“अरे भाई, मुझे दो दिन से बुखार आ रहा है, लगता है कोई तगड़ा इंफेक्शन हो गया है। डॉक्टर के पास जाऊँगा तो वो एंटीबायोटिक ही लिखेंगे। चलो, घर में रखी पुरानी वाली एंटीबायोटिक ले लेता हूँ, तुरंत ठीक हो जाऊँगा।”

अगर आप भी ऐसा सोचते हैं, तो रुकिए! यह एक बहुत बड़ी और खतरनाक गलतफहमी है। हर बुखार में एंटीबायोटिक लेना न सिर्फ बेकार है, बल्कि आपकी सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह भी हो सकता है।

antibiotics and fever

बुखार क्या है? इसे बीमारी न समझें

एकदम सरल भाषा में समझें तो, बुखार कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक लक्षण है। जब आपके शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है, तो आपका शरीर उससे लड़ने के लिए अपना तापमान बढ़ा लेता है। यह शरीर का एक डिफेंस मैकेनिज्म है।

जैसे: अगर आपके घर में चोर घुस आएँ, तो आप अलार्म बजाते हैं। वैसे ही, शरीर में कोई इंफेक्शन हो तो वह बुखार के रूप में अलार्म बजाता है।

तो फिर, बुखार में एंटीबायोटिक क्यों नहीं लेनी चाहिए?

इसका सीधा सा जवाब है: क्योंकि एंटीबायोटिक सिर्फ बैक्टीरिया को मारती है, वायरस को नहीं!

वायरल बुखार

ज़्यादातर बुखार (जैसे सर्दी-खांसी, फ्लू, वायरल फीवर) वायरस की वजह से होते हैं। ये “self-limiting” होते हैं, यानी खुद ही कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं।

इन बीमारियों में एंटीबायोटिक लेने का कोई फायदा नहीं है। ये सिर्फ आपके पैसों की बर्बादी और शरीर को नुकसान पहुंचाना है।

बैक्टीरियल बुखार

कुछ गंभीर बीमारियाँ (जैसे यूरिन इंफेक्शन, निमोनिया, या टॉन्सिलाइटिस) बैक्टीरिया की वजह से होती हैं।

इन इंफेक्शन में एंटीबायोटिक के बिना इलाज नहीं हो सकता और समय पर इलाज न होने से बीमारी और भी बढ़ सकती है।

ऐसे में डॉक्टर एंटीबायोटिक देते हैं, क्योंकि यही बैक्टीरिया को खत्म कर सकती हैं।

तो, जब तक डॉक्टर यह पता न लगा लें कि बुखार का कारण बैक्टीरिया है या वायरस, तब तक एंटीबायोटिक लेना आपकी सेहत से खिलवाड़ करना है।

खुद से एंटीबायोटिक लेने के क्या-क्या खतरे हैं?

दवा का असर कम होना (Antibiotic Resistance)

यह सबसे बड़ा खतरा है। जब हम बार-बार बिना वजह एंटीबायोटिक लेते हैं, तो शरीर के बैक्टीरिया उस दवा के आदी हो जाते हैं और उन पर दवा का असर होना बंद हो जाता है।

अगली बार जब आपको कोई गंभीर बीमारी होगी, तो कोई भी एंटीबायोटिक काम नहीं करेगी।

साइड इफेक्ट्स का खतरा

बिना वजह एंटीबायोटिक लेने से पेट खराब होना, दस्त, उल्टी और पेट में अच्छे बैक्टीरिया का खत्म होना जैसी परेशानियाँ हो सकती हैं।

लिवर पर बुरा असर

बिना जरूरत के कोई भी दवा लेने से लिवर (Liver) पर बेवजह का बोझ पड़ता है, जिससे वह कमजोर हो सकता है।

तो फिर, बुखार होने पर क्या करें?

