“यार, मेरा सिर दर्द बहुत तेज हो रहा था। मैंने पास वाली छोटी दुकान से एक पेनकिलर ली और खा ली। पर पता नहीं क्यों, दर्द ठीक होने के बजाय और बढ़ गया।”

अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ हुआ है, तो हो सकता है कि आपने गलती से कोई नकली या Counterfeit दवा खरीद ली हो।

नकली दवाइयाँ सिर्फ बेकार नहीं होतीं, बल्कि ये आपकी सेहत के लिए बहुत खतरनाक हो सकती हैं। आज हम यही जानेंगे कि असली और नकली दवा की पहचान कैसे करें।

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नकली दवा क्या होती है?

एकदम सरल भाषा में समझें तो, नकली दवा वो होती है जो असली दवा जैसी दिखती है, पर असल में या तो उसमें दवा है ही नहीं, या बहुत कम है, या फिर कुछ और मिला हुआ है। कभी-कभी इसमें हानिकारक केमिकल भी हो सकते हैं।

तो, असली और नकली दवा की पहचान कैसे करें? यहाँ हैं 10 आसान तरीके:

1. पैकेजिंग (पैकेट) को ध्यान से देखें

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दवा का पैकेट ही सबसे पहला सुराग देता है।

  • रंग और डिज़ाइन: क्या पैकेट का रंग या डिज़ाइन थोड़ा अलग लग रहा है? अक्सर नकली दवा का पैकेट हल्का फीका होता है या उसका फॉन्ट (लिखाई) थोड़ा अलग होता है।
  • स्पेलिंग की गलती: पैकेट पर दवा के नाम, कंपनी के नाम या एक्सपायरी डेट में कोई spelling mistake तो नहीं है? जैसे ‘Paracetamol’ की जगह ‘Paracetemol’ लिखा हो।
  • सीलबंद: क्या पैकेट अच्छी तरह से सील है? अगर सील टूटी हुई या कमजोर लगे, तो उस पर भरोसा न करें।

2. दवा की क्वालिटी देखें

दवा की गोली या कैप्सूल को ध्यान से देखें।

  • रंग और आकार: क्या गोली का रंग या आकार हमेशा की तरह है? अगर रंग हल्का, फीका, या आकार में बदलाव लगे, तो संदेह करें।
  • किनारे: क्या गोली के किनारे टूटे हुए या खुरदुरे हैं? असली गोली की फिनिशिंग हमेशा अच्छी होती है।
  • खोलकर देखें (अगर कैप्सूल है): अगर कैप्सूल का रंग अलग लगे, या उसे खोलने पर अंदर का पाउडर अलग रंग का या गांठ वाला लगे, तो वह नकली हो सकती है।

3. बैच नंबर और एक्सपायरी डेट की जाँच करें

ये सबसे महत्वपूर्ण जानकारी होती है।

  • स्पष्ट प्रिंटिंग: बैच नंबर, मैन्युफैक्चरिंग डेट और एक्सपायरी डेट साफ और अच्छे से प्रिंट होनी चाहिए। अगर ये धुंधली या खुरचकर मिटने वाली लगें, तो वह नकली हो सकती है।
  • पैकेट और स्ट्रिप का मिलान: दवा के बाहरी पैकेट पर लिखा बैच नंबर और अंदर की स्ट्रिप (पत्ता) पर लिखा बैच नंबर एक जैसा होना चाहिए। अगर ये अलग हैं, तो दवा नकली है।

4. दवा के असर पर ध्यान दें

अगर आपको दवा लेने के बाद:

  • कोई असर ही न हो,
  • आपकी तबियत और ज़्यादा खराब हो जाए,
  • कोई अजीब सा रिएक्शन हो, तो तुरंत दवा लेना बंद करें और डॉक्टर से संपर्क करें।

5. क्यूआर कोड (QR Code) और यूनिक कोड को स्कैन करें

आजकल बहुत सी दवाइयाँ पर एक खास QR Code या एक यूनिक नंबर होता है।

  • आप इसे अपने फोन से स्कैन करके कंपनी की वेबसाइट या ऐप पर जाकर दवा की जानकारी की जाँच कर सकते हैं। अगर जानकारी गलत लगे, तो दवा नकली है।

6. दवा का पत्ता (Strip) देखें

दवा की स्ट्रिप को देखें।

  • पन्नी की मोटाई: क्या पन्नी ज़्यादा पतली या ज़्यादा मोटी लग रही है?
  • दवा का नाम: क्या स्ट्रिप पर भी दवा का नाम और कंपनी का लोगो अच्छे से छपा हुआ है? नकली दवाइयों में ये अक्सर खराब क्वालिटी के होते हैं।

