क्या आपने कभी फिल्मों या टीवी शो में डॉक्टरों को एक मशीन से मरीज़ के सीने पर बिजली के झटके देते हुए देखा है, जिसके बाद मरीज़ की धड़कन वापस आ जाती है?
वह जादुई दिखने वाली मशीन ही डिफ़िब्रिलेटर (Defibrillator) है। यह सिर्फ़ फिल्मों में ही नहीं, बल्कि असल ज़िंदगी में भी कई लोगों की जान बचा चुकी है।
आज के ब्लॉग में हम इसी जीवन-रक्षक मशीन के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
हम समझेंगे कि डिफ़िब्रिलेटर क्या है, यह कैसे काम करता है, किस स्थिति में इसका उपयोग किया जाता है, और सबसे ज़रूरी बात, एक आम इंसान के लिए इसकी क्या अहमियत है।

defrillator
तो चलिए, दिल की धड़कन को बचाने वाली इस ख़ास मशीन के बारे में गहराई से जानते हैं।
डिफ़िब्रिलेटर के बारे में आम जानकारी अक्सर अधूरी होती है।
लोग इसे सिर्फ़ ‘बिजली का झटका’ देने वाली मशीन समझते हैं, जबकि इसकी भूमिका और काम करने का तरीका कहीं ज़्यादा जटिल और महत्वपूर्ण है।
कुछ ऐसे points हैं जिनकी जानकारी अक्सर नहीं दी जाती और जिन्हें हम इस ब्लॉग में विस्तार से जानेंगे|
Table of Contents
हमारा दिल और उसका ‘इलेक्ट्रिकल सिस्टम’ (Our Heart and Its ‘Electrical System’)
हमारे दिल का काम पूरे शरीर में खून पंप करना है, और यह काम वह एक ख़ास इलेक्ट्रिकल सिस्टम की मदद से करता है।
दिल में एक प्राकृतिक पेसमेकर (natural pacemaker) होता है जिसे सिनोएट्रियल नोड (Sinoatrial Node – SA Node) कहते हैं।
यह SA नोड छोटे-छोटे बिजली के सिग्नल बनाता है, जो दिल की मांसपेशियों से होते हुए जाते हैं और उन्हें सिकुड़ने का संकेत देते हैं।
ये सिग्नल एक तय लय (rhythm) में चलते हैं, जिससे हमारा दिल एक मिनट में 60 से 100 बार धड़कता है। जब यह इलेक्ट्रिकल सिस्टम ठीक से काम करता है,
तो दिल नियमित रूप से धड़कता है और खून को प्रभावी ढंग से पंप करता है।
कार्डियक अरेस्ट बनाम हार्ट अटैक: अंतर समझना ज़रूरी (Cardiac Arrest vs. Heart Attack: Understanding the Difference is Crucial)

दिल का इलेक्ट्रिक सर्किट: इसे इस विज़ुअल के ज़रिए समझें।
यह एक बहुत ही ज़रूरी अंतर है जिसे अक्सर लोग नहीं जानते।
हार्ट अटैक (Heart Attack)
यह तब होता है जब दिल की किसी एक धमनी (artery) में खून का प्रवाह रुक जाता है, आमतौर पर खून के थक्के (blood clot) के कारण।
इससे दिल के उस हिस्से को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और वह डैमेज हो जाता है।
हार्ट अटैक में दिल धड़कना बंद नहीं करता, बल्कि उसके एक हिस्से को नुकसान पहुँचता है। मरीज़ को सीने में तेज़ दर्द, बाँह में दर्द और साँस लेने में तकलीफ़ हो सकती है। डिफ़िब्रिलेटर इसमें सीधे काम नहीं आता।
कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest)
यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ दिल का इलेक्ट्रिकल सिस्टम अचानक खराब हो जाता है, जिससे दिल अनियमित रूप से धड़कने लगता है या पूरी तरह धड़कना बंद कर देता है।
जब दिल धड़कना बंद कर देता है, तो वह पूरे शरीर में खून पंप नहीं कर पाता।
इससे तुरंत व्यक्ति बेहोश हो जाता है और साँस लेना बंद कर देता है।
कार्डियक अरेस्ट एक मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें तुरंत डिफ़िब्रिलेटर का उपयोग करके दिल की धड़कन को सामान्य करना ज़रूरी होता है।
हार्ट अटैक एक ‘पाइपिंग’ समस्या है, जबकि कार्डियक अरेस्ट एक ‘इलेक्ट्रिकल’ समस्या है, और डिफ़िब्रिलेटर इलेक्ट्रिकल समस्या को ठीक करता है।
डिफ़िब्रिलेटर क्या है और यह कैसे काम करता है? (What is a Defibrillator and How Does it Work?)

