Anatomy की खूनी हकीकत

एक ऐसी कहानी जिसे जानना ज़रूरी है आज अगर कोई मेडिकल का छात्र है, तो उसके लिए एनाटॉमी (शरीर रचना विज्ञान) की पढ़ाई कोई बड़ी बात नहीं है.

लैब में मॉडल हैं, किताबें हैं, और सबसे बढ़कर, लाशें कानूनी तरीके से मिलती हैं. लेकिन अगर हम आज से 200 साल पहले के एडिनबर्ग शहर में चले जाएँ, तो ये सब एक ख़ौफ़नाक सपने जैसा था.

उस वक़्त एनाटॉमी की दुनिया वैज्ञानिकों की भूख और लाशों के बाज़ार के बीच फंसी हुई थी.

एनाटॉमिस्ट की सेलिब्रेटी ज़िंदगी और लाशों की कमी

robert knoxx

19वीं सदी की शुरुआत में एडिनबर्ग यूरोप का सबसे बड़ा मेडिकल हब था. डॉ. Robert Knox जैसे एनाटॉमिस्ट किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं थे.

उनके लेक्चर इतने मशहूर थे कि उनके क्लासरूम में 400 से ज़्यादा छात्र होते थे.

इन छात्रों की फीस से उनकी खूब कमाई होती थी. Knox और उनके जैसे दूसरे एनाटॉमिस्ट की रेपुटेशन इस बात पर टिकी थी कि वो छात्रों को कितनी बेहतर और ताज़ी लाशें दे पाते हैं.

लेकिन यहीं पर एक बड़ी दिक्कत थी.

कानूनी रूप से लाशों की भारी कमी

कानून के हिसाब से सिर्फ़ उन अपराधियों की लाशों का ही इस्तेमाल किया जा सकता था, जिन्हें फाँसी हुई हो. 1823 में एक कानून आने के बाद फाँसी की सज़ा भी कम हो गई, जिससे लाशों की सप्लाई लगभग बंद हो गई.

एक तरफ़ मेडिकल साइंस क्रांति की तरफ बढ़ रहा था, तो दूसरी तरफ़ उसे पूरा करने के लिए लाशें मिल ही नहीं रही थीं.

इस कमी ने एक गुप्त बाज़ार को जन्म दिया. कब्र खोदने वाले, जिन्हें ‘Resurrectionists’ कहा जाता था, रात के अंधेरे में ताज़ी कब्रें खोदकर लाशें निकालते थे.

Anatomy

एक लाश के लिए 7 से 10 पाउंड तक मिलते थे, जो एक मज़दूर की कई महीनों की कमाई के बराबर था. लोग डर के मारे कब्रिस्तानों में पहरेदार रखते थे और ताबूतों पर लोहे के पिंजरे (mortsafes) लगवाते थे.

इसी माहौल में, डॉ. Knox जैसे एनाटॉमिस्टों ने सीधे तौर पर यह बात फैलाई हुई थी कि उन्हें लाशों की ज़रूरत है और वो इसके लिए अच्छी कीमत देंगे. उनकी यही मांग Burke और Hare जैसे लोगों के लिए एक खुला न्योता थी.

उन्होंने अपने छात्रों को यह गारंटी दी थी कि उन्हें पूरी तरह से dissected किए गए इंसानी शरीर देखने को मिलेंगे, और इसी वजह से उनकी क्लास बहुत मशहूर थी.

यह जानकारी उनकी लोकप्रियता और लाशों की भारी मांग को साफ़-साफ़ दिखाती है.

कानूनी पेंच और लालच की बुनियाद

उस समय के कानून की एक बहुत बड़ी कमी थी. कानून में माना जाता था कि: जब कोई इंसान मर जाता है, तो वो किसी चीज़ का मालिक नहीं रहता. और उसकी लाश भी ‘माल’ (property) नहीं मानी जाती थी.

अब क्योंकि लाश को कोई ‘चीज़’ या ‘माल’ नहीं मानते थे, तो अगर कोई उसे चुराता था, तो उस पर ‘चोरी’ (theft) का कानूनी केस नहीं बन पाता था.

