आपने ज़रूर सुना होगा – “नींद में इंसान साल में 7-8 मकड़ियाँ निगल लेता है।”
यह सुनकर ही डर लग जाता है।
😅 लेकिन क्या यह सच है या सिर्फ़ अफ़वाह? आइए सच्चाई जानते हैं।
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असली वजह – इंटरनेट की अफ़वाह
असल में यह बात एक पुरानी इंटरनेट अफ़वाह है।
कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि हम नींद में मकड़ियाँ निगलते हैं।
मकड़ियाँ इंसानों से बचती हैं, हमारे पास आना ही नहीं चाहतीं।
🛌 नींद में मकड़ियाँ क्यों नहीं आतीं?
सांस और खर्राटों की हलचल – सोते समय नाक-मुँह से हवा निकलती रहती है। मकड़ियाँ इस हलचल से डरकर पास नहीं आतीं।
वाइब्रेशन और गर्मी – इंसान के शरीर की गर्मी और हरकत मकड़ियों को असुरक्षित लगती है।
खाने की कोई वजह नहीं – मकड़ियाँ कीड़े-मकोड़े खाती हैं, इंसान का मुँह उनका रेस्तराँ नहीं है। 😅
🚫 भ्रांति का सच
भ्रांति: “हम नींद में मकड़ियाँ निगल लेते हैं।”
सच: यह पूरी तरह से मिथक है। वैज्ञानिकों ने भी इसे मज़ाक और डर फैलाने वाली बात बताया है।
✅ झटपट नतीजा
मकड़ियाँ इंसानों से दूर रहना पसंद करती हैं।
नींद में मकड़ी निगलने का कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं।
यह सिर्फ़ इंटरनेट पर फैली गलत अफ़वाह है।
🌀 तीन आसान चरणों में “नींद और मकड़ियाँ”
अफ़वाह फैली → “नींद में मकड़ी निगलते हैं।”
मकड़ियाँ असल में इंसानों से दूर रहती हैं।
नतीजा → यह पूरी तरह झूठी बात है।
नतीजा: बेफिक्र होकर सोएँ, आपकी नींद में कोई मकड़ी मुँह में नहीं जाएगी।
👉 छोटी सलाह: अगर कमरे में मकड़ियों से डर लगता है, तो साफ-सफाई रखें और खिड़की-दरवाज़ों पर जाली लगाएँ। डरने की ज़रूरत नहीं है।