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कहीं आपका बाहर से फिट दिखना आपको धोखा तो नहीं दे रहा?
आजकल हर कोई अपनी फिटनेस को लेकर इतना सजग है कि बस पूछो मत!
जिम में पसीना बहाना, सुबह-सुबह दौड़ लगाना, और सोशल मीडिया पर अपनी परफेक्ट बॉडी फ्लॉन्ट करना… ये सब हमारी लाइफ का हिस्सा बन गया है।
हम सब चाहते हैं कि हमारे दोस्त और रिश्तेदार हमें देखकर कहें, “अरे वाह! क्या बॉडी बनाई है!”
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी ये बाहर से दिखने वाली फिटनेस अंदर से आपकी असली उम्र को छुपा रही है?
जी हाँ, आप बिलकुल सही सुन रहे हैं!
हाल ही में एक बहुत बड़ी रिसर्च सामने आई है जिसने फिटनेस और उम्र से जुड़े हमारे सारे भ्रम तोड़ दिए हैं।
इस रिसर्च में पता चला है कि आपका वजन कितना है या आप कितने फिट दिखते हैं, ये बात इतनी ज़रूरी नहीं है जितनी ये कि आपके शरीर में चर्बी कहाँ जमा है!
अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो सोचते हैं कि बस BMI (बॉडी मास इंडेक्स) को कंट्रोल में रखो और आप फिट हैं, तो रुकिए!
ये ब्लॉग आपकी आँखें खोल देगा।
हम बात करेंगे उस “छुपी हुई चर्बी” की, जो आपकी उम्र को चुपचाप 10 साल आगे बढ़ा सकती है, और साथ ही जानेंगे कि कैसे कुछ लोगों के लिए मोटे होना भी फायदेमंद हो सकता है!
तैयार हैं इस चौंकाने वाली यात्रा के लिए? तो चलिए शुरू करते हैं!
BMI का झूठ: जब “मैं नॉर्मल हूँ” कहकर आप खुद को धोखा देते हैं
सबसे पहले, उस चीज़ की बात करते हैं जिस पर हम सब आँख बंद करके भरोसा करते हैं – हमारा BMI.
क्या आप भी गूगल पर BMI कैलकुलेटर में अपनी हाइट और वजन डालकर खुश हो जाते हैं कि “मेरा BMI तो 25 से कम है, मैं तो बिलकुल फिट हूँ”?
अगर हाँ, तो इस भ्रम से बाहर आ जाइए!
इस नई रिसर्च के मुताबिक, BMI एक बहुत ही कमज़ोर पैमाना है।
क्यों?
क्योंकि BMI ये नहीं बताता कि आपके शरीर में चर्बी कहाँ पर है।
ये सिर्फ ये बताता है कि आपकी हाइट के हिसाब से आपका वजन कितना है।
एक एथलीट जिसका वजन ज़्यादा होता है क्योंकि उसकी मांसपेशियों का वजन ज़्यादा होता है, उसका BMI भी बहुत ज़्यादा हो सकता है
और वो ओवरवेट की कैटेगरी में आ सकता है। वहीं, एक पतला-दुबला इंसान जिसके शरीर में फैट बहुत ज़्यादा है, खासकर अंदरूनी अंगों के आसपास, उसका BMI नॉर्मल हो सकता है,
लेकिन वो अंदर से बीमारियों का घर बन सकता है!
सोचिए, 31% ओवरवेट महिलाएँ जिनके BMI ने उन्हें मोटा बताया, वो वास्तव में नॉर्मल फैट रेंज में थीं।
वहीं, 23% ओवरवेट पुरुष मोटापे की कैटेगरी में आ गए, क्योंकि उनका फैट अंदरूनी अंगों के पास ज़्यादा था।
तो, अब से BMI को अपनी फिटनेस का आखिरी पैमाना मानना बंद कर दीजिए। असली खेल तो कहीं और चल रहा है…
वो ‘छिपी हुई’ चर्बी जो आपके दिल को बूढ़ा बना रही है!
इस रिसर्च की सबसे चौंकाने वाली बात है विसेरल फैट (Visceral Fat) का खुलासा।
ये वो फैट है जो हमारी त्वचा के नीचे नहीं, बल्कि हमारे पेट के अंदर, अंगों के चारों ओर जमा होता है – जैसे लिवर, पेट और आँतों के पास।
इसे “हिडन फैट” भी कहते हैं, क्योंकि ये बाहर से दिखाई नहीं देता। हो सकता है आपका पेट फ्लैट हो, लेकिन आपके अंदर विसेरल फैट की मोटी परत जमी हुई हो।
और यही विसेरल फैट हमारे दिल को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुँचाता है।
शोधकर्ताओं ने 21,241 लोगों पर MRI स्कैन किए। उन्होंने देखा कि जिन लोगों के शरीर में विसेरल फैट ज़्यादा था, उनके दिल और खून की नलियाँ अपनी असली उम्र से कहीं ज़्यादा बूढ़ी हो चुकी थीं!