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डिफ़िब्रिलेटर एक मेडिकल डिवाइस है जो दिल को बिजली का झटका देकर उसकी अनियमित धड़कन (जिसे अतालता या arrhythmia कहते हैं) को सामान्य करता है।
यह कैसे काम करता है?
जब दिल का इलेक्ट्रिकल सिस्टम खराब हो जाता है (जैसे कि वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन – ventricular fibrillation में), तो दिल की मांसपेशियाँ एक साथ सिकुड़ने के बजाय बेतरतीब ढंग से फड़कने लगती हैं।
इस स्थिति में दिल प्रभावी ढंग से खून पंप नहीं कर पाता।
डिफ़िब्रिलेटर एक नियंत्रित बिजली का झटका देता है।
यह झटका दिल के सभी इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को एक पल के लिए रोक देता है, ठीक वैसे ही जैसे कंप्यूटर को ‘रीसेट’ किया जाता है।
एक बार जब दिल की सारी इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी रुक जाती है, तो दिल के प्राकृतिक पेसमेकर (SA नोड) को फिर से सही लय में धड़कना शुरू करने का मौका मिल जाता है।
यह प्रक्रिया जीवन और मृत्यु के बीच का फ़र्क़ हो सकती है।
डिफ़िब्रिलेटर के प्रकार (Types of Defibrillators)
डिफ़िब्रिलेटर कई तरह के होते हैं, और हर तरह का अपना एक ख़ास उपयोग होता है:
मैनुअल एक्सटर्नल डिफ़िब्रिलेटर (Manual External Defibrillator – MED)
ये वो बड़े डिफ़िब्रिलेटर होते हैं जो आप अस्पतालों और एम्बुलेंस में देखते हैं।
इनका उपयोग प्रशिक्षित मेडिकल पेशेवर करते हैं जो खुद बिजली के झटके की मात्रा (dose) निर्धारित करते हैं और कब झटका देना है, यह तय करते हैं।
ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफ़िब्रिलेटर (Automated External Defibrillator – AED)
ये पोर्टेबल, हल्के और इस्तेमाल में आसान होते हैं।
AEDs को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि कोई भी आम व्यक्ति, बिना किसी मेडिकल ट्रेनिंग के भी इनका उपयोग कर सके।
ये मशीनें खुद ही दिल की धड़कन का विश्लेषण करती हैं और बताती हैं कि बिजली का झटका देना है या नहीं, और कब देना है।
आजकल ये हवाई अड्डों, शॉपिंग मॉल, खेल के मैदानों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर उपलब्ध होते हैं।
इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफ़िब्रिलेटर (Implantable Cardioverter Defibrillator – ICD)
यह एक छोटा डिवाइस है जिसे सर्जरी के ज़रिए छाती में त्वचा के नीचे लगाया जाता है।
यह डिवाइस लगातार दिल की धड़कन को मॉनिटर करता रहता है। अगर दिल की धड़कन खतरनाक रूप से अनियमित हो जाती है, तो ICD खुद ही बिजली का छोटा झटका देकर उसे सामान्य कर देता है।
यह उन लोगों के लिए होता है जिन्हें भविष्य में कार्डियक अरेस्ट का ज़्यादा खतरा होता है।
AED का उपयोग: जीवन बचाने का एक आसान तरीका (Using an AED: An Easy Way to Save a Life)
AEDs का उपयोग करना बहुत आसान है और ये किसी भी व्यक्ति की जान बचा सकते हैं।
AED का उपयोग कैसे करें
अमेरिकन रेड क्रॉस (American Red Cross): AED Steps | How to Use an AED Correctly
एमएसडी मैनुअल्स (MSD Manuals): ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डीफिब्रिलेटर: हृदय को जंप-स्टार्ट करना
बजाज फिनसर्व (Bajaj Finserv): ऑटोमैटिक एक्सटर्नल डिफाईब्रिलेटर (एईडी) मशीन: परिभाषा, उपयोग, कीमत और फाइनेंसिंग
AEDs को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि वे तभी झटका देंगे जब वाकई इसकी ज़रूरत होगी, इसलिए इनके गलत इस्तेमाल का खतरा कम होता है।
