आपने अक्सर सुना होगा कि जब किसी मरीज़ की तबियत ज़्यादा खराब होती है, तो उसके परिवार वाले दूसरी राय (second opinion) लेने के लिए बेचैन हो जाते हैं।

लेकिन, अगर मरीज़ अस्पताल में है और उसे तुरंत मदद की ज़रूरत है, तो क्या किया जाए? यूके (UK) में एक ऐसी ही दिल दहला देने वाली घटना के बाद,

वहाँ के अस्पतालों में एक बहुत ही ज़रूरी नियम लागू किया गया है, जिसका नाम है Martha’s Rule (‘मार्था का नियम’)

यह नियम अब इंग्लैंड के हर बड़े सरकारी अस्पताल में लागू हो चुका है।

अस्पताल में चिंतित परिवार और मार्था के नियम का पालन करती मेडिकल टीम।

मार्था का नियम: जब परिवार को लगे कि हालत बिगड़ रही है, तो उन्हें मिलती है दूसरी राय लेने की शक्ति।

यह नियम मरीज़ों और उनके परिवारों को सीधे एक मेडिकल टीम से बात करने का अधिकार देता है अगर उन्हें लगता है कि मरीज़ की हालत बिगड़ रही है, लेकिन डॉक्टर उनकी बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

आइए, इस ब्लॉग में हम इस नियम को समझते हैं और यह जानते हैं कि यह कैसे मरीज़ों की देखभाल में क्रांति ला सकता है।

मार्था का नियम: ‘पहले’ और ‘बाद’ का अंतर

यह नियम एक 13 साल की लड़की मार्था मिल्स के नाम पर रखा गया है, जिसकी 2021 में एक अस्पताल में मृत्यु हो गई थी।

मार्था सेप्टिक शॉक (septic shock) से जूझ रही थी, और उसके माता-पिता बार-बार डॉक्टरों से कह रहे थे कि उसकी हालत बिगड़ रही है।

लेकिन, डॉक्टरों ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया।

पहले की स्थिति (Before Martha’s Rule)

  • मरीज़ के परिवार को लगता था कि उसकी हालत बिगड़ रही है।
  • वे अपनी चिंता नर्सों और जूनियर डॉक्टरों को बताते थे।
  • लेकिन, कई बार उनकी बात सीनियर डॉक्टरों तक नहीं पहुँच पाती थी, या उसे नज़रअंदाज़ कर दिया जाता था।
  • अगर हालत ज़्यादा बिगड़ जाती थी, तो बहुत देर हो चुकी होती थी।

मार्था के नियम के बाद (After Martha’s Rule): यह नियम मरीज़ और उसके परिवार को एक सीधी और तेज़ पहुँच देता है।

पहला कदम: अगर आपको लगता है कि आपकी या आपके मरीज़ की हालत बिगड़ रही है, तो आप नर्स या डॉक्टर से बात करें।

दूसरा कदम: अगर आप अभी भी चिंतित हैं, तो आप ‘मार्था के नियम’ का इस्तेमाल करके एक विशेष मेडिकल टीम को बुला सकते हैं।

यह टीम एक सीनियर डॉक्टर की होती है जो तुरंत मरीज़ की स्थिति की जाँच करती है और दूसरी राय देती है।

यह नियम यह सुनिश्चित करता है कि मरीज़ की चिंता को सीधे सीनियर मेडिकल टीम तक पहुँचाया जाए, जिससे समय पर सही इलाज मिल सके।

मार्था का नियम: कैसे काम करता है?

मार्था का नियम कोई जटिल प्रक्रिया नहीं है। यह तीन आसान चरणों पर आधारित है, जिसे कोई भी अस्पताल में इस्तेमाल कर सकता है:

मरीज़ की चिंता: जब मरीज़ या उसका परिवार अपनी सेहत को लेकर चिंतित होता है, तो वह किसी भी नर्स या डॉक्टर को बता सकता है।

एस्केलेशन (Escalation): अगर उनकी चिंता पर ध्यान नहीं दिया जाता या वे संतुष्ट नहीं होते,

तो वे ‘मार्था के नियम’ का हवाला देकर एक इमरजेंसी कॉल कर सकते हैं। यह कॉल सीधे अस्पताल की एक विशेष ‘क्रिटिकल केयर टीम’ को जाती है।

त्वरित प्रतिक्रिया: यह टीम तुरंत मरीज़ के पास आती है, उसकी स्थिति का मूल्यांकन करती है और ज़रूरत पड़ने पर तुरंत कार्रवाई करती है।

इस नियम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मरीज़ों और उनके परिवारों को इलाज की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण आवाज़ देता है।

यह मेडिकल स्टाफ को भी एक और मौका देता है कि वे मरीज़ों की चिंताओं को और ज़्यादा गंभीरता से लें।


यह नियम इतना ज़रूरी क्यों है?

जान बचाना: कई अध्ययनों से पता चला है कि अगर सेप्सिस या अन्य गंभीर बीमारियों का पता शुरुआती चरणों में ही चल जाए, तो मरीज़ के बचने की संभावना बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है। मार्था का नियम इसी में मदद करता है।

विश्वास बढ़ाना: यह नियम मरीज़ और डॉक्टर के बीच विश्वास को बढ़ाता है। जब मरीज़ के परिवार को लगता है कि उनकी बात सुनी जा रही है, तो वे ज़्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं।

सुरक्षा में सुधार: यह नियम अस्पतालों को मरीज़ों की सुरक्षा के लिए अपनी प्रक्रियाओं को और बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता है।

ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री वेस स्ट्रीटडॉन ने कहा है कि यह नियम इस बात का एक बहुत बड़ा संकेत है कि सरकार मरीज़ों की सुरक्षा को कितनी गंभीरता से लेती है।


निष्कर्ष: मरीज़ों की सुरक्षा एक सामूहिक जिम्मेदारी है

मार्था का नियम सिर्फ़ एक नियम नहीं है, बल्कि यह एक बदलाव है।

यह हमें सिखाता है कि मरीज़ों की देखभाल सिर्फ़ डॉक्टरों और नर्सों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह मरीज़ों और उनके परिवारों की भी एक सामूहिक जिम्मेदारी है।

एक मरीज़ के परिवार को हमेशा अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुननी चाहिए, और अगर उन्हें लगता है कि कुछ गलत हो रहा है,

तो उन्हें बोलने से डरना नहीं चाहिए। मार्था का नियम उन्हें ऐसा करने का अधिकार देता है।

यह उम्मीद है कि इस तरह के नियम दुनिया के दूसरे देशों में भी लागू होंगे, ताकि किसी और को मार्था की तरह एक दुखद अंजाम न भुगतना पड़े।

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग केवल जानकारी के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय से पहले, किसी सर्टिफाइड डॉक्टर से सलाह लें।


 

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References

The Guardian: ‘Martha’s rule’ now in operation at every acute hospital in England

Standard.co.uk: Wes Streeting announces new NHS rule for patients and families

BBC News: What is Martha’s Rule and how will it work?