डेंगू बुखार एक गंभीर बीमारी है, और भारत सरकार ने इससे निपटने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं।

ये दिशानिर्देश सिर्फ़ कुछ नियम नहीं हैं, बल्कि मरीज की सुरक्षा और बीमारी को गंभीर होने से रोकने के लिए वैज्ञानिक सलाह का निचोड़ हैं।

अक्सर हम सिर्फ़ “क्या करना है” और “क्या नहीं करना है” जान लेते हैं, लेकिन उसके पीछे का कारण नहीं समझते।

जब हमें यह पता होता है कि कोई सलाह क्यों दी जा रही है, तो हम उसे बेहतर तरीके से अपनाते हैं।

DENGUE GUIDELINES

आइए, भारत सरकार द्वारा जारी इन महत्वपूर्ण दिशानिर्देशों को एक-एक करके, उनके पीछे के वैज्ञानिक कारणों के साथ, विस्तार से समझते हैं:

Table of Contents

शुरुआती और सबसे महत्वपूर्ण चेतावनी: क्यों रहें अगले कुछ दिन बहुत सावधान?

सरकार का दिशानिर्देश

“यदि आप या परिवार का कोई सदस्य संदिग्ध डेंगू बुखार से पीड़ित है, तो अगले कुछ दिनों तक खुद पर या रिश्तेदार पर सावधानीपूर्वक नज़र रखना महत्वपूर्ण है,

क्योंकि यह बीमारी तेज़ी से बहुत गंभीर हो सकती है और एक मेडिकल इमरजेंसी का रूप ले सकती है।”

इसके पीछे का कारण (Rationale)

डेंगू की प्रकृति (The Nature of Dengue)

डेंगू एक ऐसा वायरस है जो शरीर में अलग-अलग तरह से व्यवहार करता है। शुरू में यह सामान्य फ्लू जैसा लग सकता है,

लेकिन इसकी असल चुनौती ‘क्रिटिकल फेज़’ (Critical Phase) में होती है।

क्रिटिकल फेज़ (गंभीर चरण)

डेंगू में सबसे खतरनाक समय अक्सर बुखार उतरने के बाद (तीसरे से सातवें दिन के बीच) आता है।

इस चरण को ‘क्रिटिकल फेज़’ या ‘लीकेज फेज़’ भी कहते हैं।

इस दौरान, शरीर की रक्त वाहिकाएं (Blood Vessels) लीक होना शुरू हो सकती हैं।

लीकेज (Leakage) का खतरा

रक्त वाहिकाओं से प्लाज्मा (रक्त का तरल भाग) बाहर निकलकर शरीर के अन्य हिस्सों (जैसे पेट, फेफड़ों के आस-पास) में जमा होने लगता है।

इससे रक्त का गाढ़ापन बढ़ जाता है, ब्लड प्रेशर गिर जाता है और रक्त अंगों तक ठीक से नहीं पहुँच पाता।

प्लेटलेट की भूमिका

इसी दौरान प्लेटलेट काउंट तेज़ी से गिर सकता है, जिससे आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव (Bleeding) का खतरा बढ़ जाता है।

तेजी से बिगड़ना

मरीज की हालत बहुत तेज़ी से बिगड़ सकती है – कुछ ही घंटों में। इसलिए, ‘अगले कुछ दिनों तक’ लगातार निगरानी की सलाह दी जाती है, खासकर बुखार उतरने के बाद भी।

अगर गंभीर लक्षण दिखें तो तुरंत अस्पताल जाना ज़रूरी होता है।

मेडिकल इमरजेंसी

जब शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में रक्त और ऑक्सीजन की कमी होने लगती है, या रक्तस्राव शुरू हो जाता है, तो यह जानलेवा ‘मेडिकल इमरजेंसी’ बन जाती है।

डेंगू एक ‘छिपा हुआ हमलावर’ है। यह शुरू में जितना सीधा दिखता है, बाद में उतना ही खतरनाक हो सकता है।

इसलिए, बुखार उतरने के बाद भी ‘सब ठीक है’ समझकर लापरवाह न हों, बल्कि और भी ज़्यादा सतर्क रहें।

डेंगू हेमोरेजिक फीवर की जटिलताएँ: सबसे खतरनाक समय कौन सा है?

