अक्सर आपने लोगों को यह कहते सुना होगा कि “मेरे पैरों में दर्द होता है,” “चलते-फिरते टांगों में भारीपन लगता है,” या “पैरों में सूजन आ जाती है।

” कई बार हम इन बातों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, यह सोचकर कि शायद थकान की वजह से हो रहा है।

लेकिन, यह हमेशा सच नहीं होता। यह सब एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या के लक्षण हो सकते हैं

जिसे क्रोनिक वेनस इनसफिशिएंसी (Chronic Venous Insufficiency) या आसान भाषा में पैरों की नसों की कमजोरी कहते हैं।

आज हम इसी के बारे में पूरी डिटेल में बात करेंगे कि यह बीमारी क्या है,

यह क्यों होती है, इसके लक्षण क्या हैं, और

सबसे ज़रूरी, एक आम इंसान इसे कैसे समझ सकता है और इसका इलाज कैसे करवा सकता है।


क्या है वेनस इनसफिशिएंसी? (What is Venous Insufficiency?)

एक शैक्षिक आरेख जिसमें एक स्वस्थ नस और एक रोगग्रस्त नस की तुलना की गई है, जिसमें वाल्व और रक्त प्रवाह की दिशा दिखाई गई है।

वेनस इनसफिशिएंसी को समझें: देखें कि एक स्वस्थ नस में वाल्व कैसे काम करते हैं, और वेनस इनसफिशिएंसी में खून कैसे जमा होता है।

हमारे शरीर में दिल (heart) खून को पंप करके धमनियों (arteries) के ज़रिए पूरे शरीर में भेजता है।

इसके बाद, शिराएँ (veins) इस खून को वापस दिल तक लाती हैं।

पैरों में शिराओं का काम बड़ा ही मुश्किल होता है, क्योंकि उन्हें गुरुत्वाकर्षण (gravity) के विरुद्ध खून को ऊपर की तरफ भेजना होता है।

इस काम में हमारी मदद करते हैं दो अहम हिस्से

पैरों की मांसपेशियाँ (Calf Muscles)

जब हम चलते-फिरते हैं, तो पैरों की मांसपेशियाँ सिकुड़ती हैं और खून को ऊपर की तरफ धकेलती हैं।

इसीलिए इन्हें “दूसरा दिल” (second heart) भी कहा जाता है।

शिराओं के वाल्व (Valves in Veins)

हमारी शिराओं के अंदर छोटे-छोटे गेट की तरह के वाल्व होते हैं।

ये गेट सिर्फ एक ही दिशा में खुलते हैं – ऊपर की तरफ।

जब मांसपेशियाँ खून को ऊपर धकेलती हैं, तो ये वाल्व खुल जाते हैं, और जैसे ही खून ऊपर जाता है, ये वाल्व तुरंत बंद हो जाते हैं ताकि खून वापस नीचे न आ सके।

 

जब किसी वजह से ये वाल्व कमज़ोर या खराब हो जाते हैं, तो ये ठीक से बंद नहीं हो पाते।

इससे खून नीचे की तरफ बहने लगता है और पैरों की शिराओं में जमा होने लगता है।

जब खून शिराओं में जमा होता है, तो नसों में दबाव बढ़ जाता है और वे फैल जाती हैं।

इसी स्थिति को वेनस इनसफिशिएंसी कहते हैं।

 

वेनस इनसफिशिएंसी के कारण और जोखिम (Causes and Risks of Venous Insufficiency)

यह बीमारी कई कारणों से हो सकती है, और कुछ लोगों में इसका खतरा ज़्यादा होता है।

मुख्य कारण

वाल्व का खराब होना: जैसा कि हमने ऊपर बताया, यही इसका सबसे बड़ा कारण है।

डीप वेन थ्रोंबोसिस (Deep Vein Thrombosis – DVT): पैरों की गहरी नसों में खून का थक्का जमना। DVT होने से नसों को नुकसान पहुँचता है, जिससे वेनस इनसफिशिएंसी हो सकती है।