यहाँ पर उम्र का गणित थोड़ा अलग है।
वैज्ञानिकों ने ‘हार्ट एज’ (दिल की उम्र) का पता लगाया।
ये वो उम्र है जो आपके दिल की सेहत बताती है, न कि आपकी पासपोर्ट पर लिखी हुई उम्र। अगर आपकी उम्र 35 साल है और आपके दिल की उम्र 45 साल है,
तो इसका मतलब है कि आपका दिल अपनी उम्र से 10 साल ज़्यादा बूढ़ा हो चुका है।
और इस दिल की बढ़ती उम्र का सबसे बड़ा कारण है विसेरल फैट।
प्रोफेसर डिक्लेन ओ’रेगन, जिन्होंने इस रिसर्च की अगुवाई की, बताते हैं, “यह विसेरल फैट ही है जो हमारे दिल को समय से पहले बूढ़ा होने के लिए सबसे ज़्यादा जिम्मेदार है।”
यह फैट शरीर में सूजन (inflammation) पैदा करता है, जो दिल और ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुँचाता है।
यह भी माना जाता है कि इसी फैट की वजह से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स जैसे बुरे बायोमार्कर बढ़ जाते हैं, जो दिल की बीमारियों को न्यौता देते हैं।
तो अगली बार जब आप अपनी फ्लैट बैली पर इतराएँ, तो एक बार सोचिए कि अंदर क्या चल रहा है।
अब आपको ये तो पता चल गया कि विसेरल फैट बुरा है, लेकिन क्या हर तरह का फैट बुरा होता है?
सेब’ और ‘नाशपाती’ का रहस्य: पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग कहानी
आपने शायद ‘एप्पल’ (apple) और ‘पियर’ (pear) शेप के बारे में सुना होगा।
- ‘एप्पल’ शेप (सेब जैसी): इसमें फैट पेट के आसपास जमा होता है, जो कि ज़्यादातर पुरुषों में देखा जाता है।
- ‘पियर’ शेप (नाशपाती जैसी): इसमें फैट हिप्स और जाँघों पर जमा होता है, जो कि ज़्यादातर महिलाओं में देखा जाता है।
इस रिसर्च में यह भी सामने आया कि इन दोनों फैट डिस्ट्रीब्यूशन का दिल की उम्र पर अलग-अलग असर होता है।
पुरुषों के लिए चेतावनी: पुरुषों में पेट के चारों ओर जमा होने वाला फैट (विसेरल फैट और एब्डोमिनल फैट) उनके दिल को समय से पहले बूढ़ा कर रहा था।
यानी, पुरुषों के लिए ‘एप्पल’ शेप होना बहुत ही खतरनाक है।
महिलाओं के लिए खुशखबरी: महिलाओं में हिप्स और जाँघों पर जमा होने वाला फैट (गयोनॉयड फैट) असल में उनके दिल को जवां रखने में मदद कर रहा था!
जी हाँ, आपने सही पढ़ा।
इस फैट से कुछ ऐसे केमिकल सिग्नल निकलते हैं जो सूजन को कम करते हैं और दिल को प्रोटेक्ट करते हैं।
प्रोफेसर ओ’रेगन के मुताबिक, यह एक तरह का सुरक्षा कवच हो सकता है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो प्री-मेनोपॉज़ल (premenopausal) हैं।
यह भी देखा गया कि महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर दिल की सेहत को अच्छा रखने में मदद करता है।
लेकिन मेनोपॉज़ के बाद जब एस्ट्रोजन कम होने लगता है, तो यह सुरक्षा भी कम हो जाती है।
तो अब हमें ये समझ आ रहा है कि क्यों पुरुषों और महिलाओं के लिए दिल की बीमारियों का खतरा और उनका पैटर्न अलग-अलग होता है।
सिर्फ ‘फिट’ दिखना काफी नहीं, अंदर से ‘फिट’ होना ज़रूरी है
क्या आपने कभी ऐसे दुबले-पतले लोगों को देखा है जिन्हें दिल का दौरा पड़ गया हो? या ऐसे मोटे लोगों को देखा है जो 80 साल की उम्र तक बिलकुल स्वस्थ हैं?
