बुखार में कंपकंपी क्यों लगती है, जब शरीर पहले से ही गरम होता है?

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि बुखार में शरीर तप रहा हो, लेकिन फिर भी आप कंबल में दुबक कर ठिठुर रहे हों?

यह एक अजीब-सी बात लगती है, लेकिन इसके पीछे एक साइंस है। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।

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आपका शरीर एक तरह का हीटर है, जिसे आपका दिमाग कंट्रोल करता है।

जब सब ठीक होता है, तो आपके शरीर का तापमान 98.6°F (37°C) के आसपास होता है।

लेकिन जैसे ही कोई बीमारी फैलाने वाला कीटाणु अंदर आता है, आपका इम्यून सिस्टम एक्टिव हो जाता है।

यह दिमाग को सिग्नल भेजता है और कहता है, “तापमान बढ़ा दो, ताकि इन कीटाणुओं को खत्म किया जा सके।”

 

आपका दिमाग तुरंत इस ‘हीटर’ की सेटिंग को 101°F या उससे भी ज़्यादा कर देता है।

अब यहीं पर ट्विस्ट है। आपका शरीर अभी भी 98.6°F पर है, जबकि नई सेटिंग 101°F की है। आपका दिमाग सोचता है कि शरीर अभी भी ठंडा है और इसे गरम करने की ज़रूरत है।

बस, यहीं से कंपकंपी और ठंड लगने का सिलसिला शुरू हो जाता है।

 

कंपकंपी दरअसल आपके शरीर का खुद को गरम करने का तरीका है। आपकी मांसपेशियां तेजी से सिकुड़ती और फैलती हैं, जिससे गर्मी पैदा होती है।

साथ ही, आपकी त्वचा की नसें भी सिकुड़ जाती हैं ताकि अंदर की गर्मी बाहर न निकले।

यही वजह है कि बुखार में आपके हाथ-पैर ठंडे लग सकते हैं।

यह सब आपके शरीर की एक बेहतरीन लड़ाई की निशानी है। एक बार जब शरीर नई सेटिंग (यानी 101°F) तक पहुँच जाता है, तो कंपकंपी बंद हो जाती है, और आपको सिर्फ गर्मी महसूस होती है।

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बुखार में इन 5 बातों का ध्यान ज़रूर रखें

जब बुखार होता है तो हम कुछ गलतियाँ कर जाते हैं, जिनसे हमें और भी ज़्यादा परेशानी हो सकती है। तो इन बातों का ध्यान ज़रूर रखें:

बहुत सारे कंबल न ओढ़ें: ठंड लग रही हो तो ज़्यादा कंबल ओढ़ने का मन करता है, लेकिन इससे शरीर की गर्मी बाहर नहीं निकल पाती और बुखार और भी ज़्यादा बढ़ सकता है। एक हल्का कंबल काफी होता है।

ठंडे पानी से न नहाएँ: ठंडा पानी शरीर को एक झटका देता है, जिससे कंपकंपी और बढ़ सकती है। अगर गर्मी ज़्यादा लगे, तो गुनगुने पानी से स्पंज बाथ लें।

आराम करें, काम नहीं: बुखार में शरीर पहले से ही बीमारी से लड़ रहा होता है, इसलिए उसे आराम की ज़रूरत होती है। काम पर जाने या भारी काम करने से शरीर और थका हुआ महसूस करेगा।

पानी पीना न भूलें: बुखार में पसीना आने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इसलिए, पानी, जूस या सूप जैसी चीज़ें पीते रहें ताकि आप हाइड्रेटेड रहें।

लक्षणों को हल्के में न लें: अगर बुखार 103°F से ज़्यादा हो जाए या लंबे समय तक रहे, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।

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दवाइयाँ कब और कौन सी लें?

बुखार में अक्सर हम तुरंत दवा लेना चाहते हैं। लेकिन यह जानना ज़रूरी है कि कब दवा लेनी चाहिए और कौन सी।

दवा कब लें

अगर आपका बुखार 101°F (38.3°C) से कम है और आपको कोई ज़्यादा परेशानी नहीं हो रही है, तो आप सिर्फ आराम करके और हाइड्रेटेड रहकर इंतज़ार कर सकते हैं।

बुखार अपने आप भी कम हो सकता है। लेकिन अगर बुखार 101°F से ऊपर चला जाए और आपको सिरदर्द, बदन दर्द या बेचैनी महसूस हो, तो आप डॉक्टर की सलाह से बुखार कम करने वाली (antipyretic) दवा ले सकते हैं।

कौन सी दवा लें और कौन सी नहीं

आमतौर पर, पैरासिटामोल (Paracetamol) या एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) जैसी दवाएं सुरक्षित मानी जाती हैं।

बच्चों के लिए, दवा देने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लें, क्योंकि उन्हें उनकी उम्र और वज़न के हिसाब से सही खुराक देना ज़रूरी है।

बिना डॉक्टर की सलाह के, एंटीबायोटिक्स कभी न लें, क्योंकि ये सिर्फ बैक्टीरियल इंफेक्शन में काम करती हैं, वायरल बुखार में नहीं।

किसी भी दवा को लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना सबसे अच्छा होता है, ताकि आपकी सेहत को कोई नुकसान न हो।

तो, अगली बार जब आपको बुखार में कंपकंपी लगे, तो समझ जाइए कि आपका शरीर अपनी लड़ाई पूरी ताकत से लड़ रहा है। आप बस आराम करें और इस लड़ाई में उसका साथ दें!