7. कीमत पर ध्यान दें

अगर कोई दवा आपको अचानक बहुत सस्ते में मिल रही है, तो सावधान हो जाएँ। नकली दवा बनाने वाले अक्सर कम कीमत पर दवा बेचकर लोगों को आकर्षित करते हैं।

8. डॉक्टर की पर्ची पर ध्यान दें

जब आप डॉक्टर के पास जाएँ तो:

  • हमेशा दवा का जेनेरिक नाम भी पूछें। इससे आपको पता होगा कि कौन सी दवा खरीदनी है।
  • दवा का नाम और डोज ठीक से लिखवा लें।

9. दवा हमेशा भरोसेमंद जगह से खरीदें

  • दवा हमेशा किसी जाने-माने और लाइसेंस प्राप्त मेडिकल स्टोर से ही खरीदें।
  • इंटरनेट से दवा खरीदते समय भी बहुत सावधानी बरतें और केवल भरोसेमंद और रजिस्टर्ड वेबसाइट का ही इस्तेमाल करें।

10. अपनी समझदारी का इस्तेमाल करें

अगर आपको दवा खरीदते समय कोई भी बात अजीब लगे, जैसे दुकानदार आपसे कह रहा हो कि ‘यह तो नया पैकेट आया है, थोड़ा अलग लग रहा है’, तो शक करें।

अपनी सेहत के मामले में कोई रिस्क न लें।

तो क्या करें अगर आपको नकली दवा मिल जाए?

  • वह दवा लेना तुरंत बंद कर दें।
  • अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट को इस बारे में तुरंत बताएं।
  • राज्य या केंद्र सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट में शिकायत दर्ज करें।

 

तो आपके मन में ये सवाल ज़रूर होगा: अगर ये सब पकड़ में आ सकता है, तो वे इसे ठीक क्यों नहीं करते?

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अभी तक हमने ये समझा कि नकली दवा की पहचान कैसे करें। पर दिमाग में एक और सवाल आता है, है ना?

कि अगर नकली दवा बनाने वालों को पता है कि हम इन छोटी-छोटी बातों (जैसे पैकेजिंग, प्रिंटिंग) से उनकी दवा पकड़ सकते हैं, तो वे इन कमियों को ठीक क्यों नहीं कर देते?

असल में, इसके पीछे भी एक गहरी कहानी है। नकली दवा बनाने वाले बहुत शातिर होते हैं, पर उनकी भी कुछ मजबूरियाँ होती हैं।

1. पैसा और टेक्नोलॉजी की कमी

असली दवा बनाने वाली कंपनियाँ अरबों रुपये खर्च करती हैं, अच्छी मशीनें और टेक्नोलॉजी खरीदने में।

नकली दवा बनाने वालों के पास इतना पैसा और हाई-फाई मशीनें नहीं होतीं। वे सस्ती मशीनों और घटिया क्वालिटी के मटेरियल का इस्तेमाल करते हैं।

2. सप्लाई चेन और सामान की दिक्कत

असली कंपनियाँ दवा बनाने का सारा सामान एक ही जगह से लाती हैं, जो भरोसेमंद होता है।

नकली दवा बनाने वाले चोर-छिपे अलग-अलग जगहों से सामान खरीदते हैं। उन्हें जो भी सस्ता मिलता है, वही इस्तेमाल करते हैं।

इसी कारण कभी पैकेट का कागज पतला होता है, तो कभी इंक का रंग थोड़ा अलग होता है।

3. क्वालिटी कंट्रोल की कमी

असली दवा कंपनी में हर गोली की क्वालिटी चेक होती है। नकली दवा बनाने वालों के पास ऐसा कोई सिस्टम नहीं होता।

वे बस जल्दी-जल्दी दवा बनाते हैं, ताकि ज्यादा माल बेच सकें। यही वजह है कि उनकी गोलियों का आकार, रंग या फिनिशिंग कभी-कभी खराब होती है।

4. खास सिक्योरिटी फीचर्स की नकल मुश्किल है

आजकल कई असली दवाइयों पर खास तरह के होलोग्राम (Holograms), QR कोड (QR Code) या अदृश्य इंक (Invisible Ink) जैसी चीजें होती हैं, जिनकी नकल करना लगभग नामुमकिन है।

5. पकड़े जाने का डर

नकली दवा बनाने वालों को डर होता है कि अगर वे बहुत ज्यादा पैसा और समय एक नकली पैकेट को बिल्कुल असली जैसा बनाने में लगाएँगे, तो पकड़े जाने का खतरा बढ़ जाएगा।

इसलिए वे जल्दी और सस्ते में काम निपटाना पसंद करते हैं।

फाइनल बात…

नकली दवाइयाँ बनाने वाले लोग आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ करते हैं। इसलिए, दवा खरीदते समय हमेशा जागरूक रहें।

ऊपर बताए गए तरीकों से आप खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं। आपकी सेहत की ज़िम्मेदारी आपकी खुद की है।

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