करना बहुत मुश्किल होता है|

-क्योंकि इसके लक्षण बहुत ही साधारण से होते हैं जिसको आमतौर पर लोग इतना सीरियसली लेते ही नहीं है|

इसके लक्षण बिलकुल ही नॉन स्पेसिफिक होते हैं और जिसकी वजह से मरीज लम्बे समय तक पेट की टी बी लिए घूमता रहता है|

इसके शुरूआती लक्षणों की वजह से लोग हॉस्पिटल नहीं जाते हैं|

ज्यादातर अपने आसपास से या घरेलु इलाज लेते रहते हैं|

-एक वजह यह भी है कि पेट में बहुत सारे इम्पोर्टेन्ट अंग होते हैं, और  tb के लक्षण अंग के हिसाब से भी आते हैं|

जिस अंग में  tb वैसे ही लक्षण आते हैं|

इसी वजह से इतने सारे अंगों के लक्षण इतने ज्यादा नॉन-स्पेसिफिक हो जाते हैं कि बिमारी को पकड़ना मुश्किल हो जाता है|

-हालाकि बहुत सारे टेस्ट मौजूद भी है, लेकिन बावजूद इसके भी कई बार पेट की  tb पकड़ में नहीं आ पाती है|

इस तरह से डायग्नोसिस में डिले या देरी होने से या समय पर इलाज ना शुरू होने से, जब मरीज हॉस्पिटल पहुंचता है,

तब तक शरीर में काफी नुक्सान भी हो चुका होता है|

पेट की tb (एब्डोमिनल tb) होने के क्या-क्या कारण हैं?

यह सवाल बहुत लोग जानना चाहते हैं कि पेट में tb किस तरह पनपती है? चलिए जान लेते हैं!

पुराने टाइम में अगर टी.बी. की इन्फेक्शन हुई होती है और वह री-एक्टिवेट हो जाती है|

री-एक्टिवेट हमारी इम्युनिटी कमजोर होने पर होती है, जैसे कि एच.आई.वी. पॉजिटिव लोगो में बहुत देखी जाती है|

यही कारण है कि एच.आई.वी. के मरीज बढ़ने से इस तरह के मरीजों की संख्या भी बढ़ गयी है|

इसके अलावा फेफड़ों की tb के मरीज जब अपना बलगम (स्पुटम) निगल लेते हैं,

तो उससे भी आंत का tb हो सकता है| एक अंग में tb दुसरे अंग तक हमारे ब्लड के सर्कुलेशन से भी फ़ैल सकता है|

 

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पेट की tb (एब्डोमिनल tb) कितने प्रकार की होती है?

यहाँ पर एक बात समझाना बहुत जरुरी है| पेट हमारा STOMACH या खाने की थैली से नहीं है|

पेट का मतलब है पाचनतंत्र से| यानी कि आपके खाने की नाली से लेकर गुदा तक सभी पेट की टी.बी. में आते हैं|

अब बात करते हैं कि एब्डोमिनल tb कितने प्रकार की होती है?

लिम्फ नोड में tb: यह एब्डोमिनल टी.बी. में से सबसे ज्यादा होने वाली टाइप है| इसमें लिम्फ नोड गुच्छों में भी हो सकते हैं और 4 से 6 लिम्फ नोड में भी हो सकती है| जितने ज्यादा लिम्फ नोड में होगी उतने ही ज्यादा लक्षण आयेंगे|

इंटेसटाईनल tb (आंत की tb): जब कोई बलगम निगल लेता है, तो आँतों की ऊपर की लेयर पर बैक्टीरिया जमा हो जाते है|

अगर इम्युनिटी कमजोर होती है तो 2 से 4 हफ़्तों में ये बैक्टीरिया ऊपर की लेयर को नुक्सान पहुंचाती है|

इसके बाद इन्फेक्शन और अंदर तक मार करती है| वैसे तो किसी भी हिस्से में हो सकती है,

लेकिन इसके आखिरी हिस्से में ये सबसे ज्यादा होती है|

क्योंकि यहाँ पर खाने के सारे अवशेष इकठ्ठे होते हैं|

हमारे पेट में मौजूद पेरीटोनियल कैविटी में भी tb हो सकती है|

आस पास के अंगों से जैसे गर्भाशय, ओवरी (अंडकोष) से भी tb आँतों तक पहुँच सकती है|

खाने की थैली (असली पेट), खाने की पाइप, अंत के पहले हिस्से में tb बहुत कम होती है|

 

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पेट की tb (अब्ड़ोमिनल tb) के लक्षण क्या होते हैं?  

  • पेट् में दर्द
  • दस्त लगना
  • कुछ में कब्ज भी हो जाती है
  • हल्का बुखार
  • पसीना आना-खासतौर से रात में
  • भूख न लगना- खाने का मन नहीं होना
  • वजन कम होना
  • कपडे ढीले होना- जो दर्शाता है कि शरीर में कमजोरी आ रही है|
  • कुछ मरीजों में तो दायें साइड में पेट के निचले हिस्से में गाँठ महसूस हो सकती है|

क्योंकि ज्यादातर समय अब्ड़ोमिनल टी.बी. के लक्षण नज़र अंदाज़ रहते हैं,

और बाद में जाकर एक तिहाई के करीब मरीज सीधा इमरजेंसी में ही आते है असहनीय पेट दर्द के साथ|

पेट की tb (अब्ड़ोमिनल tb) का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है?

