टोक्यो से एक हैरान कर देने वाली खबर आई है। 102 साल के एक जापानी व्यक्ति, कोकिची अकुजावा, ने जापान के सबसे ऊँचे पहाड़, माउंट फ़ूजी, की चढ़ाई पूरी कर ली है।
यह अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड है, लेकिन जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने इसे कोई खास उपलब्धि नहीं माना। उनका कहना था कि वह 96 साल की उम्र में भी इस पहाड़ पर चढ़ चुके हैं।
कोकिची अकुजावा की यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की हिम्मत नहीं दिखाती, बल्कि यह हमें एक बड़ा सबक देती है।
यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर जापानी लोग इतने सालों तक स्वस्थ और खुशहाल जीवन कैसे जीते हैं?
उनके पास ऐसा क्या राज़ है जो उन्हें 100 साल से भी ज़्यादा की उम्र तक जीने में मदद करता है?
इस ब्लॉग में हम इसी राज़ को जानने की कोशिश करेंगे। हम जापानी जीवनशैली के उन चार मुख्य सबकों को समझेंगे जो उन्हें लंबी उम्र और एक संतुष्ट जीवन देते हैं।
Table of Contents
पहला सबक: जीवन का उद्देश्य – Ikigai (इकीगाई)
जापानी जीवनशैली का सबसे गहरा और खूबसूरत सबक है इकीगाई (Ikigai)। इसका सीधा सा मतलब है “जीने का मकसद” या “सुबह उठने का कारण”।
यह कोई बड़ा या महान काम नहीं होता। यह कुछ भी हो सकता है – जैसे अपने बगीचे में काम करना, नाती-पोतों के साथ खेलना, या अपनी पसंद की कोई कला सीखना।
इकीगाई हमें यह सिखाता है कि रिटायरमेंट के बाद भी जीवन खत्म नहीं होता।
कोकिची अकुजावा इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। वे एक रिटायर किसान हैं, लेकिन आज भी वे हर हफ्ते पहाड़ पर चढ़ते हैं, एक सीनियर केयर सेंटर में वॉलेंटियर का काम करते हैं और पेंटिंग भी सिखाते हैं।
उनका जीवन काम से रिटायर होने के बाद भी पूरी तरह से व्यस्त और उद्देश्यपूर्ण है। [Guinness World Records-related to oldest person to climb Mount Fuji]
अपने इकीगाई को कैसे खोजें
आपको क्या पसंद है? (What you love?)
आप किस काम में अच्छे हैं? (What you are good at?)
दुनिया को क्या चाहिए? (What the world needs?)
किस काम के लिए आपको पैसे मिल सकते हैं? (What you can be paid for?)
इन चार सवालों के जवाब आपको आपके इकीगाई तक पहुँचा सकते हैं।
यह जीवन में एक उत्साह और संतुष्टि लाता है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है और जीवन खुशहाल बनता है।
इस विचार पर कई बेहतरीन किताबें लिखी गई हैं।
‘इकीगाई: द जैपनीज सीक्रेट टू अ लॉन्ग एंड हैप्पी लाइफ’ उनमें से एक है।
यह किताब बताती है कि कैसे एक उद्देश्य के साथ जीना हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद होता है।
You can Listen: https://youtu.be/WfbpYsUsedU?si=_3BGbZvtf16T_iqR
दूसरा सबक: सही खान-पान – Hara Hachi Bu और सेहतमंद डाइट
जापानी लोगों की लंबी उम्र के पीछे उनकी खाने की आदतें भी एक बड़ा कारण हैं।
जापान में एक पुरानी कहावत है हारा हाची बू (Hara Hachi Bu), जिसका मतलब है “सिर्फ़ 80% पेट भरें”।
यह हमें सिखाता है कि जब पेट 80% भर जाए तो खाना बंद कर देना चाहिए।
ओवरईटिंग से बचना: यह आदत हमें ओवरईटिंग से बचाती है।
ओवरईटिंग से शरीर पर ज़्यादा बोझ पड़ता है, जिससे पाचन तंत्र पर दबाव बढ़ता है और मोटापा, दिल की बीमारियाँ और डायबिटीज जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
सेहतमंद भोजन: जापानी डाइट में ज़्यादातर ताज़ा सब्जियाँ, फल, मछली, चावल और फर्मेंटेड फूड (जैसे मिसो सूप) शामिल होते हैं।
वे लाल मांस, चीनी और प्रोसेस्ड फूड बहुत कम खाते हैं।
इस तरह का खाना पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।
हरी चाय (Green Tea): जापान में ग्रीन टी का सेवन बहुत ज़्यादा होता है,
खासकर माचा (Matcha)। ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है जो शरीर में सूजन और बीमारियों से लड़ने में मदद करती है।