सरकार का दिशानिर्देश

“डेंगू बुखार/डेंगू हेमोरेजिक फीवर से जुड़ी जटिलताएँ आमतौर पर बीमारी के तीसरे और पाँचवें दिन के बीच दिखाई देती हैं।

इसलिए, बुखार उतरने के बाद भी आपको दो दिनों तक मरीज पर नज़र रखनी चाहिए।”

इसके पीछे का कारण (Rationale)

समस्या की जड़

जैसा कि ऊपर बताया गया है, डेंगू का वायरस शरीर की रक्त वाहिकाओं को कमजोर करता है।

यह कमजोरी तीसरे से पाँचवें दिन के बीच अपने चरम पर पहुँच सकती है।

बुखार उतरने का भ्रम

अक्सर मरीज को लगता है कि बुखार उतर गया तो वह ठीक हो गया।

लेकिन यही वह समय होता है जब शरीर में प्लाज्मा लीकेज और प्लेटलेट काउंट गिरने का जोखिम सबसे ज़्यादा होता है।

बुखार का उतरना शरीर की सूजन-रोधी प्रतिक्रिया में बदलाव का संकेत हो सकता है,

लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वायरस का प्रभाव खत्म हो गया है।

विशेषज्ञों का अनुभव

डेंगू के प्रबंधन में यह एक स्थापित वैज्ञानिक अवलोकन है।

दुनिया भर के डॉक्टर और शोधकर्ता इस ‘गंभीर चरण’ को पहचानते हैं जो आमतौर पर बुखार के कम होने के साथ शुरू होता है।

इस चरण में अगर मरीज को सही देखभाल न मिले तो स्थिति तेजी से बिगड़कर डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) में बदल सकती है।

सटीक निगरानी

‘बुखार उतरने के बाद भी दो दिनों तक’ निगरानी की सलाह दी जाती है ताकि

इस गंभीर चरण के दौरान होने वाले किसी भी जटिलता (जैसे रक्तस्राव, अंगों की विफलता, शॉक) को तुरंत पहचाना जा सके और बिना देरी के चिकित्सा सहायता मिल सके।

 बुखार उतरना ‘जीत’ नहीं, बल्कि ‘युद्धविराम’ का संकेत है।

असली खतरा उसके बाद शुरू होता है।

इसलिए, ‘बुखार चला गया, अब मैं ठीक हूँ’ की सोच से बचें।

क्या करें (WHAT TO DO)

यहाँ सरकार द्वारा सुझाए गए कुछ उपाय दिए गए हैं, जिनके पीछे का तर्क समझना ज़रूरी है:

1. शरीर का तापमान नियंत्रित रखें

सरकार का दिशानिर्देश

“शरीर का तापमान 39 डिग्री सेल्सियस (102.2°F) से नीचे रखें।

मरीज को पैरासिटामोल (24 घंटे में चार बार से ज़्यादा नहीं) नीचे दिए गए खुराक के अनुसार दें।”

उम्र खुराक (250 मिलीग्राम की गोली) मिलीग्राम/खुराक

<1 साल 1/4 गोली 60

1-4 साल 1/2 गोली 60-120

5 और ऊपर 1 गोली 240

इसके पीछे का कारण (Rationale):

बुखार का प्रबंधन (Fever Management)

डेंगू में तेज बुखार (39°C से ऊपर) आम है।

यह शरीर को बहुत थका सकता है, तरल पदार्थ की कमी कर सकता है और दौरे (Seizures), खासकर बच्चों में, पड़ सकते हैं।

पैरासिटामोल बुखार कम करने वाली (Antipyretic) और दर्द निवारक (Analgesic) दवा है।

पैरासिटामोल ही क्यों?