पेट में tb (अब्ड़ोमिनल tb) का अल्ट्रासाउंड

अगर आपके डॉक्टर को जैसे ही डाउट होगा आपके पेट में टी.बी. की इन्फेक्शन होने का वह सबसे पहले अल्ट्रासाउंड की सलाह देंगे| इससे टी.बी.का कन्फर्मेशन तो नहीं होगा लेकिन शुरूआती हिंट मिलेगा| दूसरा ये कि इसको करवाना आसान होता है| इससे पेट में लिम्फ नोड की गाँठ का होने ना होने के बारे में बतायेगा|

उसके बाद डॉक्टर आगे की इन्वेस्टीगेशन के बारे में बात करेंगे|

अब्ड़ोमिनल tb में CT Scan की जाँच

अगर आपके पेट में कोई गाँठ महसूस हो रही है और अल्ट्रासाउंड पर लिम्फ नोड नज़र आ रहे हैं

तो डॉक्टर आपको CT Scan के लिए कह सकते हैं| यह टी.बी. होने के बारे में काफी इनफार्मेशन दे सकता है|

इसमें आँतों की दिवार का मोटा होने जैसी बाते पता चलती है|

इसके साथ साथ अगर टी.बी. की वजह से पेट में पानी भर गया है और लिम्फ नोड सूजे हुए हैं, तो वो भी बतायेगा|

पेट में पानी को भी जांच के लिए भेजा सा सकता है| उसको कल्चर करवाया जा सकता है या उसमे टी.बी. के बैक्टीरिया की जांच की जाती है|

बेरियम एनीमा, जिसको पेट का एक्स रे भी कहते हैं, के ज़रिये पता लगता है कि आँतों की भीतरी जगह भीड़ी हो गयी है|

अगर गाँठ के जैसा कुछ लगता है तो एण्डोस्कोप के ज़रिये बायोप्सी की जाती है और उसका टेस्ट किया जाता है|

इन सब टेस्टों के अलावा लीवर फंक्शन टेस्ट और दुसरे ब्लड टेस्ट करवाए जाते हैं|

लेकिन कोई अकेला ऐसा इन्वेस्टीगेशन नहीं है, जिससे पता चल जाए कि इनको पेट का tb हो गया है|

अब्ड़ोमिनल tb में थेराप्युटिक ट्रायल क्या है?

कई बार सारे टेस्ट करवाने के बाद भी पूरी तरह से कन्फर्म नहीं होता कि किसी को टी बी है|

उन मरीजों में लक्षण, और टेस्ट के आधार पर थोड़े समय के लिए थेराप्युटिक ट्रायल दिया जाता है|

इसमें कुछ दिन टी.बी. की दवाई दी जाती है|

अगर मरीज के लक्षणों में सुधार हो जाता है तो फिर इसका पूरा इलाज़ दिया जाता है|

इसलिए अगर आपके आसपास या परिवार में या कोई क्लोज दोस्त को टी.बी. हुई है

या आपको पहले कभी टी.बी. रही है तो डॉक्टर को थोड़े बहुत लक्षण आने पर भी दिखायें |

और यह बात डॉक्टर को बताएं जरुर| इस हिस्ट्री से डॉक्टर को बहुत मदद मिलती है|

पेट की tb (अब्ड़ोमिनल tb) का इलाज कैसे किया जाता है?

अब्ड़ोमिनल TB का इलाज भी उन्ही दवाइयों से होता है जिनसे दूसरी TB का होता है|

जिनको एंटी-TB मेडिसिन कहते हैं|

इलाज़ कहाँ से मिलेगा: TB का इलाज़ सरकार के द्वारा बिलकुल मुफ्त मुहैया करवाया जाता है|

इसके लिए आपको सिर्फ सरकारी अस्पताल जाकर दिखाना है|

एक बार TB कन्फर्म होने के बाद आपको डॉट्स सेंटर भेजा जाएगा|

आपका रजिस्ट्रेशन होने के बाद आपको सारी दवाइयां आपको अपने घर के आस पास किसी आशा बहनजी या आंगनवाडी वर्कर के ज़रिये आपको मिल जायेगी|

आप अपनी मर्ज़ी से आशा बहनजी या आंगनवाड़ी वर्कर का चयन कर सकते हैं अपनी सहूलियत अनुसार|

शुरुआत में दवाइयां आपको उनके सामने ही लेनी पड़ेगी|

शुरू के दो महीने ऐसा रहेगा| उसके बाद आपको हर हफ्ते की दवाई दी जायेगी|

इलाज पर खर्चा कितना आएगा?: इलाज पर आपका कोई खर्चा नहीं आएगा, क्योंकि TB से सम्बंधित इलाज या जांच या फॉलो अप के टेस्ट इत्यादि पर जो भी खर्चा आएगा वो सब सरकार वहां करेगी|

आपको बस एक काम करना है कि दवाई सही समय पर, बिना रूटीन तोड़े जैसे बोला जाए वैसे ही लेनी है|

पेट की tb (अब्ड़ोमिनल tb) के ट्रीटमेंट के साइड इफ़ेक्ट क्या-क्या हो सकते हैं?

