विटामिन डी टोक्सिसिटी बहुत ही कम देखी जाने वाली प्रॉब्लम है|
लेकिन कोरोना काल में आप अपनी इम्युनिटी को सातवें आसमान में पहुचाने की होड़ में इतनी स्पीड से आगे निकले कि
vitamin d toxicity भी भविष्य में शायद उतनी कम न रहे|
vitamin d के सप्लीमेंट ज्यादा डोज़ और ज्यादा लम्बे समय तक लेने से विटामिन डी टोक्सिसिटी होती है|
ये जानलेवा तो उतनी नहीं है लेकिन जिंदगी काफी प्रॉब्लम में आ सकती है|
समय रहते अगर कुछ बेसिक जानकारी आपको रहेगी तो ये परेशानी कम से कम आपको तो झेलनी नहीं पड़ेगी|
कुछ बातें विटामिन डी के बारे में कर लेते हैं.
हमारी स्किन बड़ी ही आसानी के साथ विटामिन डी बना लेती है.
इसके लिए इसको मात्र सूरज की रौशनी चाहिए होती है.
ऐसा इसलिए हो पाता है क्योंकि कुदरत ने ही इंसान की स्किन को ऐसा मैकेनिज्म दिया है
कि वह सूरज की रौशनी सही मात्रा पर मिलने पर विटामिन डी बना लेती है.
विटामिन डी कोई ऐसा वैसा विटामिन नहीं है.
यह हमारे शरीर की कोशिकाओं की ग्रोथ के लिए अत्यंत आवश्यक होता है.
इसके अलावा ये तो लगभग सभी को पता होता है कि हमारी हड्डियों की नींव की मजबूती विटामिन डी पर ही निर्भर करती है.
जिसको अंग्रेजी में कहते हैं “bone हेल्थ”
जी हाँ, हड्डियों की नींव विटामिन पर ही कड़ी होती हैं.
कैल्शियम और फॉस्फोरस अगर इंटें हैं तो विटामिन डी को मजबूत सीमेंट कहें तो कुछ गलत नहीं होगा.
ऐसा इसलिए क्योंकि बिना विटामिन डी के हमारा शरीर कैल्शियम को शरीर के अंदर अवशोषित ही नहीं कर पाता है.
मतलब ये कि अगर शरीर कैल्शियम के समुंदर में तैरता भी रहेगा तब भी इसको इस्तेमाल नहीं कर पायेगा अगर शरीर में विटामिन डी नहीं है.
लेकिन एक बात को लेकर मैं अपना खेद प्रकट करना चाहता हूँ कि
हम अपनी जिंदगी में इतना ज्यादा व्यस्त हो गए कि
हम कुदरत का बक्शा हुआ गिफ्ट सनलाइट भी पूरी तरह एन्जॉय नहीं कर पाते हैं.
ये व्यवस्थता जान बूझ के नहीं है बल्कि हमारे रूटीन लाइफ स्टाइल और काम काज की वजह से है.
और इसी की वजह से लगभग एक बिलियन के करीब दुनिया की जनसँख्या में विटामिन डी की कमी पायी गयी है.
One billion population in the world is Vitamin D deficient.
है ना ये खेद जताने वाली बात.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब विटामिन डी की टोक्सीसिटी के भी मामले सामने आ रहे हैं.
Table of Contents
विटामिन डी की टोक्सीसिटी क्यों होती है? How Vitamin D toxicity is happening?
कोरोना ने सभी को इम्युनिटी बूस्ट करने की दौड़ में शामिल होने के लिए मजबूर कर दिया है.
और आये दिन नए नए सप्लीमेंट आयें और उनके द्वारा बहुत ही अलग तरह के दावे भी किये गए.
कुछ सही और ज्यादातर बिना साइंस के और बिना रिसर्च के झूठे दावे.
लेकिन इस तेज तरार जिंदगी में किसको समय है जानकारी को क्रॉस-चेक करने का.
