टाँके लगाने की डरावनी, पर कमाल की दास्तान
ज़रा सोचिए... वो समय जब न ऑपरेशन थिएटर था, न एनेस्थीसिया, न एंटीसेप्टिक। कोई अगर लड़ाई में घायल हो गया, या शिकार के दौरान शरीर पर गहरा घाव लग गया, तो उसे सिलने का काम किसी मशीन या डॉक्टर के भरोसे नहीं था—बस आसपास की चीज़ों, अनुभव और इंसानी बुद्धि पर निर्भर था। खून का बहना रोकना और घाव को [...]