क्योंकि टीबी का बैक्टीरिया बहुत ही चालाक है और काफी मात्र में सुप्त पडा रहता है

और बाद में जाकर जाग जाता है| इसलिए इसको जड़ से ख़त्म करने के लिए कई दवाइयां एक साथ दी जाती है|

इन दवाइयों की वजह से साइड इफ़ेक्ट भी होते है, लेकिन सभी में नहीं होते हैं|

कुछ लोगों में शुरुआत में दिक्कत ज्यादा होती है|

लेकिन ज्यादातर लोगों में अपने आप कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं|

 tb की दवाइयों के साइड इफेक्ट्स के लिए क्या करना चाहिए?

सबसे पहली बात तो ये कि हिम्मत बिलकुल नहीं हारनी है|

बस एक बात ध्यान रखिये कि कुछ दिनों में ये ठीक हो जायेंगे|

लेकिन अपने डॉक्टर को साइड इफेक्ट्स के बारे में रिपोर्ट जरुर करना चाहिए|

लीवर फंक्शन टेस्ट और दुसरे ब्लड टेस्ट करवाए जायेंगे|

जरुरत पड़ी तो कुछ बदलाव भी कर सकते हैं|

कुछ दवाइयों के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ supplements भी दे सकते हैं|

दवाइयां खाना खाने से घंटा पहले या खाने के कम से कम दो घंटे बाद लेनी चाहिए|

कहना का मतलब है कि पेट खाली होना चाहिए| दवाइयां बेहतर अवशोषित होती है|

आपका पेशाब ऑरेंज या नारंगी रंग का आ सकता है|

यह नार्मल है| रिफाम्पिसिन दवाई की वजह से ऐसा हो सकता है| DON’T WORRY ABOUT THAT!!!

पेट की टी बी (अब्ड़ोमिनल टी बी) का इलाज़ कितने समय तक चलता है?

इसका इलाज सामान्य तौर पर 6 महीने ही चलता है|

लेकिन कुछ मरीजों में इसको नौ महीने या 1 साल तक भी चलाने की जरुरत पद सकती है|

कुछ लोगो में बैक्टीरिया बहुत ही रेसिस्टेंट यानी ढीठ होता है यानी उसपर TB की दवाइयां असर नहीं करती है|

इसको मल्टी-ड्रग-रेसिस्टेंट TB कहते हैं| इसका इलाज ज्यादा दिनों तक चल सकता है|

और इसमें दवाइयां भी जयादा लेनी पड़ेगी|

आपको कुछ हफ़्तों में ही आराम लगना शुरू हो जाएगा- भूख अच्छी लगेगी, वजन बढेगा लेकिन दवाई नहीं छोडनी है|

बीच में दवाई छोड़ने से ही ज्यादातर मल्टी-ड्रग-रेसिस्टेंट TB होती है|

शराब और तम्बाकू को बाय बाय कर दीजिये|

पेट की टी बी (अब्ड़ोमिनल टी बी) की वजह से क्या-क्या कम्पलीकेशन होती है?

पेट में TB की वजह से आँतें भीड़ी हो सकती है|

जिसकी वजह से रुकावट हो सकती है|

और बाद में जाकर कुछ लोगों में तो आंत फट भी सकती है|

इन सिचुएशन में सर्जरी करने की जरुरत पड़ सकती है|

सर्जरी के बाद ही टीबी कि दवाइयों का बेहतर असर होता है|

पेट या आँतों की टी बी में किस तरह की डाइट खानी चाहिए?

आपकी इम्युनिटी को बूस्ट करने के लिए आपको प्रोटीन से भरपूर खाना चाहिए|

हरी पत्तेदार सब्जियां और फ्रूट्स और वेजिटेबल आपके खाने में होने चाहिए|

सुगर या मीठा ज्यादा ना खाए| कोई भी खाना स्किप न करिए|

कौशिश करूँगा कि TB पेशेंट के लिए डाइट प्लान पर एक ब्लॉग लिखूं|

 

उम्मीद करता हूँ कि आपको ये ब्लॉग अच्छा लगा होगा और आप इसे शेयर करने के बारे में जरुर सोचेंगे|

यह ब्लॉग सिर्फ आपको अवेयर करने और आकी जानकारी बढाने के लिए था|

यह किसी तरह का प्रिस्क्रिपन नहीं है|

किसी भी तरह की हेल्थ प्रॉब्लम के लिए डॉक्टर को जाकर जरुर दिखाइये|

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