नमस्ते! क्या आपने कभी सोचा है कि जब आपको चोट लगती है तो खून अपने आप कैसे रुक जाता है?
यह हमारे शरीर के छोटे-छोटे सुपरहीरो, जिन्हें हम प्लेटलेट्स कहते हैं, उनका काम है।
लेकिन क्या हो अगर आपका शरीर ही गलती से इन प्लेटलेट्स पर हमला करना शुरू कर दे? ऐसा ही कुछ होता है ITP नाम की बीमारी में।
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ITP क्या है, आसान भाषा में?
ITP का पूरा नाम है इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिक परपूरा (Immune Thrombocytopenic Purpura)। इसे आसान शब्दों में समझते हैं:
इम्यून: मतलब आपके शरीर की रक्षा प्रणाली (जो बीमारियों से लड़ती है) इसमें शामिल है।
थ्रोम्बोसाइटोपेनिक: मतलब आपके शरीर में उन ज़रूरी प्लेटलेट्स की गिनती कम हो गई है।
परपूरा: यह त्वचा पर पड़ने वाले बैंगनी धब्बों या नीले निशानों को कहते हैं, जो प्लेटलेट्स कम होने पर दिख सकते हैं।
आम तौर पर, हमारे शरीर में बहुत सारे प्लेटलेट्स होते हैं, करीब 1.5 लाख से 4.5 लाख (यानी 150,000 से 450,000)।
ITP में यह संख्या 1 लाख (100,000) से भी कम हो जाती है। इसका मतलब है कि आपका शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से अपनी ही प्लेटलेट्स को नष्ट करने लगता है।
बच्चों और बड़ों में ITP का फर्क
ITP किसी को भी हो सकता है, लेकिन बच्चों और बड़ों में यह थोड़ा अलग तरह से असर करता है:
बच्चों में: ज़्यादातर बच्चे (लगभग 100 में से 80) ITP से अपने आप ठीक हो जाते हैं, उन्हें ज़्यादा इलाज की ज़रूरत नहीं पड़ती।
उनकी प्लेटलेट काउंट धीरे-धीरे नॉर्मल हो जाती है। कुछ ही बच्चों में यह बीमारी लंबे समय तक रह सकती है।
बड़ों में: बड़ों में ITP के लंबे समय तक बने रहने की संभावना ज़्यादा होती है (लगभग 100 में से 80 मामलों में)।
प्लेटलेट्स की संख्या ऊपर-नीचे होती रह सकती है, लेकिन अक्सर कम बनी रहती है।
ITP क्यों होता है?
कभी-कभी, डॉक्टर को ITP होने की सही वजह पता नहीं चलती। इसे प्राइमरी ITP कहते हैं।
कुछ और मामलों में, ITP किसी और चीज़ के कारण शुरू हो सकता है, जिसे सेकेंडरी ITP कहते हैं। इसके कुछ कारण हो सकते हैं:
संक्रमण (Infections): जैसे बच्चों में फ्लू, या बड़ों में HIV, हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी जैसे वायरस।
कुछ दवाएं: कुछ दवाएं भी इसका कारण बन सकती हैं।
लेकिन याद रखिए, वजह चाहे कोई भी हो, असली समस्या यह है कि आपका इम्यून सिस्टम भ्रमित होकर आपकी प्लेटलेट्स पर ही हमला करने लगता है।

यह चित्र पुरपुड़ा की स्थिति को दर्शाता है, जहां त्वचा पर बैंगनी और लाल धब्बे दिखाई देते हैं, और अंदर की प्रतिरक्षा कोशिकाएं प्लेटलेट्स पर गलती से हमला करती हैं।
ITP के लक्षण क्या हैं?
यह दिलचस्प है कि ITP वाले कई लोगों (आधे से ज़्यादा!) को कोई लक्षण महसूस ही नहीं होता।
उन्हें तो तब पता चलता है जब वे कोई सामान्य ब्लड टेस्ट करवाते हैं और उसमें प्लेटलेट्स कम निकलते हैं।
जब लक्षण दिखते हैं, तो वे आमतौर पर प्लेटलेट्स कम होने के कारण खून बहने से जुड़े होते हैं:
त्वचा पर निशान: आपको त्वचा पर छोटे लाल या बैंगनी रंग के बिंदु (जैसे पिन चुभने से) या बड़े नीले निशान दिख सकते हैं।
आसानी से खून बहना: मसूड़ों से खून आना या नाक से खून आना शामिल हो सकता है।
असामान्य रक्तस्राव: कम मामलों में, पेशाब या मल में खून दिख सकता है।
महिलाओं में भारी मासिक धर्म: जिन महिलाओं को ITP होता है, उन्हें सामान्य से ज़्यादा ब्लीडिंग हो सकती है।
ये खून बहने वाले लक्षण आमतौर पर तब दिखते हैं जब प्लेटलेट्स की संख्या काफी कम हो जाती है, अक्सर 20,000 से कम, या कभी-कभी 50,000 से कम।
डॉक्टर कैसे पता लगाते हैं कि यह ITP है?
