क्रिकेटर ऋषभ पंत को हाल ही में पैर में जो चोट लगी, उससे हमें अपने शरीर, खासकर पैरों का ध्यान रखने की एक ज़रूरी बात समझ आती है।
हालाँकि ये बड़े खिलाड़ियों की बात है, लेकिन पैर की चोटों से जुड़ी बातें हम सभी के लिए काम की हैं।
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ऋषभ पंत के पैर को क्या हुआ?
एक मैच के दौरान, ऋषभ पंत के सीधे पैर पर गेंद लग गई। तुरंत ही उन्हें बहुत दर्द हुआ, पैर सूज गया और वे उस पर ज़रा भी वज़न (weight) नहीं डाल पा रहे थे।
महान क्रिकेटर रिकी पोंटिंग ने, जिन्हें खुद भी ऐसी चोटें लग चुकी हैं, चिंता जताई।
उन्होंने पैर की “छोटी, नाज़ुक हड्डियों (small, fragile bones)” का ज़िक्र किया और आशंका जताई कि शायद मेटाटार्सल फ्रैक्चर (metatarsal fracture) हो सकता है।
मेटाटार्सल चोटें समझना: ये जितनी सोचते हैं, उससे ज़्यादा आम हैं
पोंटिंग जिन “छोटी, नाज़ुक हड्डियों” की बात कर रहे थे, वे हैं मेटाटार्सल (metatarsals)।
ये आपके पैर के बीच में पाँच लंबी हड्डियाँ होती हैं। चलने, दौड़ने और चोट सहने में इनका बड़ा रोल होता है।
मेटाटार्सल फ्रैक्चर यानी इन हड्डियों में टूट या दरार, कई वजहों से हो सकती है:
सीधी चोट (Direct Impact): जैसे किसी चीज़ का सीधे पैर पर लगना, जैसा पंत के साथ हुआ।
ज़्यादा दबाव (Stress): दौड़ने या कूदने जैसी बार-बार होने वाली गतिविधियों से हड्डियों में छोटी दरारें (stress fractures) आ जाना।
पैर मुड़ना (Twisting): पैर का अचानक ज़ोर से मुड़ जाना।
जल्दी एक्शन क्यों लेना ज़रूरी? गंभीर पैर दर्द और शुरुआती कदम
पंत को तुरंत मैदान से हटा लिया गया क्योंकि उन्हें दर्द और सूजन थी।
इससे एक बहुत ज़रूरी बात पता चलती है: पैर के दर्द को हल्के में न लें! अगर पैर में तुरंत और ज़्यादा सूजन आ जाए, और आप उस पर ज़रा भी वज़न न डाल पाएँ, तो ये खतरे की घंटी है।
सूजन शरीर की चोट पर प्रतिक्रिया (response) होती है, लेकिन अगर ये बहुत ज़्यादा या अचानक आए, तो इसका मतलब गंभीर चोट, जैसे हड्डी टूटना या अंदरूनी नुकसान हो सकता है।
तुरंत क्या करें (पैर की चोट के लिए फर्स्ट एड)
अगर पैर में कोई बड़ी चोट लगे, तो डॉक्टर के पास जाने से पहले R.I.C.E. तरीका अपनाएँ:
R – आराम (Rest): जो भी कर रहे हैं, तुरंत रोक दें। चोटिल पैर पर बिल्कुल भी वज़न न डालें। अगर आप गतिविधि जारी रखते हैं, तो चोट और बढ़ सकती है।
I – बर्फ (Ice): चोट वाली जगह पर 15-20 मिनट के लिए बर्फ का पैक (ice pack) लगाएँ, हर 2-3 घंटे में। बर्फ क्यों? बर्फ रक्त वाहिकाओं (blood vessels) को सिकोड़ने में मदद करती है, जिससे उस जगह पर खून का बहाव कम होता है। इससे सूजन, जलन (inflammation) और दर्द कम होता है, खासकर नई चोटों में। बर्फ को सीधे त्वचा पर न लगाएँ, कपड़े का इस्तेमाल करें।
C – दबाव (Compression): चोटिल पैर को हल्के से एक इलास्टिक पट्टी (elastic bandage) से लपेट दें। दबाव क्यों? इससे बाहरी दबाव पड़ता है, जिससे सूजन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। ध्यान रखें कि पट्टी कसकर लपेटें, लेकिन इतनी नहीं कि खून का बहाव रुक जाए।
E – ऊपर उठाना (Elevation): लेट जाएँ और अपने पैर को दिल के स्तर (heart level) से ऊपर उठाएँ। ऊपर क्यों उठाएँ? इससे गुरुत्वाकर्षण (gravity) की मदद से चोट वाली जगह से द्रव (fluid) निकल जाता है, जिससे सूजन और कम होती है।
गर्म सिकाई (Hot compress) कब न करें: नई चोटों में, जहाँ सूजन हो (जैसे पंत की चोट), शुरुआत में गर्म सिकाई न करें।
गर्मी से खून का बहाव बढ़ता है, जिससे चोट लगने के पहले 24-48 घंटों में सूजन और जलन बढ़ सकती है।
गर्म सिकाई आमतौर पर मांसपेशियों को आराम देने और खून का बहाव सुधारने के लिए रिकवरी (recovery) के बाद की जाती है, न कि शुरुआती सूजन के लिए।
पैर की चोटों के लिए मेडिकल हेल्प (Medical Help) कब लें – देरी न करें!
