आप मेडिकल स्टोर के सामने खड़े हैं और आपका दिमाग घूम रहा है।

डॉक्टर ने probiotics लेने को कहा है, पर यहाँ तो ढेरों नाम हैं – कोई कैप्सूल में है तो कोई पाउडर में। हर डिब्बे पर अलग-अलग बातें लिखी हैं।

इस भीड़ में सही प्रोबायोटिक कैसे चुनें?”

अगर आप कभी इस तरह की उलझन में पड़े हैं, तो आप बिलकुल सही जगह पर हैं।

प्रोबायोटिक चुनना मुश्किल लग सकता है, लेकिन अगर आप कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखें, तो यह बहुत आसान हो जाता है।

आइए, समझते हैं कि अपने लिए सबसे सही प्रोबायोटिक कैसे चुनें।

प्रोबायोटिक चुनते समय 5 सबसे ज़रूरी बातें

CFU (Colony Forming Units) क्या है?

सबसे पहले, डिब्बे पर लिखा CFU देखें। CFU का मतलब है “कॉलोनी बनाने वाली इकाइयाँ”। सरल भाषा में समझें तो, यह प्रोबायोटिक में मौजूद जिंदा बैक्टीरिया की संख्या है।

अच्छे प्रोबायोटिक में आमतौर पर 1 से 100 बिलियन CFU तक होते हैं।ध्यान रखें, ज़्यादा CFU का मतलब हमेशा बेहतर नहीं होता। ज़्यादा ज़रूरी है सही तरह के स्ट्रेन (Strain) का होना।

 

सही स्ट्रेन (Strain) कैसे चुनें?

Probiotics सिर्फ एक तरह के नहीं होते, बल्कि कई अलग-अलग प्रजातियों (Strains) के होते हैं, और सबका काम अलग होता है।

Lactobacillus: यह स्ट्रेन पाचन को बेहतर बनाने, दस्त को रोकने और दूध से बनी चीज़ों को पचाने में मदद करता है।

Bifidobacterium: यह स्ट्रेन आपकी इम्यूनिटी को मजबूत करता है और पेट में बुरे बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है।

Saccharomyces boulardii: यह एक तरह का यीस्ट (yeast) है जो खासकर एंटीबायोटिक की वजह से होने वाले दस्त को रोकने में मदद करता है।

सलाह: ज़्यादातर लोगों के लिए, ऐसा प्रोबायोटिक चुनें जिसमें Lactobacillus और Bifidobacterium दोनों स्ट्रेन हों।

 

प्रोबायोटिक का फॉर्म (Capsule, Powder या खाना)?

प्रोबायोटिक कई फॉर्म में आते हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं:

कैप्सूल और पाउडर: ये सबसे आम और प्रभावी होते हैं।

दही, छाछ, योगर्ट: ये प्राकृतिक स्रोत हैं और बहुत फायदेमंद हैं।

 

कैसे पता करें कि प्रोबायोटिक काम कर रहा है?

प्रोबायोटिक के फायदे तुरंत नहीं दिखते।

इसे अपना असर दिखाने में कुछ दिन या हफ्ते लग सकते हैं। अगर आपको पेट में हल्की गैस या ब्लोटिंग महसूस हो, तो घबराएं नहीं, यह सामान्य है।

अगर कोई गंभीर दिक्कत हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

 

एक्सपायरी डेट और स्टोर करने का तरीका

Probiotics जिंदा बैक्टीरिया होते हैं। इसलिए, इनकी एक्सपायरी डेट ज़रूर देखें।

कुछ प्रोबायोटिक को ठंडी जगह पर (फ्रिज में) रखना ज़रूरी होता है, तो डिब्बे पर लिखे निर्देश (Instructions) ज़रूर पढ़ें।

प्रोबायोटिक लेने से जुड़ी कुछ और ज़रूरी बातें

सबसे अच्छा समय

प्रोबायोटिक लेने का सबसे अच्छा समय है खाली पेट, यानी खाने से 20-30 मिनट पहले। इससे बैक्टीरिया पेट के एसिड को पार करके आसानी से आँतों तक पहुँच जाते हैं।

क्या रोज़ ले सकते हैं और कब तक?

हाँ, प्रोबायोटिक रोज़ लेना सुरक्षित और फायदेमंद होता है। आप इसे अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।

अगर आप किसी ख़ास बीमारी के लिए ले रहे हैं (जैसे एंटीबायोटिक के साथ), तो डॉक्टर की सलाह पर ही यह तय करें कि इसे कब तक लेना है।

किसे नहीं लेना चाहिए?

अगर आपका इम्यून सिस्टम बहुत कमज़ोर है (जैसे कैंसर का इलाज चल रहा हो), आपने हाल ही में कोई बड़ी सर्जरी कराई हो, या आपको कोई गंभीर बीमारी हो, तो प्रोबायोटिक लेने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें

बच्चों को भी डॉक्टर की सलाह पर ही प्रोबायोटिक दें।

सावधानियां

शुरुआत में कम मात्रा में लें और देखें कि आपका शरीर कैसे रिएक्ट करता है।अगर गैस या ब्लोटिंग जैसी दिक्कत हो, तो कुछ दिनों बाद अपने आप ठीक हो जाएगी। अगर दिक्कत बढ़े तो डॉक्टर को बताएं।

 

फाइनल बात

यह सारी जानकारी सिर्फ आपको बेहतर फैसला लेने में मदद करेगी। लेकिन सबसे ज़रूरी बात यह है कि कोई भी प्रोबायोटिक लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।

वे आपकी सेहत और ज़रूरत के हिसाब से आपको सबसे सही प्रोबायोटिक चुनने में मदद कर सकते हैं।

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