क्या आपने कभी सोचा है कि जब बात कसरत की आती है, तो क्या महिलाएँ और पुरुष बिल्कुल एक जैसे ही होते हैं?

हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि ‘कसरत करो, स्वस्थ रहो’,

लेकिन शायद हमने कभी यह नहीं सोचा कि ‘कितनी कसरत’ और ‘किसके लिए’ – इस पर भी लिंग का कोई फर्क पड़ सकता है।

हाल ही में, विज्ञान ने एक ऐसी बात बताई है जिसने हम सबको चौंका दिया है (और शायद कुछ महिलाओं को खुश भी कर दिया है!)।

एक नई रिसर्च कहती है कि दिल की सेहत के मामले में महिलाओं को पुरुषों पर एक छोटा सा ‘एडवांटेज’ (फायदा) मिल सकता है।

तो, क्या इसका मतलब है कि अब महिलाएँ कम कसरत करके भी पुरुषों से ज़्यादा फिट रह सकती हैं? आइए, इस दिलचस्प खोज को सरल और मज़ेदार तरीके से समझते हैं!

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तो, क्या है ये ‘महिला शक्ति’ की कहानी? (The ‘Girl Power’ Story)

चीन के शोधकर्ताओं ने एक बहुत बड़ी रिसर्च की, जिसमें यूके बायोबैंक (UK Biobank) के लगभग 85,000 ऐसे लोगों का डेटा खंगाला गया जिन्हें दिल की बीमारी नहीं थी।

उन्होंने इन लोगों की फिजिकल एक्टिविटी (Accelerometers से ट्रैक की गई) और अगले 7 सालों में उनके दिल से जुड़े इवेंट्स (जैसे हार्ट अटैक या मौत) को देखा।

और पता है क्या निकला?

महिलाओं को ज़्यादा फायदा

जिन महिलाओं ने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) की कसरत गाइडलाइन

(यानी हर हफ्ते 175 मिनट की मॉडरेट से विगरस एक्टिविटी, या 75 मिनट की इंटेंस एक्टिविटी) पूरी की,

उन्हें दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा 22% कम था।

पुरुषों को थोड़ा कम फायदा: वहीं, इसी कसरत से पुरुषों को 17% कम खतरा था।

और भी कमाल की बात: महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम कसरत में ही ज़्यादा फायदा मिल रहा था!

अपने दिल की बीमारी का खतरा 30% कम करने के लिए, पुरुषों को हफ्ते में 530 मिनट (लगभग 9 घंटे) कसरत करनी पड़ी।

जबकि, महिलाओं को इसी 30% खतरे को कम करने के लिए हफ्ते में सिर्फ़ 250 मिनट (लगभग 4 घंटे) कसरत करनी पड़ी।

यानी, महिलाओं को पुरुषों की आधी कसरत में भी उतना ही या कभी-कभी ज़्यादा फायदा मिल रहा था!

डॉ. जियाजिन चेन, जिन्होंने इस स्टडी का नेतृत्व किया, खुद इस बात से हैरान थे कि महिलाएँ लगभग आधी फिजिकल एक्टिविटी में भी पुरुषों के बराबर कार्डियोवैस्कुलर बेनिफिट्स पा रही थीं।

तो, लड़कियों, तालियां बजती रहनी चाहिए! 🥳

 

क्यों, आखिर क्यों? (The Million-Dollar Question: Why?)

अब सवाल यह उठता है कि ऐसा क्यों है? क्या महिलाओं के शरीर में कोई जादू है? स्टडी ने खुद तो इसकी वजह नहीं बताई, लेकिन वैज्ञानिकों के पास कुछ थ्योरीज़ (अनुमान) हैं:

एस्ट्रोजन का जादू (The Estrogen Magic)

महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर पुरुषों की तुलना में ज़्यादा होता है।

मेनोपॉज़ से पहले, एस्ट्रोजन दिल की सेहत को बचाने में मदद कर सकता है।

यही कारण हो सकता है कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज़्यादा उम्र में दिल से जुड़ी बीमारियाँ होती हैं।

कुछ ट्रायल्स में तो यह भी देखा गया है कि जो पुरुष एस्ट्रोजन सप्लीमेंट्स लेते हैं,

उनमें कोरोनरी हार्ट डिजीज में सुधार होता है, क्योंकि यह कसरत के दौरान फैट (लिपिड) को तोड़ने में मदद करता है।

मांसपेशियों का गणित (Muscle Mechanics)

महिलाएँ और पुरुष की मांसपेशियों की बनावट और उनके मेटाबॉलिज्म (भोजन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया) में भी अंतर होता है।

हो सकता है कि महिलाओं की मांसपेशियाँ कम मेहनत में ही दिल को ज़्यादा फायदा पहुँचाती हों।

यह रिसर्च इस दिशा में एक पहला कदम है, और अभी और भी स्टडीज़ होनी बाकी हैं ताकि हम इस ‘महिला शक्ति’ के पीछे का विज्ञान पूरी तरह से समझ सकें।

 

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तो अब क्या? क्या महिलाएं अब सोफे पर बैठ सकती हैं? (So, What Now? Can Women Just Chill on the Couch?)

