आपने अक्सर सुना होगा कि दिल के दौरे के बाद मरीज़ को एक ख़ास गोली दी जाती है, जिसे beta blocker ( बीटा-ब्लॉकर) कहते हैं।
पिछले 40 सालों से, इसे दिल के दौरे के बाद एक मानक इलाज (standard treatment) माना जाता रहा है।
यह गोली दिल की धड़कन को धीमा करती है और ब्लड प्रेशर कम करती है, ताकि दिल को ज़्यादा मेहनत न करनी पड़े।
लेकिन, हाल ही में हुए दो बड़े मेडिकल शोधों ने इस पुरानी धारणा पर सवाल उठाया है।
ये शोध दिखाते हैं कि आधुनिक इलाज के तरीकों के साथ, बीटा-ब्लॉकर अब हर मरीज़ के लिए उतने फायदेमंद नहीं हो सकते, खासकर उन लोगों के लिए जिनका दिल दिल के दौरे के बाद भी ठीक से काम कर रहा है।
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा है, इसलिए आइए इसे सरल और आसान भाषा में समझते हैं ताकि कोई भी ग़लतफ़हमी न रहे।

दिल के दौरे के बाद 40 सालों से एक मानक इलाज रही बीटा-ब्लॉकर गोली।
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क्यों हो रही है यह बहस? (Why is this Debate Happening?)
आज से 40 साल पहले, दिल के दौरे का इलाज आज जितना आधुनिक नहीं था।
तब डॉक्टर दिल के दौरे के बाद दिल को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए बीटा-ब्लॉकर पर बहुत भरोसा करते थे।
लेकिन, आज हमारे पास बहुत बेहतर इलाज हैं, जैसे:
- स्टेंट (Stents): दिल का दौरा पड़ने पर तुरंत स्टेंट लगाकर बंद हुई धमनी (artery) को खोला जाता है।
- दवाइयां: खून को पतला करने वाली और कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली बहुत असरदार दवाइयां हैं।
इन आधुनिक इलाजों की वजह से, ज़्यादातर मरीज़ों के दिल को अब उतना नुकसान नहीं होता जितना पहले होता था।
अब, 80% मरीज़ों का दिल दिल के दौरे के बाद भी सामान्य रूप से काम करता है।

Caption: आधुनिक स्टेंटिंग और दवाओं ने दिल के दौरे के बाद बीटा-ब्लॉकर के महत्व पर सवाल उठाए हैं।
इसीलिए, वैज्ञानिकों ने यह सवाल उठाना शुरू किया कि क्या इन आधुनिक इलाजों के बाद भी बीटा-ब्लॉकर की ज़रूरत है?
दो बड़े शोधों ने क्या कहा? (What Did Two Major Studies Say?)
हाल ही में यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी कांग्रेस में दो अलग-अलग शोधों के नतीजे सामने आए: BETAMI–DANBLOCK और REBOOT।
इन दोनों शोधों ने कुछ बातें एक जैसी कहीं और कुछ बातों पर उनकी राय अलग थी।
सबसे बड़ी बात जिस पर दोनों शोध सहमत हैं
दोनों शोधों में यह बात साफ तौर पर सामने आई कि जिन मरीज़ों के दिल की काम करने की क्षमता थोड़ी कम हो गई थी (जिसे मेडिकल भाषा में इजेक्शन फ्रैक्शन कहते हैं, जो 40% से 49% के बीच था),
उनके लिए बीटा-ब्लॉकर बहुत फायदेमंद साबित हुए। इन गोलियों से उन्हें दिल का दौरा, दिल का फेल होना या मृत्यु का खतरा 15% से 25% तक कम हो गया।
इसका मतलब है कि अगर आपके दिल को दिल के दौरे से थोड़ा नुकसान पहुँचा है, तो बीटा-ब्लॉकर आपके लिए बहुत ज़रूरी हैं।
लेकिन, असहमति कहाँ है?
