अगर किसी व्यक्ति को 2 साल पहले कुत्ते ने काटा था और वह अब डर के कारण टीका लगवाना चाहता है, तो यह समझना ज़रूरी है कि रेबीज़ का टीका लगवाने से उसे अब कोई फ़ायदा नहीं होगा।
टीका रेबीज़ की रोकथाम है, इलाज नहीं। इतने लंबे समय बाद रेबीज़ होने की संभावना लगभग शून्य होती है।
सवाल: अगर मुझे 2 साल पहले कुत्ते ने काटा था और अब मैं डर के कारण टीका लगवाना चाहता हूँ, तो क्या मैं सुरक्षित हो जाऊँगा?
जवाब: नहीं, रेबीज़ का टीका लगवाने से आपको अब कोई फ़ायदा नहीं होगा।
टीका रेबीज़ की रोकथाम है, इलाज नहीं। इसका मकसद शरीर में एंटीबॉडीज़ बनाना है ताकि वायरस के दिमाग तक पहुँचने से पहले ही उसे ख़त्म किया जा सके।
2 साल बाद अगर आपको कोई लक्षण नहीं दिखे हैं, तो यह सबसे बड़ा सबूत है कि आपको रेबीज़ नहीं हुआ है।
सवाल: टीका तो सुरक्षित होता है, फिर भी 2 साल बाद लगवाने से फ़ायदा क्यों नहीं होगा?
जवाब: इसे एक आसान से उदाहरण से समझिए: मान लीजिए कि रेबीज़ का टीका एक ताले जैसा है। इस ताले को आपको चोर के आने से पहले लगाना होता है।
अगर चोर आपके घर में आ चुका है और सब कुछ चुरा कर चला गया है, तो उसके जाने के बाद ताला लगाने का कोई फ़ायदा नहीं होता।
रेबीज़ का वायरस इसी तरह काम करता है। अगर काटने को 2 साल से ज़्यादा समय बीत गया है, तो वह अब तक दिमाग तक पहुँच गया होता।
सवाल: लेकिन मैंने तो सुना है कि रेबीज़ सालों बाद भी हो सकता है, तो क्या इस डर से टीका नहीं लगवाना चाहिए?
जवाब: यह सच है कि रेबीज़ की ऊष्मायन अवधि (incubation period) कुछ महीनों से लेकर कुछ साल तक भी हो सकती है, लेकिन 2 साल से ज़्यादा का समय बहुत ही असामान्य है।
रेबीज़ और टीके के बीच एक “समय की रेस” चलती है। टीके को वायरस के दिमाग तक पहुँचने से पहले ही अपना काम पूरा करना होता है।
अगर काटने के कई साल बीत गए हैं और कोई लक्षण नहीं दिखे हैं, तो इसका मतलब है कि या तो रेस कभी शुरू ही नहीं हुई थी, या फिर शरीर ने वायरस को ख़त्म कर दिया है।
सवाल: अगर डर के कारण ही कोई टीका लगवाना चाहे तो क्या करे?
जवाब: अगर आपको काटने के कई साल बाद भी डर लग रहा है, तो सबसे अच्छा उपाय है कि आप डॉक्टर से मिलें।
डॉक्टर आपको सही जानकारी देंगे और आपके डर को दूर करने में मदद करेंगे। डॉक्टर की सलाह ही आपके डर का सबसे अच्छा इलाज है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सिर्फ आम जानकारी के लिए है। किसी भी मेडिकल सलाह के लिए हमेशा डॉक्टर से संपर्क करें। इस ब्लॉग का मकसद आपको डराना नहीं, बल्कि ऐसी बीमारियों के बारे में जानकारी देकर जागरूक करना है।
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