बिल्कुल नहीं! ये मत सोचिएगा कि अब महिलाएं आराम फरमा सकती हैं और पुरुष पसीना बहाते रहें।

डॉ. एमिली लाउ, ब्रिगहम एंड वीमेंस हॉस्पिटल में महिला हृदय स्वास्थ्य की निदेशक, कहती हैं कि “महिलाओं को फिजिकल एक्टिविटी का फायदा ज़्यादा मिलता है, फिर भी हम देखते हैं कि वे पुरुषों की तुलना में कम कसरत करती हैं।”

इसका मतलब है कि हम मेडिकल कम्युनिटी के लिए एक बड़ा मौका है कि हम महिलाओं को कसरत के लिए प्रेरित करें और उन्हें उनकी ज़रूरतों के हिसाब से सलाह दें।

यहां मुख्य संदेश यह है:

हर कसरत ज़रूरी है: चाहे थोड़ी हो या ज़्यादा, हर कसरत आपके दिल के लिए फायदेमंद है।

महिलाओं के लिए खास मौका: अगर आप एक महिला हैं, तो यह खबर आपके लिए एक मोटिवेशन हो सकती है! आपकी थोड़ी सी मेहनत भी आपके दिल को बहुत फायदा पहुँचा सकती है।

पुरुषों के लिए भी प्रेरणा: पुरुषों को यह नहीं सोचना चाहिए कि उन्हें कम फायदा मिलता है। उन्हें बस थोड़ा ज़्यादा पसीना बहाना होगा!

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व्यक्तिगत सलाह का ज़माना (The Era of Personalized Advice)

डॉ. चेन का मानना है कि ‘पर्सनलाइज्ड मेडिसिन’ के इस दौर में, अब हमें हर व्यक्ति की खासियतों के हिसाब से सलाह देनी होगी।

डॉ. लाउ भी कहती हैं, “हमें पुरुषों और महिलाओं को एक जैसा समझना बंद करना होगा। यह 2025 है, और हम अभी भी पुरुषों के डेटा को महिलाओं पर लागू कर रहे हैं।”

यह रिसर्च इस बात पर ज़ोर देती है कि दिल की सेहत के लिए पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग सलाह की ज़रूरत हो सकती है – न केवल व्यायाम के लिए, बल्कि अन्य जोखिम कारकों के लिए भी।

तो, शायद भविष्य में आपकी फिटनेस गाइडलाइन आपके लिंग के हिसाब से थोड़ी अलग होंगी!

आपके लिए एक्शन टिप्स (Actionable Tips for You)

चाहे आप पुरुष हों या महिला, आपके दिल की सेहत आपके हाथ में है। इस रिसर्च से सीख लेकर, यहाँ कुछ काम की बातें हैं:

कम से शुरू करें, पर करें ज़रूर (Start Small, But Start)

अगर आप अभी बिल्कुल कसरत नहीं करते, तो 10-15 मिनट की तेज़ चाल से शुरुआत करें। महिलाओं के लिए तो यह और भी मोटिवेटिंग होना चाहिए कि उनकी थोड़ी सी मेहनत भी कमाल कर सकती है!

अपनी गाइडलाइन जानें (Know Your Guidelines): WHO और AHA की गाइडलाइन याद रखें:

  मॉडरेट एक्टिविटी: 175 मिनट/हफ्ते (जैसे तेज़ चलना, डांस, गार्डनिंग)

  इंटेंस एक्टिविटी: 75 मिनट/हफ्ते (जैसे दौड़ना, तैरना, भारी वर्कआउट)

महिलाओं के लिए प्रोत्साहन: महिलाओं को पता है कि वे कम समय में भी अच्छा कर सकती हैं, तो यह लक्ष्य हासिल करना और भी आसान हो सकता है!

मिक्स एंड मैच करें (Mix and Match): सिर्फ़ एक तरह की कसरत न करें। एरोबिक्स, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, और फ्लेक्सिबिलिटी (जैसे योग) को मिलाकर करें। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को कभी न भूलें, यह ‘बेस्ट एंटी-एजर’ है!

हर रोज़ एक्टिव रहें (Be Active Every Day): लिफ्ट की जगह सीढ़ियाँ लें, थोड़ी दूर पैदल चलें, घर के काम खुद करें।

अपने डॉक्टर से बात करें (Talk to Your Doctor): कोई भी नया वर्कआउट रूटीन शुरू करने से पहले, खासकर अगर आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी चिंता है, तो अपने डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें।

पहनने योग्य उपकरणों का उपयोग करें (Use Wearable Devices): अगर आप फिटनेस ट्रैकर या स्मार्टवॉच का उपयोग करते हैं, तो वे आपकी एक्टिविटी को ट्रैक करने और आपको मोटिवेट करने में मदद कर सकते हैं।

भविष्य में, ये डिवाइस आपकी लिंग-विशिष्ट सलाह के लिए डेटा भी प्रदान कर सकते हैं।

खुश रहें (Stay Happy): शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी बहुत ज़रूरी है। तनाव कम करें, पर्याप्त नींद लें और जो आपको पसंद हो, वो करें।

याद रखें, स्वस्थ दिल का मतलब एक लंबी और खुशहाल ज़िंदगी है। तो, अपनी सेहत को पहली प्राथमिकता दें!

अस्वीकरण (Disclaimer)

यह ब्लॉग पोस्ट केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है, और यह TIME मैगजीन में प्रकाशित मूल अध्ययन या टिप्पणी का सीधा अनुवाद नहीं है।

यह किसी भी तरह से पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है।

यदि आपको अपने हृदय स्वास्थ्य या व्यायाम संबंधी कोई चिंता है, तो कृपया हमेशा अपने योग्य चिकित्सक या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से सलाह लें।

किसी भी नए व्यायाम कार्यक्रम को शुरू करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।