आजकल सोशल मीडिया पर हर दिन एक नया स्वास्थ्य रुझान आता रहता है।
इन्हीं रुझानों में से एक है “फाइबरमैक्सिंग”। अगर आपने भी इसके बारे में सुना है, तो आप बिलकुल सही जगह पर हैं।
सीधे शब्दों में कहें, तो फाइबरमैक्सिंग का मतलब है अपनी डाइट में फाइबर की मात्रा को बढ़ाना, लेकिन थोड़ा “अधिकतम” करके।
इस चलन का पालन करने वाले लोग फाइबर से भरपूर खाना खाते हैं, यह सोचते हुए कि इससे उनका पेट साफ़ रहेगा और सेहत भी अच्छी होगी।
पर क्या यह सच में इतना फायदेमंद है? और क्या इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं? चलिए, इस पूरे मामले को आसान भाषा में वैज्ञानिक तरीक़े से समझते हैं।
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फाइबरमैक्सिंग क्या है?
फाइबर एक ऐसा कार्बोहाइड्रेट है जो हमारा शरीर पचा नहीं पाता। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह बेकार है। यह हमारे पेट और सेहत के लिए एकदम ज़रूरी है। फाइबर के दो मुख्य प्रकार होते हैं:
- घुलनशील फाइबर: यह पानी में घुल जाता है और पेट में जाकर एक जैल जैसा पदार्थ बनाता है। यह पाचन को धीमा करता है और रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- अघुलनशील फाइबर: यह पानी में नहीं घुलता और पाचन तंत्र में भराव पैदा करता है। इससे हमारे पेट का कचरा आगे बढ़ने में मदद मिलती है और कब्ज़ से बचाव होता है।
फाइबरमैक्सिंग का सरल नियम यह है कि आप अपनी हर भोजन में इन दोनों प्रकार के फाइबर को शामिल करें ताकि आपकी दैनिक ज़रूरत पूरी हो जाए।
आम तौर पर, एक इंसान को दिन में करीब 25 से 38 ग्राम फाइबर की ज़रूरत होती है। फाइबरमैक्सिंग में लोग इस मात्रा से भी थोड़ा आगे निकलने की कोशिश करते हैं।
घुलनशील और अघुलनशील फाइबर का सही संतुलन
विशेषज्ञों के अनुसार, जब आप कुल दैनिक फाइबर सेवन का लक्ष्य रखते हैं, तो उसमें दोनों तरह के फाइबर का सही मिश्रण होना ज़रूरी है।
- कुल फाइबर: 25 से 38 ग्राम (उम्र और लिंग के हिसाब से)
- घुलनशील फाइबर: इस कुल मात्रा का लगभग एक-चौथाई (one-fourth) हिस्सा, यानी कि 6 से 8 ग्राम।
बाकी का हिस्सा अघुलनशील फाइबर से आना चाहिए। इसका मतलब है कि
आपको फाइबर के लिए सिर्फ एक तरह का खाना नहीं खाना चाहिए, बल्कि फल, सब्ज़ियां, दालें, और साबुत अनाजों का एक अच्छा मिश्रण बनाना चाहिए।
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इसके फायदे क्या हैं? (फायदों के पीछे का विज्ञान)
जब आप फाइबर से भरपूर खाना खाते हैं, तो आपको यह वैज्ञानिक फायदे हो सकते हैं:
पेट के स्वास्थ्य का सुपरस्टार (प्रीबायोटिक प्रभाव)
फाइबर हमारी आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया का खाना होता है।
इससे हमारा पाचन तंत्र बेहतर काम करता है और कब्ज़ जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
घुलनशील फाइबर ख़ास तौर पर प्रीबायोटिक का काम करता है, जो इन बैक्टीरिया को बढ़ने में मदद करता है और शॉर्ट-चेन फैटी एसिड का उत्पादन करता है, जो पेट के स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी हैं।
भूख को नियंत्रित करता है (पेट भरने का एहसास और हार्मोन)
फाइबर पेट में फूल जाता है और जल्दी पचता नहीं है।
घुलनशील फाइबर का जैल जैसा पदार्थ पेट को खाली होने से रोक देता है, जिससे आपको लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है।
इससे ग्रेलिन जैसा भूख बढ़ाने वाला हार्मोन कम बनता है और आप कम खाते हैं, जिससे वज़न नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
शर्करा का संतुलन (अवशोषण में अवरोध)
फाइबर, ख़ासकर घुलनशील फाइबर, पाचन के दौरान एक शारीरिक अवरोध बना देता है, जो खून में शर्करा को धीरे-धीरे अवशोषित होने देता है।
इससे खाना खाने के बाद रक्त शर्करा का स्तर एकदम से नहीं बढ़ता। यह ख़ास तौर पर मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद है, जहाँ ब्लड ग्लूकोज़ को नियंत्रित करना बहुत ज़रूरी होता है।
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दिल के स्वास्थ्य के लिए अच्छा (कोलेस्ट्रॉल में कमी)
कई शोध में पाया गया है कि घुलनशील फाइबर खून से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।
यह लिवर से बने पित्त एसिड (bile acids) से जुड़ जाता है और उन्हें शरीर से बाहर निकाल देता है।
जब ऐसा होता है, तो लिवर को नए पित्त एसिड बनाने के लिए खून से कोलेस्ट्रॉल लेना पड़ता है, जिससे एलडीएल (LDL) या “खराब” कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है।
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फाइबरमैक्सिंग कैसे करें?
