जब सर्जरी मौत का दूसरा नाम थी

यह 1860 के दशक की बात है। उस समय, सर्जरी को एक भयानक और आखिरी उम्मीद माना जाता था।

ऑपरेशन थिएटर, जहाँ जीवन को बचाने की उम्मीद होती थी, वही जगह अक्सर मौत का दूसरा नाम बन जाती थी।

किसी का हाथ या पैर अगर काटा जाता (amputation) तो ऑपरेशन सफल होने के बाद भी, आधे से ज़्यादा मरीजों की मौत भयानक संक्रमण (infection) और सेप्सिस (sepsis) से हो जाती थी।

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डॉक्टर और सर्जन ये सब देखते थे, लेकिन उनके पास कोई जवाब नहीं था।

उन्हें लगता था कि हवा में कुछ ‘बुरी चीज़’ है जो घावों को सड़ा देती है।

वे अपने कपड़े, औजार, और अपने हाथों को साफ रखने की ज़रूरत नहीं समझते थे, क्योंकि उन्हें इन चीजों का संक्रमण से कोई लेना-देना नहीं लगता था।

इस खौफ के माहौल में ही, एक युवा और जिज्ञासु सर्जन ने इस समस्या का समाधान ढूँढने की ठानी। उसका नाम था जोसेफ लिस्टर (Joseph Lister)

 

एकlister2 फ्रेंच वैज्ञानिक की अनसुनी बात

लिस्टर ने वियना में हो रही माताओं की मौतों के बारे में सुना था, लेकिन उनके पास इस समस्या का कोई वैज्ञानिक कारण नहीं था।

तभी, उनकी नज़र एक फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर (Louis Pasteur) के काम पर पड़ी।

पाश्चर ने अपनी खोज से यह साबित कर दिया था कि बीमारियाँ ‘जर्म्स’ यानी बहुत छोटे, अदृश्य कीटाणुओं से फैलती हैं, जो हवा में मौजूद होते हैं।

लिस्टर के दिमाग की बत्ती जल उठी! उन्होंने सोचा, “अगर हवा में मौजूद कीटाणु संक्रमण फैलाते हैं, तो क्यों न उन्हें ऑपरेशन के दौरान ही खत्म कर दिया जाए?

” उनका यह विचार उस समय के लिए क्रांतिकारी था। उन्होंने इस दिशा में काम करना शुरू किया।

एक अजीब और बदबूदार केमिकल का इस्तेमाल

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लिस्टर ने एक खास केमिकल, कार्बोलिक एसिड (Carbolic Acid), का इस्तेमाल करना शुरू किया,

जिसका उपयोग उस समय सीवर की बदबू और गंदगी को साफ करने के लिए होता था।

उनके लिए यह एक दाँव था।

उन्होंने अपने ऑपरेशन के औजारों को इस एसिड से धोना शुरू किया, सर्जरी से पहले मरीजों के घावों को इसी केमिकल से साफ किया

और यहाँ तक कि हवा में भी कार्बोलिक एसिड का छिड़काव करने के लिए एक मशीन बनाई।

उनके सहयोगी उनकी इस हरकत पर हँसते थे।

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उन्हें लगता था कि लिस्टर पागल हो गया है।

एक बदबूदार केमिकल को सर्जरी के पवित्र काम में क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है? लेकिन, लिस्टर अपनी बात पर अडिग रहे।

जब आँकड़ों ने दुनिया को चौंका दिया

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लिस्टर के तरीकों से ऑपरेशन करने के बाद, चमत्कारी नतीजे आने लगे।

उनके यहाँ मरीजों के ठीक होने की दर में ज़बरदस्त सुधार हुआ।

पहले जहाँ 50% से ज़्यादा मरीज संक्रमण से मर जाते थे, वहीं अब यह दर 15% से भी कम हो गई।

यह साफ सबूत था कि लिस्टर सही थे। उन्होंने अपनी खोज को “एंटीसेप्टिक सर्जरी” (Antiseptic Surgery) का नाम दिया।

हालांकि, Semmelweis की तरह ही, लिस्टर को भी अपने सहयोगियों से सालों तक विरोध का सामना करना पड़ा।

 

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कोई भी इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहता था कि सर्जरी जैसी ‘महान’ प्रक्रिया में कीटाणु का कोई रोल हो सकता है।

लेकिन लिस्टर ने हार नहीं मानी।

धीरे-धीरे, उनके नतीजों को दुनिया ने मानना शुरू किया और उनके तरीकों को अपनाया। जोसेफ लिस्टर ने न केवल लाखों लोगों की जान बचाई, बल्कि आधुनिक, सुरक्षित सर्जरी की नींव भी रखी।

आज हर अस्पताल में जो स्टरलाइजेशन और सफाई के नियम अपनाए जाते हैं, उनकी शुरुआत लिस्टर ने ही की थी।

यही वजह है कि उन्हें ‘फादर ऑफ एंटीसेप्टिक सर्जरी’ कहा जाता है।