यह एक बहुत बड़ा कानूनी पेंच था. इसी वजह से, कब्र से लाशें चुराने वाले लोग, जिन्हें ‘Resurrectionists’ कहते थे, पकड़े जाने पर भी चोरी के जुर्म में सज़ा नहीं पाते थे.

उन्हें पता था कि अगर वो लाश बेचते हुए पकड़े भी गए, तो उन्हें चोरी की सज़ा नहीं मिलेगी.

और दूसरी तरफ़, डॉक्टर एक लाश के लिए इतना पैसा दे रहे थे कि यह काम बहुत फ़ायदेमंद बन गया था.

तो, एक तरह से कहें तो, कानून की कमी और पैसों के लालच ने मिलकर ‘लाशों की चोरी’ के इस भयानक धंधे को हवा दी.

इसी माहौल में एंट्री हुई William Burke और William Hare की.

Burke और Hare की खूनी जोड़ी

ये दोनों आयरलैंड के बेहद गरीब थे. Burke, जो पहले सैनिक था, अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़कर आया था. Hare एक झगड़ालू स्वभाव का था और गेस्ट हाउस चलाता था.

इन दोनों की ज़िंदगी में पैसा कमाने के ज़्यादा रास्ते नहीं थे.

उनकी ज़िंदगी तब बदली, जब 1827 में Hare के गेस्ट हाउस में एक किराएदार की मौत हो गई, और उसने किराया नहीं चुकाया था. Hare और Burke ने गुस्से में आकर लाश बेचकर किराया वसूलने का सोचा.

यहीं पर एक बहुत बड़ी चालाकी सामने आई. उन्होंने लाश को ताबूत से निकाल लिया, लेकिन उन्हें डर था कि अगर undertaker (अंतिम संस्कार कराने वाला) खाली ताबूत को दफ़ना देगा, तो उसे शक हो जाएगा कि इसमें लाश नहीं है.

 

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क्योंकि खाली ताबूत बहुत हल्का होता. इसलिए, उन्होंने चालाकी से लाश की जगह ताबूत में tanning bark (चमड़ा रंगने वाली छाल) भर दी, ताकि ताबूत का वज़न वैसा ही लगे.

जब अंडरटेकर आया, तो उसने ताबूत को उठाया और सही वज़न महसूस करके मान लिया कि लाश अंदर ही है. उसने बिना कोई शक किए उसे दफ़ना दिया. इस तरह, Burke और Hare ने अंडरटेकर को धोखा देकर लाश को अपने पास रखा.

उन्होंने सबसे पहले लाश को एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के एनाटॉमी डिपार्टमेंट में ले जाने की कोशिश की. लेकिन वहाँ उन्हें मना कर दिया गया.

तब उन्हें बताया गया कि डॉ. Robert Knox का एक प्राइवेट एनाटॉमी स्कूल है, जहाँ लाशों की ख़रीद-फ़रोख़्त होती है. Burke और Hare ने अपनी किस्मत आज़माने का फैसला किया.

उन्होंने लाश को डॉ. Knox के पास पहुँचाया. डॉ. Knox ने लाश देखी और बिना कोई सवाल पूछे 7 पाउंड 10 शिलिंग दिए.

और यहीं पर उनके एक असिस्टेंट ने उन्हें एक लालच दिया: “हमें ताज़ी लाशें चाहिए, और हम इसके लिए ज़्यादा दाम देंगे.” यह एक ऐसा ऑफर था जिसे Burke और Hare ठुकरा नहीं पाए.

उन्हें पता था कि ताज़ी लाशें लाने का एक ही तरीका है—कत्ल.

Burking

कत्ल का तरीका और ताज़ी लाशों की मांग जनवरी 1828 में, उन्होंने अपने गेस्ट हाउस के एक बीमार किराएदार को शराब पिलाई.

जब वह बेहोश हो गया, तो Hare ने उसका मुँह और नाक बंद कर दिया, जबकि Burke ने उसके सीने पर दबाव डाला. इस तरीके से लाश पर कोई निशान नहीं आता था.

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इसी तरीके को बाद में ‘Burking’ कहा गया.

ये तरीका डॉ. Knox की ज़रूरत के हिसाब से बिल्कुल सही था, क्योंकि उन्हें बिना निशान वाली ताज़ी लाशें चाहिए थीं.

क्यों चाहिए थीं ताज़ी लाशें?