ITP का पता लगाना थोड़ा जासूसी करने जैसा है। डॉक्टर पहले प्लेटलेट्स कम होने की दूसरी वजहों को दूर करते हैं। वे कुछ टेस्ट करवाते हैं, जिनमें शामिल हैं:
खून की जांच: एक आम टेस्ट है कंप्लीट ब्लड काउंट (CBC), जिससे प्लेटलेट्स का स्तर पता चलता है।
अन्य टेस्ट: वे डेंगू या मलेरिया जैसे संक्रमणों की भी जांच कर सकते हैं, जिनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं।
बोन मैरो की जांच (कभी-कभी): कुछ मामलों में, खासकर बड़ों के लिए, वे बोन मैरो (जहां खून की कोशिकाएं बनती हैं) का एक नमूना लेकर देखते हैं कि वह ठीक से प्लेटलेट्स बना रहा है या नहीं। ITP में,
बोन मैरो आमतौर पर स्वस्थ और ठीक काम कर रहा होता है।
यह जानना ज़रूरी है कि ITP कैंसर का प्रकार नहीं है।
ITP का इलाज कैसे होता है?
ITP का इलाज आपके प्लेटलेट काउंट और आपके लक्षणों पर निर्भर करता है।
देखो और इंतज़ार करो”: अगर आपकी प्लेटलेट काउंट 50,000 से ज़्यादा है और खून बहने का कोई लक्षण नहीं है,
तो डॉक्टर आपको सिर्फ़ निगरानी में रख सकते हैं और कोई दवा नहीं देंगे।
इलाज कब ज़रूरी है: इलाज आमतौर पर तब शुरू होता है जब आपको ब्लीडिंग हो रही हो, आपकी प्लेटलेट काउंट बहुत कम (20,000 से नीचे) हो जाए,
या अगर आपको सर्जरी करवानी हो या आप गर्भवती हों।
दवाएं
स्टेरॉयड: ये आम दवाएं हैं जो आपके इम्यून सिस्टम को शांत करने में मदद करती हैं।
IVIG: यह एक ख़ास दवा है जो नस के ज़रिए दी जाती है और आपात स्थिति में प्लेटलेट्स को तेज़ी से बढ़ा सकती है, हालांकि इसका असर अस्थायी होता है।
कुछ और दवाएं भी उपलब्ध हैं जो आपके शरीर को ज़्यादा प्लेटलेट्स बनाने के लिए प्रेरित करती हैं।
प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन: गंभीर खून बहने की आपात स्थिति में, आपको प्लेटलेट्स का ट्रांसफ्यूजन दिया जा सकता है।
प्लीहा हटाना (Splenectomy): कुछ मामलों में, अगर दूसरे इलाज काम नहीं करते, तो डॉक्टर प्लीहा (spleen) को हटाने पर विचार कर सकते हैं,
एक ऐसा अंग जो कभी-कभी प्लेटलेट्स को नष्ट कर देता है।
एक दिलासा भरी बात
ITP जैसी बीमारी का नाम सुनकर शायद डर लग सकता है, लेकिन यह आमतौर पर जानलेवा बीमारी नहीं है।
थोड़ी चिंता होना स्वाभाविक है, लेकिन ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। कुछ लोग घर पर पपीते के पत्तों का रस या बकरी का दूध जैसे घरेलू उपाय आज़माते हैं, और हालांकि वैज्ञानिक रूप से यह साबित नहीं हुआ है,
अगर आपकी प्लेटलेट काउंट ख़तरनाक रूप से कम नहीं है, तो आप अपने डॉक्टर से इस बारे में बात कर सकते हैं।
सबसे ज़रूरी बात यह है कि हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें सही निदान, सलाह और इलाज के लिए।
वे आपकी ख़ास स्थिति के लिए सबसे अच्छी योजना में आपका मार्गदर्शन कर सकते हैं।
अस्वीकरण (Disclaimer): यह ब्लॉग पोस्ट ITP के बारे में सामान्य जानकारी प्रदान करता है ताकि आम लोगों को इसे समझने में आसानी हो।
यह किसी भी तरह से पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है।
किसी भी स्वास्थ्य संबंधी चिंता के लिए या अपने स्वास्थ्य या इलाज से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले हमेशा किसी योग्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से सलाह लें।
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