अगर आप फाइबरमैक्सिंग शुरू करना चाहते हैं, तो यहाँ कुछ आसान सुझाव हैं:
धीरे-धीरे शुरू करें
सबसे ज़रूरी बात है कि आप एकदम से बहुत ज़्यादा फाइबर न खाएँ। धीरे-धीरे अपनी डाइट में फाइबर बढ़ाएँ, जैसे हर हफ़्ते थोड़ा-थोड़ा। इससे आपका पाचन तंत्र इसके लिए तैयार हो जाएगा।
फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें
- सब्ज़ियां: गाजर, गोभी, ब्रोकली, पालक, और अन्य हरी सब्ज़ियां।
- फल: सेब, संतरा, केले, और बेर।
- दालें और फलियां: राजमा, छोले, मसूर दाल।
- साबुत अनाज: गेहूँ की रोटी, ओट्स, ब्राउन राइस, और जौ।
- मेवे और बीज: बादाम, अखरोट, और चिया बीज।मुनक्का खाने के क्या-क्या फायदे है?| health benefits of Munakka
इसके नुकसान और सावधानियां क्या हैं?
जितने फायदे हैं, उतने ही कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, अगर इसे सही तरीक़े से न किया जाए।
गैस और पेट फूलना (जीवाणु किण्वन)
एकदम से ज़्यादा फाइबर खाने से पेट में गैस, दर्द और फूलने जैसी समस्या हो सकती है। इसका वैज्ञानिक कारण है कि हमारी आंतों के बैक्टीरिया इस फाइबर का किण्वन करते हैं, और इस प्रक्रिया में गैस पैदा होती है।
पानी बहुत ज़रूरी है (हाइड्रेशन का महत्व)
फाइबर को पेट में ठीक से काम करने के लिए पानी की बहुत ज़रूरत होती है।
अगर आप फाइबर ज़्यादा खा रहे हैं और पानी कम पी रहे हैं, तो यह पेट में जम सकता है, जिससे कब्ज़ और भी बढ़ सकती है और बहुत ज़्यादा मामलों में आंतों में रुकावट का ख़तरा भी हो सकता है।
पोषक तत्वों का अवशोषण (फाइटेस का प्रभाव)
बहुत ज़्यादा फाइबर, ख़ासकर सप्लीमेंट्स से, हमारे शरीर को ज़रूरी खनिजों जैसे कैल्शियम, आयरन और ज़िंक अवशोषित करने से रोक सकता है।
फाइबर वाले खाद्य पदार्थों में फाइटेस नामक यौगिक होते हैं जो इन खनिजों से जुड़ जाते हैं और उनके अवशोषण को रोक देते हैं।
निर्जलीकरण (Dehydration) का ख़तरा
फाइबर पानी को सोख लेता है, इसलिए अगर आप अपनी डाइट में फाइबर बढ़ा रहे हैं, तो आपको पहले से ज़्यादा पानी पीने की ज़रूरत पड़ेगी।
अगर आप ऐसा नहीं करते, तो आपको निर्जलीकरण हो सकता है।
दवाओं पर असर
ज़्यादा फाइबर आपकी बॉडी में कुछ दवाओं के अवशोषण को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए, अगर आप कोई नियमित दवा ले रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
किन्हें फाइबरमैक्सिंग बिल्कुल नहीं करना चाहिए?
कुछ लोगों के लिए हाई-फाइबर डाइट फायदेमंद होने की बजाय नुकसानदायक हो सकती है। इन लोगों को फाइबरमैक्सिंग करने से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लेनी चाहिए, या बिल्कुल बचना चाहिए:
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) या क्रोहन रोग: ऐसी पाचन से जुड़ी समस्याओं में फाइबर की ज़्यादा मात्रा, ख़ासकर अघुलनशील फाइबर, दर्द और पेट की समस्या को और बढ़ा सकती है।
आंतों में रुकावट या सिकुड़न: अगर आपको पहले कभी आंतों में रुकावट की समस्या रही है, तो ज़्यादा फाइबर से यह स्थिति और बिगड़ सकती है।
गंभीर पोषक तत्वों की कमी: जिन लोगों में पहले से ही आयरन, कैल्शियम, या ज़िंक जैसे खनिजों की कमी है, उन्हें ज़्यादा फाइबर से बचना चाहिए, क्योंकि यह इन खनिजों के अवशोषण को और कम कर सकता है।
सीधी बात (निष्कर्ष)
फाइबरमैक्सिंग का विचार बुरा नहीं है। फाइबर हमारी सेहत के लिए सच में बहुत अच्छा है। लेकिन किसी भी चीज़ की अत्यधिक मात्रा नुकसान ही पहुँचाती है।
इसलिए, फाइबरमैक्सिंग को एक समझदारी भरे तरीक़े से अपनाएँ। फाइबर को धीरे-धीरे अपनी डाइट का हिस्सा बनाएँ, खूब पानी पिएँ और अपने शरीर को समय दें।
अगर आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, तो इसे शुरू करने से पहले एक डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
Further Reading
ये सभी लिंक केवल जानकारी के लिए हैं। इन शोध पत्रों में दी गई जानकारी सामान्य दिशानिर्देशों के लिए है, और इनका उपयोग चिकित्सीय सलाह के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
अपनी सेहत के लिए कोई भी निर्णय लेने से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
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- The Effects of Dietary Fiber on Human Gut Microbiota and Their Health: https://www.frontiersin.org/articles/10.3389/fnut.2021.688826/full
- Role of dietary fiber in obesity and satiety: https://onlinelibrary.wiley.com/doi/abs/10.1111/j.1467-3010.2005.00448.x
- Dietary fiber and body weight: a systematic review and meta-analysis of randomized trials: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6487287/
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- Soluble fiber and cholesterol: a systematic review: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5411776/
- Phytates and their influence on nutrient bioavailability: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/22699222/
- Adverse effects of excessive fiber intake: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7589116/
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