जब एक कपल बच्चा प्लान करता है और सफल नहीं हो पाता, तो यह सफर बहुत मुश्किल हो सकता है।

और अगर एंडोमेट्रियोसिस जैसी कोई बीमारी सामने आ जाए, तो यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या बच्चा होने का सपना अब टूट जाएगा?

नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। एंडोमेट्रियोसिस से ग्रस्त कई महिलाएं मां बन सकती हैं। ज़रूरी है कि आप इस बीमारी को समझें, इसके असर को जानें, और सही समय पर सही इलाज करवाएं।

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Endometriosis (एंडोमेट्रियोसिस)

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एंडोमेट्रियोसिस फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करता है?

एंडोमेट्रियोसिस के टिशू जब गर्भाशय के बाहर, खासकर अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब्स पर उगते हैं, तो वे कई तरह से फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं।

अंडाशय को नुकसान: जब एंडोमेट्रियल टिशू अंडाशय में सिस्ट (गांठें) बनाते हैं, जिन्हें एंडोमेट्रिओमास कहते हैं,

तो ये अंडों की संख्या और उनकी गुणवत्ता (quality) को कम कर सकते हैं।

फैलोपियन ट्यूब्स को ब्लॉक करना: फैलोपियन ट्यूब्स का काम अंडे को अंडाशय से गर्भाशय तक ले जाना है।

एंडोमेट्रियोसिस के कारण ये ट्यूब्स ब्लॉक हो सकती हैं या आपस में चिपक सकती हैं, जिससे अंडे और शुक्राणु का मिलन नहीं हो पाता।

गर्भाशय की परत पर असर: भले ही एंडोमेट्रियोसिस गर्भाशय के बाहर हो,

लेकिन शरीर में चल रही सूजन और हार्मोनल असंतुलन गर्भाशय की परत (endometrium) को प्रभावित कर सकता है,

जिससे भ्रूण (embryo) का गर्भाशय में बैठना मुश्किल हो सकता है।

उम्मीद की किरण: उपलब्ध इलाज

अच्छी बात यह है कि आज मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है।

एंडोमेट्रियोसिस होने पर भी बच्चा पैदा करने की संभावना को बढ़ाया जा सकता है।

 सर्जरी

हल्के से मध्यम एंडोमेट्रियोसिस के मामलों में, डॉक्टर सर्जरी का सुझाव देते हैं।

इसमें लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का इस्तेमाल करके एंडोमेट्रियल टिशू और सिस्ट को हटा दिया जाता है।

इस सर्जरी के बाद, कई महिलाओं के लिए नेचुरली प्रेग्नेंट होने की संभावना बढ़ जाती है।

फर्टिलिटी उपचार (Fertility Treatments)

अगर सर्जरी के बाद भी प्रेग्नेंसी नहीं हो पाती, तो डॉक्टर इन उपचारों का सुझाव दे सकते हैं:

IUI (Intrauterine Insemination): इस प्रक्रिया में, डॉक्टर शुक्राणु को सीधे गर्भाशय में डालते हैं।

यह उन मामलों में मदद करता है जहाँ एंडोमेट्रियोसिस का असर हल्का होता है और फैलोपियन ट्यूब्स ब्लॉक नहीं होतीं।

IVF (In Vitro Fertilization): यह सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है।

इस प्रक्रिया में, महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर (लैब में) मिलाया जाता है और जो भ्रूण बनता है, उसे गर्भाशय में वापस डाल दिया जाता है।

आईवीएफ उन मामलों में बहुत मददगार होता है जहाँ फैलोपियन ट्यूब्स ब्लॉक हों, अंडों की गुणवत्ता कम हो या दूसरे इलाज काम न कर रहे हों।

एक-दूसरे का साथ न छोड़ें

बच्चे के लिए इलाज का सफर लंबा और भावनात्मक रूप से थकाने वाला हो सकता है। ऐसे में, पति और पत्नी दोनों के लिए एक-दूसरे का साथ देना बहुत ज़रूरी है।

साथ में जाएं: हर अपॉइंटमेंट और जांच के लिए साथ जाएं।

बातचीत करें: अपनी भावनाओं और डर के बारे में खुलकर बात करें।

आशा न खोएं: यह एक ऐसी जंग है जिसमें जीतने के लिए धैर्य और हिम्मत बहुत ज़रूरी है। याद रखें, आप अकेले नहीं हैं।

एंडोमेट्रियोसिस एक चुनौती ज़रूर है, लेकिन यह आपके माता-पिता बनने के सपने को खत्म नहीं करती।

सही जानकारी, सही इलाज और एक-दूसरे के साथ से यह सफर तय किया जा सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

एंडोमेट्रियोसिस माता-पिता बनने के रास्ते में एक चुनौती ज़रूर है, पर यह आपके सपने का अंत नहीं है।

याद रखें, आज साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि इस बीमारी के साथ भी मातृत्व संभव है।

सबसे ज़रूरी है सही जानकारी रखना, धैर्य बनाए रखना और अपने पार्टनर का साथ देना।

आप अकेले नहीं हैं—लाखों महिलाएँ इस सफर से गुज़र चुकी हैं और जीत हासिल की है।

सही इलाज, उम्मीद और एक-दूसरे के साथ से यह सफ़र तय किया जा सकता है।

अस्वीकरण (Disclaimer)

यह लेख केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है।

इसमें दी गई जानकारी किसी भी तरह से डॉक्टरी सलाह का विकल्प नहीं है।

एंडोमेट्रियोसिस के निदान और इलाज के लिए हमेशा किसी योग्य डॉक्टर या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से ही सलाह लें।

इस लेख पर निर्भर होकर कोई भी मेडिकल निर्णय न लें।

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