उपर से ये सारे सप्लीमेंट बिना डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के आपको फार्मेसी से मिल जाते हैं.
यही वजह है कि कोई भी न्यूज़ या एड देखकर लोग अपनी मर्जी से इन सप्लीमेंट को लेना शुरू कर देते हैं.
यह जानने की कौशिश ही नहीं करते कि उस सप्लीमेंट की उन्हें जरुरत है भी या नहीं.
या फिर कोई नेचुरल तरीका भी नहीं ढूंढते जिसकी हेल्प से बिना साइड इफेक्ट्स
और टोक्सीसिटी के उस विटामिन या मिनरल की कमी को पूरा किया जा सके.
बड़े बड़े स्टार्स और सोशल मीडिया इन्फ़्लुएन्केर्स की बातों में आकर सुप्प्लिमेंट्स लेना शुरू कर देते है
और भूल जाते हैं कि सप्लीमेंट का मतलब ये नहीं कि कोई साइड इफ़ेक्ट होगा ही नहीं.
अब विटामिन डी को ही ले लीजिये.
जब डॉक्टर को लगता है कि आपको विटामिन डी की कमी है तो वो आमतौर पर विटामिन डी की हाई डोज़ देते हैं.
इसके लिए साठ हज़ार इंटरनेशनल यूनिट की मात्रा वाला सैशे वाला पाउडर दिया जाता है.
इसे हफ्ते में एक बार दूध में मिलाकर सिर्फ चार से छ हफ्ते तक ही दिया जाता है.
अब लोगो को आराम मिलता है तो वो लेते ही रहते हैं,
मानो हर दर्द का इलाज़ उसी पाउडर में है.
सिर्फ वही मरीज ही नहीं बल्कि उसके जानने वालो को भी प्रोमोट करता है
कि हफ्ते में एक पाउच और दर्द बिलकुल ठीक हो जाता है.
और ये सिलसिला चलता रहता है.
विटामिन डी के लिए ही नहीं बाकी सभी सप्लीमेंट के लिए भी यही सब होता है.
अब समझिये असल दिक्कत.
विटामिन डी हमारे शरीर में मौजूद फैट या वसा में घुल जाता है और वही डिपाजिट हो जाता है.
वहाँ से धीरे धीरे करके विटामिन डी खून में आता है. लेकिन जब यही जरुरत से ज्यादा लिया जाए
तो इसकी टोक्सीसिटी के लक्षण भी बहुत लम्बे समय तक आते रहेंगे.
विटामिन डी टोक्सीसिटी के लक्षण What are the symptoms of Vitamin D toxicity?
शुक्र है कि विटामिन डी की टोक्सीसिटी कम से कम जानलेवा नहीं है
लेकिन फैट में डिपाजिट होने की वजह से आपकी जिंदगी लम्बे समय तक दुखदायी कर सकता है.
विटामिन डी की शरीर में बहुतायत की वजह से लक्षण डायरेक्ट विटामिन डी की वजह से ना होके
बल्कि उसकी वजह से बढे हुए कैल्शियम के लेवल की वजह से होते हैं.
जैसे-जैसे विटामिन डी का लेवल बढेगा,
वैसे-वैसे हड्डियां कैल्शियम अपने अंदर अवशोषित करती रहेंगी.
लेकिन हड्डियों की अपनी एक कैपेसिटी होती है और उसके बाद कैल्शियम को टेक-अप नहीं कर पाती है.
उसके बाद खून में कैल्शियम का लेवल बढ़ने लग जाता है
और उसे कहते हैं हाइपरकाल्समिया.
इसी हाइपरकाल्समिया की वजह से ही विटामिन डी टोक्सिसिटी के लक्षण आते हैं.
