कभी लंबे समय तक पालथी मारकर बैठे हों या पैर पर पैर रखकर बैठे हों और अचानक पैर सुन्न पड़ जाए?
सा लगता है जैसे पैर “सो गया” हो।
😅 लेकिन यह क्यों होता है?
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🔬 असली वजह – नसों और रक्त प्रवाह पर दबाव
जब हम लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठते हैं तो नसों और रक्त नलिकाओं पर दबाव पड़ता है।
दबाव से रक्त का प्रवाह और नसों के सिग्नल थोड़ी देर के लिए रुक जाते हैं।
नतीजा → पैर सुन्न हो जाता है और अजीब-सी झुनझुनी महसूस होती है।
🕑 कब ज़्यादा होता है?
लंबे समय तक पालथी या घुटनों को मोड़कर बैठने पर।
तंग कपड़े या जूते पहनने पर।
बहुत देर तक एक ही पोज़िशन में खड़े रहने पर।
⚠️ कब चिंता करनी चाहिए?
अगर बिना वजह बार-बार पैर सुन्न हो।
अगर सुन्न होने के साथ लगातार दर्द, कमजोरी या चलने में दिक़्क़त हो।
यह नसों या रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्या का संकेत हो सकता है।
🚫 भ्रांति का सच
कई लोग सोचते हैं कि “पैर सुन्न होना मतलब खून जम गया है।”
सच यह है कि यह अस्थायी दबाव और नसों की गड़बड़ी की वजह से होता है, खून जमने से नहीं।
✅ झटपट नतीजा
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लंबे समय तक दबाव = नसें और रक्त प्रवाह रुकता है।
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पैर सुन्न और झुनझुनी होती है।
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यह सामान्य है और थोड़ी हरकत से ठीक हो जाता है।
🌀 तीन आसान चरणों में “पैर सुन्न होना”
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दबाव पड़ा → रक्त प्रवाह/नसें दब गईं।
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सिग्नल रुक गए।
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पैर सुन्न और झुनझुनी।
नतीजा: यह सामान्य है, लेकिन बार-बार और बिना कारण हो तो जाँच ज़रूरी है।
छोटी सलाह
बैठने और खड़े होने की मुद्रा बार-बार बदलें।
तंग कपड़े और जूते न पहनें।
स्ट्रेचिंग और हल्की एक्सरसाइज़ करें।