आजकल हर कोई फिट रहना चाहता है, लेकिन जिम जाकर पसीना बहाना सबके लिए मुमकिन नहीं होता। ऐसे में सोशल मीडिया पर एक आसान और कमाल का तरीका वायरल हो रहा है – “6-6-6 वॉकिंग चैलेंज”।
यह कोई मुश्किल एक्सरसाइज नहीं, बल्कि चलने का एक साधारण तरीका है जो आपकी सेहत और दिमाग दोनों के लिए बहुत फायदेमंद है।
तो आइए, जानते हैं कि यह चैलेंज आखिर है क्या और इसे आप कैसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बना सकते हैं।
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वॉक से बेहतर सेहत: “6-6-6 वॉकिंग चैलेंज” के बारे में सब कुछ
आजकल कॉम्प्लेक्स वर्कआउट रूटीन और जिम के भारी-भरकम इक्विपमेंट के बीच, एक सिंपल और कमाल का तरीका सोशल मीडिया पर छाया हुआ है:
“6-6-6 वॉकिंग चैलेंज”। यह सिर्फ एक ट्रेंड नहीं है, बल्कि अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत को बेहतर बनाने का एक बहुत ही असरदार और आसान तरीका है।
लेकिन ये है क्या, और क्यों फिटनेस पसंद करने वालों से लेकर बिजी लोगों तक, हर कोई इसकी तारीफ कर रहा है? चलिए, इस पॉपुलर ट्रेंड को समझते हैं और जानते हैं कि कैसे आप भी इसकी शुरुआत कर सकते हैं।
6-6-6 वॉकिंग चैलेंज” क्या है?
इसका नाम ही सब कुछ बता देता है। “6-6-6 वॉकिंग चैलेंज” एक सीधा-साधा रूटीन है जो तीन बातों पर टिका है:
6 मिनट का वार्म-अप (Warm-up): यह पहला और बहुत ज़रूरी स्टेप है। इसमें आप हल्की-फुल्की हरकतें करके अपनी बॉडी को चलने के लिए तैयार करते हैं। इससे आपका ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और मांसपेशियां गर्म हो जाती हैं।
60 मिनट की वॉक (Walk): यह चैलेंज का मेन हिस्सा है। एक घंटे की तेज़ वॉक कैलोरी बर्न करने, दिल की सेहत सुधारने और दिमाग को साफ़ करने के लिए एकदम परफेक्ट है। आपकी स्पीड इतनी होनी चाहिए कि आप थोड़ी तेज़ी से सांस लें, लेकिन इतनी भी नहीं कि आप बात न कर पाएं।
6 मिनट का कूल-डाउन (Cool-down): वार्म-अप की तरह ही, कूल-डाउन भी बहुत ज़रूरी है। इससे आपकी साँसें और दिल की धड़कन नॉर्मल होती है। इसमें आमतौर पर कुछ हल्के स्ट्रेच शामिल होते हैं, जिनसे मांसपेशियों में दर्द नहीं होता और आपकी बॉडी लचीली बनती है।
ये चैलेंज इतना पॉपुलर क्यों है?
इसकी सादगी ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT) या वेटलिफ्टिंग से अलग, “6-6-6 वॉकिंग चैलेंज” के लिए किसी खास इक्विपमेंट, जिम मेंबरशिप या पहले के अनुभव की ज़रूरत नहीं है। आपको सिर्फ एक जोड़ी आरामदायक जूते और चलने की जगह चाहिए—चाहे वह पार्क हो, गली हो या ट्रेडमिल।
लेकिन इसकी खासियत सिर्फ सुविधा नहीं है। यह सेहत के लिए एक होलिस्टिक तरीका है, जो शरीर और दिमाग दोनों का ख्याल रखता है।
वैज्ञानिक आधार: इस वॉक के पीछे का रिसर्च
“6-6-6 चैलेंज” भले ही सोशल मीडिया का ट्रेंड हो, लेकिन इसके पीछे के सिद्धांत रिसर्च पर आधारित हैं।
लम्बी उम्र और स्वस्थ जीवन: JAMA Network Open में छपी 2021 की एक स्टडी में पाया गया कि जो लोग रोज़ाना कम से कम 7,000 कदम चलते हैं, उनमें मृत्यु का खतरा काफी कम हो जाता है। इस चैलेंज में 60 मिनट की तेज़ वॉक से आप आसानी से यह लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।
दिल की सेहत: अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन (American College of Sports Medicine) के अनुसार, तेज़ चलने जैसी एक्सरसाइज़ दिल की सेहत को सुधारती है, ब्लड प्रेशर को कम करती है और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाती है।
मानसिक सुकून: रिसर्च से पता चला है कि रोज़ चलने से स्ट्रेस और डिप्रेशन के लक्षण कम होते हैं। Current Psychology में छपी एक स्टडी के मुताबिक, प्रकृति में चलने से मूड अच्छा होता है और मन में पॉज़िटिविटी आती है।
इस चैलेंज की शुरुआत कैसे करें: आसान गाइड
चैलेंज के लिए तैयार हैं? तो ये रही आपकी स्टेप-बाय-स्टेप गाइड:
- सही समय ढूंढें: अपने 72 मिनट (6+60+6) के रूटीन को दिन में कहीं भी फिक्स करें। चाहे वह सुबह हो, लंच ब्रेक में हो, या शाम को—रोज करना सबसे ज़रूरी है।
- तैयारी करें: आरामदायक कपड़े और अच्छे जूते पहनें। अगर गर्मी है तो पानी की बोतल ज़रूर रखें।
- 6 मिनट का वार्म-अप: धीमी गति से चलना शुरू करें। कुछ देर बाद हाथ-पैर घुमाएं और कमर को हल्का-सा हिलाएं।
- 60 मिनट की वॉक: तेज़ स्पीड बनाए रखें। अगर आप बाहर चल रहे हैं, तो रास्ते बदलते रहें ताकि बोरियत न हो।
- 6 मिनट का कूल-डाउन: वॉक खत्म होने पर, दो-तीन मिनट के लिए धीरे-धीरे चलें। फिर, अपनी जांघों, पिंडलियों और पीठ को हल्के-हल्के से स्ट्रेच करें।
निष्कर्ष: “6-6-6 वॉकिंग चैलेंज” सिर्फ एक ट्रेंड नहीं है—यह सेहतमंद रहने का एक टिकाऊ तरीका है। यह साबित करता है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए मुश्किल रूटीन की ज़रुरत नहीं है। रोज़ बस एक घंटा निकालकर, आप अपनी शारीरिक फिटनेस सुधार सकते हैं, दिमाग को तेज़ कर सकते हैं और इस भागदौड़ भरी जिंदगी में सुकून पा सकते हैं। तो, अपने जूते पहनें और आज ही यह चैलेंज शुरू करें। आपका शरीर और दिमाग दोनों आपको शुक्रिया कहेंगे।