पैरासिटामोल (जिसे एसीटामिनोफेन भी कहते हैं) डेंगू बुखार में सबसे सुरक्षित दवा मानी जाती है।

यह खून को पतला नहीं करती और रक्तस्राव का जोखिम नहीं बढ़ाती।

खुराक की सीमा (Dose Limit)

’24 घंटे में चार बार से ज़्यादा नहीं’ की सीमा बहुत महत्वपूर्ण है।

पैरासिटामोल की ज़्यादा खुराक लेने से लीवर (Liver) को गंभीर नुकसान पहुँच सकता है,

जो डेंगू के मरीज के लिए और भी खतरनाक हो सकता है क्योंकि डेंगू खुद भी लीवर को प्रभावित कर सकता है।

उम्र के अनुसार खुराक

बच्चों और वयस्कों के लिए खुराक अलग-अलग होती है क्योंकि उनके शरीर का वजन और दवा को पचाने की क्षमता अलग-अलग होती है।

सही खुराक लीवर पर पड़ने वाले तनाव को कम करती है।

बुखार को कम करना मरीज को आराम देता है और शरीर को थकावट से बचाता है, लेकिन सही दवा और सही खुराक में।

2. खूब सारे तरल पदार्थ और सामान्य आहार

सरकार का दिशानिर्देश

“मरीज के सामान्य आहार के साथ-साथ खूब सारे तरल पदार्थ (पानी, सूप, दूध, जूस) दें।”

इसके पीछे का कारण (Rationale)

डीहाइड्रेशन की रोकथाम (Preventing Dehydration)

डेंगू में तेज बुखार, पसीना और कभी-कभी उल्टी के कारण शरीर में तरल पदार्थ की भारी कमी (डीहाइड्रेशन) हो सकती है।

डीहाइड्रेशन से ब्लड प्रेशर गिर सकता है और किडनी सहित अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है।

प्लाज्मा लीकेज की भरपाई (Compensating for Plasma Leakage)

जैसा कि ऊपर बताया गया, गंभीर चरण में रक्त वाहिकाओं से प्लाज्मा लीक होने लगता है।

पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन शरीर में रक्त की मात्रा (Blood Volume) को बनाए रखने में मदद करता है,

भले ही कुछ प्लाज्मा लीक हो रहा हो। यह शॉक (Shock) जैसी गंभीर स्थिति को रोकने में मदद करता है।

इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन

जूस, सूप और दूध जैसे तरल पदार्थ शरीर में खोए हुए इलेक्ट्रोलाइट्स (जैसे सोडियम, पोटेशियम) की भरपाई करते हैं,

जो सामान्य शारीरिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

ऊर्जा और रिकवरी

सामान्य आहार (हल्का और सुपाच्य) से शरीर को ऊर्जा मिलती है जो बीमारी से लड़ने और ठीक होने के लिए आवश्यक है।

पानी पीना और तरल पदार्थ लेना सिर्फ़ प्यास बुझाना नहीं, बल्कि जान बचाना है। यह शरीर की आंतरिक हाइड्रेशन प्रणाली को बनाए रखता है।

3. पूरा आराम

सरकार का दिशानिर्देश

“मरीज को पूरा आराम करना चाहिए।”

इसके पीछे का कारण (Rationale)

ऊर्जा का संरक्षण (Energy Conservation)

शरीर डेंगू वायरस से लड़ने में बहुत सारी ऊर्जा खर्च करता है।

आराम करने से यह ऊर्जा प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को बीमारी से लड़ने में मदद करने के लिए आरक्षित रहती है।

शारीरिक गतिविधि इस ऊर्जा को व्यर्थ कर सकती है और रिकवरी में देरी कर सकती है।

जटिलताओं का जोखिम कम करना

शारीरिक तनाव से रक्तचाप बढ़ सकता है या रक्तस्राव का जोखिम बढ़ सकता है,

खासकर यदि प्लेटलेट काउंट कम हो। आराम इन जोखिमों को कम करता है।

तेज़ रिकवरी

पर्याप्त आराम शरीर को खुद को ठीक करने और कोशिकाओं की मरम्मत करने का समय देता है।

आराम सिर्फ़ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक भी है। यह शरीर को ‘रिपेयर मोड’ में जाने देता है।

तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, अगर ये लक्षण दिखें

(IMMEDIATELY CONSULT A DOCTOR IF ANY OF THE FOLLOWING MANIFESTATIONS APPEAR):

 

ये वे ‘खतरे के संकेत’ (Warning Signs) हैं जिन्हें किसी भी कीमत पर नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

ये लक्षण बताते हैं कि मरीज गंभीर चरण में प्रवेश कर रहा है और उसे तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है:

त्वचा पर लाल धब्बे या बिंदु (Red spots or points on the skin)

क्यों खतरनाक

ये पेटेकिया (Petechiae) या पुरपुरा (Purpura) हो सकते हैं, जो त्वचा के नीचे छोटे-छोटे रक्तस्राव के कारण बनते हैं।

यह प्लेटलेट काउंट में गंभीर गिरावट या रक्त वाहिकाओं की लीकेज का संकेत हो सकता है।

यह आमतौर पर डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF) का लक्षण है।

नाक या मसूड़ों से खून आना (Bleeding from the nose or gums):

क्यों खतरनाक

यह स्पष्ट रूप से शरीर के अंदर रक्तस्राव का संकेत है।

कम प्लेटलेट काउंट या रक्त वाहिकाओं की अत्यधिक कमजोरी के कारण ऐसा होता है।

यह एक गंभीर जटिलता है।

बार-बार उल्टी (Frequent vomiting)

क्यों खतरनाक

लगातार उल्टी से शरीर में तरल पदार्थ की भारी कमी (डीहाइड्रेशन) हो सकती है,

जो पहले से ही तरल पदार्थ की कमी वाले डेंगू के मरीज के लिए बहुत खतरनाक है।

यह शॉक की स्थिति पैदा कर सकता है।

खून के साथ उल्टी (Vomiting with blood)

क्यों खतरनाक

यह ऊपरी जठरांत्र संबंधी मार्ग (Upper Gastrointestinal Tract) में आंतरिक रक्तस्राव का एक निश्चित संकेत है, जो एक जानलेवा स्थिति हो सकती है।

काला मल (Black stools)

क्यों खतरनाक

यह आमतौर पर ऊपरी जठरांत्र संबंधी मार्ग में रक्तस्राव का संकेत है।

रक्त जब आंतों से गुजरता है तो रासायनिक परिवर्तनों के कारण काला हो जाता है।

यह भी आंतरिक रक्तस्राव का एक गंभीर लक्षण है।

नींद आना (Sleepiness)

क्यों खतरनाक

अत्यधिक नींद या सुस्ती (Lethargy) मस्तिष्क में रक्त प्रवाह या ऑक्सीजन की कमी,

या शरीर में विषाक्त पदार्थों के जमाव का संकेत हो सकती है।

यह शॉक या अन्य न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं का लक्षण हो सकता है।

लगातार रोना (Constant crying – बच्चों में)

क्यों खतरनाक

बच्चों में, लगातार और बेकाबू रोना गंभीर पेट दर्द, बेचैनी या शॉक का संकेत हो सकता है,

खासकर जब बच्चा अपनी परेशानी व्यक्त न कर पा रहा हो।

पेट में दर्द (Abdominal pain)

क्यों खतरनाक

गंभीर और लगातार पेट दर्द प्लाज्मा लीकेज के कारण पेट में तरल पदार्थ जमा होने (Ascites), लीवर की सूजन, या आंतरिक रक्तस्राव (जैसे गैस्ट्रिक ब्लीडिंग) का संकेत हो सकता है।

यह डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF) का एक प्रमुख चेतावनी संकेत है।

अत्यधिक प्यास (मुंह सूखना) (Excessive thirst (dry mouth))

क्यों खतरनाक

यह गंभीर डीहाइड्रेशन का संकेत है, जो रक्त की मात्रा को कम कर सकता है और शॉक की ओर ले जा सकता है।

पीली, ठंडी या चिपचिपी त्वचा (Pale, cold or clammy skin)

क्यों खतरनाक

ये शॉक के क्लासिक लक्षण हैं। जब शरीर के अंगों तक पर्याप्त रक्त नहीं पहुँच पाता है,

तो त्वचा पीली और ठंडी हो जाती है, और शरीर पसीने के कारण चिपचिपा हो जाता है।

यह एक जानलेवा स्थिति है।

सांस लेने में कठिनाई (Difficulty in breathing)

क्यों खतरनाक

यह फेफड़ों के आस-पास तरल पदार्थ जमा होने (Pleural Effusion) या हृदय पर दबाव बढ़ने का संकेत हो सकता है,

