“यार, पता है, मुझे ना दो-तीन दिन से खांसी-जुकाम हो रहा था। मैंने सोचा, चलो वही पुरानी वाली एंटीबायोटिक ले लेता हूँ, जो पिछली बार डॉक्टर ने दी थी। एक गोली खाई और काम खत्म!”
अगर आप भी ऐसा सोचते हैं, तो रुकिए! आज हम इसी बारे में बात करेंगे कि एंटीबायोटिक लेना कितना सही है और कितना गलत।
ये कोई मामूली दवा नहीं है, बल्कि एक ऐसा हथियार है जो आपको बचा भी सकता है और नुकसान भी पहुंचा सकता है।
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तो भई, ये एंटीबायोटिक बला क्या है?
एकदम सरल भाषा में समझो तो, एंटीबायोटिक वो दवाएँ हैं जो सिर्फ और सिर्फ “बैक्टीरिया” से होने वाली बीमारियों को मारती हैं।
जैसे, अगर आपके गले में कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन हो गया है, यूरिन इंफेक्शन है, या कोई घाव पक गया है, तो ये दवाएँ उस बैक्टीरिया को खत्म करके आपको ठीक करती हैं।
लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि ये “वायरस” से होने वाली बीमारियों पर बिलकुल काम नहीं करती।
समझिए इस फर्क को
बैक्टीरियल इंफेक्शन: जैसे स्ट्रेप थ्रोट (गले का इन्फेक्शन), यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI), कुछ तरह के निमोनिया। इन सबमें एंटीबायोटिक काम करेगी।
वायरल इंफेक्शन: जैसे सर्दी-जुकाम, फ्लू, खांसी (जो वायरस से हो), कोरोना। इन बीमारियों में एंटीबायोटिक लेना पैसों की बर्बादी और शरीर को नुकसान पहुंचाना है।
अब सवाल ये है कि डॉक्टर की सलाह इतनी ज़रूरी क्यों है?
जब भी आप किसी डॉक्टर के पास जाते हैं, तो वो सिर्फ आपके लक्षणों को नहीं देखता। वो आपकी बीमारी की जड़ तक जाने की कोशिश करता है। वो पता लगाता है कि आपकी बीमारी बैक्टीरिया से हुई है या वायरस से। अगर बैक्टीरिया से हुई है, तभी वो एंटीबायोटिक लिखते हैं।
खुद से एंटीबायोटिक लेने के कुछ खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं
शरीर के अच्छे बैक्टीरिया का भी सफाया: हमारे पेट में बहुत सारे अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो खाना पचाने और इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं। बेमतलब की एंटीबायोटिक लेने से ये अच्छे बैक्टीरिया भी मर जाते हैं, जिससे पेट खराब होना, दस्त और दूसरी परेशानियाँ हो सकती हैं।
दवा का असर कम होना (Antibiotic Resistance): ये सबसे बड़ी और सबसे खतरनाक समस्या है। जब हम बार-बार, बेवजह या गलत तरीके से एंटीबायोटिक लेते हैं, तो बैक्टीरिया स्मार्ट बन जाते हैं। वो उस दवा के खिलाफ एक कवच बना लेते हैं। फिर अगली बार जब आपको सच में कोई गंभीर बीमारी होती है और आप वही एंटीबायोटिक लेते हैं, तो वो असर नहीं करती। इसे ही “एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस” कहते हैं।
साइड इफेक्ट्स का खतरा: हर दवा के कुछ साइड इफेक्ट्स होते हैं। एंटीबायोटिक से पेट में दर्द, उल्टी, चक्कर आना, और कई बार गंभीर एलर्जी भी हो सकती है।
तो फिर, एंटीबायोटिक कब लेनी चाहिए?
सीधा सा जवाब है: सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर!
जब डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक लिखें, तो इन बातों का हमेशा ध्यान रखें:
पूरा कोर्स करें: अगर डॉक्टर ने 7 दिन का कोर्स बताया है, तो चाहे आप 3 दिन में ही बिल्कुल ठीक महसूस क्यों न करने लगें, दवा का पूरा कोर्स खत्म करें। अगर आप बीच में ही छोड़ देते हैं, तो कुछ बैक्टीरिया बच जाते हैं, जो और भी ताकतवर होकर वापस आ सकते हैं।
किसी और की दवा न लें: किसी दूसरे को दी गई एंटीबायोटिक आपके लिए सही नहीं हो सकती। हर इंसान का शरीर और बीमारी अलग होती है।
खुराक न भूलें: सही समय पर और सही मात्रा में दवा लेना बहुत जरूरी है।
FAQ (पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. क्या सर्दी-खांसी में एंटीबायोटिक लेनी चाहिए? Ans: नहीं, ज़्यादातर सर्दी-खांसी वायरस से होती है, जिस पर एंटीबायोटिक काम नहीं करती। अगर 3-4 दिन बाद भी बुखार या तकलीफ बढ़ रही है, तो डॉक्टर से मिलें। वो सही वजह पता करके दवा देंगे।
Q2. क्या एंटीबायोटिक के साथ दही या प्रोबायोटिक लेना चाहिए? Ans: हाँ, बिलकुल! एंटीबायोटिक अच्छे बैक्टीरिया को भी मारती है। इसलिए, दही, छाछ या प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स लेने से पेट के अच्छे बैक्टीरिया का बैलेंस बना रहता है।
Q3. अगर मैं ठीक महसूस करूँ तो क्या एंटीबायोटिक लेना बंद कर सकता हूँ? Ans: बिलकुल नहीं! कोर्स पूरा करना बहुत ज़रूरी है। अगर आप बीच में छोड़ देते हैं, तो बचे हुए बैक्टीरिया और भी ताकतवर बन सकते हैं, जिससे इलाज और मुश्किल हो जाता है।
Q4. एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस क्या है और ये क्यों खतरनाक है? Ans: जब बैक्टीरिया दवा के खिलाफ़ इम्यून हो जाते हैं, तो उसे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस कहते हैं। ये इसलिए खतरनाक है क्योंकि जब हमें सच में गंभीर बीमारी होगी, तो कोई भी एंटीबायोटिक उस पर असर नहीं करेगी, और इलाज मुश्किल हो जाएगा।
Q5. एंटीबायोटिक लेने से क्या-क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं? Ans: सबसे आम साइड इफेक्ट्स हैं दस्त, पेट में दर्द, उल्टी, और एलर्जी। कुछ गंभीर मामलों में चकत्ते या साँस लेने में दिक्कत भी हो सकती है। अगर ऐसा कुछ हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
फाइनल बात…
एंटीबायोटिक एक चमत्कार है, लेकिन सिर्फ तब जब इसका इस्तेमाल सोच-समझकर और डॉक्टर की सलाह पर किया जाए। इसे अपनी मर्जी से लेना, वो भी बिना जाने कि बीमारी की वजह क्या है, खुद अपने लिए और पूरे समाज के लिए एक बड़ी समस्या पैदा कर रहा है।
तो अगली बार जब भी कोई दोस्त या रिश्तेदार आपसे “वही पुरानी एंटीबायोटिक” माँगे, तो उसे प्यार से समझाइए कि ये खेल नहीं है, सेहत का सवाल है।
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