इस ब्लॉग में जानने वाले हैं उन 11 tongue problems के बारे में जो इशारा करते हैं कि “your tongue need help” और इनको इग्नोर करते रहो तो हो सकता है आपको tongue cancer जैसी प्रॉब्लम का सामना करना पड़ जाए।
वो कहते है ना कि चेहरा हमारे मन का आइना होता है- जो मन में वो चेहरे पर, बशर्ते आप कोई मूवी स्टार ना हो|
ठीक वैसे ही हमारी जीभ की परेशानियां हमारी हेल्थ की हालत बताती है| या यूँ कहिये कि जब आप बीमार पड़ जाते हो, तो आपका डॉक्टर सबसे पहले इस खिड़की के जरिये ही आपके सारे सिस्टम को झाँक कर देखता है|
अगर अंदर के सिस्टम में दिक्कत हो जायेगी या खिड़की पे ही कुछ धुल मिटटी लगी है, तो खिड़की से नज़ारा भी थोडा गड़बड़ ही लगेगा|
आइये ज़रा समय निकाल के आपको अपनी जीभ की खिड़की से भीतर का नज़ारा दिखाते हैं|
चलिए, सबसे पहले आपकी जीभ के बारे में ज़रा सा व्याख्यान किया जाए .
हमारी tongue बहुत ही स्मार्ट और फ्लेक्सिबल अंग है, जो स्वाद के अलावा बोलने में, खाना चबाने में और उसे निगलने में हेल्प करती है| आपके दांतों को थूक के ज़रिये साफ़ रखने में मदद करती है| और उन्ही दांतों को तुडवाने का भी काम करती है, अगर कोई बहुत बड़ा दादा बनने की कौशिश करता है| इसकी उप्परी सतह पर टैस्ट बड और कई तरह के पेपिले होते हैं|
एक normal tongue की सतह गीली, उप्परी सतह हलकी खुरदरी, हल्की गुलाबी होती है| healthy tongue में ना ही कोई जलन, न कोई दर्द और ना ही कोई सुजन होती है| आप समझ ही गए होंगे कि अगर इन नार्मल बातों से हठकर आपकी जीभ में कुछ और नजर आता है, इसका मतलब साफ़ है कि आपकी जीभ चिल्ला-चिल्ला के बोल रही है: “मुझे और आपके शरीर को हेल्प चाहिए”
आयुर्वेद, यूनानी, सीध्ध्हा पद्तियों में जीभ को बहुत महत्व दिया गया है| चीन की पद्ध्हती में तो यहाँ तक भी माना गया है कि जीभ हमारे शरीर के भीतरी अंगों की हालत का नक्षा होती है| जीभ की टिप दिल,साइडों में लीवर , सेंटर में तिल्ली और पिछला हिस्सा गुर्दे के बारे में बताता है|
ग्रीक और रोम वाले दो कदम आगे निकल गए| उन्होंने तो जीभ के हिसाब से लोगों की पर्सनेलिटी या स्वभाव को भी पहचानने के तरीके बना डाले|
आप बहुत ही गजब रीडर हैं, क्योंकि आपने अभी तक 352 शब्द पढ़ लिए हैं| अब तो हम पे भी प्रेशर हो गया है कि आपको जीभ के बारे में ज़बरदस्त जानकारी दी जाए|
आप tongue problems को तीन तरीके से समझेंगे|
वो प्रोब्लेम्स
- जो सिर्फ आपके मुँह और दांतों की सफाई अच्छे से नहीं रखने से होती है| जो मात्र मुँह की साफ़ सफाई रखने से ही ठीक हो जाती है| “इसके लिए नो चिंता, नो डॉक्टर”
- जो आपके शरीर में किसी लम्बी बिमारी, किसी विटामिन या मिनरल की कमी की वजह से होती है| जिनको समय रहते ठीक करना या कंट्रोल करना जरुरी है|
- जो आपको बिलकुल नज़र अंदाज नहीं करना चाहिए| क्योंकि ये प्रोब्लेम्स या तो किसी खतरनाक बिमारी का लक्षण है या फिर कैंसर का शुरुवाती इशारा है|
मैं सबसे पहले इस बारे में आपको सबसे जरुरी बात बताऊंगा| क्योंकि हो सकता है कि आप थक गए होंगे और आगे का ब्लॉग पढ़ो ही ना|
“ अगर जीभ में किसी तरह का छाला, अलसर, जख्म, दर्द, जलन, कोई क्रैक दो हफ्ते/ 14 दिन /टू वीकस से ज्यादा हो गया है, और ठीक नहीं हो रहा है , तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए| इसके लिए बेस्ट रहेंगे कोई नाक, कान, गला के स्पेशलिस्ट जिसे हम इ. एन. टी. स्पेशलिस्ट कहते है या फिर किसी डेंटल सर्जन के पास जाइए| प्लीज अपनी लाइफ का कम्फर्ट या नज़र अन्दाज्गी छोड़िये और इसको सीरियसली ले लीजिये .”