यह साधारण लेकिन प्रभावी आदतें न सिर्फ़ शरीर को स्वस्थ रखती हैं बल्कि जीवन को भी लंबा करती हैं।
हारा हाची बू के साथ-साथ, ओकिनावा के लोग अपनी खास डाइट के लिए भी जाने जाते हैं। इस पर मशहूर लेखक डैन बुएटनेर ने अपनी किताब ‘द ब्लू ज़ोन्स’ में विस्तार से बताया है।
यह किताब दुनिया के उन पाँच जगहों पर रिसर्च करती है जहाँ लोग सबसे लंबी उम्र तक जीते हैं, और ओकिनावा उनमें से एक है।
तीसरा सबक: हमेशा एक्टिव रहना – Ikigai और शारीरिक गतिविधि
जापानी लोग कसरत को एक अलग से किया जाने वाला काम नहीं मानते, बल्कि यह उनके जीवन का हिस्सा है। वे मानते हैं कि शरीर को हमेशा गति में रखना चाहिए।
रोज़ाना चलना: जापान के ज़्यादातर लोग पैदल चलते हैं या साइकिल का इस्तेमाल करते हैं।
वे पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं, जिसका मतलब है कि उन्हें बस स्टॉप या ट्रेन स्टेशन तक चलना पड़ता है।
पहाड़ पर चढ़ना: कोकिची अकुजावा की तरह, जापान में पहाड़ पर चढ़ना एक बहुत ही आम शौक है।
यह न सिर्फ़ शरीर को मज़बूत रखता है बल्कि दिमाग को भी ताज़ा करता है।
सामूहिक कसरत (Collective Exercises): जापान के दफ़्तरों, स्कूलों और पार्कों में सुबह के समय सामूहिक कसरत (जैसे ताई ची या रेडियो तैसो) बहुत आम है।
यह आदत बचपन से ही लोगों में एक्टिव रहने की भावना को भरती है।
यह सारी आदतें मिलकर शरीर को हमेशा एक्टिव और मज़बूत रखती हैं, जिससे बीमारियों का खतरा कम होता है और लोग लंबी उम्र तक जी पाते हैं।
चौथा सबक: सामाजिक जीवन और समुदाय – Moai (मोआई)
लंबी उम्र के पीछे सिर्फ़ अच्छी डाइट और कसरत ही नहीं, बल्कि सामाजिक जुड़ाव भी बहुत ज़रूरी है। जापान में, खासकर ओकिनावा द्वीप पर, मोआई (Moai) नाम का एक रिवाज है।
मोआई क्या है? मोआई कुछ दोस्तों या पड़ोसियों का एक समूह होता है जो जीवन भर एक-दूसरे का साथ देते हैं।
यह समूह वित्तीय (financial) और सामाजिक दोनों तरह से एक-दूसरे की मदद करता है।
तनाव कम करना: जब आपके पास एक मज़बूत सामाजिक सपोर्ट सिस्टम होता है तो तनाव कम हो जाता है।
आप अपनी खुशी और दुख दोनों को साझा कर सकते हैं।
अकेलेपन से बचाव: अकेलेपन को स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा माना जाता है।
मोआई जैसे समूह अकेलेपन को दूर रखते हैं और लोगों को मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद करते हैं।
जापान में लोग सिर्फ़ अपने परिवार तक ही सीमित नहीं रहते, बल्कि वे अपने पड़ोसियों और समुदाय के साथ भी गहरे संबंध बनाए रखते हैं। यह सामाजिक जुड़ाव उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ और खुश रखता है।
निष्कर्ष: जापानी जीवनशैली के सबक हमारे लिए
कोकिची अकुजावा की कहानी एक मिसाल है कि उम्र सिर्फ़ एक संख्या है। जापानी लोगों की लंबी उम्र का राज़ कोई जादू नहीं, बल्कि उनकी जीवनशैली के ये चार स्तंभ हैं:
- जीवन का उद्देश्य (Ikigai): हमेशा कुछ न कुछ करते रहना।
- संतुलित खान-पान (Hara Hachi Bu): ज़रूरत से कम खाना और सेहतमंद चीजें खाना।
- सक्रिय रहना: रोज़ाना की ज़िंदगी में कसरत को शामिल करना।
- सामाजिक जुड़ाव (Moai): परिवार और समुदाय के साथ मज़बूत रिश्ते बनाए रखना।
हम इन सभी सबकों को अपनी ज़िंदगी में भी अपना सकते हैं। लंबी उम्र सिर्फ़ ज़्यादा जीने के बारे में नहीं है, बल्कि एक खुशहाल, संतुष्ट और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के बारे में है।
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग पोस्ट केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखी गई है और इसे किसी भी तरह से डॉक्टरी सलाह नहीं माना जाना चाहिए।
इसमें दी गई जानकारी सामान्य ज्ञान और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध स्रोतों पर आधारित है।
किसी भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले पेशेवर डॉक्टरी सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है।