पुणे की दुखद घटना

पुणे में हुई एक दिल तोड़ने वाली घटना ने लिवर डोनेशन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

42 साल की एक महिला ने अपने पति को लिवर का एक हिस्सा दान किया था, लेकिन सर्जरी के कुछ समय बाद ही उनका दुखद निधन हो गया।

उनके पति भी नहीं बच पाए। इस खबर से बहुत से लोग हैरान हैं, क्योंकि आमतौर पर लिवर डोनेशन को एक बहुत ही सुरक्षित प्रक्रिया माना जाता है।

ऐसे में, यह जानना बेहद ज़रूरी है कि क्या यह एक अकेली घटना थी?

क्या इसका मतलब यह है कि अंगदान सुरक्षित नहीं रहा?

Liver Transplantation pune incidence

इस सवाल के जवाब में, लिवर ट्रांसप्लांट के विशेषज्ञ डॉक्टर कहते हैं कि यह एक बहुत ही दुर्लभ मामला था और लिवर डोनेशन,

अगर सही तरीके से जाँच और देखभाल के साथ किया जाए, तो पूरी तरह से सुरक्षित है।

आइए, इस दुखद कहानी के पीछे की सच्चाई को समझते हैं और जानते हैं कि एक लिवर डोनर को क्या-क्या बातें पता होनी चाहिए।

लिवर डोनेशन क्या है और यह इतना ख़ास क्यों है?

लिवर डोनेशन एक बहुत ही अच्छा और निस्वार्थ काम है, जिसमें एक स्वस्थ इंसान अपने लिवर का कुछ हिस्सा किसी ऐसे मरीज़ को दान करता है जिसका लिवर काम करना बंद कर चुका हो।

यह प्रक्रिया इसलिए ख़ास है क्योंकि हमारा लिवर ही शरीर का इकलौता ऐसा अंग है जो खुद को दोबारा बना सकता है।

आप इसे एक छिपकली की पूँछ की तरह समझ सकते हैं, जो कटने के बाद वापस बढ़ जाती है।

जो लिवर डोनर के शरीर में बच जाता है, वह कुछ ही हफ्तों में अपने पूरे साइज़ में वापस आ जाता है।

और जो हिस्सा मरीज़ को मिलता है, वह भी उसके शरीर में धीरे-धीरे बढ़ जाता है।

डोनेशन के 4 से 6 हफ्तों के भीतर ही डोनर का लिवर लगभग सामान्य हो जाता है।

यही कारण है कि किसी स्वस्थ व्यक्ति के लिए लिवर दान करना सुरक्षित माना जाता है।

 

लिवर डोनेशन कितना सुरक्षित है? क्या हर सर्जरी में कोई जोखिम होता है?

पुणे की घटना ने कई लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है। लेकिन मेडिकल एक्सपर्ट्स के हिसाब से, लिवर डोनेशन एक बेहद सुरक्षित प्रक्रिया है।

बहुत कम जोखिम: दुनिया भर में लिवर डोनेशन के बाद गंभीर परेशानी का जोखिम 1% से भी कम है, और मृत्यु का जोखिम तो 0.1-0.2% ही है।

हर सर्जरी में जोखिम: हर बड़ी सर्जरी में थोड़ा-बहुत जोखिम होता ही है।

इसी तरह, लिवर डोनेशन में भी छोटा-सा जोखिम होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह प्रक्रिया असुरक्षित है।

डोनर का चुनाव बहुत सख्त नियमों के तहत होता है, ताकि जोखिम न के बराबर रहे।

कौन बन सकता है लिवर डोनर? पूरी जाँच प्रक्रिया

लिवर दान करने की इच्छा रखने वाला हर कोई डोनर नहीं बन सकता। डोनर का चुनाव बहुत ही सख्त जाँच से गुजरता है।

मुख्य शर्तें

उम्र 18 से 55 साल के बीच होनी चाहिए।

डोनर को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या लिवर से जुड़ी कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए।

ब्लड ग्रुप का मरीज़ से मिलना ज़रूरी है।

सख़्त जाँच

ब्लड टेस्ट और स्कैन: डोनर के लिवर के साइज़ और सेहत की जाँच के लिए ब्लड टेस्ट, CT स्कैन और MRI किए जाते हैं।

दिल और फेफड़ों की जाँच: यह पक्का किया जाता है कि डोनर का दिल और फेफड़े सर्जरी के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

मन की जाँच: यह सबसे अहम हिस्सा है। डॉक्टर यह देखते हैं कि डोनर यह फैसला अपनी पूरी मर्जी से और बिना किसी दबाव के ले रहा है। यह एक बड़ा कदम है और डोनर को मानसिक रूप से भी तैयार होना चाहिए।

इतनी सारी जाँच के बाद ही किसी को डोनर बनने की इजाज़त मिलती है।

सर्जरी के बाद डोनर का ख़याल कैसे रखें?

ज्यादातर डोनर्स सर्जरी के बाद बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं और उनकी रिकवरी बहुत तेज़ होती है।

एक डोनर आमतौर पर 10 दिनों में अस्पताल से घर जा सकता है। लेकिन पूरी तरह से ठीक होने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है।

डोनर के लिए ज़रूरी बातें

अच्छा खाएं: सर्जरी के बाद एक अच्छी और बैलेंस डाइट लें।

धीरे-धीरे एक्टिव हों: डॉक्टर की सलाह पर हल्की-फुल्की एक्सरसाइज शुरू करें, जैसे कि रोज़ टहलना।

दवाएँ न छोड़ें: डॉक्टर ने जो दवाएँ दी हैं, उन्हें समय पर लेना न भूलें।

फॉलो-अप पर जाएं: ठीक होने के बाद भी डॉक्टर से मिलते रहें ताकि आपकी सेहत पर नज़र रखी जा सके।

शराब और धूम्रपान छोड़ें: लिवर को नुकसान पहुँचाने वाली चीज़ों से दूर रहें।

वज़न न उठाएं: सर्जरी के कम से कम तीन महीने तक भारी सामान उठाने से बचें।

डॉक्टरों का मानना है कि डोनर लंबी अवधि में पूरी तरह से सामान्य और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

निष्कर्ष: एक दुखद घटना, लेकिन उम्मीद का अंत नहीं

पुणे की घटना बेशक दिल तोड़ने वाली थी, लेकिन यह एक बहुत ही दुर्लभ और दुर्भाग्यपूर्ण मामला है।

इस एक घटना के कारण, लिवर डोनेशन की सुरक्षा पर सवाल उठाना सही नहीं होगा।

यह समझना ज़रूरी है कि हर मेडिकल प्रक्रिया में एक छोटा जोखिम होता है, लेकिन लिवर डोनेशन के फायदे इसके जोखिम से कहीं ज़्यादा हैं।

यह हमें याद दिलाती है कि अंगदान एक बहुत ही बड़ा और निस्वार्थ काम है जो किसी को ज़िंदगी का एक नया मौका देता है।

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डिस्क्लेमर

यह ब्लॉग पोस्ट केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखी गई है और इसे किसी भी तरह से डॉक्टरी सलाह नहीं माना जाना चाहिए।

इसमें दी गई जानकारी सामान्य ज्ञान और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध स्रोतों पर आधारित है।

किसी भी तरह की दवा, डाइट या स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या के लिए हमेशा किसी सर्टिफाइड डॉक्टर या हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लें।

इस ब्लॉग में बताए गए उपाय हर व्यक्ति के लिए समान रूप से प्रभावी हों, यह ज़रूरी नहीं है।

किसी भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले पेशेवर डॉक्टरी सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है।