जब उम्मीद पर था ख़तरा

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कहानी शुरू होती है 1980 के दशक से।

पोलियो, खसरा जैसी खतरनाक बीमारियों से दुनिया लड़ रही थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ़ (UNICEF) के डॉक्टर और नर्स, दुनिया के कोने-कोने में, खासकर दूरदराज के इलाकों में, वैक्सीन पहुँचाने के लिए अपनी जान हथेली पर लिए घूम रहे थे।

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लेकिन उनके सबसे बड़े हथियार, यानी कि वैक्सीन, की एक बहुत बड़ी कमज़ोरी थी: गर्मी!

अगर वैक्सीन को कुछ समय के लिए भी सही तापमान (कोल्ड चेन) पर न रखा जाए, तो वो ख़राब हो जाती थी।

सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि बाहर से शीशी एकदम सही लगती थी, पर अंदर का संजीवनी जैसा अमृत, एक बेकार तरल में बदल चुका होता था।

हमारी सबसे बड़ी उम्मीद, हर पल एक अदृश्य दुश्मन (गर्मी) के हाथों ख़त्म हो रही थी।

 

चुनौती: एक आसान हल की तलाश

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इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए WHO ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया।

उन्होंने दुनिया भर के वैज्ञानिकों और कंपनियों के लिए एक खुली चुनौती रखी:

“हमें एक ऐसा आसान, सस्ता और कारगर तरीका चाहिए, जिससे कोई भी, बस एक नज़र में, यह पता लगा सके कि वैक्सीन ठीक है या नहीं।”

यह एक ऐसी वैश्विक चुनौती थी, जिसने दुनिया के कई बेहतरीन दिमागों को सोचने पर मजबूर कर दिया।

 

हीरो की एंट्री: एक छोटा सा स्टीकर

इस चुनौती का जवाब दिया एक छोटी-सी अमेरिकी कंपनी टेम्पटाइम कॉर्पोरेशन (Temptime Corporation) के वैज्ञानिकों ने।

उन्होंने दिन-रात मेहनत की, ताकि वो एक ऐसा स्टीकर बना सकें जो तापमान को महसूस कर सके।

उनका दिमाग इस पर लगा कि कैसे एक ख़ास केमिकल से एक ऐसा थर्मामीटर बनाया जाए, जो सिर्फ दो रंगों में दुनिया को सबसे ज़रूरी बात बता दे।

और उनकी मेहनत रंग लाई। इस टीम के हीरोज़ ने एक ऐसा सिस्टम बनाया

कि अगर वैक्सीन सुरक्षित है, तो स्टीकर पर बना चौकोर हल्का रहेगा, और जैसे ही गर्मी बढ़ती, तो यह गहरा होने लगता था।

उनका बनाया हुआ यह वैक्सीन वायल मॉनिटर (VVM) इतना आसान और भरोसेमंद था कि WHO ने इसे 1996 में सभी वैक्सीन की शीशियों पर लगाने की सिफारिश की।

कामयाबी की गूंज

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यह सिर्फ़ एक आविष्कार नहीं था।

यह उन वैज्ञानिकों की जीत थी, जिन्होंने लाखों बच्चों को अनजाने में ख़तरे में डालने से बचाया।

यह उस जंग की कहानी है, जो दुनिया के सबसे दूरदराज के कोनों में लड़ी गई, और जीती भी गई। VVM ने यह सुनिश्चित किया कि हर डॉक्टर, हर नर्स के पास हमेशा एक असरदार हथियार हो,

और कोई भी बच्चा बेकार वैक्सीन लगवाने के जोखिम में न रहे।

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