जोखिम के कारक (Risk Factors)

लंबी देर तक खड़े रहना या बैठना: अगर आपका काम ऐसा है जिसमें आपको बहुत देर तक एक ही जगह पर खड़े रहना या बैठे रहना पड़ता है (जैसे टीचर, डॉक्टर, ऑफिस वर्कर), तो यह नसों में दबाव बढ़ाता है।

बढ़ती उम्र: उम्र के साथ-साथ नसों और उनके वाल्व की दीवारें कमज़ोर होने लगती हैं।

लिंग (Gender): महिलाओं में यह समस्या ज़्यादा देखी जाती है, खासकर प्रेगनेंसी के दौरान या हार्मोनल बदलाव के कारण।

मोटापा (Obesity): शरीर का ज़्यादा वजन पैरों की नसों पर अतिरिक्त दबाव डालता है।

परिवार में इतिहास: अगर आपके परिवार में किसी को वेरिकोज़ वेन्स या वेनस इनसफिशिएंसी की समस्या है, तो आपको इसका जोखिम हो सकता है।

धूम्रपान (Smoking): धूम्रपान रक्त परिसंचरण को प्रभावित करता है और नसों को नुकसान पहुँचा सकता है।


वेनस इनसफिशिएंसी के लक्षण (Symptoms of Venous Insufficiency)

एक व्यक्ति का पैर जिस पर उभरी हुई वेरिकोज़ वेन्स, टखने के पास सूजन, और त्वचा का लाल-भूरा रंग दिखाई दे रहा है, जो वेनस इनसफिशिएंसी के लक्षणों को दर्शाता है।

वेनस इनसफिशिएंसी के आम लक्षण: इस तस्वीर में वेरिकोज़ वेन्स, सूजन और त्वचा के रंग में बदलाव जैसे दृश्य लक्षण दिखाए गए हैं, जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।

शुरुआत में, इसके लक्षण बहुत हल्के हो सकते हैं और आप इन्हें थकान मानकर नज़रअंदाज़ कर सकते हैं। लेकिन, जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, लक्षण भी गंभीर हो जाते हैं।

शुरुआती लक्षण

पैरों में भारीपन: आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि आपके पैर बहुत भारी हो गए हैं।

हल्का दर्द या ऐंठन: अक्सर दिन के अंत में या ज़्यादा देर खड़े रहने पर पैरों में हल्का दर्द या ऐंठन होती है।

पैरों में सूजन (Swelling): खासकर टखनों और पैरों में सूजन दिखती है जो रात में सोने के बाद सुबह कम हो जाती है।

खुजली या झुनझुनी: पैरों में हल्की खुजली या सुई चुभने जैसा महसूस हो सकता है।

 

गंभीर लक्षण

वेरिकोज़ वेन्स (Varicose Veins): पैरों की नसें नीली या बैंगनी होकर त्वचा के नीचे से उभरी हुई और मुड़ी हुई दिख सकती हैं।

त्वचा के रंग में बदलाव: टखनों के आसपास की त्वचा का रंग लाल-भूरा या काला होने लगता है।

त्वचा का सख्त होना: त्वचा मोटी और सख्त हो जाती है, जिसे मेडिकल भाषा में लिपोडर्मैटोस्क्लेरोसिस (Lipodermatosclerosis) कहते हैं।

घाव या छाले (Ulcers): सबसे गंभीर स्थिति में, पैरों पर ऐसे घाव या छाले बन जाते हैं जो बहुत धीरे-धीरे ठीक होते हैं या बिल्कुल ठीक नहीं होते।


वेनस इनसफिशिएंसी का इलाज (Treatment for Venous Insufficiency)

खुशखबरी यह है कि इस बीमारी का इलाज संभव है, खासकर अगर आप इसे शुरुआती स्टेज में ही पहचान लेते हैं।

जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle Changes)