डिफ़िब्रिलेटर के उपयोग से जुड़ी सुरक्षा और मिथक (Safety and Myths About Defibrillator Usage)
डिफ़िब्रिलेटर के बारे में कुछ गलत धारणाएँ हैं जिन्हें दूर करना ज़रूरी है:
मिथक: डिफ़िब्रिलेटर हमेशा दिल को फिर से चालू करता है।
सच्चाई: डिफ़िब्रिलेटर दिल को ‘रीसेट’ करता है, जिससे दिल के प्राकृतिक पेसमेकर को फिर से सही ताल में धड़कना शुरू करने का मौका मिलता है। यह हमेशा सफल नहीं होता, खासकर अगर बहुत देर हो चुकी हो।
मिथक: डिफ़िब्रिलेटर किसी भी व्यक्ति को ‘बिजली का झटका’ दे सकता है।
सच्चाई: AEDs बहुत स्मार्ट होते हैं। वे दिल की धड़कन का विश्लेषण करते हैं और तभी झटका देते हैं जब वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन या वेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया जैसी स्थिति हो। अगर दिल सही लय में धड़क रहा है, तो वे झटका नहीं देंगे।
मिथक: डिफ़िब्रिलेटर का उपयोग केवल डॉक्टर ही कर सकते हैं।
सच्चाई: जबकि मैनुअल डिफ़िब्रिलेटर प्रशिक्षित पेशेवरों के लिए होते हैं, AEDs को आम जनता के उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है।
भारत में डिफ़िब्रिलेटर की उपलब्धता और जागरूकता (Availability and Awareness in India )
भारत में, डिफ़िब्रिलेटर की उपलब्धता और इसके बारे में जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है।
अस्पतालों में: लगभग सभी बड़े और मध्यम आकार के अस्पतालों में, खासकर आईसीयू (ICU) और इमरजेंसी (emergency) विभागों में, डिफ़िब्रिलेटर उपलब्ध होते हैं।
सार्वजनिक स्थानों पर AEDs: अब धीरे-धीरे हवाई अड्डों, बड़े रेलवे स्टेशनों, शॉपिंग मॉल और कुछ कॉरपोरेट ऑफिसों में भी AEDs लगाए जा रहे हैं।
हालांकि, इनकी संख्या अभी भी कम है और आम जनता के बीच इनके उपयोग की जानकारी भी सीमित है।
जागरूकता अभियान: इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी (Indian Red Cross Society) और कुछ गैर-सरकारी संगठन (NGOs) CPR और AED के उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रहे हैं।
यह ज़रूरी है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग CPR और AED के उपयोग के बारे में जानें, क्योंकि कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में हर मिनट मायने रखता है।
निष्कर्ष: हर जीवन अनमोल है (Conclusion: Every Life is Precious)
डिफ़िब्रिलेटर एक ऐसी तकनीक है जिसने अनगिनत जिंदगियाँ बचाई हैं।
यह हमें याद दिलाता है कि मेडिकल इमरजेंसी में तुरंत कार्रवाई कितनी महत्वपूर्ण होती है।
भले ही आप एक मेडिकल पेशेवर न हों, लेकिन AED के बारे में जानना और CPR की ट्रेनिंग लेना आपको किसी की जान बचाने में मदद कर सकता है।
अपने आसपास की जगहों पर AED की उपलब्धता के बारे में जागरूक रहें।
शायद आपकी यह जानकारी या ट्रेनिंग किसी दिन किसी अपने या किसी अंजान व्यक्ति की जान बचा सकती है।
याद रखें, दिल की धड़कन का रुकना इंतज़ार नहीं करता, और हर मिनट की देरी जीवन और मृत्यु के बीच का फ़र्क़ मिटा सकती है।
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Disclaimer
यह ब्लॉग केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से डॉक्टरी सलाह या प्रशिक्षण का विकल्प नहीं है।
डिफ़िब्रिलेटर का उपयोग करने से पहले हमेशा सही प्रशिक्षण प्राप्त करें।
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