हर महीने, एक महिला का शरीर एक खास प्रक्रिया से गुजरता है।
इस प्रक्रिया का मकसद होता है, अंडाशय (ovaries) से निकले हुए अंडे (ovum) और शुक्राणु (sperm) के मिलन से बने हुए उत्पाद (जिसे वैज्ञानिक भाषा में जाइगोट कहते हैं) को अपने अंदर सुरक्षित जगह देना।
इसके लिए, गर्भाशय (uterus) की अंदरूनी दीवारों पर एक मुलायम और खून से भरी गद्देदार परत बनती है।
इस परत को एंडोमेट्रियम (endometrium) कहते हैं।
जब यह तैयारी पूरी नहीं हो पाती, यानी कि निषेचन (fertilization) नहीं होता, तो शरीर को इन हार्मोन्स की ज़रूरत नहीं रहती।
ऐसे में, यह गद्देदार परत टूटकर खून और टिशू के रूप में शरीर से बाहर निकल जाती है। यही मासिक धर्म या पीरियड्स कहलाता है।
गर्भाशय के पास बाहर निकलने का एक रास्ता होता है, इसलिए यह प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के पूरी हो जाती है।
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जब यह परत अपनी जगह पर न रहे…
आप जानते हैं कि गर्भाशय के अंदर वाली परत को बनाने और बनाए रखने के लिए हार्मोन की ज़रूरत होती है।
जब इन हार्मोन का स्तर घटता-बढ़ता है, तो यह परत भी उसी के हिसाब से काम करती है—यानी मोटी होती है और फिर टूटकर ब्लीडिंग करती है।
लेकिन, जो टिशू शरीर के बाहर कहीं और उग जाता है, वह भी हार्मोन के इशारों पर ठीक उसी तरह से बर्ताव करता है।
यानी, जब पीरियड्स के दौरान हार्मोन्स का स्तर गिरता है, तो ये बाहरी टिशू भी टूटकर ब्लीडिंग करते हैं।
पर, यहाँ एक बहुत बड़ी समस्या है।
गर्भाशय के पास तो इस खून को बाहर निकालने का रास्ता होता है, लेकिन शरीर के अंदर बाकी अंगों के पास ऐसा कोई रास्ता नहीं होता।
तो, यह खून और टिशू वहीं फंस जाते हैं, जिससे असहनीय दर्द, सूजन और कई बार तो गांठें भी बन जाती हैं।
अब सोचिए…
दर्द की असली वजह
ये खून और टुकड़े शरीर से बाहर नहीं निकल पाते क्योंकि इनके पास कोई रास्ता नहीं होता।
ये पेट के अंदर ही फंस जाते हैं। यह फंसा हुआ खून सूजन और असहनीय जलन पैदा करता है। यही सूजन और जलन समय के साथ गांठों (cysts) और घाव (scar tissue) में बदल जाती है।
यही वजह है कि एंडोमेट्रियोसिस का दर्द सिर्फ पीरियड्स का दर्द नहीं होता।
यह एक गंभीर बीमारी है जो महिला की ज़िंदगी को बहुत मुश्किल बना सकती है।
पीरियड्स के बाद भी दर्द क्यों होता है?
यही सबसे बड़ा सवाल है जो एंडोमेट्रियोसिस को सामान्य पीरियड के दर्द से अलग करता है।
नॉर्मल पीरियड का दर्द पीरियड्स खत्म होते ही चला जाता है। लेकिन एंडोमेट्रियोसिस का दर्द पीरियड्स खत्म होने के बाद भी कई दिनों या पूरे महीने तक रह सकता है।
इसकी वजह ये है कि:
फंसी हुई ब्लीडिंग: पीरियड्स के दौरान जो खून शरीर के अंदर फंस गया था, वह तुरंत खत्म नहीं होता। वह वहीं रुका रहता है और आस-पास के अंगों पर दबाव डालता है, जिससे जलन और दर्द बना रहता है।
सूजन और स्कार टिशू: बार-बार होने वाली जलन से जो सूजन हुई है, वो एक या दो दिन में ठीक नहीं होती। साथ ही, जो स्कार टिशू (घाव के निशान) बन गए हैं, वो अंगों को आपस में खींचते हैं, जिससे लगातार दर्द बना रहता है।
नसों पर दबाव: कई बार ये गांठें या स्कार टिशू उन नसों पर दबाव डालते हैं जो पेल्विक एरिया में दर्द का सिग्नल भेजती हैं। इससे पीरियड्स न होने पर भी लगातार दर्द महसूस होता है।
तो, एंडोमेट्रियोसिस का दर्द सिर्फ हार्मोन की वजह से नहीं होता, बल्कि हार्मोन के कारण हुई आंतरिक क्षति (internal damage) की वजह से होता है, और यही दर्द पीरियड्स के बाद भी बना रहता है।
एंडोमेट्रियोसिस क्यों होता है?
आज भी वैज्ञानिक और डॉक्टर पूरी तरह से यह नहीं जानते कि एंडोमेट्रियोसिस क्यों होता है। लेकिन कुछ मुख्य थ्योरीज़ (सिद्धांत) हैं जो इस बीमारी के होने का कारण बताती हैं:
रेट्रोग्रेड मेंस्ट्रुएशन (Retrograde Menstruation): यह सबसे ज़्यादा मानी जाने वाली थ्योरी है।
इसका मतलब है कि पीरियड्स का खून, जिसमें एंडोमेट्रियल सेल्स होते हैं, पीछे की तरफ यानी फैलोपियन ट्यूब्स के रास्ते पेट के अंदर चला जाता है।
ये सेल्स फिर पेट के अंदरूनी अंगों पर चिपक जाते हैं और वहाँ उगने लगते हैं।
इम्यून सिस्टम की कमज़ोरी: शरीर का इम्यून सिस्टम, जो बाहरी या गलत जगह पर उगने वाले सेल्स को पहचान कर उन्हें खत्म कर देता है, हो सकता है कि एंडोमेट्रियल सेल्स को पहचान न पाए और उन्हें बढ़ने दे।
आनुवंशिक कारण (Genetic Factors): अगर आपके परिवार में किसी को एंडोमेट्रियोसिस है (जैसे माँ या बहन), तो यह बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।
भले ही इसका कारण पूरी तरह से पता न हो, लेकिन इसका दर्द असली है और इसे बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए।
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