आइये अब डिटेल में बात करते हैं – वन बाय वन
लेकिन उससे पहले थोडा सा डिसक्लैमर|
“ये सारी जानकारी केवल आपका ज्ञान और कॉन्फिडेंस बढाने के लिए है ताकि आप समय से सही कदम उठा सके”
Table of Contents
मुँह की साफ़-सफाई से ठीक होने वाली प्रोब्लेम्स
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- लाल और सफेद स्पॉट्स या दाने होना ( red and white spots)
- लकीरें बनना (ridges)
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छाले होना -जिसे नासूर भी कहते हैं (Canker Sores)
- इसको मेडिकल भाषा में एफ्थ्स अलसर (aphthous ulcer) भी कहा जाता है| ये सफेद मुँह वाले छाले होते हैं, जिनमे दर्द की वजह से खाने में दिक्कत होती है| और कभी-कभी तो बोलने में भी दिक्कत होती है| ये हमारे मसूड़ो, जीभ और मुह के अंदर साइड गालों पे होते हैं|
ये बहुत तेज ब्रश करने से, खाना खाते समय जीभ या गाल का दांतों के बीच में आ जाने से, विटामिन बी 12, फोलिक एसिड या जिंक की कमी से, महिलाओं में माहवारी (menstruation) के समय होर्मोन में बदलाव की वजह से भी ये छाले हो सकते हैं|
करना क्या चाहिए – एक से दो हफ्ते के अंदर अपने-आप ठीक हो जायेंगे| कभी- कभी विटामिन बी कॉम्लेक्स खाने से भी ठीक हो जाते हैं| दर्द के लिए फार्मेसी की दूकान से लगाने वाली जेल(gel) मिल जाती है, जिससे सूथिंग इफ़ेक्ट(आरामदायक) लगता है और आराम महसूस होता है|
लेकिन अगर इसके साथ आपको किसी तरह का बुखार आ रहा है या दो हफ्ते से ज्यादा होने के बाद भी नहीं ठीक हो रहे है, तो अपने डॉक्टर को दिखाइये| आपका डॉक्टर इसको सिर्फ देखकर ही पहचान जायेंगे|
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कोल्ड छाला ( cold sores)-हर्पीस अलसर(Herpes Ulcer)-
- इनको फीवर-अलसर भी कहा जाता है| क्योंकि ये छाले हर्पीस वायरस की इन्फेक्शन की वजह से होते हैं, जो ज्यादातर होठों, पर होते हैं, लेकिन कुछ में ये मुँह के अंदर भी हो जाते हैं| एक से दुसरे इंसान में किस्सिंग के ज़रिये फैल सकता है|
छाला बनने से पहले ये एक औंस की बूँद (Dew Drop) के जैसा होता है| उसके फूटने के बाद छाला बनता है और फिर अपने आप ठीक हो जता है| शुरू में लगता है कि चेहरे पे या होठों पे निशान बन जाएगा|
लेकिन दो से तीन हफ्ते में निशान भी अपने आप ठीक हो जाते हैं, इसलिए उसके लिए कोई कोस्मेटिक प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने की जरुरत नहीं है|
क्या करना चाहिए – इसका कोई इलाज नहीं है| ये अपने आप बिना निशान छोड़े ठीक हो जाता है| कुछ एंटीवायरल दवाइयां आती है उससे सिर्फ इसके ठीक होने की स्पीड ज़रा सी बढ़ जाती है|
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जीभ में दरारें पड़ना ( fissured tongue)
