रेबीज़ लाइलाज इसलिए है क्योंकि एक बार वायरस हमारे दिमाग और सेंट्रल नर्वस सिस्टम (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र) तक पहुँच जाता है और लक्षण दिखने लगते हैं, तो फिर कोई भी दवा या इलाज उसे ठीक नहीं कर पाता।

जब तक लक्षण दिखते हैं, तब तक वायरस शरीर के ज़रूरी हिस्सों को इतना नुकसान पहुँचा चुका होता है कि इलाज काम नहीं करता।

इसी वजह से, रेबीज़ से बचना ही सबसे अच्छा उपाय है, और इसके लिए समय पर टीका लगवाना बहुत ज़रूरी है।

rabies faq

पूरी जानकारी

रेबीज़ का वायरस बहुत चालाक होता है। यह सीधे खून में नहीं फैलता, बल्कि जिस जगह पर जानवर ने काटा है, वहाँ से धीरे-धीरे नसों के रास्ते दिमाग तक पहुँचता है।

यह सफर कुछ दिन से लेकर कई महीनों तक चल सकता है। जब तक यह दिमाग तक नहीं पहुँचता, तब तक हमें कोई लक्षण महसूस नहीं होते।

इस दौरान रेबीज़ का टीका (Rabies Vaccine) और इम्यूनोग्लोब्युलिन (Immunoglobulin) देकर वायरस को शरीर में ही खत्म किया जा सकता है।

लेकिन, जैसे ही वायरस दिमाग तक पहुँचता है, यह हमारे नर्वस सिस्टम को बुरी तरह से खराब करना शुरू कर देता है। इसके बाद शरीर में लक्षण दिखने लगते हैं, जैसे कि पानी से डर लगना (hydrophobia), बेचैनी, और लकवा।

यह लाइलाज क्यों है?

एक बार लक्षण दिखने के बाद, रेबीज़ का इलाज इसलिए संभव नहीं होता क्योंकि:

  1. दिमाग को नुकसान: वायरस दिमाग की कोशिकाओं को इतना ज़्यादा नुकसान पहुँचा चुका होता है कि उन्हें ठीक करना असंभव होता है।
  2. कोई एंटी-वायरल दवा नहीं: आज तक रेबीज़ के लिए कोई ऐसी दवा नहीं बनी है जो एक बार लक्षण दिखने के बाद वायरस को खत्म कर सके।
  3. इम्यून सिस्टम का जवाब: हमारा इम्यून सिस्टम भी इस वायरस से लड़ नहीं पाता, क्योंकि यह नसों के अंदर छिपकर काम करता है।

इसीलिए, रेबीज़ से बचने का एक ही तरीका है: किसी भी जानवर के काटने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ और पूरा टीकाकरण (vaccination) कराएँ।

लक्षण दिखने का इंतज़ार बिल्कुल न करें। समय पर इलाज कराने से रेबीज़ को 100% रोका जा सकता है।

और जानकारी के लिए, आप इन वेबसाइट्स पर जा सकते हैं:

(ध्यान दें: यह जानकारी सिर्फ आम जानकारी के लिए है। किसी भी मेडिकल सलाह के लिए हमेशा डॉक्टर से संपर्क करें।)