नमस्ते पतिदेव!
क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी पत्नी पीरियड्स के दौरान इतना दर्द क्यों झेलती है? वो क्यों हर महीने दो-तीन दिन के लिए काम छोड़ देती है, या बस बिस्तर पकड़ लेती है?
अगर आपको लगता है कि ये ‘नॉर्मल’ है, तो आप शायद गलत हैं।
Endometriosis (एंडोमेट्रियोसिस), एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम भी कई पतियों ने शायद नहीं सुना होगा। लेकिन ये आपकी पत्नी की ज़िंदगी का सबसे बड़ा दर्द बन सकती है।
क्या आप जानते हैं कि:
- ये सिर्फ ‘पेट दर्द’ नहीं, बल्कि शरीर के अंदर होने वाली एक गंभीर लड़ाई है?
- ये दर्द इतना भयानक हो सकता है कि महिलाएं अपनी नौकरी या सामाजिक जीवन तक छोड़ देती हैं?
- आपका थोड़ा सा साथ और समझदारी आपकी पत्नी को इस दर्द से हमेशा के लिए आज़ाद करा सकती है?
आइए, मिलकर इस अनसुनी बीमारी को समझते हैं। ये सिर्फ उनकी नहीं, आपकी भी कहानी है।
एंडोमेट्रियोसिस: ये सिर्फ ‘पीरियड का दर्द’ क्यों नहीं है?
देखिए, सबसे पहले ये समझना ज़रूरी है कि पीरियड्स में दर्द होना एक हद तक नॉर्मल है।
इसे हम ‘मासिक धर्म का दर्द’ या ‘Dysmenorrhea’ कहते हैं। ये दर्द इसलिए होता है क्योंकि गर्भाशय (uterus) की मांसपेशियां सिकुड़ती हैं ताकि वो अपनी अंदरूनी परत (lining) को बाहर निकाल सकें।
ये दर्द कुछ घंटों या एक-दो दिन तक रहता है और अक्सर पेनकिलर से ठीक हो जाता है।
लेकिन, एंडोमेट्रियोसिस का दर्द इससे बिल्कुल अलग है।
एंडोमेट्रियोसिस क्या है? (सरल भाषा में)
इसे ऐसे समझिए: हमारा गर्भाशय अंदर से एक खास तरह के टिशू से ढका होता है, जिसे ‘एंडोमेट्रियम’ कहते हैं।
यही टिशू हर महीने पीरियड्स के समय शरीर से बाहर निकलता है।
एंडोमेट्रियोसिस में क्या होता है, ये देखिए।
ये एंडोमेट्रियम जैसा ही टिशू, गर्भाशय के बाहर, शरीर के दूसरे हिस्सों में उगने लगता है।
जैसे कि अंडाशय (ovaries), फैलोपियन ट्यूब्स, या फिर पेट के दूसरे अंगों पर।
अब दिक्कत क्या है?
ये ‘बाहरी टिशू’ भी पीरियड्स के समय ठीक उसी तरह व्यवहार करते हैं, जैसे गर्भाशय के अंदर वाला टिशू करता है।
ये भी हर महीने बढ़ते हैं और फिर टूट कर ब्लीडिंग करते हैं।
लेकिन, इनके पास बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं होता। तो ये खून और टिशू शरीर के अंदर ही फंस जाते हैं।
क्या होता है जब खून शरीर के अंदर फंस जाता है?
जब ये खून शरीर के अंदर फंसता है, तो बहुत सारी परेशानियां होती हैं:
- सूजन और जलन: ये खून और टिशू आस-पास के अंगों में सूजन और जलन पैदा करते हैं।
- गांठें (Cysts): कई बार ये खून इकट्ठा होकर सिस्ट (गांठ) बना लेता है, जिसे ‘एंडोमेट्रिओमा’ भी कहते हैं।
- स्कार टिशू: ये बार-बार होने वाली सूजन से स्कार टिशू (घाव के निशान जैसी परत) बन जाती है, जो अंगों को आपस में चिपका सकती है।
ये सब मिलकर असहनीय दर्द, पाचन में दिक्कत, और सबसे ज़रूरी, बच्चा होने में भी दिक्कतें पैदा कर सकते हैं।
एंडोमेट्रियोसिस का दर्द मासिक धर्म के दर्द से अलग क्यों है?
दर्द की अवधि (Duration): नॉर्मल पीरियड का दर्द कुछ दिन ही रहता है। एंडोमेट्रियोसिस का दर्द पीरियड्स के पहले, दौरान और बाद में भी हो सकता है, और कई बार तो ये पूरे महीने बना रहता है।
दर्द की तीव्रता (Intensity): एंडोमेट्रियोसिस का दर्द इतना तेज़ होता है कि ये रोज़मर्रा के काम करने से रोक सकता है। ये सिर्फ पेट तक सीमित नहीं होता, बल्कि पीठ और पैरों में भी फैल सकता है।
अन्य लक्षण: इसके साथ और भी कई लक्षण होते हैं, जैसे:
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- यौन संबंध के दौरान दर्द।
- मल-मूत्र त्यागते समय दर्द।
- पीरियड्स के समय बहुत ज़्यादा ब्लीडिंग।
- थकान और कब्ज जैसी पाचन समस्याएं।
इसलिए, अगर आपकी पत्नी या कोई जानने वाली बार-बार ऐसे लक्षणों की शिकायत करती है, तो ये सिर्फ ‘नॉर्मल दर्द’ नहीं है।
ये एक गंभीर बीमारी है, जिसके लिए डॉक्टर से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है। इसे अनदेखा न करें, क्योंकि सही समय पर इलाज न होने पर यह और भी गंभीर हो सकती है।
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