कभी रात में किसी को सोते सुना है और “कड़-कड़-कड़” की आवाज़ आई हो?
यह है दाँत पीसना, जिसे मेडिकल भाषा में ब्रुक्सिज़्म (Bruxism) कहते हैं।
आइए जानते हैं यह क्यों होता है।
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🔬 असली वजह – दिमाग़ और तनाव का असर
नींद के दौरान भी दिमाग़ कभी-कभी पूरी तरह शांत नहीं होता।
तनाव, चिंता या दबाव की वजह से जबड़े की मांसपेशियाँ सक्रिय हो जाती हैं।
नतीजा → दाँत आपस में रगड़ने लगते हैं और आवाज़ आने लगती है।
😬 किन कारणों से होता है?
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तनाव और चिंता – सबसे बड़ा कारण।
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नींद की गड़बड़ी – गहरी नींद न मिलना।
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गलत दाँतों का मेल – ऊपर-नीचे के दाँत ठीक से न बैठना।
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दवाइयों का असर – कुछ दवाइयों से भी यह हो सकता है।
⚠️ कब चिंता करनी चाहिए?
सुबह उठकर जबड़े में दर्द या अकड़न हो।
दाँत घिसने या टूटने लगें।
सिरदर्द और कान दर्द बार-बार हो।
🚫 भ्रांति का सच
लोग कहते हैं कि “सोते समय दाँत पीसना मतलब बुरी आत्माएँ हैं।”
सच यह है कि दाँत पीसने का भूत-प्रेत से कोई लेना-देना नहीं। असली वजह है तनाव और नींद की समस्या।
✅ झटपट नतीजा
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सोते समय दाँत पीसना = ब्रुक्सिज़्म।
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असली कारण → तनाव, नींद की कमी, दाँतों का मेल।
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गंभीर हो तो दाँत और जबड़े को नुकसान पहुँचा सकता है।
🌀 तीन आसान चरणों में “दाँत पीसना”
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तनाव/नींद की गड़बड़ी।
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जबड़े की मांसपेशियाँ सक्रिय।
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दाँत आपस में रगड़े → कड़-कड़-कड़।
नतीजा: यह आदत अस्थायी हो सकती है, लेकिन बार-बार हो तो इलाज ज़रूरी है।
छोटी सलाह
तनाव कम करने की कोशिश करें।
सोने से पहले रिलैक्स करें (गहरी साँसें लें, ध्यान करें)।
अगर समस्या बनी रहे तो डेंटिस्ट से मिलें, वे नाइट गार्ड (Night Guard) जैसे उपाय सुझा सकते हैं।