आजकल टीवी और अखबारों में एक बहुत खतरनाक बीमारी के बारे में खबर आ रही है – दिमाग खाने वाला अमीबा.

नाम सुनकर ही डर लग जाता है, है ना? लेकिन डरने की नहीं, समझने की जरूरत है.

क्योंकि जब हमें किसी चीज की पूरी जानकारी होती है, तो हम उससे बच सकते हैं.

खासकर जब ये बीमारी केरल में फैल रही है, तो हमें और भी सावधान हो जाना चाहिए.

तो चलिए, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि ये क्या बला है, इससे कैसे बचें, और ये खबर क्यों इतनी जरूरी है.

BRAIN EATING AMOEBA

क्या है ये ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’?

असल में, इस अमीबा का वैज्ञानिक नाम Naegleria fowleri है. इसे आम भाषा में ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ कहते हैं क्योंकि ये सीधे दिमाग पर हमला करता है.

ये कोई नया वायरस या बैक्टीरिया नहीं है.

ये एक बहुत छोटा, एक-कोशिका वाला जीव है जो गर्म, ताज़े पानी में रहता है, जैसे झील, नदी, तालाब या नहर. ये मिट्टी में भी पाया जा सकता है.

लेकिन अच्छी बात ये है कि ये समंदर के खारे पानी में नहीं रहता.

सबसे ज़रूरी बात

ये अमीबा हमारे शरीर में पानी पीने से नहीं जाता.

अगर आप किसी तालाब का पानी पी भी लें, तो ये आपके पेट में जाकर मर जाएगा.

ये खतरनाक तब होता है जब ये नाक के रास्ते हमारे शरीर में घुसता है.

 

यह बीमारी इतनी खतरनाक क्यों है?

एक बार जब यह अमीबा नाक के रास्ते दिमाग तक पहुंच जाता है, तो यह दिमाग के टिश्यू को खाना शुरू कर देता है और वहां सूजन पैदा कर देता है.

इस बीमारी को Primary Amoebic Meningoencephalitis (PAM) कहते हैं.

यह बीमारी बहुत ही रेयर है, यानी बहुत कम लोगों को होती है, पर अगर हो जाए तो बहुत जानलेवा साबित होती है. इसका इलाज बहुत मुश्किल है.

 

केरल की खबर क्या बताती है?

हाल ही में, केरल के कोझिकोड जिले में इस बीमारी के कुछ मामले सामने आए हैं.

एक 9 साल की बच्ची की मौत भी हो गई, और दो और लोग, जिनमें एक तीन महीने का बच्चा भी है, अभी भी बीमार हैं.

डॉक्टरों का कहना है कि ये मामले अलग-अलग गांवों से हैं, पर सभी को पानी के संपर्क में आने के बाद ही लक्षण दिखे.

यह खबर हमें याद दिलाती है कि भले ही यह बीमारी रेयर हो, पर हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए.

 

अगर ये अमीबा शरीर में घुस जाए तो क्या लक्षण दिखते हैं?

इसके लक्षण बहुत जल्दी दिखने लगते हैं, आमतौर पर 3 से 7 दिनों में. ये किसी आम बुखार या फ्लू जैसे लग सकते हैं, इसलिए पहचानना मुश्किल होता है.

  • तेज सिरदर्द
  • तेज बुखार
  • गर्दन में अकड़न
  • उल्टी
  • स्वाद और गंध में बदलाव
  • भ्रम या कन्फ्यूजन
  • दौरे पड़ना (seizures)

अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को पानी में नहाने या तैरने के बाद ऐसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.

 

इलाज और पहचान: इतना मुश्किल क्यों?

इस बीमारी को पहचानना और इसका इलाज करना बहुत मुश्किल है.

इसके शुरुआती लक्षण (सिरदर्द, बुखार) किसी भी आम संक्रमण जैसे होते हैं, इसलिए अक्सर डॉक्टर इसे शुरुआत में पहचान नहीं पाते.

इसकी पक्की पहचान के लिए डॉक्टर दिमाग के पानी (cerebrospinal fluid) की जांच करते हैं. पर यह जांच बहुत खास होती है.

सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इस बीमारी का कोई पक्का इलाज नहीं है.

डॉक्टर कई तरह की दवाइयों का एक कॉकटेल देते हैं, लेकिन इतनी कोशिशों के बाद भी मरीज के बचने की उम्मीद बहुत कम होती है.

यही वजह है कि इलाज से ज़्यादा, इसकी रोकथाम पर ध्यान देना सबसे ज़रूरी है.

 

इससे बचने का सबसे आसान तरीका क्या है?

डरिए मत, बस कुछ आसान बातें याद रखिए:

  1. नाक बचाकर रखिए: जब भी किसी नदी, झील, या तालाब के गर्म पानी में तैरने या नहाने जाएं, तो ध्यान रखें कि पानी आपकी नाक में न जाए.
  2. साफ पानी का इस्तेमाल: अगर आप नेती क्रिया (नाक साफ करना) या साइनस फ्लशिंग के लिए पानी का इस्तेमाल करते हैं, तो हमेशा साफ, उबला हुआ, या डिस्टिल्ड पानी ही यूज़ करें.
  3. भीड़ वाली जगहों से बचें: गर्मी के मौसम में तालाबों या झीलों में पानी गर्म हो जाता है. ऐसे में इन जगहों पर तैराकी से बचें.

याद रखें, ये अमीबा पीने के पानी में नहीं होता. इसलिए आप जो पानी पीते हैं, उससे डरने की कोई जरूरत नहीं. यह सिर्फ तभी खतरा बनता है जब ये नाक के रास्ते शरीर में घुसता है.

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निष्कर्ष (Take-Home Message)

‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ बहुत रेयर है, पर जानलेवा है. ये गर्म और ताज़े पानी में रहता है और नाक के रास्ते शरीर में घुसता है.

इससे बचने के लिए सबसे जरूरी है कि आप नाक के जरिए पानी के संपर्क से बचें. अगर आप या आपका बच्चा नदी, तालाब या झील में नहाते हैं, तो सावधानी बरतें.

थोड़ी सी सावधानी आपको और आपके परिवार को सुरक्षित रख सकती है.