ये उपाय सबसे पहले और सबसे ज़रूरी हैं। ये न सिर्फ़ बीमारी को बढ़ने से रोकते हैं बल्कि आपके लक्षणों को भी कम करते हैं।

चलना-फिरना और व्यायाम: पैरों की मांसपेशियों को मज़बूत करने के लिए रोज़ाना चलें, साइकिल चलाएँ या तैराकी करें।

वजन कम करें: अगर आपका वजन ज़्यादा है, तो उसे कम करने की कोशिश करें।

पैरों को ऊपर उठाएँ: जब भी मौका मिले, अपने पैरों को दिल के स्तर से ऊपर उठा कर रखें। आप पैरों के नीचे तकिया या स्टूल लगा सकते हैं।

खड़े रहने से बचें: अगर आपका काम ऐसा है, तो हर आधे घंटे में कुछ मिनट के लिए टहलें।

कम नमक खाएँ: ज़्यादा नमक खाने से शरीर में पानी रुकता है, जिससे सूजन बढ़ सकती है।

 

कॉम्प्रेशन स्टॉकिंग्स (Compression Stockings)

एक व्यक्ति आरामदायक मुद्रा में सोफे पर लेटा हुआ है, जिसके पैर तकिए पर ऊँचे रखे हुए हैं और कॉम्प्रेशन स्टॉकिंग्स पहनी हुई हैं, जो वेनस इनसफिशिएंसी के बचाव और घरेलू इलाज को दर्शाती है।

बचाव और राहत: पैरों को ऊपर रखना और कॉम्प्रेशन स्टॉकिंग्स पहनना वेनस इनसफिशिएंसी के लिए प्रभावी उपाय हैं।

डॉक्टर अक्सर सबसे पहले कॉम्प्रेशन स्टॉकिंग्स (Compression Stockings) पहनने की सलाह देते हैं।

क्या होती हैं ये? ये ख़ास तरह के टाइट मोजे होते हैं जो पैरों पर एक समान दबाव डालते हैं।

कैसे काम करती हैं? ये मोजे पैरों की शिराओं में दबाव कम करते हैं, जिससे खून को दिल तक वापस जाने में मदद मिलती है और सूजन भी कम होती है।

 

मेडिकल और सर्जिकल इलाज (Medical and Surgical Treatments)

अगर जीवनशैली में बदलाव और कॉम्प्रेशन स्टॉकिंग्स से फ़ायदा नहीं होता है, तो डॉक्टर कुछ और इलाज के तरीके सुझा सकते हैं।

स्क्लेरोथेरेपी (Sclerotherapy): इस प्रक्रिया में, डॉक्टर एक दवा को सीधे शिरा में इंजेक्ट करते हैं, जिससे वह सिकुड़ जाती है और बंद हो जाती है।

एंडोवेनस एब्लेशन (Endovenous Ablation): इस तरीके में, लेज़र या रेडियोफ्रीक्वेंसी ऊर्जा का इस्तेमाल करके खराब हुई शिरा को अंदर से बंद कर दिया जाता है।

सर्जरी (Surgery): गंभीर मामलों में, डॉक्टर सर्जरी के ज़रिए खराब हुई शिरा को हटा सकते हैं या बाईपास कर सकते हैं।


वेनस इनसफिशिएंसी के कॉम्प्लिकेशन्स: अगर इलाज न हो तो क्या हो सकता है?

(Complications: What Happens If Left Untreated?)