हमारी जीभ की सतह फ्लैट या समतल होती है, लेकिन लगभग पांच प्रतिशत के करीब लोगों में जीभ में दरारे हो जाती है , खासतौर से-
बढती उम्र के साथ
बच्चों में कुपोषण के कारण
जन्म से होने वाली प्रॉब्लम जैसे की डाउन सिंड्रोम
सोरिअसिस के मरीजों में
क्या करना चाहिए
सिर्फ और सिर्फ अपनी मुँह और दांतों कि सफाई रेगुलरली कीजिये क्योंकि इन दरारों में खाना फास जाता है और जिसमे बैक्टीरिया बढ़ने लग जाते है| जिसकी वजह से मुँह से बदबू और दांतों को कैविटी का ख़तरा बन जाता है|”
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काली जीभ या जीभ पे काले बाल उगने जैसा लगना- हेयरी लयूकोप्लाकिया (hairyleukoplakia)
काली जीभ होना वैसे तो सुनने में ही खतरनाक या डरावना सा लगता है, लेकिन सही मायने में इससे ज्यादा डरने की जरुरत नहीं है| कई बार tongue पर ऐसा लगता है कि बाल उग आये हैं| इसको hairy लयूकोप्लाकिया कहते हैं|
लेकिन सही मायने में ये बाल नहीं होते हैं| हमारी जीभ पे छोटे छोटे पेपिले होते हैं जो स्वाद महसूस करवाने का काम करते हैं| मुँह कि अच्छे से सफाई ना होने की वजह से पुरानी मरी हुई कौशिकायें साफ़ नहीं होती और वो इन पेपिले के साथ इकठ्ठा होना शुरू हो जाती है|
धीरे-धीरे इन पर बैक्टीरिया की ग्रोथ होना शुरू हो जाती है और इनका रंग काला हो जाता है और काले बालों जैसा नज़र आता है|
असल पिक्चर देखने के लिए गूगल पर hairy leukoplakia टाइप करके इमेज सेक्शन में जाके देख सकते हैं|हम कॉपी-राईट की वजह से नहीं डाल सकते हैं|
इसके अलावा
-एंटीबायोटिक का कोर्स लेते समय
-सिर्फ और सिर्फ लिक्विड डाइट पे रहने पे (पुरानी मरी हुई कौशिकायें साफ़ नहीं हो पाती है)
-तम्बाकू का इस्तेमाल
-कुछ दवाइयां जैसे आयरन का सिरप लेने पर
-बिस्मुथ subsalicylate
-कुछ-कुछ माउथ-वाश
-बहुत ज्यादा कॉफ़ी या चाय पीने से भी
black tongue या hairy leukoplakia हो जाता है|
क्या करना चाहिए–
मुँह और दांतों की साफ़ सफाई, अगर कोई इलाज़ चल रहा है तो डॉक्टर से इस बारे में बात कीजिये और कम से कम चाय और कॉफ़ी पीजिये तथा तम्बाकू को ना कह दीजिये (जिन्दगी चुनिए तम्बाकू नहीं )
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जीभ में सूखापन रहना Dry Tongue
जीभ का सुखा रहने का सबसे इम्पोर्टेन्ट कारण है कि आपके थूक की ग्रंथि से सही मात्रा में थूक या सलाइवा नहीं निकल रहा है| इसकी कई वजह हो सकती है|
-बढती उम्र के साथ
-शुगर के मरीजों में
-जो मुँह से सांस लेते है (नाक में कोई दिक्कत की वजह से )
-एंटी-हिस्तामिनिक मेडिसिन(सर्दी-जुखाम के समय)
-डिप्रेशन कि दवाइयां
-स्ट्रेस या घबराहट होने पर
-धुम्रपान या तम्बाकू के इस्तेमाल से
क्या करना चाहिए – अगर आपको कारण समझ आ गया है तो फिर तो कुछ बाते ध्यान रखिये – बीच-बीच में पानी पीते रहिये, स्ट्रेस कम कीजिये, इलाज चल रहा है तो डॉक्टर को रिपोर्ट कीजिये इत्यादि
