नमस्ते! आज, 28 जुलाई को, हम “विश्व हेपेटाइटिस दिवस” मना रहे हैं। शायद आप में से कुछ लोग सोच रहे होंगे, “हेपेटाइटिस? यह क्या बीमारी है?” और बिल्कुल सही! अक्सर हम बड़ी-बड़ी बीमारियों की बात करते हैं, पर यह ‘साइलेंट किलर’ हेपेटाइटिस, जो हमारे जिगर (लिवर) को अंदर से खा जाता है, उसके बारे में बहुत कम जानकारी होती है।
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जिगर का मतलब? आपका ‘इंजन’!
सोचिए, आपकी गाड़ी का इंजन कितना ज़रूरी होता है? अगर इंजन ठीक न हो, तो गाड़ी चलेगी कैसे? बिल्कुल वैसे ही, हमारा जिगर हमारे शरीर का ‘इंजन’ है। यह खून साफ़ करता है, खाना पचाता है, और हमें बीमारियों से लड़ने की ताक़त देता है। जब इस इंजन में सूजन आ जाती है – जिसे हम हेपेटाइटिस कहते हैं – तो पूरा शरीर मुश्किल में पड़ जाता है।
क्यों मनाते हैं विश्व हेपेटाइटिस दिवस? ‘एक्शन’ का समय है!
हर साल, इस दिन को मनाने का मक़सद सिर्फ याद दिलाना नहीं है। इस साल का विषय है: “कार्रवाई का समय है”। मतलब, अब सिर्फ बातें नहीं, कुछ करना है! क्योंकि देश में लाखों लोग हेपेटाइटिस बी और सी के साथ जी रहे हैं, और उनमें से ज़्यादातर को पता भी नहीं! यह बीमारी चुपके से बढ़ती है और जब तक पता चलता है, तब तक अक्सर देर हो चुकी होती है। लिवर खराब हो जाता है, यहाँ तक कि लिवर कैंसर भी हो सकता है।
हेपेटाइटिस – क्या है और कैसे फैलता है? सीधी बात, कोई बकवास नहीं।
हेपेटाइटिस अलग-अलग प्रकार का होता है, जैसे ए, बी, सी, डी, और ई। सभी जिगर को नुक़सान पहुँचाते हैं, पर फैलने का तरीक़ा अलग है:
हेपेटाइटिस ए और ई: यह अक्सर गंदे पानी या खाने से फैलता है। मानसून में या बाहर खाना खाते वक़्त थोड़ा सावधान रहना चाहिए। यह आम तौर पर खुद ठीक हो जाता है, पर परेशानी कर सकता है।
याद रखें: साफ़-सफ़ाई, उबला हुआ पानी, धुला हुआ खाना – यह इसकी सबसे बड़ी रोकथाम है।
हेपेटाइटिस बी और सी: यह थोड़े ज़्यादा ख़तरनाक हैं। यह खून और शरीर के दूसरे तरल पदार्थों (जैसे पसीना, या यहाँ तक कि कटने पर निकला खून) से फैलते हैं।
याद रखें:
सुई साझा न करें: जो लोग इंजेक्शन लेते हैं या टैटू बनवाते हैं, अगर सुई साफ़ न हो, तो संक्रमण फैल सकता है। हेयर कटिंग सैलून या ब्यूटी पार्लर में भी इसका ध्यान रखें।
असुरक्षित यौन संबंध: हेपेटाइटिस बी यौन संपर्क से भी फैल सकता है। सुरक्षा बहुत ज़रूरी है।
माँ से बच्चे को: अगर माँ को हेपेटाइटिस बी या सी है, तो बच्चे को भी हो सकता है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं की जाँच बहुत ज़रूरी है।
रक्त आधान: आजकल रक्त की जाँच होती है, पर पुराने समय में यह एक वजह थी।
लक्षण क्या हैं? पहचानना क्यों मुश्किल है?
सबसे बड़ी समस्या यह है कि शुरू में हेपेटाइटिस के कोई ख़ास लक्षण नहीं होते। कई लोग सालों तक इसके साथ जीते हैं और उन्हें पता ही नहीं चलता। जब लक्षण दिखते हैं, तब तक जिगर को नुक़सान हो चुका होता है। फिर भी, कुछ आम लक्षण ये हो सकते हैं:
- बिना वजह थकावट
- भूख न लगना
- पेट में दर्द, ख़ासकर दाहिनी तरफ़
- पेशाब का गहरा रंग
- मल का रंग हल्का होना
- आँखों और त्वचा का पीला पड़ना (पीलिया)
क्या करें? “हम सब का सहारा, लिवर का सहारा!”
डरने की बात नहीं है, पर जानकारी और सावधानी बहुत ज़रूरी है।
- जाँच करवाएँ: अगर आपको लगता है कि आपको ख़तरा हो सकता है (जैसे, आपके परिवार में किसी को हेपेटाइटिस है, या आपने कभी रक्त आधान करवाया है पुराने समय में), तो अपनी जाँच करवाएँ। एक साधारण ब्लड टेस्ट से पता चल जाता है। पता है, भारत में 4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी से और 60 से 120 लाख लोग हेपेटाइटिस सी से प्रभावित हैं, और ज़्यादातर को पता ही नहीं!
- टीका लगवाएँ: हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी का टीका उपलब्ध है! बच्चों को तो लगता ही है, पर बड़े भी लगवा सकते हैं। यह आपको संक्रमण से बचाता है। अपने डॉक्टर से बात करें।
- सुरक्षा अपनाएँ:
- हमेशा साफ़ पानी पिएँ।
- बाहर खाते वक़्त सफ़ाई का ध्यान रखें।
- टैटू या पियर्सिंग करवाते समय पक्का करें कि उपकरण स्टेरलाइज़ किए गए हों।
- व्यक्तिगत चीज़ें जैसे रेज़र, नेल क्लिपर्स, टूथब्रश साझा न करें।
- सुरक्षित यौन संबंध बनाएँ।
- जागरूकता फैलाएँ: अपने दोस्तों, परिवार, और पड़ोसियों को हेपेटाइटिस के बारे में बताएँ। ग़लतफ़हमियों को दूर करें। लोगों को जाँच और टीके के लिए प्रोत्साहित करें।
सरकार की कोशिश – हमारे लिए!
अच्छी बात यह है कि हमारी सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है। “राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम” के तहत मुफ़्त स्क्रीनिंग और उपचार सेवाएँ मिल रही हैं, ख़ासकर हेपेटाइटिस बी और सी के लिए। तो, अगर आपको जाँच करवानी है या इलाज चाहिए, तो सरकारी अस्पतालों में जाकर पता कर सकते हैं।
अंतिम बात:
हमारा जिगर, हमारा अनमोल ‘इंजन’ है। इसकी देखभाल करना हमारी ज़िम्मेदारी है। विश्व हेपेटाइटिस दिवस, 28 जुलाई, हमें याद दिलाता है कि हम सब मिलकर इस “साइलेंट किलर” को हरा सकते हैं। तो, आज ही अपने लिवर की जाँच करवाएँ, सुरक्षा के क़दम उठाएँ, और अपने आस-पास के लोगों को भी जागरूक करें।
आइए, हम सब मिलकर एक “हेपेटाइटिस-मुक्त भारत” बनाएँ!
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