क्योंकि उस समय लाशों को सड़ने से रोकने का कोई तरीका नहीं था. एक ताज़ी लाश में मांसपेशियां, नसें और हड्डियाँ बिल्कुल साफ़-साफ़ दिखती थीं, जिससे छात्रों को dissection करने में आसानी होती थी.

बासी या सड़ी हुई लाश का दाम कम मिलता था, जबकि ताज़ी लाश के लिए 10 पाउंड तक मिलते थे.

यही पैसों का अंतर Burke और Hare के लिए कत्ल करने की सबसे बड़ी वजह बन गया. अगले 10 महीनों में, उन्होंने 16 लोगों को मारा, जिसमें गरीब, sex worker, बेघर, विकलांग और मानसिक रूप से कमज़ोर लोग शामिल थे.

उनके लिए ये एक धंधा बन चुका था, जिसमें उनकी गरीबी और डॉ. Knox की ज़रूरत का पूरा तालमेल था.

पर्दाफ़ाश और अंजाम

यह सिलसिला तब रुका, जब 31 अक्टूबर, 1828 को उन्होंने अपनी आखिरी शिकार, Margaret Docherty, को मार दिया. Burke के घर में रहने वाले एक जोड़े, James और Ann Gray को उन पर शक हुआ.

जब उन्होंने एक बिस्तर के नीचे तलाशी ली, तो उन्हें Docherty की लाश मिल गई, जिसका चेहरा सूजा हुआ था.

Burke की पार्टनर, Helen McDougal ने उन्हें चुप कराने के लिए 10 पाउंड हफ़्ते देने की कोशिश की, लेकिन Gray दंपति डरकर वहाँ से भाग गए और पुलिस को खबर दे दी.

जब तक पुलिस पहुँची, Burke ने लाश को Dr. Knox के पास पहुँचा दिया था. पुलिस ने वहाँ जाकर लाश की पहचान की और Burke को गिरफ्तार कर लिया.

मुकदमा चला, और Lord Advocate Sir William Rae ने Hare को सरकारी गवाह (king’s evidence) बना दिया. इसके बदले में उसे immunity (छूट) दी गई.

Hare ने Burke के खिलाफ गवाही दी और कत्ल का पूरा तरीका बताया. William Burke को दोषी पाया गया और 28 जनवरी, 1829 को उसे 25,000 लोगों की भीड़ के सामने फाँसी दे दी गई.

सबसे विडंबना की बात ये थी कि भीड़ में लोग “Burke him!” (उसे भी Burke की तरह मार दो!) चिल्ला रहे थे.

anatomy burking

फाँसी के बाद, उसकी लाश को प्रोफेसर Monro ने जनता के सामने dissection किया, और उसका कंकाल आज भी एडिनबर्ग के एक म्यूज़ियम में रखा है.

Dr. Robert Knox पर कोई चार्ज नहीं लगा, लेकिन जनता का गुस्सा उन पर फूट पड़ा. उन्हें भीड़ ने घेर लिया, उनके पुतले जलाए गए और उनके लेक्चर का बहिष्कार किया गया.

मजबूर होकर उन्हें एडिनबर्ग छोड़कर लंदन जाना पड़ा, जहाँ 1862 में उनकी मौत हो गई. उनका करियर इस कांड की वजह से हमेशा के लिए बर्बाद हो गया.

Hare को गवाही के बदले रिहा कर दिया गया, लेकिन जनता के डर से उसे छुपकर भागना पड़ा. अफवाहें थीं कि एक भीड़ ने उसे चूने के गड्ढे में फेंक दिया, जिससे वो अंधा हो गया और बाद में लंदन में उसकी मौत हो गई.

इस पूरे स्कैंडल ने सरकार को हिला दिया और 1832 में Anatomy Act पास हुआ, जिसने अस्पतालों और वर्कहाउस से बिना वारिस वाली लाशों को dissection के लिए उपलब्ध कराया.

इस कानून ने लाशों की चोरी और कत्ल के इस भयानक धंधे को हमेशा के लिए बंद कर दिया.

यह कहानी सिर्फ़ एक अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि जब ज्ञान की भूख इंसानियत की सारी हदें पार कर दे, तो समाज में क्या-क्या हो सकता है.

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