सबसे पहले किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाएँ। डॉक्टर आपके लक्षणों को देखकर और ज़रूरत पड़ने पर कुछ टेस्ट करवाकर सही वजह का पता लगाएंगे। इसके अलावा, आप इन बातों का ध्यान रख सकते हैं:

आराम करें और पानी पिएं: बुखार में शरीर को आराम और पानी की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। खूब पानी, नारियल पानी, और जूस पिएं।

पैरासिटामोल लें: अगर बुखार 101 डिग्री से ज़्यादा है और आपको बहुत ज़्यादा तकलीफ हो रही है, तो डॉक्टर की सलाह पर आप पैरासिटामोल जैसी बुखार कम करने वाली दवा ले सकते हैं।

सिर्फ सपोर्टिव ट्रीटमेंट कब काफी है और डॉक्टर के पास कब जाना ज़रूरी है? (Red Flags)

जब बुखार सामान्य हो और कोई गंभीर लक्षण न हों, तो सिर्फ “सपोर्टिव ट्रीटमेंट” ही काफी होता है।

लेकिन कुछ ख़ास लक्षणों को नज़रअंदाज़ करना बहुत खतरनाक हो सकता है। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखे, तो बिना देर किए डॉक्टर के पास जाना चाहिए:

बुखार लगातार ज़्यादा हो: अगर बुखार 102-103°F (38.9°C) से ऊपर हो और दवा लेने के बाद भी नीचे न आए।

बुखार 3-4 दिन से ज़्यादा रहे: अगर साधारण बुखार 3 दिन से ज़्यादा रहे और ठीक न हो।

सांस लेने में दिक्कत: अगर सांस फूलने लगे, सीने में दर्द हो, या खाँसी लगातार बढ़ती जाए।

गले में अकड़न या बहुत तेज़ सिरदर्द: यह मेनिनजाइटिस (meningitis) जैसे गंभीर इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है।

शरीर पर चकत्ते (Rashes): अगर शरीर पर कहीं लाल धब्बे या दाने दिखने लगें।

बेहोशी या भ्रम: अगर आप भ्रम में रहने लगें, बेहोशी जैसी हालत हो, या बहुत ज़्यादा कमज़ोरी महसूस हो।

लगातार उल्टी या दस्त: अगर बार-बार उल्टी हो रही हो और कुछ भी पेट में न रुक रहा हो।

याद रखें, छोटे बच्चों में, खासकर 3 महीने से कम उम्र के शिशुओं में, हल्का बुखार भी खतरनाक हो सकता है। ऐसे में बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

यह जानकारी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि:

कमज़ोर इम्यून सिस्टम: 3 महीने से कम उम्र के शिशुओं का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। उनका शरीर इंफेक्शन से उतनी ताकत से नहीं लड़ पाता, जितना एक बड़े बच्चे या वयस्क का शरीर लड़ता है।

गंभीर बीमारी का संकेत: छोटे बच्चों में, बुखार अक्सर किसी गंभीर बैक्टीरियल इंफेक्शन (जैसे ब्लड इंफेक्शन या मेनिनजाइटिस) का इकलौता लक्षण हो सकता है।

तेजी से फैलना: इन बच्चों में इंफेक्शन बहुत तेज़ी से फैल सकता है। इसलिए, डॉक्टर से तुरंत संपर्क करके सही इलाज शुरू करना बहुत ज़रूरी होता है, ताकि कोई बड़ा खतरा न हो।

इसलिए, इस उम्र के बच्चों में, बुखार को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए और बिना देर किए डॉक्टर की सलाह लेना ही सबसे सही फैसला होता है।

फाइनल बात…

बुखार होने पर घबराएँ नहीं। यह बस इस बात का संकेत है कि आपका शरीर किसी बाहरी हमले से लड़ रहा है।

खुद को डॉक्टर न बनें और अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक न लें। यह एक ऐसी गलती है जिसका खामियाजा पूरे समाज को भुगतना पड़ता है।

अपनी सेहत की ज़िम्मेदारी समझदारी से निभाएं।

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