विटामिन डी टोक्सिसिटी के लक्षण Symptoms of Vitamin D Toxicity/Hypercalcemia
जी मितलाना (उल्टी जैसा महसूस होना)
उल्टियां लगना Vomiting
पेट खराब रहना या पेट अस्वस्थ होना
पेट में दर्द होना Pain abdomen
ज्यादातर में कब्ज की शिकायत रहती है
लेकिन कुछ लोगो में दस्त की शिकायत भी हो सकती है.
हड्डियों में दर्द होना : यह लक्षण आपको अचरज करने वाला लग रहा होगा.
लेकिन ये सच है. सोच रहे होंगे कि कैल्शियम हड्डियों के लिए बहुत जरुरी है.
और इस मामले में तो कैल्शियम ही कैल्शियम है, फिर हड्डियों में दर्द क्यों हो रहा है.
ज्यादा चिंता मत कीजिये. हम इसको एक्सप्लेन करेंगे.
लेकिन उससे पहले दो ओर लक्षणों के बारे में जान लीजिये.
किडनी में स्टोन होना- क्योंकि बॉडी को बहुत ज्यादा कैल्शियम को शरीर से बाहर निकलना पड़ता है.
और ये काम करना पड़ता है गुर्दों को और जितना ज्यादा कैल्शियम गुर्दों को निकालना पडेगा उतना ज्यादा ही किडनी में स्टोन होने के चांस बढ़ जाते हैं.
एक बात नोट करने वाली ये है कि विटामिन डी की टोक्सिसिटी कि वजह से पित की थैली में पथरी देखने को आमतौर पर देखने को नहीं मिलती है.
बहुत ज्यादा प्यास लगना- बहुत ज्यादा कैल्शियम को बाहर निकालने के लिए बहुत ज्यादा यूरिन पास करना पड़ता है
और बहुत ज्यादा यूरिन पास करने की वजह से बहुत ज्यादा प्यास लगती है.
और ये तो आप जानते ही हो कि बहुत ज्यादा पानी पीने से बहुत ज्यादा यूरिन भी आता है.
आइये आखिरकार हड्डियों में दर्द का नंबर आ ही गया है.
आप सही समझते हैं कि कैल्शियम हमारी हड्डियों की मजबूती के लिए बहुत जरुरी है.
और ऐसा करने के लिए सही मात्रा में विटामिन डी होना अति आवश्यक है.
लेकिन हड्डियां में कैल्शियम को जकड़ कर रखने के लिए विटामिन K-2 की आवश्यकता होती है.
विटामिन K-2 मीठ, दूध और दूध से बनी चीजों से मिलता है.
लेकिन विटामिन डी ज्यादा होने से विटामिन K-2 की मात्रा कम हो जाती है. जिसकी वजह से bone पैन होने लग जाता है.
विटामिन डी टोक्सिसिटी का संभावित इलाज़ क्या होता है? What are the possible treatment of vitamin D Toxicity?
अगर आप विटामिन डी की टोक्सिसिटी से झूझ रहे हो
तो सबसे पहले आपको मन बनाना होगा कि आपको पूरी तरह से रिकवर करने में थोडा समय लगेगा.
अपने डॉक्टर से डिसकस कीजिये पूरे मामले को.
डॉक्टर आपको विटामिन डी और कैल्शियम का लेवल चेक करने के लिए बोल सकता है.
उसके बाद आपको प्रिस्क्रिप्शन देंगे.
-बिना प्रिस्क्रिप्शन के कोई सप्लीमेंट मत लीजिये.
-कैल्शियम सप्लीमेंट को कम कीजिये और कुछ समय के लिए कैल्शियम रिच खाना भी कम कर दीजिये.
दिन में खूब पानी पीना चाहिए. (कम से कम 7 से 8 गिलास)
जरुरत लगेगी तो कुछ मेडिकेशन भी देंगे
आखिरी मेसेज ये है कि कोई भी सप्लीमेंट बिना डॉक्टर की सलाह के और बताये समय से ज्यादा समय तक नहीं लेनी चाहिए.
MUST Read: dengue में प्लेटलेट कम क्यों हो जाती है.
Thank you.