और अगर आपको कोई वजह नज़र नहीं आ रही है तो फिर डॉक्टर को दिखाइये
जो किसी बिमारी, विटामिन या मिनरल की कमी कि वजह से होती है|
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White Tongue
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इसको ओरल थ्रश (oral thrush) भी कहा जाता है| ज्यादातर सफेद जीभ मुँह की सफाई ठीक से न होने की वजह से होती है, लेकिन जब हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होता है जैसे कि सुगर के मरीजों में, विटामिन बी की कमी, एच आई वी के मरीजों में, एंटीबायोटिक्स का कोर्स लेने के बाद, अस्थमा इनहेलर (जिसमे स्टेरॉयड होता है) की वजह से मुँह में फंगल इन्फेक्शन हो जाती है|
कोरोना में भी इस फंगस का नाम आ रहा है, जिसे वाइट फंगस बुलाया जा रहा है| इसके अलावा ब्लैक फंगस भी कोरोना में सबसे ज्यादा नुक्सान पहुंचा रही है| हमारे ब्लॉग पर ब्लैक फंगस के बारे में पढ़ सकते हैं|
यह कैंडिडा यीस्ट (candida yeast) की वजह से होती है| इसको बहुत बार वाइट फंगस के नाम से भी जानते हैं| एक साल से छोटे बच्चों और ड़ेंचेर(denture) पहनने वाले बुजुर्गों में भी हो सकती है|
क्या करना चाहिए – इसके लिए एंटी-फंगल दवाइयां आती है, जो जेल्ल, सोल्यूशन या टेबलेट के रूप में आती है| अगर आपको किसी तरह की इम्युनिटी कम करने वाली बिमारी है तो प्लीज डॉक्टर को जरुर दिखाइये.
पीली जीभ
ये ज्यादातर डेंटल hygiene सही ना होने कि वजह से होती है, खासतौर पर जो लोग बहुत ज्यादा स्मोकिंग करते हैं, तम्बाकू चबातें हैं| क्योंकि इन लोगों कि जीभ पे पुरानी या डेड (dead) कोशिकाओं के इकठ्ठे होने लग जाती है|
लेकिन जब शरीर में जोंडिस होता है, तब जीभ का पीला होना बिमारी का लक्षण होता है| जोंडिस लीवर में बनने वाले बिलिरुबिन के सही से निस्तारण ना होने की वजह से होता है|
क्या करना चाहिए – इसमें ज्यादातर कुछ करने की जरुरत नहीं पड़ती है लेकिन पीलिया बहुत जयादा होने पर जीभ भी पीली होने लग जाती है| जिसके लिए आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्योंकि शुरुआत में जोंडिस आँखों में दिखता है और वो आपने मिस कर दिया है तो अब पीलिया ज्यादा बढ़ गया है|
जीभ की सतह लाल होना
अगर जीभ का रंग लाल और स्मूथ (चिकनी:सामान्य जीभ खुरदरी होती है) हो जाए और उसके साथ उसमे दर्द भी हो तो ये विटामिन बी-3 की कमी की वजह से हो सकता है|
लेकिन अगर बच्चें की जीभ स्ट्राबेरी की जैसे हो जाए तो ये कावासाकी डिजीज या स्कारलेट बुखार का अंदेशा हो सकता है| माफ़ कीजियेगा इसकी फोटो ओरिजिनल नहीं है क्योंकि कॉपीराईट इशू है, लेकिन आप तो गूगल पर जाके टाइप कीजिये strawberry tongue in kawasaki और इमेजे सेक्शन में जाके देख सकते हैं|आपको बेहतर क्लैरिटी हो जायेगी|