असहमति उन 80% मरीज़ों के लिए है जिनका दिल दिल के दौरे के बाद भी सामान्य रूप से काम कर रहा है (यानी इजेक्शन फ्रैक्शन 50% या उससे ज़्यादा है)।
BETAMI–DANBLOCK (नॉर्वे और डेनमार्क में हुआ शोध)
इस शोध में, जिन मरीज़ों ने बीटा-ब्लॉकर लिए, उन्हें दिल का दौरा पड़ने या किसी बड़ी हृदय-संबंधी घटना का खतरा 15% कम था।
इस शोध के अनुसार, इन गोलियों का फायदा उन सभी मरीज़ों को मिला, चाहे उनका दिल सामान्य रूप से काम कर रहा हो या नहीं।
REBOOT (स्पेन और इटली में हुआ शोध)
इस शोध में, जिन मरीज़ों का दिल सामान्य रूप से काम कर रहा था, उन पर बीटा-ब्लॉकर का कोई खास असर नहीं दिखा।
यानी, इन गोलियों को लेने वाले और न लेने वाले मरीज़ों में दिल का दौरा पड़ने या मृत्यु की दर में कोई खास अंतर नहीं था।
यह एक चौंकाने वाला नतीजा था क्योंकि यह 40 सालों से चली आ रही चिकित्सा पद्धति के विपरीत था।
महिलाओं के लिए चौंकाने वाले नतीजे (Surprising Findings for Women)
REBOOT शोध में एक और बात सामने आई, जिसने सबको चौंका दिया।
इस शोध में, जिन महिलाओं का दिल सामान्य रूप से काम कर रहा था और जिन्हें दिल के दौरे के बाद बीटा-ब्लॉकर की ज़्यादा डोज़ दी गई,
उनमें फिर से दिल का दौरा पड़ने या अस्पताल में भर्ती होने का खतरा उन महिलाओं से ज़्यादा था, जिन्होंने यह गोली नहीं ली।
यहाँ तक कि इन महिलाओं में मृत्यु का खतरा भी लगभग तीन गुना ज़्यादा था।
हालांकि, यह भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि यह सिर्फ़ एक शोध का नतीजा है और इस पर और ज़्यादा रिसर्च की ज़रूरत है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि महिलाओं के दिल का आकार और उनका शरीर दवाओं पर अलग तरह से प्रतिक्रिया कर सकता है।
तो इसका क्या मतलब है? क्या मुझे अपनी गोली बंद कर देनी चाहिए? (So What Does This Mean? Should I Stop My Pill?)
सबसे महत्वपूर्ण बात: अगर आप दिल के दौरे के बाद बीटा-ब्लॉकर ले रहे हैं, तो अपनी डॉक्टर की सलाह के बिना अपनी गोली बंद न करें।
यह शोध अभी शुरुआती चरण में हैं और ये हमारे लिए कुछ नए सवाल खड़े करते हैं, लेकिन यह किसी भी मरीज़ के लिए अपनी दवा बंद करने का कारण नहीं है।
यह क्यों ज़रूरी है?
आपकी स्थिति अलग है: हर मरीज़ की स्थिति अलग होती है। आपकी डॉक्टर ने आपकी सेहत और दिल की स्थिति को देखते हुए ही आपको यह गोली दी होगी।
अन्य फायदे: बीटा-ब्लॉकर सिर्फ़ दिल के दौरे के बाद ही नहीं, बल्कि हाई ब्लड प्रेशर, अनियमित दिल की धड़कन (arrhythmias) और दिल से जुड़ी अन्य समस्याओं के लिए भी दिए जाते हैं।
आपकी डॉक्टर ने किसी और कारण से भी आपको यह गोली दी हो सकती है।
अधूरी जानकारी: शोध के नतीजे अभी पूरी तरह से साफ नहीं हैं। दोनों शोधों में कुछ अंतर हैं, जैसे कि मरीज़ों की उम्र और उनकी मेडिकल स्थिति में थोड़ा अंतर था।
डॉक्टरों के लिए संदेश
यह शोध डॉक्टरों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि अब उन्हें हर मरीज़ को आंख बंद करके बीटा-ब्लॉकर नहीं देने चाहिए।
उन्हें हर मरीज़ की स्थिति को ध्यान में रखकर ही फैसला लेना होगा।
ख़ासकर उन मरीज़ों के लिए जिनका दिल सामान्य रूप से काम कर रहा है, उनके लिए दूसरे इलाज ज़्यादा फायदेमंद हो सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
बीटा-ब्लॉकर पिछले 40 सालों से दिल की बीमारियों के इलाज में एक अहम हिस्सा रहे हैं।
ये नई रिसर्च हमें बताती हैं कि चिकित्सा विज्ञान लगातार विकसित हो रहा है और पुरानी धारणाओं पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
यह ज़रूरी है कि हम इन बातों को जानें और समझें, लेकिन किसी भी बड़े बदलाव के लिए अपनी डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें।
विज्ञान में हर दिन कुछ नया सीखने को मिलता है, और यह सीख हमें बेहतर और सुरक्षित इलाज की ओर ले जाती है।
याद रखें, आपकी सेहत आपकी सबसे बड़ी संपत्ति है, और उसका फैसला सबसे अच्छी तरह से आपकी डॉक्टर ही कर सकती हैं।
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अस्वीकरण (Disclaimer)
यह ब्लॉग केवल जानकारी के लिए लिखा गया है और यह किसी भी तरह से डॉक्टरी सलाह का विकल्प नहीं है।
अपनी दवा के बारे में कोई भी फैसला लेने से पहले हमेशा अपनी डॉक्टर से सलाह लें।
refrences
https://edition.cnn.com/2025/08/30/health/heart-attack-beta-blockers-wellness
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