वेनस इनसफिशिएंसी के शुरुआती लक्षण जैसे पैरों में दर्द और भारीपन को अगर नज़रअंदाज़ किया जाए,

तो यह समय के साथ कई गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकती है।

खून का लगातार पैरों की नसों में जमा होना, टिश्यूज (tissues) पर दबाव बनाता है और उन्हें नुकसान पहुँचाता है।

 

त्वचा में बदलाव (Skin Changes): इलाज न होने पर पैरों की त्वचा पर लाल-भूरे रंग के धब्बे बनने लगते हैं, खासकर टखनों के आसपास। यह खून के जमा होने के कारण होता है।

लिपोडर्मैटोस्क्लेरोसिस (Lipodermatosclerosis): यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ पैरों की त्वचा मोटी और सख्त हो जाती है। यह छूने में सख्त महसूस होती है और अक्सर खुजली या जलन का कारण बनती है।

अल्सर (Ulcers): यह सबसे गंभीर जटिलता है। जब त्वचा कमजोर हो जाती है और उसमें खून का बहाव ठीक से नहीं होता,

तो खुले और दर्द भरे घाव बन जाते हैं जिन्हें वेनस अल्सर (venous ulcers) कहते हैं। ये घाव बहुत मुश्किल से भरते हैं और अगर इनमें इन्फेक्शन हो जाए तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

इन्फेक्शन (Infection): खुले घाव और खराब त्वचा पर बैक्टीरिया आसानी से हमला कर सकते हैं, जिससे गंभीर इन्फेक्शन हो सकता है जिसे सेल्युलाइटिस (Cellulitis) कहते हैं।

खून के थक्के (Blood Clots): पैरों की नसों में खून के थक्के (blood clots) जमने का खतरा बढ़ जाता है। अगर यह थक्का टूटकर फेफड़ों तक पहुँच जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है।

इन सभी जटिलताओं से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप शुरुआती लक्षणों को पहचानें और समय पर डॉक्टर से सलाह लें।


वेनस इनसफिशिएंसी से कैसे बचें? (How to Prevent Venous Insufficiency?)

बचाव हमेशा इलाज से बेहतर होता है। यहाँ कुछ आसान तरीके बताए गए हैं जिन्हें अपनाकर आप इस बीमारी के खतरे को कम कर सकते हैं:

सक्रिय रहें (Stay Active): अपने रोज़मर्रा के जीवन में चलना-फिरना शामिल करें।

वजन पर कंट्रोल रखें: एक स्वस्थ वजन बनाए रखें।

लंबे समय तक खड़े रहने या बैठने से बचें: काम के बीच में ब्रेक लें और पैरों को हिलाते-डुलाते रहें।

टाइट कपड़े पहनने से बचें: ऐसे कपड़े न पहनें जो आपकी कमर, जाँघों या पैरों को बहुत ज़्यादा कसते हों, क्योंकि ये रक्त संचार में बाधा डाल सकते हैं।

डॉक्टर से सलाह लें: अगर आपके पैरों में दर्द, सूजन या कोई और लक्षण दिखता है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और सलाह लें।

यह बहुत ज़रूरी है कि हम अपने पैरों का ध्यान रखें, क्योंकि वे हमारे शरीर को चलाते हैं।

वेनस इनसफिशिएंसी को अनदेखा करने से यह गंभीर रूप ले सकती है।

इसलिए, यदि आपको कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें।


राष्ट्रपति ट्रंप – एक उदाहरण

राष्ट्रपति  Donald Trump (डोनाल्ड ट्रंप) (79 वर्ष) को जुलाई 2025 में क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी (CVI) का निदान मिला,

जब उनके पैरों और टखनों में हल्की सूजन देखी गई। इसमें किसी गंभीर बीमारी (जैसे कि डीप वेन थ्रोम्बोसिस, धमनी रोग, या हृदय हार्टफेल्योर) का सबूत नहीं पाया गया,

और उनके डॉक्टर ने स्वास्थ्य को “perfect” बताया।

इस घोषणा से स्पष्ट होता है कि CVI उम्र बढ़ने के साथ आम होना एक गंभीर, लेकिन संभाल योग्य स्थिति है।

राष्ट्रपति ट्रंप के मामले में भी उसे “benign and common” बताया गया।


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डिस्क्लेमर

यह ब्लॉग पोस्ट केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखी गई है।

इसे किसी भी तरह से डॉक्टरी सलाह नहीं माना जाना चाहिए।

किसी भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले, किसी सर्टिफाइड डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है।