क्या करना चाहिए – विटामिन बी-3 कि कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है बस बी-3 युक्त खाना खाइए| लेकिन कावासाकी डिजीज या स्कारलेट बुखार के तुरंत डॉक्टर के पास जाना बहुत जरुरी होता है|
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सफेद रंग के धब्बे या चकते बनना(white patches) या लयूकोप्लाकिया
वैसे तो ये कोई सीरियस प्रॉब्लम नहीं है, क्योंकि जब जीभ पे कौशिकायें लगातार इकठ्ठी होती है और जीभ पे सफेद रंग के धब्बे या चकते बन जाते हैं|
मुँह की अच्छे से साफ़ सफाई रखने से ये ठीक हो जाता है, लेकिन बहुत ही रेयर सिचुएशन में जीभ में लयूकोप्लाकिया की वजह से लगातार इरीटेसन (irritation) रहने की वजह से कैंसर हो जाता है| इसलिए अगर वाइट पैचेज हार्ड या सख्त हो जाए और वो साफ़ करने से भी साफ़ ना हो तो ये चिंता का विषय है|
जीभ का आकार बढ़ना (macroglossia)
जब जीभ का आकार सामान्य से ज्यादा बड़ा हो जाता है तो उसे मक्रोग्लोस्सिया कहते हैं| यह जन्म से हो सकती है और इसके अलावा खून के सिराओं में मॉलफार्मेशन की वजह से भी होता है जिसको हेमंजिओमा कहते हैं| इसके अलावा जन्म से हाइपो थाइरोइड, डाउन सिंड्रोम की वजह से भी हो सकता है| ज्यादातर छोटे बच्चों में नज़र आता है|
क्या करना चाहिए? कारण अगर पहचान में आ जाए तो उसी पर निर्भर करती है सारी मैनेजमेंट| ज्यादातर केसेस में ये ठीक करना मुश्किल काम है लेकिन हाँ,सर्जरी की मदद से इसका साइज़ कम किया जाता है| उसके बाद खाने में, बोलने में कुछ इम्प्रूवमेंट हो जाती है|
जीभ का कैंसर
इसके लिए मैं बिलकुल शुरू में बात कही थी उसे ही दोहराउंगा|
“ अगर जीभ में किसी तरह का छाला, अलसर, जख्म, दर्द, जलन, कोई क्रैक दो हफ्ते/ 14 दिन /टू वीकस से ज्यादा हो गया है, और ठीक नहीं हो रहा है , तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए| इसके लिए बेस्ट रहेंगे कोई नाक, कान, गला के स्पेशलिस्ट जिसे हम इ. एन. टी. स्पेशलिस्ट कहते है या फिर किसी डेंटल सर्जन के पास जाइए| प्लीज अपनी लाइफ का कम्फर्ट या नज़र अन्दाज्गी छोड़िये और इसको सीरियसली ले लीजिये .”
कॉपी-राईट की वजह से जीभ के कैंसर की फतो नहीं डाल पाए| कृपया गूगल पर जाके टंग कैंसर टाइप करके इमेज सेक्शन में देख सकते हैं| हमें खेद है|
ये बात उन लोगों के लिए ज्यादा जरुरी हो जाती है जिनके अंदर कोई ऐसी आदत है जो कैंसर को बढ़ावा दे सकती है या जिनकी वजह से कैंसर होता है|
मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको ये जानकारी पसंद आई होगी और आप इसको शेयर करने के बारे में भी सोच रहे होंगे|
धन्यवाद
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