इस रिसर्च ने एक और अहम बात सामने रखी है। यह सिर्फ वजन कम करने के बारे में नहीं है, बल्कि कहाँ से वजन कम हो रहा है, यह ज़्यादा ज़रूरी है।
और सबसे बड़ी बात, अगर आप बहुत ज़्यादा एक्टिव हैं और खूब कसरत करते हैं, फिर भी अगर आपके अंदर विसेरल फैट ज़्यादा है, तो यह आपकी सेहत को नुकसान पहुँचा सकता है।
हाँ, एक्सरसाइज से यह नुकसान कम ज़रूर होता है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं होता।
प्रोफेसर ओ’रेगन बताते हैं, “छुपा हुआ फैट फिट लोगों में भी हानिकारक हो सकता है।”
यह बात उन लोगों के लिए एक वेक-अप कॉल है जो सिर्फ फिट दिखते हैं, लेकिन अंदर से उनके अंग चर्बी में डूबे हुए हैं।
तो अब सवाल ये है कि अगर BMI और बाहरी दिखावट पर भरोसा नहीं कर सकते, तो क्या करें?
इस नई रिसर्च का क्या मतलब है आपके लिए?
- BMI को भूल जाइए: अपनी सेहत का आकलन करने के लिए सिर्फ BMI पर भरोसा मत कीजिए।
- अपनी ‘छुपी हुई’ चर्बी पर ध्यान दें: अगर आप ‘एप्पल’ शेप के हैं (खासकर पुरुष), तो आपको अंदरूनी फैट को कम करने पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए।
- खान-पान में बदलाव सबसे ज़रूरी: विसेरल फैट कम करने के लिए सबसे ज़रूरी है सही डाइट। चीनी, प्रोसेस्ड फूड, और अनहेल्दी फैट को अपनी डाइट से हटाइए। फाइबर वाली सब्जियाँ और प्रोटीन को अपनी डाइट में शामिल कीजिए।
- टारगेटेड एक्सरसाइज करें: HIIT (हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग) और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग विसेरल फैट को जलाने में बहुत असरदार मानी जाती है।
- नींद पूरी लें और स्ट्रेस कम करें: कम नींद और ज़्यादा स्ट्रेस से भी विसेरल फैट बढ़ता है।
भविष्य में, वैज्ञानिक इस बात पर भी रिसर्च कर रहे हैं कि क्या Ozempic जैसी नई दवाइयाँ, जो वजन कम करने के लिए दी जाती हैं, वो सिर्फ वजन ही नहीं, बल्कि सीधे विसेरल फैट को भी कम करती हैं या नहीं।
फिलहाल, सबसे सुरक्षित और असरदार तरीका यही है कि आप अपनी लाइफस्टाइल को बेहतर बनाएँ।
आख़िरी बात: खुद से पूछें ये सवाल
क्या आप सिर्फ बाहर से फिट दिखना चाहते हैं या अंदर से भी फिट रहना चाहते हैं?
क्या आप सिर्फ ‘सिक्स-पैक’ बनाने के पीछे भाग रहे हैं या एक ऐसे दिल को जवां रखने की कोशिश कर रहे हैं जो आपको लंबे समय तक ज़िंदा रखे?
ये ब्लॉग पढ़कर अगर आपके मन में ये सवाल उठ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपने अपनी सेहत को नए नज़रिए से देखना शुरू कर दिया है।
याद रखिए, असली सेहत का मतलब वो नहीं जो आप बाहर से दिखते हैं, बल्कि वो है जो आप अंदर से महसूस करते हैं।
अपनी बॉडी की सुनें, उसे समझें और उसे वो दें जिसकी उसे ज़रूरत है।
क्योंकि आपका दिल बूढ़ा हो रहा है या जवां, ये बात सिर्फ आपका वजन नहीं, बल्कि आपके शरीर की चर्बी का डिस्ट्रीब्यूशन तय करता है।
तो चलिए, आज से ही एक स्वस्थ और जवां दिल की ओर कदम बढ़ाते हैं!
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Disclaimer इस ब्लॉग में दी गई जानकारी सिर्फ़ सामान्य जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से डॉक्टरी सलाह नहीं मानना चाहिए।
अपनी सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या या सवाल के लिए हमेशा किसी योग्य डॉक्टर या हेल्थकेयर प्रोफेशनल से सलाह लें।
इस ब्लॉग में बताए गए किसी भी सुझाव को बिना डॉक्टर की सलाह के आज़माने से बचें।
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