जो गंभीर डेंगू की जटिलताएँ हैं और अंगों की विफलता का संकेत दे सकती हैं।

ये लक्षण ‘रेड फ्लैग्स’ हैं। ये इमरजेंसी की घंटी हैं जो बताती हैं कि अब घर पर रहने का समय नहीं है, तुरंत अस्पताल पहुँचने का समय है।

क्या न करें (WHAT NOT TO DO)

इन ‘न करने योग्य’ बातों का पालन करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना ‘क्या करें’ का।

1. लक्षणों के प्रकट होने पर प्रतीक्षा न करें

सरकार का दिशानिर्देश

“उपरोक्त लक्षण दिखने पर प्रतीक्षा न करें।

तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

इन जटिलताओं के मामले में तुरंत उपचार प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।”

इसके पीछे का कारण (Rationale)

समय का महत्व

डेंगू में, विशेष रूप से गंभीर चरण में, समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। हर घंटा मायने रखता है। जटिलताएँ तेज़ी से बिगड़ सकती हैं।

प्रारंभिक हस्तक्षेप

शुरुआती पहचान और त्वरित चिकित्सा हस्तक्षेप (जैसे इंट्रावेनस फ्लुइड्स – IV Fluids)

शॉक और अंगों की विफलता जैसी जानलेवा जटिलताओं को रोकने या उनके प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है।

जितनी देर करेंगे, खतरा उतना ही बढ़ेगा।

विशेषज्ञ देखभाल

ऊपर सूचीबद्ध गंभीर लक्षणों के लिए घर पर कोई प्रभावी उपचार नहीं है।

ऐसे में अस्पताल में डॉक्टरों और नर्सों की विशेषज्ञ देखभाल, निगरानी और हस्तक्षेप (जैसे IV फ्लुइड्स, ब्लड ट्रांसफ्यूजन) की आवश्यकता होती है।

‘देखते हैं क्या होता है’ वाली सोच डेंगू में खतरनाक हो सकती है। तुरंत कार्रवाई करें।

2. एस्पिरिन या ब्रूफेन (आइबुप्रोफेन) न लें

सरकार का दिशानिर्देश

 “एस्पिरिन या ब्रूफेन या आइबुप्रोफेन न लें।”

इसके पीछे का कारण (Rationale)

रक्त पतला करने वाले प्रभाव

एस्पिरिन एक एंटीप्लेटलेट दवा है जो रक्त को पतला करती है और प्लेटलेट के कार्य को बाधित करती है।

आइबुप्रोफेन और अन्य NSAIDs (नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स) में भी रक्त पतला करने वाले गुण होते हैं और वे पेट में रक्तस्राव का जोखिम बढ़ा सकते हैं।

डेंगू में बढ़ा जोखिम

डेंगू में, प्लेटलेट काउंट पहले से ही कम होता है, और रक्त वाहिकाएं कमजोर होती हैं।

ऐसे में एस्पिरिन या आइबुप्रोफेन लेने से रक्तस्राव (Bleeding) का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है,

जो आंतरिक रक्तस्राव (जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव, मस्तिष्क रक्तस्राव) जैसी जानलेवा जटिलताओं को जन्म दे सकता है।

लीवर पर अतिरिक्त भार

कुछ NSAIDs लीवर पर भी अतिरिक्त भार डाल सकते हैं, जो डेंगू के मरीज के लिए पहले से ही कमजोर हो सकता है।

ये दवाएँ जो सामान्य दिनों में दर्द निवारक होती हैं, डेंगू में जानलेवा बन सकती हैं।

हमेशा केवल पैरासिटामोल का ही उपयोग करें, और वह भी डॉक्टर की सलाह से।

अंतिम संदेश (Final Message)

डेंगू एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही जानकारी और सतर्कता से इसका प्रबंधन किया जा सकता है।

सरकार के ये दिशानिर्देश वैज्ञानिक रूप से आधारित हैं और मरीज की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं।

जब आप इनके पीछे के तर्क को समझते हैं, तो इनका पालन करना और भी आसान हो जाता है।

याद रखें, अपनी और अपने प्रियजनों की सुरक्षा आपके हाथ में है।

जागरूक रहें, सतर्क रहें और किसी भी संदेह या चिंता की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

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