हालाँकि R.I.C.E. से तुरंत राहत मिल सकती है, लेकिन कुछ संकेत ऐसे होते हैं जो बताते हैं कि आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाने की ज़रूरत है। इनमें शामिल हैं:
तेज दर्द (Intense Pain)
अगर दर्द बहुत ज़्यादा है और आराम या बर्फ लगाने से भी ठीक नहीं हो रहा है, या अचानक और बढ़ गया है, तो इसका मतलब कोई गंभीर चोट हो सकती है जिसके लिए फर्स्ट एड (first aid) से ज़्यादा इलाज की ज़रूरत है।
चलने या वज़न न डाल पाना (Inability to Walk or Bear Weight)
अगर आप पैर पर बिल्कुल वज़न नहीं डाल पा रहे हैं, या चलने पर बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है, तो ये फ्रैक्चर (fracture) या गंभीर मोच (severe sprain) जैसी किसी बड़ी चोट का मज़बूत संकेत है। आपका पैर आपको सहारा नहीं दे पा रहा है।
बहुत ज़्यादा सूजन या नील पड़ना (Significant Swelling or Bruising)
थोड़ी सूजन तो आम है, लेकिन अचानक और बहुत ज़्यादा सूजन, खासकर गहरे नीले निशान (bruising) के साथ, अंदरूनी रक्तस्राव (internal bleeding) या बड़े ऊतक (tissue) के नुकसान, जिसमें हड्डी टूटना भी शामिल है, का संकेत हो सकती है।
दिखने में बदलाव (Visible Deformity)
अगर आपका पैर अजीब सा दिख रहा है, किसी अजीब कोण (odd angle) पर मुड़ गया है, या कोई हड्डी बाहर निकली हुई लग रही है, तो यह एक साफ आपातकाल (emergency) है। यह जोड़ का अपनी जगह से हट जाना (dislocated joint) या गंभीर फ्रैक्चर हो सकता है जिसके लिए तुरंत मेडिकल मदद की ज़रूरत है।
पैर या पैर की उंगलियों में सुन्नपन या झुनझुनी (Numbness or Tingling)
यह लक्षण नसों को नुकसान (nerve damage) या सूजन के कारण नसों पर दबाव का संकेत दे सकता है, जिसके लिए तुरंत मेडिकल जांच की आवश्यकता होती है।
सही इलाज और लंबी अवधि की समस्याओं से बचने के लिए, सही जाँच (diagnosis) और तुरंत मेडिकल हेल्प (medical help) बहुत ज़रूरी है।
ठीक होने का सफ़र (Road to Recovery): धैर्य और देखभाल
मेटाटार्सल फ्रैक्चर से ठीक होने में आमतौर पर शामिल होता है:
आराम (Rest): पैर पर ज़ोर डालने वाली गतिविधियाँ न करना।
स्थिर रखना (Immobilization): हड्डियों को ठीक होने देने के लिए प्लास्टर (cast) या ख़ास बूट (special boot) पहनना।
दर्द कम करना (Pain Management): दर्द और सूजन के लिए दवाएँ लेना।
फ़िज़ियोथेरेपी (Physical Therapy): हड्डी ठीक होने के बाद धीरे-धीरे ताकत, लचीलापन (flexibility) और हिलने-डुलने की क्षमता वापस पाना।
ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ियों के लिए, पूरी तरह से ठीक होकर अपने खेल में वापस लौटने के लिए एक अच्छी योजना वाली और डॉक्टरों की देखरेख में रीहैबिलिटेशन (rehabilitation) प्रक्रिया बहुत ज़रूरी होती है।
उनका पिछली बार गंभीर कार दुर्घटना से ठीक होना भी बताता है कि बड़ी चोटों से उबरने के लिए कितनी मेहनत और लगन चाहिए होती है।
आपके पैर ही आपका आधार हैं।
चाहे आप खिलाड़ी हों या बस रोज़मर्रा की ज़िंदगी जी रहे हों, पैर की चोटों को समझना और उनका तुरंत इलाज करवाना आपकी चलने-फिरने की क्षमता (mobility) और पूरी सेहत के लिए बहुत ज़रूरी है।
उन “छोटी, नाज़ुक हड्डियों” को कम न आंकें जो आपको हमेशा चलते रहने में मदद करती हैं!
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